भजन संहिता 109 : 1 (OCVHI)
परमेश्वर, मेरे स्तुति पात्र, निष्क्रिय और चुप न रहिए.
भजन संहिता 109 : 2 (OCVHI)
दुष्ट और झूठे पुरुषों ने मेरी निंदा करना प्रारंभ कर दिया है; वे जो कुछ कहकर मेरी निंदा कर रहे हैं, वह सभी झूठ है.
भजन संहिता 109 : 3 (OCVHI)
उन्होंने मुझ पर घिनौने शब्दों की बौछार कर दी; अकारण ही उन्होंने मुझ पर आक्रमण कर दिया है.
भजन संहिता 109 : 4 (OCVHI)
उन्होंने मेरी मैत्री के बदले मुझ पर आरोप लगाये, किंतु मैं प्रार्थना का आदमी* प्रार्थना का आदमी अर्थात् निरंतर प्रार्थना करनेवाला व्यक्ति हूं!
भजन संहिता 109 : 5 (OCVHI)
उन्होंने मेरे हित का प्रतिफल बुराई में दिया है, तथा मेरी मैत्री का प्रतिफल घृणा में.
भजन संहिता 109 : 6 (OCVHI)
आप उसका प्रतिरोध करने के लिए किसी दुष्ट पुरुष को ही बसा लीजिए; उसके दायें पक्ष पर कोई विरोधी खड़ा हो जाए.
भजन संहिता 109 : 7 (OCVHI)
जब उस पर न्याय चलाया जाए तब वह दोषी पाया जाए, उसकी प्रार्थनाएं उसके लिए दंड-आज्ञा हो जाएं.
भजन संहिता 109 : 8 (OCVHI)
उसकी आयु कम हो जाए; उसके पद को कोई अन्य हड़प ले.
भजन संहिता 109 : 9 (OCVHI)
उसकी संतान पितृहीन हो जाए तथा उसकी पत्नी विधवा.
भजन संहिता 109 : 10 (OCVHI)
उसकी संतान भटकें और भीख मांगें; वे अपने उजड़े घर से दूर जाकर भोजन के लिए तरस जाएं.
भजन संहिता 109 : 11 (OCVHI)
महाजन उसका सर्वस्व हड़प लें; उसके परिश्रम की संपूर्ण निधि परदेशी लोग लूट लें.
भजन संहिता 109 : 12 (OCVHI)
उसे किसी की भी कृपा प्राप्त न हो और न कोई उसकी पितृहीन संतान पर करुणा प्रदर्शित करे.
भजन संहिता 109 : 13 (OCVHI)
उसका वंश ही मिट जाए, आगामी पीढ़ी की सूची से उनका नाम मिट जाए.
भजन संहिता 109 : 14 (OCVHI)
याहवेह के सामने उसके पूर्वजों का अपराध स्मरण दिलाया जाए; उसकी माता का पाप कभी क्षमा न किया जाए.
भजन संहिता 109 : 15 (OCVHI)
याहवेह के सामने उन सभी के पाप बने रहें, कि वह उन सबका नाम पृथ्वी पर से ही मिटा दें.
भजन संहिता 109 : 16 (OCVHI)
करुणाभाव उसके मन में कभी आया ही नहीं, वह खोज कर निर्धनों, दीनों तथा खेदितमनवालों की हत्या करता है.
भजन संहिता 109 : 17 (OCVHI)
शाप देना उसे अत्यंत प्रिय है, वही शाप उस पर आ पड़े. किसी की हितकामना करने में उसे कोई आनंद प्राप्त नहीं होता— उत्तम यही होगा कि हित उससे ही दूर-दूर बना रहे.
भजन संहिता 109 : 18 (OCVHI)
उसके लिए वस्त्र धारण करने जैसे ही हो गया शाप देना; जैसा जल शरीर का अंश होता है; वैसे ही हो गया शाप, हां, जैसे तेल हड्डियों का अंश हो जाता है!
भजन संहिता 109 : 19 (OCVHI)
शाप ही उसका वस्त्र बन जाए, कटिबंध समान, जो सदैव समेटे रहता है.
भजन संहिता 109 : 20 (OCVHI)
याहवेह की ओर से मेरे विरोधियों के लिए यही प्रतिफल हो, उनके लिए, जो मेरी निंदा करते रहते हैं.
भजन संहिता 109 : 21 (OCVHI)
किंतु आप, सर्वसत्ताधारी याहवेह, अपनी महिमा के अनुरूप मुझ पर कृपा कीजिए; अपने करुणा-प्रेम के कारण मेरा उद्धार कीजिए.
भजन संहिता 109 : 22 (OCVHI)
मैं दीन और दरिद्र हूं, और मेरा हृदय घायल है.
भजन संहिता 109 : 23 (OCVHI)
संध्याकालीन छाया-समान मेरा अस्तित्व समाप्ति पर है; मुझे ऐसे झाड़ दिया जाता है मानो मैं अरबेह टिड्डी हूं.
भजन संहिता 109 : 24 (OCVHI)
उपवास के कारण मेरे घुटने दुर्बल हो चुके हैं; मेरा शरीर क्षीण और कमजोर हो गया है.
भजन संहिता 109 : 25 (OCVHI)
मेरे विरोधियों के लिए मैं घृणास्पद हो चुका हूं; मुझे देखते ही वे सिर हिलाने लगते हैं.
भजन संहिता 109 : 26 (OCVHI)
याहवेह मेरे परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए; अपने करुणा-प्रेम के कारण मेरा उद्धार कीजिए.
भजन संहिता 109 : 27 (OCVHI)
उनको यह स्पष्ट हो जाए कि, वह आपके बाहुबल के कारण ही हो रहा है, यह कि याहवेह, यह सब आपने ही किया है.
भजन संहिता 109 : 28 (OCVHI)
वे शाप देते रहें, किंतु आप आशीर्वचन ही कहें; तब जब वे, आक्रमण करेंगे, उन्हें लज्जित होना पड़ेगा, यह आपके सेवक के लिए आनंद का विषय होगा.
भजन संहिता 109 : 29 (OCVHI)
मेरे विरोधियों को अनादर के वस्त्रों के समान धारण करनी होगी, वे अपनी ही लज्जा को कंबल जैसे लपेट लेंगे.
भजन संहिता 109 : 30 (OCVHI)
मेरे मुख की वाणी याहवेह के सम्मान में उच्चतम धन्यवाद होगी; विशाल जनसमूह के सामने मैं उनका स्तवन करूंगा,
भजन संहिता 109 : 31 (OCVHI)
क्योंकि याहवेह दुःखितों के निकट दायें पक्ष पर आ खड़े रहते हैं, कि वह उनके जीवन को उन सबसे सुरक्षा प्रदान करें, जिन्होंने उसके लिए मृत्यु दंड निर्धारित किया था.
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