पवित्र बाइबिल

ऐसी तो रीड वर्शन (ESV)
यशायाह

यशायाह अध्याय 28

उत्तर इस्राएल को चेतावनी 1 शोमरोन को देखो! एप्रैम के मदमस्त लोग उस नगर पर गर्व करते हैं। वह नगर पहाड़ी पर बसा है जिसके चारों तरफ एक सम्पन्न घाटी है। शोमरोन के वासी यह सोचा करते हैं कि उनका नगर फूलों के मुकुट सा है। किन्तु वे दाखमधु से धुत्त हैं और यह “सुन्दर मुकुट” मुरझाये पौधे सा है। 2 देखो, मेरे स्वामी के पास एक व्यक्ति है जो सुदृढ़ और वीर है। वह व्यक्ति इस देश में इस प्रकार आयेगा जैसे ओलों और वर्षा का तूफान आता है। वह देश में इस प्रकार आयेगा जैसे बाढ़ आया करती है। वह शोमरोन के मुकुट को धरती पर उतार फेंकेगा। 3 नशे में धुत्त एप्रैम के लोग अपने “सुन्दर मुकुट” पर गर्व करते हैं किन्तु वह नगरी पाँव तले रौंदी जायेगी। 4 वह नगर पहाड़ी पर बसा है जिस के चारों तरफ एक सम्पन्न घाटी है किन्तु वह “फूलों का सुन्दर मुकुट” बस एक मुरझाता हुआ पौधा है। वह नगर गर्मी में अंजीर के पहले फल के समान होगा। जब कोई उस पहली अंजीर को देखता है तो जल्दी से तोड़कर उसे चट कर जाता है। 5 उस समय, सर्वशक्तिमान यहोवा “सुन्दर मुकुट” बनेगा। वह उन बचे हुए अपने लोगों के लिये “फूलों का शानदार मुकुट” होगा। 6 फिर यहोवा उन न्यायाधीशों को बुद्धि प्रदान करेगा जो उसके अपने लोगों का शासन करते हैं। नगर द्वारों पर युद्धों में लोगों को यहोवा शक्ति देगा। 7 किन्तु अभी वे मुखिया लोग मदमत्त हैं। याजक और नबी सभी दाखमधु और सुरा से धुत्त हैं। वे लड़खड़ाते हैं और नीचे गिर पड़ते हैं। नबी जब अपने सपने देखते हैं तब वे पिये हुए होते हैं। न्यायाधीश जब न्याय करते हैं तो वे नशे में डूबे हुए होते हैं। 8 हर खाने की मेज उल्टी से भरी हुई है। कहीं भी कोई स्वच्छ स्थान नहीं रहा है। परमेश्वर अपने लोगों की सहायता करना चाहता है 9 वे कहा करते हैं, यह व्यक्ति कौन है यह किसे शिक्षा देने की कोशिश कर रहा है वह अपने सन्देश किसे समझा रहा है क्या उन बच्चों को जिनका अभी—अभी दूध छुड़ाया गया है क्या उन बच्चों को जिन्हें अभी—अभी अपनी माताओं की छाती से दूर किया गया है 10 इसीलिए यहोवा उन से इस प्रकार बोलता है जैसे वे दूध मुँहे बच्चे हों। सौ लासौ सौ लासौ काव लाकाव काव लाकाव ज़ेईर शाम ज़ेईर शाम। 11 12 फिर यहोवा उन लोगों से बात करेगा उसके होंठ काँपते हुए होंगे और वह उन लोगों से बातें करने में दूसरी विचित्र भाषा का प्रयोग करेगा। यहोवा ने पहले उन लोगों से कहा था, “यहाँ विश्राम का एक स्थान है। थके मांदे लोगों को यहाँ आने दो और विश्राम पाने दो। यह शांति का ठौर है।” किन्तु लोगों ने परमेश्वर की सुननी नहीं चाही। 13 सो परमेश्वर के वचन किसी विचित्र भाषा के जैसे हो जाएँगे। “सौ लासौ सौ लासौ काव लाकाव काव लाकाव ज़ेईर शाम ज़ेईर शाम।” 14 सो लोग जब चलेंगे तो पीछे की ओर लुढ़क जाएँगे और जख्मी होंगे। लोगों को फँसा लिया जाएगा और वे पकड़े जाएँगे। परमेश्वर के न्याय से कोई नहीं बच सकता हे, यरूशलेम के आज्ञा नहीं माननेवाले अभिमानी मुखियाओं, तुम यहोवा का सन्देश सुनो। 