पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
1 शमूएल

1 शमूएल अध्याय 12

शमूएल का इस्राएलियों से बात करना 1 शमूएल ने सारे इस्राएलियों से कहा: “मैंने वह सब कुछ कर दिया है जो तुम लोग मुझ से चाहते थे। मैंने तुम लोगों के ऊपर एक राजा रखा है। 2 अब तुम्हारे मार्गदर्शन के लिये एक राजा है। मैं श्वेतकेशी बूढ़ा हूँ। मेरे पुत्र तुम्हारे साथ हैं। जब मैं एक छोटा बालक या तब से मैं तुम्हारा मार्ग दर्शक रहा हूँ। 3 मैं यहाँ हूँ। यदि मैंने कोई बुरा काम किया है तो तुम्हें उसके बारे में यहोवा से और उनके चुने हुए राजा से कहना चाहिये। क्या मैंने कभी किसी का बैल या गधा चुराया है? क्या मैंने किसी को कभी धोखा दिया है या हानि पहुँचाई है? क्या मैंने किसी का कुछ बुरा करने के लिये कभी किसी से धन या एक जोड़ा जूता भी लिया है? यदि मैंने इनमें से कोई बुरा काम किया है तो में उसको ठीक करूँगा।” 4 5 इस्राएलियों ने उत्तर दिया, “नहीं! तुमने हम लोगों के लिये कभी बुरा नहीं किया। तुमने न हम लोगों को ठगा, न ही तुमने हम लोगों से कभी कुछ लिया।” 6 शमूएल ने इस्राएलियों से कहा, “जो तुमने कहा, यहोवा उसका गवाह है। यहोवा का चुना राजा भी आज गवाह है। वे दोनों गवाह हैं कि तुमने मुझमें कोई दोष नहीं पाया।” लोगों ने कहा, “हाँ! यहोवा गवाह है।” तब समूएल ने लोगों से कहा, “यहोवा गवाह है। उसने मूसा और हारून को चुना। वह तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर ले आया। 7 अब चुपचाप खड़े रहो अब मैं तुम्हें उन अच्छे कामों को बताऊँगा जो यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों और तुम्हारे लिये किये थे। 8 9 “याकूब मिस्र गया। बाद में, मिस्रियों ने उसके वंशजों का जीवन कष्टमय बना दिया। इसलिए वे सहायता के लिये यहोवा के सामने रोये। यहोवा ने मूसा और हारून को भेजा। मूसा और हारून तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर निकाल ले आए और इस स्थान में रहने के लिये उनका मार्ग दर्शन किया। “किन्तु तुम्हारे पूर्वज, अपने परमेश्वर यहोवा को भूल गये। इसलिए यहोवा ने उन्हें सीसरा का दास होने दिया। सीसरा, हासोर की सेना का सेनापति था। तब यहोवा ने उन्हें पलिश्तियों और मोआब के राजा का दास बनाया। वे सभी तुम्हारे पूर्वजों के विरूद्ध लड़े। 10 किन्तु तुम्हारे पूर्वज सहायता के लिये यहोवा के सामने गिड़गिड़ाए। उन्होंने कहा, ‘हम लोगों ने पाप किया है। हम लोगों ने यहोवा को छोड़ा है और झूठे देवताओं बाल और अश्तोरेत की सेवा की है। किन्तु अब आप हमें हमारे शत्रुओं से बचायें, हम आपकी सेवा करेंगे।’ 11 “इसलिए यहोवा ने यरुब्बाल (गिदोन), बदान, बरक, यिप्तह और शमूएल को वहाँ भेजा। यहोवा ने तुम्हारे चारों ओर के शत्रुओं से तुम्हारी रक्षा की और तुम सुरक्षित रहे। 12 किन्तु तब तुमने अम्मोनियों के राजा नाहाश को अपने विरूद्ध लड़ने के लिये आते देखा। तुमने कहा, ‘नहीं! हम अपने ऊपर शासन करने के लिये एक राजा चाहते हैं।’ तुमने यही कहा, यद्यपि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा राजा पहले से ही था। 13 अब, तुम्हारा चुना राजा यहाँ है। यहोवा ने इस राजा को तुम्हारे ऊपर नियुक्त किया है। 14 परमेश्वर यहोवा तुम्हारी रक्षा करता रहेगा। किन्तु परमेश्वर तुम्हारी रक्षा तभी करेगा जब तुम ये करोगे तुम्हें यहोवा का सम्मान और उसकी सेवा करनी चाहिए। तुम्हें उसके आदेशों के विरूद्ध लडना नहीं चाहिए और तुम्हें तथा तुम्हारे ऊपर शासन करने वाले राजा को, अपने परमेश्वर यहोवा का अनुसरण करना चाहिये। यदि तुम इन्हें करते रहोगे तो परमेश्वर तुम्हारी रक्षा करेगा। 15 किन्तु यदि तुम यहोवा की आज्ञा पालन नहीं करते हो और उसके आदेशों के विरूद्ध लड़ते हो, तो वह तुम्हारे विरुद्ध होगा। यहोवा तुम्हें और तुम्हारे राजा को नष्ट कर देगा! 16 “अब चुपचाप खड़े रहो और उस अद्भुत काम को देखो जिसे यहोवा तुम्हारी आँखों के सामने करेगा। 17 यह गेहूँ की फसल कटने का समय है। मैं यहोवा से प्रार्थना करूँगा। मैं उन से बिजली की कड़क और वर्षा की याचना करुँगा। तब तुम समझोगे कि तुमने उस समय यहोवा के विरूद्ध बुरा किया था जब तुमने एक राजा की माँग की थी।” 18 अत: शमूएल ने यहोवा से प्रार्थना की। उसी दिन यहोवा ने बिजली की कड़क और वर्षा भेजी। इससे लोग यहोवा तथा शमूएल से बहुत डर गये। 19 सभी लोगों ने शमूएल से कहा, “अपने परमेश्वर यहोवा से तुम अपने सेवक, हम लोगों के लिये प्रार्थना करो। हम लोगों को मरने मत दो! हम लोगों ने बहुत पाप किये हैं और अब एक राजा के लिए माँग करके हम लोगों ने उन पापों को और बढ़ाया है।” 20 शमूएल न उत्तर दिया, “डरो नहीं। यह सत्य है! तुमने वे सब बुरे काम किये। किन्तु यहोवा का अनुसरण करना बन्द मत करो। अपने सच्चे हृदय से यहोवा की सेवा करो। 21 देवमूर्तियाँ मात्र मूर्तियाँ हैं, वे तुम्हारी सहायता नहीं करेंगी। इसलिए उनकी पूजा मत करो। देवमूर्तियाँ न तुम्हारी सहयता कर सकती हैं, न ही रक्षा कर सकती हैं। वे कुछ भी नहीं हैं! 22 “किन्तु यहोवा अपने लोगों को छोड़ेगा नहीं। यहोवा तुम्हें अपने लोग बनाकर प्रसन्न हुआ था। अतः अपने अच्छे नाम की रक्षा के लिये वह तुमको छोड़ेगा नहीं। 23 यदि मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करना बन्द कर देता हूँ तो यह मेरे लिए अपमानजनक होगा। यदि मैं तुम्हारे लिये प्रार्थना करना बन्द करता हूँ तो यह यहोवा के विरुद्ध पाप करना होगा। मैं तुम्हें वह शिक्षा दूँगा जो तुम्हारे लिये अच्छी व उचित है। 24 किन्तु तुम्हें भी यहोवा का सम्मान करते रहना चाहिये। तुम्हें पूरे हृदय से यहोवा की सेवा सच्चाई के साथ करनी चाहिये। उन अद्भुत कामों को याद रखो जिन्हें उसने तुम्हारे लिये किये। 25 किन्तु यदि तुम हठी हो, और बुरा करते हो तो परमेश्वर तुम्हें और तुम्हारे राजा को ऐसे झाड़ फेकेंगा जैसे झाड़ू से कूड़े को फेंका जाता है।”
