मत्ती 3 : 1 (OCVHI)
बपतिस्मा देनेवाले योहन का उपदेश कालांतर में यहूदिया प्रदेश के बंजर भूमि में बपतिस्मा देनेवाला योहन आकर यह प्रचार करने लगे,
मत्ती 3 : 2 (OCVHI)
“मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग-राज्य पास आ गया है.”
मत्ती 3 : 3 (OCVHI)
यह वही हैं जिनके विषय में भविष्यवक्ता यशायाह ने अपने अभिलेख में इस प्रकार संकेत दिया है: “वह आवाज, जो बंजर भूमि में पुकार-पुकारकर कह रही है, ‘प्रभु का रास्ता सीधा करो, उनका मार्ग सरल बनाओ.’ ”* यशा 40:3
मत्ती 3 : 4 (OCVHI)
बपतिस्मा देनेवाले योहन का परिधान ऊंट के रोम से निर्मित वस्त्र और उसके ऊपर चमड़े का कमरबंध था, 2 राजा 1:8 और उनका भोजन था टिड्डियां तथा जंगलीमधु.
मत्ती 3 : 5 (OCVHI)
येरूशलेम नगर, सारे यहूदिया प्रदेश और यरदन नदी के नज़दीकी क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग उनके पास आने लगे.
मत्ती 3 : 6 (OCVHI)
पापों को मानने के बाद योहन उन्हें यरदन नदी में बपतिस्मा दिया करते थे.
मत्ती 3 : 7 (OCVHI)
जब योहन ने देखा कि अनेक फ़रीसी फ़रीसी यहूदियों के एक संप्रदाय था, जो कानून-व्यवस्था के सख्त पालन में विश्वास करता था और सदूकी § सदूकी यहूदी धर्म के एक संप्रदाय था जो अज्ञेयवादी थे, जो मृत्यु के बाद जीवन, स्वर्गदूत आदि में विश्वास नहीं करते थे बपतिस्मा लेने आ रहे हैं, उन्होंने उनकी उल्लाहना करते हुए कहा, “विषैले सांपों की संतान! समीप आ रहे क्रोध से भागने की चेतावनी तुम्हें किसने दे दी?
मत्ती 3 : 8 (OCVHI)
सच्चे मन फिराने का प्रमाण दो
मत्ती 3 : 9 (OCVHI)
और ऐसा मत सोचो कि आप कह सकते हैं, ‘हम तो अब्राहाम की संतान हैं!’ क्योंकि मैं तुम्हें बताता हूं कि परमेश्वर में इन पत्थरों तक से अब्राहाम की संतान पैदा करने का सामर्थ्य है.
मत्ती 3 : 10 (OCVHI)
कुल्हाड़ी पहले ही वृक्षों की जड़ पर रखी हुई है. हर एक पेड़, जो उत्तम फल नहीं फलता, काटा जाता और आग में झोंक दिया जाता है.
मत्ती 3 : 11 (OCVHI)
“मैं तो तुम्हें पश्चाताप के लिए पानी से बपतिस्मा दे रहा हूं किंतु वह, जो मेरे बाद आ रहे हैं, मुझसे अधिक शक्तिशाली हैं. मैं तो इस योग्य भी नहीं कि उनकी जूतियां उठाऊं. वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग में बपतिस्मा देंगे.
मत्ती 3 : 12 (OCVHI)
सूप उनके हाथ में है. वह अपने खलिहान को अच्छी तरह साफ़ करेंगे, गेहूं को भंडार में इकट्ठा करेंगे और भूसी को कभी न बुझनेवाली आग में भस्म कर देंगे.”
मत्ती 3 : 13 (OCVHI)
मसीह येशु का बपतिस्मा येशु गलील प्रदेश से यरदन नदी पर योहन के पास आए कि उनके द्वारा बपतिस्मा* बपतिस्मा जल-संस्कार, एक व्यक्ति को पानी में डुबोने की धार्मिक विधि लें
मत्ती 3 : 14 (OCVHI)
किंतु योहन ने इसका इनकार करते हुए कहा, “आवश्यक तो यह है कि मैं आपसे बपतिस्मा लूं. यहां तो आप मुझसे बपतिस्मा लेने आए हैं!”
मत्ती 3 : 15 (OCVHI)
मत्ती 3 : 16 (OCVHI)
मसीह येशु ने इसके उत्तर में कहा, “इस समय तो यही होने दो. हम दोनों के लिए परमेश्वर द्वारा निर्धारित धार्मिकता इसी रीति से पूरी करना सही है.” इस पर योहन सहमत हो गए. बपतिस्मा के बाद जैसे ही मसीह येशु जल में से बाहर आए, उनके लिए स्वर्ग खोल दिया गया और योहन ने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते हुए तथा येशु पर ठहरते देखा.
मत्ती 3 : 17 (OCVHI)
उसी समय स्वर्ग से यह शब्द सुना गया, “यह मेरा पुत्र है—मेरा परम प्रिय—जिससे मैं पूरी तरह प्रसन्‍न हूं.”

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17