पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यहोशू

यहोशू अध्याय 22

तीन परिवार समूह घर लौटते हैं 1 तब यहोशू ने रूबेन, गाद और मनश्शे के परिवार समूह के सभी लोगों की एक सभा की। 2 यहोशू ने उनसे कहा, “तुमने मूसा के दिये सभी आदेशों का पालन किया है। मूसा यहोवा का सेवक था। और तुमने मेरे भी सभी आदेशों का पालन किया। 3 और इस पूरे समय में तुम लोगों न इस्राएल के अन्य लोगों की सहायता की है। तुम लोग यहोवा के उन सभी आदेशों का पालन करने में सावधान रहे, जिन्हें तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें दिया था। 4 तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने इस्राएल के लोगों को शान्ति देने का वचन दिया था। अत: अब यहोवा ने अपना वचन पूरा कर दिया है। इस समय तुम लोग अपने घर लौट सके हो। तुम लोग, अपने उस प्रदेश में जा सकते हो जो तुम्हें दिया गया है। यह प्रदेश यरदन नदी के पूर्व में है। यह वही प्रदेश है जिसे यहोवा के सेवक मूसा न तुम्हें दिया। 5 किन्तु याद रखो कि जो व्यवस्था मूसा ने तुम्हें दिया है, उसका पालन होता रहे। तुम्हें अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करना और उसके आदेशों का पालन करना है। तुम्हें उसका अनुसरण करते रहना चाहिए, और पूरी आस्था के साथ उसकी सेवा करो।” 6 तब यहोशू ने उनको आशीर्वाद दिया और वे विदा हुए। वे अपने घर लौट गए। 7 मूसा ने आधे मनश्शे परिवार समूह को बाशान प्रदेश दिया था। यहोशू ने दूसरे आधे मनश्शे परिवार समूह को यरदन नदी के पश्चिम में प्रदेश दिया। यहोशू ने उनको वहाँ अपने घर भेजा। यहोशू ने उन्हें आशीर्वाद दिया। 8 उसने कहा, “तुम बहुत सम्पन्न हो। तुम्हारे पास चाँदी, सोने और अन्य बहुमूल्य आभूषणों के साथ बहुत से जानवर हैं। तुम लोगों के पास अनेक सुन्दर वस्त्र हैं। तुमने अपने शत्रुओं से भी बहुत सी चीज़ें ली हैं। इन चीज़ों को तुम्हें आपस में बाँट लेना चाहिए। अब अपने अपने घर जाओ।” 9 10 अत: रूबेन, गाद और मनश्शे के परिवार समूह के आधे लोगों ने इस्राएल के अन्य लोगों से विदा ली। वे कनान में शीलो में थे। उन्होंने उस स्थान को छोड़ा और वे गिलाद को लौटे। यह उनका अपना प्रदेश था। मूसा ने उनको यह प्रदेश दिया था, क्योंकि यहोवा ने उसे ऐसा करने का आदेश दिया था। रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों ने गोत्र नामक स्थान की यात्रा की। यह यरदन नदी के किनारे कनान प्रदेश में था। उस स्थान पर लोगों ने एक सुन्दर वेदी बनाई। 11 किन्तु इस्राएल के लोगों के अन्य समूहों ने, जो तब तक शीलो में थे, उस वेदी के विषय में सुना जो इन तीनों परिवार समूहों ने बनायी थीं। उन्होंने यह सुना कि यह वेदी कनान की सीमा पर गोत्र नामक स्थान पर थी। यह यरदन नदी के किनारे इस्राएल की ओर थी। 12 इस्राएल के सभी परिवार समूह इन तीनों परिवार समूहों पर बहुत क्रोधित हुए। वे एकत्र हुए और उन्होंने उनके विरुद्ध युद्ध करने का निश्चय किया। 13 अत: इस्राएल के लोगों ने कुछ व्यक्तियों को रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों से बातें करने के लिये भेजा। इनका प्रमुख याजक एलीआज़र का पुत्र पीनहास था। 14 उन्होंने वहाँ के परिवार समूहों के दस प्रमुखों को भी भेजा। शीलो में ठहरे इस्राएल के परिवार समूहों में हर एक परिवार से एक व्यक्ति था। 