शमूएल का इस्राएलियों से बात करना 1 शमूएल ने सारे इस्राएलियों से कहा: “मैंने वह सब कुछ कर दिया है जो तुम लोग मुझ से चाहते थे। मैंने तुम लोगों के ऊपर एक राजा रखा है। .::. 2 अब तुम्हारे मार्गदर्शन के लिये एक राजा है। मैं श्वेतकेशी बूढ़ा हूँ। मेरे पुत्र तुम्हारे साथ हैं। जब मैं एक छोटा बालक या तब से मैं तुम्हारा मार्ग दर्शक रहा हूँ। .::. 3 मैं यहाँ हूँ। यदि मैंने कोई बुरा काम किया है तो तुम्हें उसके बारे में यहोवा से और उनके चुने हुए राजा से कहना चाहिये। क्या मैंने कभी किसी का बैल या गधा चुराया है? क्या मैंने किसी को कभी धोखा दिया है या हानि पहुँचाई है? क्या मैंने किसी का कुछ बुरा करने के लिये कभी किसी से धन या एक जोड़ा जूता भी लिया है? यदि मैंने इनमें से कोई बुरा काम किया है तो में उसको ठीक करूँगा।” .::. 4 .::. 5 इस्राएलियों ने उत्तर दिया, “नहीं! तुमने हम लोगों के लिये कभी बुरा नहीं किया। तुमने न हम लोगों को ठगा, न ही तुमने हम लोगों से कभी कुछ लिया।” .::. 6 शमूएल ने इस्राएलियों से कहा, “जो तुमने कहा, यहोवा उसका गवाह है। यहोवा का चुना राजा भी आज गवाह है। वे दोनों गवाह हैं कि तुमने मुझमें कोई दोष नहीं पाया।” लोगों ने कहा, “हाँ! यहोवा गवाह है।” तब समूएल ने लोगों से कहा, “यहोवा गवाह है। उसने मूसा और हारून को चुना। वह तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर ले आया। .::. 7 अब चुपचाप खड़े रहो अब मैं तुम्हें उन अच्छे कामों को बताऊँगा जो यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों और तुम्हारे लिये किये थे। .::. 8 .::. 9 “याकूब मिस्र गया। बाद में, मिस्रियों ने उसके वंशजों का जीवन कष्टमय बना दिया। इसलिए वे सहायता के लिये यहोवा के सामने रोये। यहोवा ने मूसा और हारून को भेजा। मूसा और हारून तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र से बाहर निकाल ले आए और इस स्थान में रहने के लिये उनका मार्ग दर्शन किया। “किन्तु तुम्हारे पूर्वज, अपने परमेश्वर यहोवा को भूल गये। इसलिए यहोवा ने उन्हें सीसरा का दास होने दिया। सीसरा, हासोर की सेना का सेनापति था। तब यहोवा ने उन्हें पलिश्तियों और मोआब के राजा का दास बनाया। वे सभी तुम्हारे पूर्वजों के विरूद्ध लड़े। .::. 10 किन्तु तुम्हारे पूर्वज सहायता के लिये यहोवा के सामने गिड़गिड़ाए। उन्होंने कहा, ‘हम लोगों ने पाप किया है। हम लोगों ने यहोवा को छोड़ा है और झूठे देवताओं बाल और अश्तोरेत की सेवा की है। किन्तु अब आप हमें हमारे शत्रुओं से बचायें, हम आपकी सेवा करेंगे।’ .::. 11 “इसलिए यहोवा ने यरुब्बाल (गिदोन), बदान, बरक, यिप्तह और शमूएल को वहाँ भेजा। यहोवा ने तुम्हारे चारों ओर के शत्रुओं से तुम्हारी रक्षा की और तुम सुरक्षित रहे। .::. 12 किन्तु तब तुमने अम्मोनियों के राजा नाहाश को अपने विरूद्ध लड़ने के लिये आते देखा। तुमने कहा, ‘नहीं! हम अपने ऊपर शासन करने के लिये एक राजा चाहते हैं।’ तुमने यही कहा, यद्यपि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा राजा पहले से ही था। .::. 13 अब, तुम्हारा चुना राजा यहाँ है। यहोवा ने इस राजा को तुम्हारे ऊपर नियुक्त किया है। .::. 