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3. सो सारै की यह बात अब्राम ने मान ली। सो जब अब्राम को कनान देश में रहते दस वर्ष बीत चुके तब उसकी स्त्री सारै ने अपनी मिस्री लौंडी हाजिरा को ले कर अपने पति अब्राम को दिया, कि वह उसकी पत्नी हो।
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3. कनान में अब्राम के दस वर्ष रहने के बाद यह बात हुई और सारै (हाजिरा मिस्री दासी थी।)
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3. इसलिए जब अब्राम को कनान देश में रहते दस वर्ष बीत चुके तब उसकी स्त्री सारै ने अपनी मिस्री दासी हाजिरा को लेकर अपने पति अब्राम को दिया, कि वह उसकी पत्नी हो।