15 इस प्रकार ये ग्यारह व्यक्ति गिलाद गये। वे रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों से बातें करने गये। ग्यारह व्यक्तियों ने उनसे कहा 16 “इस्राएल के सभी लोग तुमसे पूछते हैं: तूने इस्राएल के परमेश्वर के विरूद्ध यह क्यों किया? तुम यहोवा के विपरीत कैसे हो गये? तुम लोगों ने अपने लिये वेदी क्यों बनाई? तुम जानते हो कि यह परमेश्वर की शिक्षा के विरूद्ध है! 17 पोर नामक स्थान को याद करो।* पोर … याद करो देखें गिनती 25:1-18 हम लोग उस पाप के कारण अब भी कष्ट सहते हैं। इस बड़े पाप के लिये परमेश्वर ने इस्राएल के बहुत से लोगों को बुरी तरह बीमार कर दिया था और हम लोग अब भी उस बीमारी के कारण कष्ट सह रहे हैं। 18 और अब तुम वही कर रहे हो! तुम यहोवा के विरुद्ध जा रहे हो! क्या तुम यहोवा का अनुसरण करने से मना करोगे? यदि तुम जो कर रहे हो, बन्द नहीं करते तो यहोवा इस्राएल के हर एक व्यक्ति पर क्रोधित होगा। 19 20 “ ‘यदि तुम्हारा प्रदेश उपासना के लिये उपयुक्त नहीं है तो हमारे प्रदेश में आओ। यहोवा का तम्बू हमारे प्रदेश में है। तुम हमारे कुछ प्रदेश ले सकते हो और उनमें रह सकते हो। किन्तु यहोवा के विरुद्ध मत होओ। अन्य वेदी मत बनाओ। हम लोगों के पास पहले से ही अपने परमेश्वर यहोवा की वेदी मिलापवाले तम्बू में है। 21 “ ‘जेरह के पुत्र आकान को याद करो। आकान अपने पाप के कारण मरा। उसने उन चीज़ों के सम्बन्ध में आदेश का पालन करने से इन्कार किया, जिन्हें नष्ट किया जाना था। उस एक व्यक्ति ने परमेश्वर के नियम को तोड़ा, किन्तु इस्राएल के सभी लोगों को दण्ड मिला। आकान अपने पाप के कारण मरा। किन्तु बहुत से अन्य लोग भी मरे।’ ” रूबेन, गाद और मनश्शे के परिवार समूह के लोगों ने ग्यारह व्यक्तियों को उत्तर दिया। उन्होंने यह कहा, 22 “हमारा परमेश्वर यहोवा है! हम लोग फिर दुहराते हैं कि हमारा परमेश्वर यहोवा है हमारा … परमेश्वर यहोवा है या “यहोवा सच्चा परमेश्वर है! यहोवा सच्चा परमेश्वर हैं!” शाब्दिक, “अल इलाहिम यहवा, अल इलाहिम यहवा।” और परमेश्वर जानता है कि हम लोगों ने यह क्यों किया। हम लोग चाहते हैं कि तुम लोग भी यह जानो। तुम लोग उसका निर्णय कर सकते हो जो हम लोगों ने किया है। यदि तुम लोगों को यह विश्वास है कि हम लोगों ने पाप किया है तो तुम लगो हमं अभी मार सकते हो। 23 यदि हम ने परमेश्वर के नियम को तोड़ा है तो हम कहेंगे कि यहोवा स्वयं हमें सजा दे। क्या तुम लोग यह सोचते हो कि हम लोगों ने इस वेदी को होमबलि चढ़ाने और अन्नबलि तथा मेलबलि चढ़ाने के लिये बनाया है? 24 नहीं! हम लोगों ने इसे इस उद्देश्य से नहीं बनाया है। हम लोगों ने ये वेदी क्यों बनाई है? हम लोगों को भय था कि भविष्य में तुम्हारे लोग हम लोगों को अपने राष्ट्र का एक भाग नहीं समझेंगे। तब तुम्हारे लोग यह कहेंगे, तुम लोग इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की उपासना नहीं कर सकते। 25 परमेश्वर ने हम लोगों को यरदन नदी की दूसरी ओर का प्रदेश दिया है। इसका अर्थ यह हुआ कि यरदन नदी को सीमा बनाया है। हमें डर है कि जब तुम्हारे बच्चे बड़े होकर इस प्रदेश पर शासन करेंगे तब वे हमें भूल जाएंगे, कि हम भी तुम्हारे लोग हैं। वे हम से कहेंगे, ‘हे रूबेन और गाद के लोगो तुन इस्राएल के भाग नहीं हो!’ तब तुम्हारे बच्चे हमारे बच्चों को यहोवा की उपासना करने से रोकेंगे। इसलिये तुम्हारे बच्चे हम लोगों के बच्चों को यहोवा की उपासना करने से रोक देंगे। 26 “इसलिए हम लोगों ने इस वेदी को बनाया। किन्तु हम लोग यह योजना नहीं बना रहे हैं कि इस पर होमबलि चढ़ाएंगे और बलियाँ देंगे। 27 हम लोगों ने जिस सच्चे उद्देश्य के लिये वेदी बनाई थी, वह अपने लोगों को यह दिखाना मात्र था कि हम उस परमेश्वर की उपासना करते हैं जिसकी तुम लोग उपासना करते हो। यह वेदी तुम्हारे लिये, हम लोगों के लिये और भविष्य में हम लोगों के बच्चों के लिये इस बात का प्रमाण होगा कि हम लोग परमेश्वर की उपासना करते हैं। हम लोग यहोवा को अपनी बलियाँ, अन्नबलि और मेलबलि चढ़ाते हैं। हम चाहते थे कि तुम्हारे बच्चे बढ़ें और जानें कि हम लोग भी तुम्हारी तरह इस्राएल के लोग है। 28 भविष्य में यदि ऐसा होता है कि तुम्हारे बच्चे कहें कि हम लोग इस्राएल से सम्बन्ध नहीं रखते तो हमारे बच्चे तब कह सकेंगे कि ध्यान दें! ‘हमारे पूर्वजों ने, जो हम लोगों से पहले थे, एक वेदी बनाई थी। यह वेदी ठीक वैसी ही है जैसी पवित्र तम्बू के सामने यहोवा की वेदी है। हम लोग इस वेदी का उपयोग बलि देने के लिये नहीं करते—यह इस बात का संकेत करता है कि हम लोग इस्राएल के एक भाग हैं।’ 29 30 “सत्य तो यह है, कि हम लगो यहोवा के विरुद्ध नहीं होना चाहते। हम लोग अब उसका अनुसरण करना छोड़ना नहीं चाहते। हम लगो जानते हैं कि एक मात्र सच्ची वेदी वही है जो पवित्र तम्बू के सामने है। वह वेदी, हमारे परमेश्वर यहोवा की है।” याजक पीनहास और दस प्रमुखों ने रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों द्वारा कही गई यह बात सुनी। वे इस बात से सन्तुष्ट थे कि लोग सच बोल रहे थे। 31 इसलिए याजक एलीआज़र के बारे में पीनहास ने कहा, “अब हम लोग समझते हैं कि योहवा हमारे साथ है और हम लोग जानते हैं कि तुम में से कोई भी उसके विपरीत नहीं गए हो। हम लोग प्रसन्न हैं कि इस्राएल के लोगों को यहोवा से दण्ड नहीं मिलेगा।” 32 तब पीनहास और प्रमुखों ने उस स्थान को छोड़ा और वे अपने घर चले गए। उन्होंने रूबेन और गाद के लोगों को गिलाद प्रदेश में छोड़ा और कनान को लौट गये। वे लौटकर इस्राएल के लोगों के पास गये और जो कुछ हुआ था, उनसे कहा। 33 इस्राएल के लोग भी सन्तुष्ट हो गए। वे प्रसन्न थे और उन्होंने परमेश्वर को धन्यवाद दिया। उन्होंने निर्णय लिया कि वे रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों के विरुद्ध जाकर नहीं लड़ेंगे। उन्होंने उन प्रदेशों को नष्ट न करने का निर्णय किया। 34 और रुबेन और गाद के लोगों ने कहा, “यह वेदी सभी लोगों को यह बताती है कि हमें यह विश्वास है कि यहोवा परमेश्वर है और इसलिए उन्होंने वेदी का नाम ‘प्रमाण’ रखा।”
