पवित्र बाइबिल

ऐसी तो रीड वर्शन (ESV)
2 राजा

2 राजा अध्याय 7

1 2 एलीशा ने कहा, “यहोवा की ओर से सन्देश सुनो! यहोवा कहता हैः ‘लगभग इसी समय कल बहुत सी भोजन सामग्री हो जाएगी और यह फिर सस्ती भी हो जाएगी। शोमरोन के फाटक के साथ बाजार में लोग एक डलिया* डलिया शाब्दिक, “पूली।” अच्छा आटा या दो डलिया जौ एक शेकेल में खरीद सकेंगें।’ ” 3 तब उस अधिकारी ने जो राजा का विश्वासपात्र था, परमेश्वर के जन (एलीशा) से बातें कीं। अधिकारी ने कहा, “यदि यहोवा आकाश में खिड़कियाँ भी बना दे तो भी यह नहीं होगा!” एलीशा ने कहा, “इसे तुम अपनी आँखों से देखोगे। किन्तु उस भोजन में से तुम कुछ भी नहीं खाओगे।” कुष्ठ रोगी, अरामी डेरे को खाली पाते हैं नगर के द्वार के पास चार व्यक्ति कुष्ठरोग से पीड़ित थे। उन्होंने आपस में बातें की, “हम यहाँ मरने की प्रतीक्षा करते हुए क्यों बैठे हैं 4 शोमरोन में कुछ भी खाने के लिये नहीं है। यदि हम लोग नगर के भीतर जाएंगे तो वहाँ हम भी मर जाएंगे। इसलिये हम लोग अरामी डेरे की ओर चलें। यदि वे हमें जीवित रहने देते हैं तो हम जीवित रहेंगे। यदि वे हमें मार डालते हैं तो मर जायेंगे।” 5 इसलिए उस शाम को चारों कुष्ठ रोगी अरामी डेरे को गए। वे अरामी डेरे की छोर तक पहुँचे। वहाँ लोग थे ही नहीं। 6 यहोवा ने अरामी सेना को, रथों, घोड़ों और विशाल सेना का उद्घोष, सुनाया था। अतः अरामी सैनिकों ने आपस में बातें कीं, “इस्राएल के राजा ने हित्ती राजाओं और मिस्रियों को हम लोगों के विरुद्ध किराये पर बुलाया है!” 7 8 अरामी सैनिक उस सन्ध्या के आरम्भ में ही भाग गए। वे सब कुछ अपने पीछे छोड़ गए। उन्होंने अपने डेरे, घोड़े, गधे छोड़े और अपना जीवन बचाने को भाग खड़े हुए। कुष्ठ रोगी अरामी डेरे में जब ये कुष्ठ रोगी उस स्थान पर आए जहाँ से अरामी डेरा आरम्भ होता था, वे एक डेरे में गए। उन्होंने खाया और मदिरा पान किया। तब चारों कुष्ठ रोगी उस डेरे से चाँदी, सोना और वस्त्र ले गए। उन्होंने चाँदी, सोना और वस्त्रों को छिपा दिया। तब वे लौटे और दूसरे डेरे में गए। उस डेरे से भी वे चीज़ें ले आए। वे बाहर गए और इन चीज़ों को छिपा दिया। 9 तब इन कुष्ठ रोगियों ने आपस में बातें कीं, “हम लोग बुरा कर रहे हैं। आज हम लोगों के पास शुभ सूचना है। किन्तु हम लोग चुप हैं। यदि हम लोग सूरज के निकलने तक प्रतीक्षा करेंगे तो हम लोगों को दण्ड मिलेगा। अब हम चलें और उन लोगों को शुभ सूचना दें जो राजा के महल में रहते हैं।” कुष्ठ रोगी शुभ सूचना देते हैं 10 11 अतः ये कुष्ठ रोगी नगर के द्वारपाल के पास गए। कुष्ठ रोगियों ने द्वारापालों से कहा, “हम अरामी डेरे में गए थे। किन्तु हम लोगों ने किसी व्यक्ति को वहाँ नहीं पाया। वहाँ कोई भी नहीं था। घोड़े और गधे तब भी बंधे थे और डेरे वैसे के वैसे लगे थे। किन्तु सभी लोग चले गए थे।” तब नगर के द्वारपाल जोर से चीखे और राजमहल के व्यक्तियों को यह बात बताई। 