15 तुम लोग कहते हो, “हमने मृत्यु के साथ एक वाचा किया है। शेओल (मृत्यु का प्रदेश) के साथ हमारा एक अनुबन्ध है। इसलिए हम दण्डित नहीं होंगे। दण्ड हमें हानि पहुँचाये बिना हमारे पास से निकल जायेगा। अपनी चालाकियों और अपनी झूठों के पीछे हम छिप जायेंगे।” 16 17 इन बातों के कारण मेरा स्वामी यहोवा कहता है: “मैं एक पत्थर—एक कोने का पत्थर—सिय्योन में धरती पर गाड़ूँगा। यह एक अत्यन्त मूल्यवान पत्थर होगा। इस अति महत्त्वपूर्ण पत्थर पर ही हर किसी वस्तु का निर्माण होगा। जिसमें विश्वास होगा, वह कभी घबराएगा नहीं। “लोग दीवार की सीध देखने के लिये जैसे सूत डाल कर देखते हैं, वैसे ही मैं जो उचित है उसके लिए न्याय और खरेपन का प्रयोग करुँगा। “तुम दुष्ट लोग अपनी झूठों और चालाकियों के पीछे अपने को छुपाने का जतन कर रहे हो, किन्तु तुम्हें दण्ड दिया जायेगा। यह दण्ड ऐसा ही होगा जैसे तुम्हारे छिपने के स्थानों को नष्ट करने के लिए कोई तूफान या कोई बाढ़ आ रही हो। 18 मृत्यु के साथ तुम्हारे वाचा को मिटा दिया जायेगा। अधोलोक के साथ हुआ तुम्हारा सन्धि भी तुम्हारी सहायता नहीं करेगा। “जब भयानक दण्ड तुम पर पड़ेगा तो तुम कुचले जाओगे। 19 वह हर बार जब आएगा तुम्हें वहाँ ले जाएगा। तुम्हारा दण्ड भयानक होगा। तुम्हें सुबह दर सुबह और दिन रात दण्ड मिलेगा। “तब तुम इस कहानी को समझोगे: 20 कोई पुरुष एक ऐसे बिस्तर पर सोने का जतन कर रहा था जो उसके लिये बहुत छोटा था। उसके पास एक कंबल था जो इतना चौड़ा नहीं था कि उसे ढक ले। सो वह बिस्तर और वह कम्बल उसके लिए व्यर्थ रहे और देखो तुम्हारा वाचा भी तुम्हारे लिये ऐसा ही रहेगा।” 21 यहोवा वैसे ही युद्ध करेगा जैसे उसने पराजीम नाम के पहाड़ पर किया था। यहोवा वैसे ही कुपित होगा जैसे वह गिबोन की घाटी में हुआ था। तब यहोवा उन कामों को करेगा जो उसे निश्चय ही करने हैं। यहोवा कुछ विचित्र काम करेगा। किन्तु वह अपने काम को पूरा कर देगा। उसका काम किसी एक अजनबी का काम है। 22 अब तुम्हें इन बातों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। यदि तुम ऐसा करोगे तो तुम्हारे बन्धन की रस्सियाँ और अधिक कस जायेंगी। सर्वशक्तिमान यहोवा ने इस समूचे प्रदेश को नष्ट करने की ठान ली है। 23 जो शब्द मैंने सुने थे, अटल हैं। सो वे बातें अवश्य घटित होंगी। यहोवा खरा दण्ड देता है जो सन्देश मैं तुम्हें सुना रहा हूँ, उसे ध्यान से सुनो। 24 क्या कोई किसान अपने खेत को हर समय जोतता रहता है नहीं! क्या वह माटी को हर समय संवारता रहता है नहीं! 25 किसान अपनी धरती को तैयार करता है, और फिर उसमें बीज अलग अलग डालता है। किसान अलग—अलग बीजों की रुपाई, ढंग से करता है। किसान सौंफ के बीज बिखेरता है। किसान अपने खेत पर जीरे के बीज बिखेरता है और एक किसान कठिये गेंहूँ को बोता है। एक किसान खास स्थान पर जौ लगाता है। एक किसान कठिये गेंहूँ के बीजों को खेत की मेंड़ पर लगाता है। 26 उसका परमेश्वर उसको शिक्षा देता है और अच्छे प्रकार से उसे निर्देश देता है। 