तीन परिवार समूह घर लौटते हैं 1 तब यहोशू ने रूबेन, गाद और मनश्शे के परिवार समूह के सभी लोगों की एक सभा की। .::. 2 यहोशू ने उनसे कहा, “तुमने मूसा के दिये सभी आदेशों का पालन किया है। मूसा यहोवा का सेवक था। और तुमने मेरे भी सभी आदेशों का पालन किया। .::. 3 और इस पूरे समय में तुम लोगों न इस्राएल के अन्य लोगों की सहायता की है। तुम लोग यहोवा के उन सभी आदेशों का पालन करने में सावधान रहे, जिन्हें तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें दिया था। .::. 4 तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने इस्राएल के लोगों को शान्ति देने का वचन दिया था। अत: अब यहोवा ने अपना वचन पूरा कर दिया है। इस समय तुम लोग अपने घर लौट सके हो। तुम लोग, अपने उस प्रदेश में जा सकते हो जो तुम्हें दिया गया है। यह प्रदेश यरदन नदी के पूर्व में है। यह वही प्रदेश है जिसे यहोवा के सेवक मूसा न तुम्हें दिया। .::. 5 किन्तु याद रखो कि जो व्यवस्था मूसा ने तुम्हें दिया है, उसका पालन होता रहे। तुम्हें अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करना और उसके आदेशों का पालन करना है। तुम्हें उसका अनुसरण करते रहना चाहिए, और पूरी आस्था के साथ उसकी सेवा करो।” .::. 6 तब यहोशू ने उनको आशीर्वाद दिया और वे विदा हुए। वे अपने घर लौट गए। .::. 7 मूसा ने आधे मनश्शे परिवार समूह को बाशान प्रदेश दिया था। यहोशू ने दूसरे आधे मनश्शे परिवार समूह को यरदन नदी के पश्चिम में प्रदेश दिया। यहोशू ने उनको वहाँ अपने घर भेजा। यहोशू ने उन्हें आशीर्वाद दिया। .::. 8 उसने कहा, “तुम बहुत सम्पन्न हो। तुम्हारे पास चाँदी, सोने और अन्य बहुमूल्य आभूषणों के साथ बहुत से जानवर हैं। तुम लोगों के पास अनेक सुन्दर वस्त्र हैं। तुमने अपने शत्रुओं से भी बहुत सी चीज़ें ली हैं। इन चीज़ों को तुम्हें आपस में बाँट लेना चाहिए। अब अपने अपने घर जाओ।” .::. 9 .::. 10 अत: रूबेन, गाद और मनश्शे के परिवार समूह के आधे लोगों ने इस्राएल के अन्य लोगों से विदा ली। वे कनान में शीलो में थे। उन्होंने उस स्थान को छोड़ा और वे गिलाद को लौटे। यह उनका अपना प्रदेश था। मूसा ने उनको यह प्रदेश दिया था, क्योंकि यहोवा ने उसे ऐसा करने का आदेश दिया था। रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों ने गोत्र नामक स्थान की यात्रा की। यह यरदन नदी के किनारे कनान प्रदेश में था। उस स्थान पर लोगों ने एक सुन्दर वेदी बनाई। .::. 11 किन्तु इस्राएल के लोगों के अन्य समूहों ने, जो तब तक शीलो में थे, उस वेदी के विषय में सुना जो इन तीनों परिवार समूहों ने बनायी थीं। उन्होंने यह सुना कि यह वेदी कनान की सीमा पर गोत्र नामक स्थान पर थी। यह यरदन नदी के किनारे इस्राएल की ओर थी। .::. 12 इस्राएल के सभी परिवार समूह इन तीनों परिवार समूहों पर बहुत क्रोधित हुए। वे एकत्र हुए और उन्होंने उनके विरुद्ध युद्ध करने का निश्चय किया। .::. 13 अत: इस्राएल के लोगों ने कुछ व्यक्तियों को रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों से बातें करने के लिये भेजा। इनका प्रमुख याजक एलीआज़र का पुत्र पीनहास था। .::. 14 उन्होंने वहाँ के परिवार समूहों के दस प्रमुखों को भी भेजा। शीलो में ठहरे इस्राएल के परिवार समूहों में हर एक परिवार से एक व्यक्ति था। .::. 15 इस प्रकार ये ग्यारह व्यक्ति गिलाद गये। वे रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों से बातें करने गये। ग्यारह व्यक्तियों ने उनसे कहा .::. 