12 रात का समय था, किन्तु राजा अपने पलंग से उठा। राजा ने अपने अधिकारियों से कहा, “मैं तुम लोगों को बताऊँगा कि अरामी सैनिक हमारे साथ क्या कर रहे हैं। वे जानते हैं कि हम भूखे हैं। वे खेतों में छिपने के लिये, डेरों को खाली कर गए हैं। वे यह सोच रहे हैं, ‘जब इस्राएली नगर के बाहर आएंगे, तब हम उन्हें जीवित पकड़ लेंगे और तब हम नगर में प्रवेश करेंगे।’ ” 13 14 राजा के अधिकारियों में से एक ने कहा, “कुछ व्यक्तियों को नगर में अभी तक बचे पाँच घोड़ों को लेने दें। निश्चय ही ये घोड़े भी शीघ्र ही ठीक वैसे ही मर जाएंगे, जैसे इस्राएल के वे सभी लोग जो अभी तक बचे रह गए हैं, मरेंगे। इन व्यक्तियों को यह देखने को भेजा जाये कि क्या घटित हुआ है।” 15 इसलिये लोगों ने घोड़ों के साथ दो रथ लिये। राजा ने इन लोगों को अरामी सेना के पीछे लगाया। राजा ने उनसे कहा, “जाओ और पता लगाओ कि क्याघटनाघटी।” 16 वे व्यक्ति अरामी सेना के पीछे यरदन नदी तक गए। पूरी सड़क पर वस्त्र और अस्त्र—शस्त्र फैले हुये थे। अरामी लोगों ने जल्दी में भागते समय उन चीज़ों को फेंक दिया था। सन्देशवाहक शोमरोन को लौटे और राजा को बताया। 17 तब लोग अरामी डेरे की ओर टूट पड़े, और वहाँ से उन्होंने कीमती चीज़ें ले लीं। हर एक के लिये वहाँ अत्याधिक था। अतः वही हुआ जो यहोवा ने कहा था। कोई भी व्यक्ति एक डलिया अच्छा आटा या दो डलिया जौ केवल एक शेकेल में खरीद सकता था। राजा ने अपने व्यक्तिगत सहायक अधिकारी को द्वार की रक्षा के लिये चुना। किन्तु लोग शत्रु के डेरे से भोजन पाने के लिये दौड़ पड़े। लोगों ने अधिकारी को धक्का देकर गिरा दिया और उसे रौंदते हुए निकल गए और वह मर गया। अतः वे सभी बातें वैसी ही ठीक घटित हुई जैसा परमेश्वर के जन (एलीशा) ने तब कहा था जब राजा एलीशा के घर आया था। 18 एलीशा ने कहा था, “कोई भी व्यक्ति शोमरोन के नगरद्वार के बाजार में एक शेकेल मेंएक डलिया अच्छा आटा या दो डलिया जौ खरीद सकेगा।” 19 किन्तु परमेश्वर के जन को उस अधिकारी ने उत्तर दिया था, “यदि यहोवा स्वर्ग में खिड़कियाँ भी बना दे, तो भी वैसा नहीं हो सकेगा” और एलीशा ने उस अधिकारी से कहा था, “तुम ऐसा अपनी आँखों से देखोगे। किन्तु तुम उस भोजन का कुछ भी नहीं खा पाओगे।” 20 अधिकारी के साथ ठीक वैसा ही घटित हुआ। लोगों ने नगरद्वार पर उसे धक्का दे गिरा दिया, उसे रौंद डाला और वह मर गया।
