पवित्र बाइबिल

बाइबल सोसाइटी ऑफ इंडिया (BSI)
यहेजकेल

यहेजकेल अध्याय 13

1 यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, 2 हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल के जो भविष्यद्वक्ता अपने ही मन से भविष्यवाणी करते हैं, उनके विरुद्ध भविष्यवाणी कर के तू कह, यहोवा का वचन सुनो। 3 प्रभु यहोवा यों कहता है, हाय, उन मूढ़ भविष्यद्वक्ताओं पर जो अपनी ही आत्मा के पीछे भटक जाते हैं, और कुछ दर्शन नहीं पाया! 4 हे इस्राएल, तेरे भविष्यद्वक्ता खण्डहरों में की लोमडिय़ों के समान बने हैं। 5 तुम ने नाकों में चढ़ कर इस्राएल के घराने के लिये भीत नहीं सुधारी, जिस से वे यहोवा के दिन युद्ध में स्थिर रह सकते। 6 वे लोग जो कहते हैं, यहोवा की यह वाणी है, उन्होंने भावी का व्यर्थ और झूठा दावा किया है; और तब भी यह आशा दिलाई कि यहोवा यह वचन पूरा करेगा; तौभी यहोवा ने उन्हें नहीं भेजा। 7 क्या तुम्हारा दर्शन झूठा नहीं है, और क्या तुम झूठमूठ भावी नहीं कहते? तुम कहते हो, कि यहोवा की यह वाणी है; परन्तु मैं ने कुछ नहीं कहा है। 8 इस कारण प्रभु यहोवा तुम से यों कहता है, तुम ने जो व्यर्थ बात कही और झूठे दर्शन देखे हैं, इसलिये मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ, प्रभु यहोवा की यही वाणी है। 9 जो भविष्यद्वक्ता झूठे दर्शन देखते और झूठमूठ भावी कहते हैं, मेरा हाथ उनके विरुद्ध होगा, और वे मेरी प्रजा की गोष्ठी में भागी न होंगे, न उनके नाम इस्राएल की नामावली में लिखे जाएंगे, और न वे इस्राएल के देश में प्रवेश करने पाएंगे; इस से तुम लोग जान लोगे कि मैं प्रभु यहोवा हूँ। 10 क्योंकि हां, क्योंकि उन्होंने “शान्ति है”, ऐसा कहकर मेरी प्रजा को बहकाया है जब कि शान्ति नहीं है; और इसलिये कि जब कोई भीत बनाता है तब वे उसकी कच्ची लेसाई करते हैं। 11 उन कच्ची लेसाई करने वालों से कह कि वह गिर जाएगी। क्योंकि बड़े जोर की वर्षा होगी, और बड़े बड़े ओले भी गिरेंगे, और प्रचण्ड आंधी उसे गिराएगी। 12 सो जब भीत गिर जाएगी, तब क्या लोग तुम से यह न कहेंगे कि जो लेसाई तुम ने की वह कहां रही? 13 इस कारण प्रभु यहोवा तुम से यों कहता है, मैं जल कर उसको प्रचण्ड आंधी के द्वारा गिराऊंगा; और मेरे कोप से भारी वर्षा होगी, और मेरी जलजलाहट से बड़े बड़े ओले गिरेंगे कि भीत को नाश करें। 14 इस रीति जिस भीत पर तुम ने कच्ची लेसाई की है, उसे मैं ढा दूंगा, वरन मिट्टी में मिलाऊंगा, और उसकी नेव खुल जाएगी; और जब वह गिरेगी, तब तुम भी उसके नीचे दब कर नाश होगे; और तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ। 15 इस रीति मैं भीत और उसकी कच्ची लेसाई करने वाले दोनों पर अपनी जलजलाहट पूर्ण रीति से भड़काऊंगा; फिर तुम से कहूंगा, न तो भीत रही,और न उसके लेसने वाले रहे, 16 अर्थात इस्राएल के वे भविष्यद्वक्ता जो यरूशलेम के विषय में भविष्यद्वाणी करते और उनकी शान्ति का दर्शन बताते थे, परन्तु प्रभु यहोवा की यह वाणी है, कि शान्ति है ही नहीं। 