27 क्या कोई किसान तेज़ दाँतदार तख़्तों का प्रयोग सौंफ के दानों को गहाने के लिये करता है नहीं! क्या कोई किसान जीरे को गहाने के लिए किसी छकड़े का प्रयोग करता है नहीं! एक किसान इन मसालों के बीजों के छिलके उतारने के लिये एक छोटे से डण्डे का प्रयोग ही करता है। 28 रोटी के लिए अनाज को पीसा जाता है, पर लोग उसे सदा पीसते ही तो नहीं रहते। अनाज को दलने के लिए कोई घोड़ों से जुती गाड़ी का पहिया अनाज पर फिरा सकता है किन्तु वह अनाज को पीस—पीस कर एक दम मैदा जैसा तो नहीं बना देता। 29 सर्वशक्तिमान यहोवा से यह पाठ मिलता है। यहोवा अद्भुत सलाह देता है। यहोवा सचमुच बहुत बुद्धिमान है।
1. {#1उत्तर इस्राएल को चेतावनी } शोमरोन को देखो! एप्रैम के मदमस्त लोग उस नगर पर गर्व करते हैं। वह नगर पहाड़ी पर बसा है जिसके चारों तरफ एक सम्पन्न घाटी है। शोमरोन के वासी यह सोचा करते हैं कि उनका नगर फूलों के मुकुट सा है। किन्तु वे दाखमधु से धुत्त हैं और यह “सुन्दर मुकुट” मुरझाये पौधे सा है। 2. देखो, मेरे स्वामी के पास एक व्यक्ति है जो सुदृढ़ और वीर है। वह व्यक्ति इस देश में इस प्रकार आयेगा जैसे ओलों और वर्षा का तूफान आता है। वह देश में इस प्रकार आयेगा जैसे बाढ़ आया करती है। वह शोमरोन के मुकुट को धरती पर उतार फेंकेगा। 3. नशे में धुत्त एप्रैम के लोग अपने “सुन्दर मुकुट” पर गर्व करते हैं किन्तु वह नगरी पाँव तले रौंदी जायेगी। 4. वह नगर पहाड़ी पर बसा है जिस के चारों तरफ एक सम्पन्न घाटी है किन्तु वह “फूलों का सुन्दर मुकुट” बस एक मुरझाता हुआ पौधा है। वह नगर गर्मी में अंजीर के पहले फल के समान होगा। जब कोई उस पहली अंजीर को देखता है तो जल्दी से तोड़कर उसे चट कर जाता है। 5. उस समय, सर्वशक्तिमान यहोवा “सुन्दर मुकुट” बनेगा। वह उन बचे हुए अपने लोगों के लिये “फूलों का शानदार मुकुट” होगा। 6. फिर यहोवा उन न्यायाधीशों को बुद्धि प्रदान करेगा जो उसके अपने लोगों का शासन करते हैं। नगर द्वारों पर युद्धों में लोगों को यहोवा शक्ति देगा। 7. किन्तु अभी वे मुखिया लोग मदमत्त हैं। याजक और नबी सभी दाखमधु और सुरा से धुत्त हैं। वे लड़खड़ाते हैं और नीचे गिर पड़ते हैं। नबी जब अपने सपने देखते हैं तब वे पिये हुए होते हैं। न्यायाधीश जब न्याय करते हैं तो वे नशे में डूबे हुए होते हैं। 8. हर खाने की मेज उल्टी से भरी हुई है। कहीं भी कोई स्वच्छ स्थान नहीं रहा है। 9. {#1परमेश्वर अपने लोगों की सहायता करना चाहता है } वे कहा करते हैं, यह व्यक्ति कौन है यह किसे शिक्षा देने की कोशिश कर रहा है वह अपने सन्देश किसे समझा रहा है क्या उन बच्चों को जिनका अभी—अभी दूध छुड़ाया गया है क्या उन बच्चों को जिन्हें अभी—अभी अपनी माताओं की छाती से दूर किया गया है 10. इसीलिए यहोवा उन से इस प्रकार बोलता है जैसे वे दूध मुँहे बच्चे हों। सौ लासौ सौ लासौ काव लाकाव काव लाकाव ज़ेईर शाम ज़ेईर शाम। 11. 12. फिर यहोवा उन लोगों से बात करेगा उसके होंठ काँपते हुए होंगे और वह उन लोगों से बातें करने में दूसरी विचित्र भाषा का प्रयोग करेगा। यहोवा ने पहले उन लोगों से कहा था, “यहाँ विश्राम का एक स्थान है। थके मांदे लोगों को यहाँ आने दो और विश्राम पाने दो। यह शांति का ठौर है।” किन्तु लोगों ने परमेश्वर की सुननी नहीं चाही। 