1. 2. एलीशा ने कहा, “यहोवा की ओर से सन्देश सुनो! यहोवा कहता हैः ‘लगभग इसी समय कल बहुत सी भोजन सामग्री हो जाएगी और यह फिर सस्ती भी हो जाएगी। शोमरोन के फाटक के साथ बाजार में लोग एक डलिया[* डलिया शाब्दिक, “पूली।” ] अच्छा आटा या दो डलिया जौ एक शेकेल में खरीद सकेंगें।’ ” 3. तब उस अधिकारी ने जो राजा का विश्वासपात्र था, परमेश्वर के जन (एलीशा) से बातें कीं। अधिकारी ने कहा, “यदि यहोवा आकाश में खिड़कियाँ भी बना दे तो भी यह नहीं होगा!” एलीशा ने कहा, “इसे तुम अपनी आँखों से देखोगे। किन्तु उस भोजन में से तुम कुछ भी नहीं खाओगे।” {#1कुष्ठ रोगी, अरामी डेरे को खाली पाते हैं } नगर के द्वार के पास चार व्यक्ति कुष्ठरोग से पीड़ित थे। उन्होंने आपस में बातें की, “हम यहाँ मरने की प्रतीक्षा करते हुए क्यों बैठे हैं 4. शोमरोन में कुछ भी खाने के लिये नहीं है। यदि हम लोग नगर के भीतर जाएंगे तो वहाँ हम भी मर जाएंगे। इसलिये हम लोग अरामी डेरे की ओर चलें। यदि वे हमें जीवित रहने देते हैं तो हम जीवित रहेंगे। यदि वे हमें मार डालते हैं तो मर जायेंगे।” 5. इसलिए उस शाम को चारों कुष्ठ रोगी अरामी डेरे को गए। वे अरामी डेरे की छोर तक पहुँचे। वहाँ लोग थे ही नहीं। 6. यहोवा ने अरामी सेना को, रथों, घोड़ों और विशाल सेना का उद्घोष, सुनाया था। अतः अरामी सैनिकों ने आपस में बातें कीं, “इस्राएल के राजा ने हित्ती राजाओं और मिस्रियों को हम लोगों के विरुद्ध किराये पर बुलाया है!” 7. 8. अरामी सैनिक उस सन्ध्या के आरम्भ में ही भाग गए। वे सब कुछ अपने पीछे छोड़ गए। उन्होंने अपने डेरे, घोड़े, गधे छोड़े और अपना जीवन बचाने को भाग खड़े हुए। {#1कुष्ठ रोगी अरामी डेरे में } जब ये कुष्ठ रोगी उस स्थान पर आए जहाँ से अरामी डेरा आरम्भ होता था, वे एक डेरे में गए। उन्होंने खाया और मदिरा पान किया। तब चारों कुष्ठ रोगी उस डेरे से चाँदी, सोना और वस्त्र ले गए। उन्होंने चाँदी, सोना और वस्त्रों को छिपा दिया। तब वे लौटे और दूसरे डेरे में गए। उस डेरे से भी वे चीज़ें ले आए। वे बाहर गए और इन चीज़ों को छिपा दिया। 9. तब इन कुष्ठ रोगियों ने आपस में बातें कीं, “हम लोग बुरा कर रहे हैं। आज हम लोगों के पास शुभ सूचना है। किन्तु हम लोग चुप हैं। यदि हम लोग सूरज के निकलने तक प्रतीक्षा करेंगे तो हम लोगों को दण्ड मिलेगा। अब हम चलें और उन लोगों को शुभ सूचना दें जो राजा के महल में रहते हैं।” 10. {#1कुष्ठ रोगी शुभ सूचना देते हैं } 11. अतः ये कुष्ठ रोगी नगर के द्वारपाल के पास गए। कुष्ठ रोगियों ने द्वारापालों से कहा, “हम अरामी डेरे में गए थे। किन्तु हम लोगों ने किसी व्यक्ति को वहाँ नहीं पाया। वहाँ कोई भी नहीं था। घोड़े और गधे तब भी बंधे थे और डेरे वैसे के वैसे लगे थे। किन्तु सभी लोग चले गए थे।” तब नगर के द्वारपाल जोर से चीखे और राजमहल के व्यक्तियों को यह बात बताई। 