17 फिर हे मनुष्य के सन्तान, तू अपने लोगों की स्त्रियों से विमुख हो कर, जो अपने ही मन से भविष्यद्वाणी करती हे; उनके विरुद्ध भविष्यद्वाणी कर के कह, 18 प्रभु यहोवा यों कहता है, जो स्त्रियां हाथ के सब जोड़ो के लिये तकिया सीतीं और प्राणियों का अहेर करने को सब प्रकार के मनुष्यों की आंख ढांपने के लिये कपड़े बनाती हैं, उन पर हाय! क्या तुम मेरी प्रजा के प्राणों का अहेर कर के अपने निज प्राण बचा रखोगी? 19 तुम ने तो मुट्ठी मुट्ठी भर जव और रोटी के टुकड़ों के बदले मुझे मेरी प्रजा की दृष्टि में अपवित्र ठहरा कर, और अपनी उन झूठी बातों के द्वारा, जो मेरी प्रजा के लोग तुम से सुनते हैं, जो नाश के योग्य न थे, उन को मार डाला; और जो बचने के योग्य न थे उन प्राणों को बचा रखा है। 20 इस कारण प्रभु यहोवा तुम से यों कहता है, देखो, मैं तुम्हारे उन तकियों के विरुद्ध हूं, जिनके द्वारा तुम प्राणों का अहेर करती हो, इसलिये जिन्हें तुम अहेर कर कर के उड़ाती हो उन को मैं तुम्हारी बांह पर से छीन कर उन को छुड़ा दूंगा। 21 मैं तुम्हारे सिर के बुर्के को फाड़ कर अपनी प्रजा के लोगों को तुम्हारे हाथ से छुड़ाऊंगा, और आगे को वे तुम्हारे वश में न रहेंगे कि तुम उनका अहेर कर सको ; तब तुम जान लोगी कि मैं यहोवा हूँ। 22 तुम ने जो झूठ कह कर धमीं के मन को उदास किया है, यद्यपि मैं ने उसको उदास करना नहीं चाहा, और तुम ने दुष्ट जन को हियाव बन्धाया है, ताकि वह अपने बुरे मार्ग से न फिरे और जीवित रहे। 23 इस कारण तुम फिर न तो झूठा दर्शन देखोगी, और न भावी कहोगी; क्योंकि मैं अपनी प्रजा को तुम्हारे हाथ से छुड़ाऊंगा। तब तुम जान लोगी कि मैं यहोवा हूँ।
1. यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, 2. हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल के जो भविष्यद्वक्ता अपने ही मन से भविष्यवाणी करते हैं, उनके विरुद्ध भविष्यवाणी कर के तू कह, यहोवा का वचन सुनो। 3. प्रभु यहोवा यों कहता है, हाय, उन मूढ़ भविष्यद्वक्ताओं पर जो अपनी ही आत्मा के पीछे भटक जाते हैं, और कुछ दर्शन नहीं पाया! 4. हे इस्राएल, तेरे भविष्यद्वक्ता खण्डहरों में की लोमडिय़ों के समान बने हैं। 5. तुम ने नाकों में चढ़ कर इस्राएल के घराने के लिये भीत नहीं सुधारी, जिस से वे यहोवा के दिन युद्ध में स्थिर रह सकते। 6. वे लोग जो कहते हैं, यहोवा की यह वाणी है, उन्होंने भावी का व्यर्थ और झूठा दावा किया है; और तब भी यह आशा दिलाई कि यहोवा यह वचन पूरा करेगा; तौभी यहोवा ने उन्हें नहीं भेजा। 7. क्या तुम्हारा दर्शन झूठा नहीं है, और क्या तुम झूठमूठ भावी नहीं कहते? तुम कहते हो, कि यहोवा की यह वाणी है; परन्तु मैं ने कुछ नहीं कहा है। 8. इस कारण प्रभु यहोवा तुम से यों कहता है, तुम ने जो व्यर्थ बात कही और झूठे दर्शन देखे हैं, इसलिये मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ, प्रभु यहोवा की यही वाणी है। 9. जो भविष्यद्वक्ता झूठे दर्शन देखते और झूठमूठ भावी कहते हैं, मेरा हाथ उनके विरुद्ध होगा, और वे मेरी प्रजा की गोष्ठी में भागी न होंगे, न उनके नाम इस्राएल की नामावली में लिखे जाएंगे, और न वे इस्राएल के देश में प्रवेश करने पाएंगे; इस से तुम लोग जान लोगे कि मैं प्रभु यहोवा हूँ। 