पवित्र बाइबिल

बाइबल सोसाइटी ऑफ इंडिया (BSI)
विलापगीत

विलापगीत अध्याय 5

1 हे यहोवा, स्मरण कर कि हम पर क्या क्या बीता है; हमारी ओर दृष्टि कर के हमारी नामधराई को देख! 2 हमारा भाग परदेशियों का हो गया ओर हमारे घर परायों के हो गए हैं। 3 हम अनाथ और पिताहीन हो गए; हमारी माताएं विधवा सी हो गई हैं। 4 हम मोल ले कर पानी पीते हैं, हम को लकड़ी भी दाम से मिलती है। 5 खदेड़ने वाले हमारी गर्दन पर टूट पड़े हैं; हम थक गए हैं, हमें विश्राम नहीं मिलता। 6 हम स्वयं मिस्र के आधीन हो गए, और अश्शूर के भी, ताकि पेट भर सकें। 7 हमारे पुरखाओं ने पाप किया, ओर मर मिटे हैं; परन्तु उनके अधर्म के कामों का भार हम को उठाना पड़ा है। 8 हमारे ऊपर दास अधिकार रखते हैं; उनके हाथ से कोई हमें नहीं छुड़ाता। 9 जंगल में की तलवार के कारण हम अपने प्राण जोखिम में डाल कर भोजनवस्तु ले आते हैं। 10 भूख की झुलसाने वाली आग के कारण, हमारा चमड़ा तंदूर की नाईं काला हो गया है। 11 सिय्योन में स्त्रियां, और यहूदा के नगरों में कुमारियां भ्रष्ट की गई हैं। 12 हाकिम हाथ के बल टांगे गए हैं; और पुरनियों का कुछ भी आदर नहीं किया गया। 13 जवानों को चक्की चलानी पड़ती है; और लड़के-बाले लकड़ी का बोझ उठाते हुए लडखड़ाते हैं। 14 अब फाटक पर पुरनिये नहीं बैठते, न जवानों का गीत सुनाईं पड़ता है। 15 हमारे मन का हर्ष जाता रहा, हमारा नाचना विलाप में बदल गया है। 16 हमारे सिर पर का मुकुट गिर पड़ा है; हम पर हाय, क्योंकि हम ने पाप किया है! 17 इस कारण हमारा हृदय निर्बल हो गया है, इन्हीं बातों से हमारी आंखें धुंधली पड़ गई हैं, 18 क्योंकि सिय्योन पर्वत उजाड़ पड़ा है; उस में सियार घूमते हैं। 19 परन्तु हे यहोवा, तू तो सदा तक विराजमान रहेगा; तेरा राज्य पीढ़ी-पीढ़ी बना रहेगा। 20 तू ने क्यों हम को सदा के लिये भुला दिया है, और क्यों बहुत काल के लिये हमें छोड़ दिया है? 21 हे यहोवा, हम को अपनी ओर फेर, तब हम फिर सुधर जाएंगे। प्राचीनकाल की नाईं हमारे दिन बदल कर ज्यों के त्यों कर दे! 22 क्या तू ने हमें बिल्कुल त्याग दिया है? क्या तू हम से अत्यन्त क्रोधित है?
1. हे यहोवा, स्मरण कर कि हम पर क्या क्या बीता है; हमारी ओर दृष्टि कर के हमारी नामधराई को देख! 2. हमारा भाग परदेशियों का हो गया ओर हमारे घर परायों के हो गए हैं। 3. हम अनाथ और पिताहीन हो गए; हमारी माताएं विधवा सी हो गई हैं। 4. हम मोल ले कर पानी पीते हैं, हम को लकड़ी भी दाम से मिलती है। 5. खदेड़ने वाले हमारी गर्दन पर टूट पड़े हैं; हम थक गए हैं, हमें विश्राम नहीं मिलता। 6. हम स्वयं मिस्र के आधीन हो गए, और अश्शूर के भी, ताकि पेट भर सकें। 7. हमारे पुरखाओं ने पाप किया, ओर मर मिटे हैं; परन्तु उनके अधर्म के कामों का भार हम को उठाना पड़ा है। 8. हमारे ऊपर दास अधिकार रखते हैं; उनके हाथ से कोई हमें नहीं छुड़ाता। 9. जंगल में की तलवार के कारण हम अपने प्राण जोखिम में डाल कर भोजनवस्तु ले आते हैं। 10. भूख की झुलसाने वाली आग के कारण, हमारा चमड़ा तंदूर की नाईं काला हो गया है। 11. सिय्योन में स्त्रियां, और यहूदा के नगरों में कुमारियां भ्रष्ट की गई हैं। 12. हाकिम हाथ के बल टांगे गए हैं; और पुरनियों का कुछ भी आदर नहीं किया गया। 13. जवानों को चक्की चलानी पड़ती है; और लड़के-बाले लकड़ी का बोझ उठाते हुए लडखड़ाते हैं। 14. अब फाटक पर पुरनिये नहीं बैठते, न जवानों का गीत सुनाईं पड़ता है। 15. हमारे मन का हर्ष जाता रहा, हमारा नाचना विलाप में बदल गया है। 16. हमारे सिर पर का मुकुट गिर पड़ा है; हम पर हाय, क्योंकि हम ने पाप किया है! 17. इस कारण हमारा हृदय निर्बल हो गया है, इन्हीं बातों से हमारी आंखें धुंधली पड़ गई हैं, 18. क्योंकि सिय्योन पर्वत उजाड़ पड़ा है; उस में सियार घूमते हैं। 19. परन्तु हे यहोवा, तू तो सदा तक विराजमान रहेगा; तेरा राज्य पीढ़ी-पीढ़ी बना रहेगा। 20. तू ने क्यों हम को सदा के लिये भुला दिया है, और क्यों बहुत काल के लिये हमें छोड़ दिया है? 21. हे यहोवा, हम को अपनी ओर फेर, तब हम फिर सुधर जाएंगे। प्राचीनकाल की नाईं हमारे दिन बदल कर ज्यों के त्यों कर दे! 22. क्या तू ने हमें बिल्कुल त्याग दिया है? क्या तू हम से अत्यन्त क्रोधित है?
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