14 परमेश्वर यहोवा तुम्हारी रक्षा करता रहेगा। किन्तु परमेश्वर तुम्हारी रक्षा तभी करेगा जब तुम ये करोगे तुम्हें यहोवा का सम्मान और उसकी सेवा करनी चाहिए। तुम्हें उसके आदेशों के विरूद्ध लडना नहीं चाहिए और तुम्हें तथा तुम्हारे ऊपर शासन करने वाले राजा को, अपने परमेश्वर यहोवा का अनुसरण करना चाहिये। यदि तुम इन्हें करते रहोगे तो परमेश्वर तुम्हारी रक्षा करेगा। .::. 15 किन्तु यदि तुम यहोवा की आज्ञा पालन नहीं करते हो और उसके आदेशों के विरूद्ध लड़ते हो, तो वह तुम्हारे विरुद्ध होगा। यहोवा तुम्हें और तुम्हारे राजा को नष्ट कर देगा! .::. 16 “अब चुपचाप खड़े रहो और उस अद्भुत काम को देखो जिसे यहोवा तुम्हारी आँखों के सामने करेगा। .::. 17 यह गेहूँ की फसल कटने का समय है। मैं यहोवा से प्रार्थना करूँगा। मैं उन से बिजली की कड़क और वर्षा की याचना करुँगा। तब तुम समझोगे कि तुमने उस समय यहोवा के विरूद्ध बुरा किया था जब तुमने एक राजा की माँग की थी।” .::. 18 अत: शमूएल ने यहोवा से प्रार्थना की। उसी दिन यहोवा ने बिजली की कड़क और वर्षा भेजी। इससे लोग यहोवा तथा शमूएल से बहुत डर गये। .::. 19 सभी लोगों ने शमूएल से कहा, “अपने परमेश्वर यहोवा से तुम अपने सेवक, हम लोगों के लिये प्रार्थना करो। हम लोगों को मरने मत दो! हम लोगों ने बहुत पाप किये हैं और अब एक राजा के लिए माँग करके हम लोगों ने उन पापों को और बढ़ाया है।” .::. 20 शमूएल न उत्तर दिया, “डरो नहीं। यह सत्य है! तुमने वे सब बुरे काम किये। किन्तु यहोवा का अनुसरण करना बन्द मत करो। अपने सच्चे हृदय से यहोवा की सेवा करो। .::. 21 देवमूर्तियाँ मात्र मूर्तियाँ हैं, वे तुम्हारी सहायता नहीं करेंगी। इसलिए उनकी पूजा मत करो। देवमूर्तियाँ न तुम्हारी सहयता कर सकती हैं, न ही रक्षा कर सकती हैं। वे कुछ भी नहीं हैं! .::. 22 “किन्तु यहोवा अपने लोगों को छोड़ेगा नहीं। यहोवा तुम्हें अपने लोग बनाकर प्रसन्न हुआ था। अतः अपने अच्छे नाम की रक्षा के लिये वह तुमको छोड़ेगा नहीं। .::. 23 यदि मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करना बन्द कर देता हूँ तो यह मेरे लिए अपमानजनक होगा। यदि मैं तुम्हारे लिये प्रार्थना करना बन्द करता हूँ तो यह यहोवा के विरुद्ध पाप करना होगा। मैं तुम्हें वह शिक्षा दूँगा जो तुम्हारे लिये अच्छी व उचित है। .::. 24 किन्तु तुम्हें भी यहोवा का सम्मान करते रहना चाहिये। तुम्हें पूरे हृदय से यहोवा की सेवा सच्चाई के साथ करनी चाहिये। उन अद्भुत कामों को याद रखो जिन्हें उसने तुम्हारे लिये किये। .::. 25 किन्तु यदि तुम हठी हो, और बुरा करते हो तो परमेश्वर तुम्हें और तुम्हारे राजा को ऐसे झाड़ फेकेंगा जैसे झाड़ू से कूड़े को फेंका जाता है।”
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  • 1 शमूएल अध्याय 6  
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  • 1 शमूएल अध्याय 28  
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