13. सो परमेश्वर के वचन किसी विचित्र भाषा के जैसे हो जाएँगे। “सौ लासौ सौ लासौ काव लाकाव काव लाकाव ज़ेईर शाम ज़ेईर शाम।” 14. सो लोग जब चलेंगे तो पीछे की ओर लुढ़क जाएँगे और जख्मी होंगे। लोगों को फँसा लिया जाएगा और वे पकड़े जाएँगे। {#1परमेश्वर के न्याय से कोई नहीं बच सकता } हे, यरूशलेम के आज्ञा नहीं माननेवाले अभिमानी मुखियाओं, तुम यहोवा का सन्देश सुनो। 15. तुम लोग कहते हो, “हमने मृत्यु के साथ एक वाचा किया है। शेओल (मृत्यु का प्रदेश) के साथ हमारा एक अनुबन्ध है। इसलिए हम दण्डित नहीं होंगे। दण्ड हमें हानि पहुँचाये बिना हमारे पास से निकल जायेगा। अपनी चालाकियों और अपनी झूठों के पीछे हम छिप जायेंगे।” 16. 17. इन बातों के कारण मेरा स्वामी यहोवा कहता है: “मैं एक पत्थर—एक कोने का पत्थर—सिय्योन में धरती पर गाड़ूँगा। यह एक अत्यन्त मूल्यवान पत्थर होगा। इस अति महत्त्वपूर्ण पत्थर पर ही हर किसी वस्तु का निर्माण होगा। जिसमें विश्वास होगा, वह कभी घबराएगा नहीं। “लोग दीवार की सीध देखने के लिये जैसे सूत डाल कर देखते हैं, वैसे ही मैं जो उचित है उसके लिए न्याय और खरेपन का प्रयोग करुँगा। “तुम दुष्ट लोग अपनी झूठों और चालाकियों के पीछे अपने को छुपाने का जतन कर रहे हो, किन्तु तुम्हें दण्ड दिया जायेगा। यह दण्ड ऐसा ही होगा जैसे तुम्हारे छिपने के स्थानों को नष्ट करने के लिए कोई तूफान या कोई बाढ़ आ रही हो। 18. मृत्यु के साथ तुम्हारे वाचा को मिटा दिया जायेगा। अधोलोक के साथ हुआ तुम्हारा सन्धि भी तुम्हारी सहायता नहीं करेगा। “जब भयानक दण्ड तुम पर पड़ेगा तो तुम कुचले जाओगे। 19. वह हर बार जब आएगा तुम्हें वहाँ ले जाएगा। तुम्हारा दण्ड भयानक होगा। तुम्हें सुबह दर सुबह और दिन रात दण्ड मिलेगा। “तब तुम इस कहानी को समझोगे: 20. कोई पुरुष एक ऐसे बिस्तर पर सोने का जतन कर रहा था जो उसके लिये बहुत छोटा था। उसके पास एक कंबल था जो इतना चौड़ा नहीं था कि उसे ढक ले। सो वह बिस्तर और वह कम्बल उसके लिए व्यर्थ रहे और देखो तुम्हारा वाचा भी तुम्हारे लिये ऐसा ही रहेगा।” 21. यहोवा वैसे ही युद्ध करेगा जैसे उसने पराजीम नाम के पहाड़ पर किया था। यहोवा वैसे ही कुपित होगा जैसे वह गिबोन की घाटी में हुआ था। तब यहोवा उन कामों को करेगा जो उसे निश्चय ही करने हैं। यहोवा कुछ विचित्र काम करेगा। किन्तु वह अपने काम को पूरा कर देगा। उसका काम किसी एक अजनबी का काम है। 22. अब तुम्हें इन बातों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। यदि तुम ऐसा करोगे तो तुम्हारे बन्धन की रस्सियाँ और अधिक कस जायेंगी। सर्वशक्तिमान यहोवा ने इस समूचे प्रदेश को नष्ट करने की ठान ली है। 23. जो शब्द मैंने सुने थे, अटल हैं। सो वे बातें अवश्य घटित होंगी। {#1यहोवा खरा दण्ड देता है } जो सन्देश मैं तुम्हें सुना रहा हूँ, उसे ध्यान से सुनो। 24. क्या कोई किसान अपने खेत को हर समय जोतता रहता है नहीं! क्या वह माटी को हर समय संवारता रहता है नहीं! 