भजन संहिता 122 : 1 (OCVHI)
जब यात्रियों ने मेरे सामने यह प्रस्ताव रखा, “चलो, याहवेह के आवास को चलें,” मैं अत्यंत उल्‍लसित हुआ.
भजन संहिता 122 : 2 (OCVHI)
येरूशलेम, हम तुम्हारे द्वार पर खड़े हुए हैं.
भजन संहिता 122 : 3 (OCVHI)
येरूशलेम उस नगर के समान निर्मित है, जो संगठित रूप में बसा हुआ है.
भजन संहिता 122 : 4 (OCVHI)
यही है वह स्थान, जहां विभिन्‍न कुल, याहवेह के कुल, याहवेह के नाम के प्रति आभार प्रदर्शित करने के लिए जाया करते हैं जैसा कि उन्हें आदेश दिया गया था.
भजन संहिता 122 : 5 (OCVHI)
यहीं न्याय-सिंहासन स्थापित हैं, दावीद के वंश के सिंहासन.
भजन संहिता 122 : 6 (OCVHI)
येरूशलेम की शांति के निमित्त यह प्रार्थना की जाए: “समृद्ध हों वे, जिन्हें तुझसे प्रेम है.
भजन संहिता 122 : 7 (OCVHI)
तुम्हारी प्राचीरों की सीमा के भीतर शांति व्याप्‍त रहे तथा तुम्हारे राजमहलों में तुम्हारे लिए सुरक्षा बनी रहें.”
भजन संहिता 122 : 8 (OCVHI)
अपने भाइयों और मित्रों के निमित्त मेरी यही कामना है, “तुम्हारे मध्य शांति स्थिर रहे.”
भजन संहिता 122 : 9 (OCVHI)
याहवेह, हमारे परमेश्वर के भवन के निमित्त, मैं तुम्हारी समृद्धि की अभिलाषा करता हूं.

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