10. क्योंकि हां, क्योंकि उन्होंने “शान्ति है”, ऐसा कहकर मेरी प्रजा को बहकाया है जब कि शान्ति नहीं है; और इसलिये कि जब कोई भीत बनाता है तब वे उसकी कच्ची लेसाई करते हैं। 11. उन कच्ची लेसाई करने वालों से कह कि वह गिर जाएगी। क्योंकि बड़े जोर की वर्षा होगी, और बड़े बड़े ओले भी गिरेंगे, और प्रचण्ड आंधी उसे गिराएगी। 12. सो जब भीत गिर जाएगी, तब क्या लोग तुम से यह न कहेंगे कि जो लेसाई तुम ने की वह कहां रही? 13. इस कारण प्रभु यहोवा तुम से यों कहता है, मैं जल कर उसको प्रचण्ड आंधी के द्वारा गिराऊंगा; और मेरे कोप से भारी वर्षा होगी, और मेरी जलजलाहट से बड़े बड़े ओले गिरेंगे कि भीत को नाश करें। 14. इस रीति जिस भीत पर तुम ने कच्ची लेसाई की है, उसे मैं ढा दूंगा, वरन मिट्टी में मिलाऊंगा, और उसकी नेव खुल जाएगी; और जब वह गिरेगी, तब तुम भी उसके नीचे दब कर नाश होगे; और तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ। 15. इस रीति मैं भीत और उसकी कच्ची लेसाई करने वाले दोनों पर अपनी जलजलाहट पूर्ण रीति से भड़काऊंगा; फिर तुम से कहूंगा, न तो भीत रही,और न उसके लेसने वाले रहे, 16. अर्थात इस्राएल के वे भविष्यद्वक्ता जो यरूशलेम के विषय में भविष्यद्वाणी करते और उनकी शान्ति का दर्शन बताते थे, परन्तु प्रभु यहोवा की यह वाणी है, कि शान्ति है ही नहीं। 17. फिर हे मनुष्य के सन्तान, तू अपने लोगों की स्त्रियों से विमुख हो कर, जो अपने ही मन से भविष्यद्वाणी करती हे; उनके विरुद्ध भविष्यद्वाणी कर के कह, 18. प्रभु यहोवा यों कहता है, जो स्त्रियां हाथ के सब जोड़ो के लिये तकिया सीतीं और प्राणियों का अहेर करने को सब प्रकार के मनुष्यों की आंख ढांपने के लिये कपड़े बनाती हैं, उन पर हाय! क्या तुम मेरी प्रजा के प्राणों का अहेर कर के अपने निज प्राण बचा रखोगी? 19. तुम ने तो मुट्ठी मुट्ठी भर जव और रोटी के टुकड़ों के बदले मुझे मेरी प्रजा की दृष्टि में अपवित्र ठहरा कर, और अपनी उन झूठी बातों के द्वारा, जो मेरी प्रजा के लोग तुम से सुनते हैं, जो नाश के योग्य न थे, उन को मार डाला; और जो बचने के योग्य न थे उन प्राणों को बचा रखा है। 20. इस कारण प्रभु यहोवा तुम से यों कहता है, देखो, मैं तुम्हारे उन तकियों के विरुद्ध हूं, जिनके द्वारा तुम प्राणों का अहेर करती हो, इसलिये जिन्हें तुम अहेर कर कर के उड़ाती हो उन को मैं तुम्हारी बांह पर से छीन कर उन को छुड़ा दूंगा। 21. मैं तुम्हारे सिर के बुर्के को फाड़ कर अपनी प्रजा के लोगों को तुम्हारे हाथ से छुड़ाऊंगा, और आगे को वे तुम्हारे वश में न रहेंगे कि तुम उनका अहेर कर सको ; तब तुम जान लोगी कि मैं यहोवा हूँ। 22. तुम ने जो झूठ कह कर धमीं के मन को उदास किया है, यद्यपि मैं ने उसको उदास करना नहीं चाहा, और तुम ने दुष्ट जन को हियाव बन्धाया है, ताकि वह अपने बुरे मार्ग से न फिरे और जीवित रहे। 23. इस कारण तुम फिर न तो झूठा दर्शन देखोगी, और न भावी कहोगी; क्योंकि मैं अपनी प्रजा को तुम्हारे हाथ से छुड़ाऊंगा। तब तुम जान लोगी कि मैं यहोवा हूँ।
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