16 “इस्राएल के सभी लोग तुमसे पूछते हैं: तूने इस्राएल के परमेश्वर के विरूद्ध यह क्यों किया? तुम यहोवा के विपरीत कैसे हो गये? तुम लोगों ने अपने लिये वेदी क्यों बनाई? तुम जानते हो कि यह परमेश्वर की शिक्षा के विरूद्ध है! .::. 17 पोर नामक स्थान को याद करो।* पोर … याद करो देखें गिनती 25:1-18 हम लोग उस पाप के कारण अब भी कष्ट सहते हैं। इस बड़े पाप के लिये परमेश्वर ने इस्राएल के बहुत से लोगों को बुरी तरह बीमार कर दिया था और हम लोग अब भी उस बीमारी के कारण कष्ट सह रहे हैं। .::. 18 और अब तुम वही कर रहे हो! तुम यहोवा के विरुद्ध जा रहे हो! क्या तुम यहोवा का अनुसरण करने से मना करोगे? यदि तुम जो कर रहे हो, बन्द नहीं करते तो यहोवा इस्राएल के हर एक व्यक्ति पर क्रोधित होगा। .::. 19 .::. 20 “ ‘यदि तुम्हारा प्रदेश उपासना के लिये उपयुक्त नहीं है तो हमारे प्रदेश में आओ। यहोवा का तम्बू हमारे प्रदेश में है। तुम हमारे कुछ प्रदेश ले सकते हो और उनमें रह सकते हो। किन्तु यहोवा के विरुद्ध मत होओ। अन्य वेदी मत बनाओ। हम लोगों के पास पहले से ही अपने परमेश्वर यहोवा की वेदी मिलापवाले तम्बू में है। .::. 21 “ ‘जेरह के पुत्र आकान को याद करो। आकान अपने पाप के कारण मरा। उसने उन चीज़ों के सम्बन्ध में आदेश का पालन करने से इन्कार किया, जिन्हें नष्ट किया जाना था। उस एक व्यक्ति ने परमेश्वर के नियम को तोड़ा, किन्तु इस्राएल के सभी लोगों को दण्ड मिला। आकान अपने पाप के कारण मरा। किन्तु बहुत से अन्य लोग भी मरे।’ ” रूबेन, गाद और मनश्शे के परिवार समूह के लोगों ने ग्यारह व्यक्तियों को उत्तर दिया। उन्होंने यह कहा, .::. 22 “हमारा परमेश्वर यहोवा है! हम लोग फिर दुहराते हैं कि हमारा परमेश्वर यहोवा है हमारा … परमेश्वर यहोवा है या “यहोवा सच्चा परमेश्वर है! यहोवा सच्चा परमेश्वर हैं!” शाब्दिक, “अल इलाहिम यहवा, अल इलाहिम यहवा।” और परमेश्वर जानता है कि हम लोगों ने यह क्यों किया। हम लोग चाहते हैं कि तुम लोग भी यह जानो। तुम लोग उसका निर्णय कर सकते हो जो हम लोगों ने किया है। यदि तुम लोगों को यह विश्वास है कि हम लोगों ने पाप किया है तो तुम लगो हमं अभी मार सकते हो। .::. 23 यदि हम ने परमेश्वर के नियम को तोड़ा है तो हम कहेंगे कि यहोवा स्वयं हमें सजा दे। क्या तुम लोग यह सोचते हो कि हम लोगों ने इस वेदी को होमबलि चढ़ाने और अन्नबलि तथा मेलबलि चढ़ाने के लिये बनाया है? .::. 24 नहीं! हम लोगों ने इसे इस उद्देश्य से नहीं बनाया है। हम लोगों ने ये वेदी क्यों बनाई है? हम लोगों को भय था कि भविष्य में तुम्हारे लोग हम लोगों को अपने राष्ट्र का एक भाग नहीं समझेंगे। तब तुम्हारे लोग यह कहेंगे, तुम लोग इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की उपासना नहीं कर सकते। .::. 25 परमेश्वर ने हम लोगों को यरदन नदी की दूसरी ओर का प्रदेश दिया है। इसका अर्थ यह हुआ कि यरदन नदी को सीमा बनाया है। हमें डर है कि जब तुम्हारे बच्चे बड़े होकर इस प्रदेश पर शासन करेंगे तब वे हमें भूल जाएंगे, कि हम भी तुम्हारे लोग हैं। वे हम से कहेंगे, ‘हे रूबेन और गाद के लोगो तुन इस्राएल के भाग नहीं हो!’ तब तुम्हारे बच्चे हमारे बच्चों को यहोवा की उपासना करने से रोकेंगे। इसलिये तुम्हारे बच्चे हम लोगों के बच्चों को यहोवा की उपासना करने से रोक देंगे। .::. 