भजन संहिता 115 : 1 (OCVHI)
हमारी नहीं, याहवेह, हमारी नहीं, परंतु आपकी ही महिमा हो, आपके करुणा-प्रेम* करुणा-प्रेम मूल में ख़ेसेद इस हिब्री शब्द का अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये शामिल हैं और आपकी सच्चाई के निमित्त.
भजन संहिता 115 : 2 (OCVHI)
अन्य जनता यह क्यों कह रहे हैं, “कहां है उनका परमेश्वर?”
भजन संहिता 115 : 3 (OCVHI)
स्वर्ग में हैं हमारे परमेश्वर और वह वही सब करते हैं; जिसमें उनकी चाहत है.
भजन संहिता 115 : 4 (OCVHI)
किंतु इन राष्ट्रों की प्रतिमाएं मात्र स्वर्ण और चांदी हैं, मनुष्यों की हस्तकृति मात्र.
भजन संहिता 115 : 5 (OCVHI)
हां, उनका मुख अवश्य है, किंतु ये बोल नहीं सकतीं, उनकी आंखें अवश्य हैं, किंतु ये देख नहीं सकतीं.
भजन संहिता 115 : 6 (OCVHI)
उनके कान हैं, किंतु ये सुन नहीं सकतीं, नाक तो है, किंतु ये सूंघ नहीं सकती.
भजन संहिता 115 : 7 (OCVHI)
इनके हाथ हैं, किंतु ये स्पर्श नहीं कर सकतीं, पैर भी हैं, किंतु ये चल फिर नहीं सकतीं, न ही ये अपने कण्ठ से कोई स्वर ही उच्चार सकती हैं.
भजन संहिता 115 : 8 (OCVHI)
इनके समान ही हो जाएंगे इनके निर्माता, साथ ही वे सभी, जो इन पर भरोसा करते हैं.
भजन संहिता 115 : 9 (OCVHI)
इस्राएल के वंशजो, याहवेह पर भरोसा करो; वही हैं तुम्हारे सहायक तथा रक्षक.
भजन संहिता 115 : 10 (OCVHI)
अहरोन के वंशजो, याहवेह पर भरोसा करो; वही हैं तुम्हारे सहायक तथा रक्षक.
भजन संहिता 115 : 11 (OCVHI)
याहवेह के भय माननेवालो, याहवेह में भरोसा रखो, याहवेह सहारा देता है और अपने अनुयायियों की रक्षा करता है.
भजन संहिता 115 : 12 (OCVHI)
याहवेह को हमारा स्मरण रहता है, हम पर उनकी कृपादृष्टि रहेगी: याहवेह अपने लोग इस्राएल को आशीर्वाद देंगे, उनकी कृपादृष्टि अहरोन के वंश पर रहेगी.
भजन संहिता 115 : 13 (OCVHI)
उनकी कृपादृष्टि उन सभी पर रहेगी, जिनमें याहवेह के प्रति श्रद्धा है— चाहे वे साधारण हों अथवा विशिष्ट.
भजन संहिता 115 : 14 (OCVHI)
याहवेह तुम्हें ऊंचा करें, तुम्हें और तुम्हारी संतान को.
भजन संहिता 115 : 15 (OCVHI)
याहवेह की कृपादृष्टि तुम पर स्थिर रहे, जो स्वर्ग और पृथ्वी के रचनेवाले हैं.
भजन संहिता 115 : 16 (OCVHI)
सर्वोच्च स्वर्ग के स्वामी याहवेह हैं, किंतु पृथ्वी उन्होंने मनुष्य को सौंपी है.
भजन संहिता 115 : 17 (OCVHI)
वे मृतक नहीं हैं, जो याहवेह का स्तवन करते हैं, न ही जो चिर-निद्रा में समा जाते हैं;
भजन संहिता 115 : 18 (OCVHI)
किंतु जहां तक हमारा प्रश्न है, हम याहवेह का गुणगान करते रहेंगे, इस समय तथा सदा-सर्वदा. याहवेह का स्तवन हो.

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18