25. किसान अपनी धरती को तैयार करता है, और फिर उसमें बीज अलग अलग डालता है। किसान अलग—अलग बीजों की रुपाई, ढंग से करता है। किसान सौंफ के बीज बिखेरता है। किसान अपने खेत पर जीरे के बीज बिखेरता है और एक किसान कठिये गेंहूँ को बोता है। एक किसान खास स्थान पर जौ लगाता है। एक किसान कठिये गेंहूँ के बीजों को खेत की मेंड़ पर लगाता है। 26. उसका परमेश्वर उसको शिक्षा देता है और अच्छे प्रकार से उसे निर्देश देता है। 27. क्या कोई किसान तेज़ दाँतदार तख़्तों का प्रयोग सौंफ के दानों को गहाने के लिये करता है नहीं! क्या कोई किसान जीरे को गहाने के लिए किसी छकड़े का प्रयोग करता है नहीं! एक किसान इन मसालों के बीजों के छिलके उतारने के लिये एक छोटे से डण्डे का प्रयोग ही करता है। 28. रोटी के लिए अनाज को पीसा जाता है, पर लोग उसे सदा पीसते ही तो नहीं रहते। अनाज को दलने के लिए कोई घोड़ों से जुती गाड़ी का पहिया अनाज पर फिरा सकता है किन्तु वह अनाज को पीस—पीस कर एक दम मैदा जैसा तो नहीं बना देता। 29. सर्वशक्तिमान यहोवा से यह पाठ मिलता है। यहोवा अद्भुत सलाह देता है। यहोवा सचमुच बहुत बुद्धिमान है।
  • यशायाह अध्याय 1  
  • यशायाह अध्याय 2  
  • यशायाह अध्याय 3  
  • यशायाह अध्याय 4  
  • यशायाह अध्याय 5  
  • यशायाह अध्याय 6  
  • यशायाह अध्याय 7  
  • यशायाह अध्याय 8  
  • यशायाह अध्याय 9  
  • यशायाह अध्याय 10  
  • यशायाह अध्याय 11  
  • यशायाह अध्याय 12  
  • यशायाह अध्याय 13  
  • यशायाह अध्याय 14  
  • यशायाह अध्याय 15  
  • यशायाह अध्याय 16  
  • यशायाह अध्याय 17  
  • यशायाह अध्याय 18  
  • यशायाह अध्याय 19  
  • यशायाह अध्याय 20  
  • यशायाह अध्याय 21  
  • यशायाह अध्याय 22  
  • यशायाह अध्याय 23  
  • यशायाह अध्याय 24  
  • यशायाह अध्याय 25  
  • यशायाह अध्याय 26  
  • यशायाह अध्याय 27  
  • यशायाह अध्याय 28  
  • यशायाह अध्याय 29  
  • यशायाह अध्याय 30  
  • यशायाह अध्याय 31  
  • यशायाह अध्याय 32  
  • यशायाह अध्याय 33  
  • यशायाह अध्याय 34  
  • यशायाह अध्याय 35  
  • यशायाह अध्याय 36  
  • यशायाह अध्याय 37  
  • यशायाह अध्याय 38  
  • यशायाह अध्याय 39  
  • यशायाह अध्याय 40  
  • यशायाह अध्याय 41  
  • यशायाह अध्याय 42  
  • यशायाह अध्याय 43  
  • यशायाह अध्याय 44  
  • यशायाह अध्याय 45  
  • यशायाह अध्याय 46  
  • यशायाह अध्याय 47  
  • यशायाह अध्याय 48  
  • यशायाह अध्याय 49  
  • यशायाह अध्याय 50  
  • यशायाह अध्याय 51  
  • यशायाह अध्याय 52  
  • यशायाह अध्याय 53  
  • यशायाह अध्याय 54  
  • यशायाह अध्याय 55  
  • यशायाह अध्याय 56  
  • यशायाह अध्याय 57  
  • यशायाह अध्याय 58  
  • यशायाह अध्याय 59  
  • यशायाह अध्याय 60  
  • यशायाह अध्याय 61  
  • यशायाह अध्याय 62  
  • यशायाह अध्याय 63  
  • यशायाह अध्याय 64  
  • यशायाह अध्याय 65  
  • यशायाह अध्याय 66  
×

Alert

×

Hindi Letters Keypad References