26 “इसलिए हम लोगों ने इस वेदी को बनाया। किन्तु हम लोग यह योजना नहीं बना रहे हैं कि इस पर होमबलि चढ़ाएंगे और बलियाँ देंगे। .::. 27 हम लोगों ने जिस सच्चे उद्देश्य के लिये वेदी बनाई थी, वह अपने लोगों को यह दिखाना मात्र था कि हम उस परमेश्वर की उपासना करते हैं जिसकी तुम लोग उपासना करते हो। यह वेदी तुम्हारे लिये, हम लोगों के लिये और भविष्य में हम लोगों के बच्चों के लिये इस बात का प्रमाण होगा कि हम लोग परमेश्वर की उपासना करते हैं। हम लोग यहोवा को अपनी बलियाँ, अन्नबलि और मेलबलि चढ़ाते हैं। हम चाहते थे कि तुम्हारे बच्चे बढ़ें और जानें कि हम लोग भी तुम्हारी तरह इस्राएल के लोग है। .::. 28 भविष्य में यदि ऐसा होता है कि तुम्हारे बच्चे कहें कि हम लोग इस्राएल से सम्बन्ध नहीं रखते तो हमारे बच्चे तब कह सकेंगे कि ध्यान दें! ‘हमारे पूर्वजों ने, जो हम लोगों से पहले थे, एक वेदी बनाई थी। यह वेदी ठीक वैसी ही है जैसी पवित्र तम्बू के सामने यहोवा की वेदी है। हम लोग इस वेदी का उपयोग बलि देने के लिये नहीं करते—यह इस बात का संकेत करता है कि हम लोग इस्राएल के एक भाग हैं।’ .::. 29 .::. 30 “सत्य तो यह है, कि हम लगो यहोवा के विरुद्ध नहीं होना चाहते। हम लोग अब उसका अनुसरण करना छोड़ना नहीं चाहते। हम लगो जानते हैं कि एक मात्र सच्ची वेदी वही है जो पवित्र तम्बू के सामने है। वह वेदी, हमारे परमेश्वर यहोवा की है।” याजक पीनहास और दस प्रमुखों ने रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों द्वारा कही गई यह बात सुनी। वे इस बात से सन्तुष्ट थे कि लोग सच बोल रहे थे। .::. 31 इसलिए याजक एलीआज़र के बारे में पीनहास ने कहा, “अब हम लोग समझते हैं कि योहवा हमारे साथ है और हम लोग जानते हैं कि तुम में से कोई भी उसके विपरीत नहीं गए हो। हम लोग प्रसन्न हैं कि इस्राएल के लोगों को यहोवा से दण्ड नहीं मिलेगा।” .::. 32 तब पीनहास और प्रमुखों ने उस स्थान को छोड़ा और वे अपने घर चले गए। उन्होंने रूबेन और गाद के लोगों को गिलाद प्रदेश में छोड़ा और कनान को लौट गये। वे लौटकर इस्राएल के लोगों के पास गये और जो कुछ हुआ था, उनसे कहा। .::. 33 इस्राएल के लोग भी सन्तुष्ट हो गए। वे प्रसन्न थे और उन्होंने परमेश्वर को धन्यवाद दिया। उन्होंने निर्णय लिया कि वे रूबेन, गाद और मनश्शे के लोगों के विरुद्ध जाकर नहीं लड़ेंगे। उन्होंने उन प्रदेशों को नष्ट न करने का निर्णय किया। .::. 34 और रुबेन और गाद के लोगों ने कहा, “यह वेदी सभी लोगों को यह बताती है कि हमें यह विश्वास है कि यहोवा परमेश्वर है और इसलिए उन्होंने वेदी का नाम ‘प्रमाण’ रखा।”
  • यहोशू अध्याय 1  
  • यहोशू अध्याय 2  
  • यहोशू अध्याय 3  
  • यहोशू अध्याय 4  
  • यहोशू अध्याय 5  
  • यहोशू अध्याय 6  
  • यहोशू अध्याय 7  
  • यहोशू अध्याय 8  
  • यहोशू अध्याय 9  
  • यहोशू अध्याय 10  
  • यहोशू अध्याय 11  
  • यहोशू अध्याय 12  
  • यहोशू अध्याय 13  
  • यहोशू अध्याय 14  
  • यहोशू अध्याय 15  
  • यहोशू अध्याय 16  
  • यहोशू अध्याय 17  
  • यहोशू अध्याय 18  
  • यहोशू अध्याय 19  
  • यहोशू अध्याय 20  
  • यहोशू अध्याय 21  
  • यहोशू अध्याय 22  
  • यहोशू अध्याय 23  
  • यहोशू अध्याय 24  
×

Alert

×

Hindi Letters Keypad References