12. रात का समय था, किन्तु राजा अपने पलंग से उठा। राजा ने अपने अधिकारियों से कहा, “मैं तुम लोगों को बताऊँगा कि अरामी सैनिक हमारे साथ क्या कर रहे हैं। वे जानते हैं कि हम भूखे हैं। वे खेतों में छिपने के लिये, डेरों को खाली कर गए हैं। वे यह सोच रहे हैं, ‘जब इस्राएली नगर के बाहर आएंगे, तब हम उन्हें जीवित पकड़ लेंगे और तब हम नगर में प्रवेश करेंगे।’ ” 13. 14. राजा के अधिकारियों में से एक ने कहा, “कुछ व्यक्तियों को नगर में अभी तक बचे पाँच घोड़ों को लेने दें। निश्चय ही ये घोड़े भी शीघ्र ही ठीक वैसे ही मर जाएंगे, जैसे इस्राएल के वे सभी लोग जो अभी तक बचे रह गए हैं, मरेंगे। इन व्यक्तियों को यह देखने को भेजा जाये कि क्या घटित हुआ है।” 15. इसलिये लोगों ने घोड़ों के साथ दो रथ लिये। राजा ने इन लोगों को अरामी सेना के पीछे लगाया। राजा ने उनसे कहा, “जाओ और पता लगाओ कि क्याघटनाघटी।” 16. वे व्यक्ति अरामी सेना के पीछे यरदन नदी तक गए। पूरी सड़क पर वस्त्र और अस्त्र—शस्त्र फैले हुये थे। अरामी लोगों ने जल्दी में भागते समय उन चीज़ों को फेंक दिया था। सन्देशवाहक शोमरोन को लौटे और राजा को बताया। 17. तब लोग अरामी डेरे की ओर टूट पड़े, और वहाँ से उन्होंने कीमती चीज़ें ले लीं। हर एक के लिये वहाँ अत्याधिक था। अतः वही हुआ जो यहोवा ने कहा था। कोई भी व्यक्ति एक डलिया अच्छा आटा या दो डलिया जौ केवल एक शेकेल में खरीद सकता था। राजा ने अपने व्यक्तिगत सहायक अधिकारी को द्वार की रक्षा के लिये चुना। किन्तु लोग शत्रु के डेरे से भोजन पाने के लिये दौड़ पड़े। लोगों ने अधिकारी को धक्का देकर गिरा दिया और उसे रौंदते हुए निकल गए और वह मर गया। अतः वे सभी बातें वैसी ही ठीक घटित हुई जैसा परमेश्वर के जन (एलीशा) ने तब कहा था जब राजा एलीशा के घर आया था। 18. एलीशा ने कहा था, “कोई भी व्यक्ति शोमरोन के नगरद्वार के बाजार में एक शेकेल मेंएक डलिया अच्छा आटा या दो डलिया जौ खरीद सकेगा।” 19. किन्तु परमेश्वर के जन को उस अधिकारी ने उत्तर दिया था, “यदि यहोवा स्वर्ग में खिड़कियाँ भी बना दे, तो भी वैसा नहीं हो सकेगा” और एलीशा ने उस अधिकारी से कहा था, “तुम ऐसा अपनी आँखों से देखोगे। किन्तु तुम उस भोजन का कुछ भी नहीं खा पाओगे।” 20. अधिकारी के साथ ठीक वैसा ही घटित हुआ। लोगों ने नगरद्वार पर उसे धक्का दे गिरा दिया, उसे रौंद डाला और वह मर गया।
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