पवित्र बाइबिल

इंडियन रिवाइज्ड वर्शन (ISV)
1 कुरिन्थियों

1 कुरिन्थियों अध्याय 15

पौलुस का सुसमाचार और मसीह का पुनरुत्थान 1 हे भाइयों, मैं तुम्हें वही सुसमाचार बताता हूँ जो पहले सुना चुका हूँ, जिसे तुम ने अंगीकार भी किया था और जिसमें तुम स्थिर भी हो। 2 उसी के द्वारा तुम्हारा उद्धार भी होता है, यदि उस सुसमाचार को जो मैंने तुम्हें सुनाया था स्मरण रखते हो; नहीं तो तुम्हारा विश्वास करना व्यर्थ हुआ। 3 इसी कारण मैंने सबसे पहले तुम्हें वही बात पहुँचा दी, जो मुझे पहुँची थी, कि पवित्रशास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया*। 4 और गाड़ा गया; और पवित्रशास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा। (होशे 6:2) 5 और कैफा को तब बारहों को दिखाई दिया। 6 फिर पाँच सौ से अधिक भाइयों को एक साथ दिखाई दिया, जिनमें से बहुत सारे अब तक वर्तमान हैं पर कितने सो गए। 7 फिर याकूब को दिखाई दिया तब सब प्रेरितों को दिखाई दिया। 8 और सब के बाद मुझ को भी दिखाई दिया, जो मानो अधूरे दिनों का जन्मा हूँ। 9 क्योंकि मैं प्रेरितों में सबसे छोटा हूँ, वरन् प्रेरित कहलाने के योग्य भी नहीं, क्योंकि मैंने परमेश्‍वर की कलीसिया को सताया था। 10 परन्तु मैं जो कुछ भी हूँ, परमेश्‍वर के अनुग्रह से हूँ। और उसका अनुग्रह जो मुझ पर हुआ, वह व्यर्थ नहीं हुआ परन्तु मैंने उन सबसे बढ़कर परिश्रम भी किया तो भी यह मेरी ओर से नहीं हुआ परन्तु परमेश्‍वर के अनुग्रह से जो मुझ पर था। 11 इसलिए चाहे मैं हूँ, चाहे वे हों, हम यही प्रचार करते हैं, और इसी पर तुम ने विश्वास भी किया। मरे हुओ का पुनरुत्थान 12 अतः जब कि मसीह का यह प्रचार किया जाता है, कि वह मरे हुओं में से जी उठा, तो तुम में से कितने क्यों कहते हैं, कि मरे हुओं का पुनरुत्थान है ही नहीं? 13 यदि मरे हुओं का पुनरुत्थान ही नहीं, तो मसीह भी नहीं जी उठा। 14 और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो हमारा प्रचार करना भी व्यर्थ है; और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है। 15 वरन् हम परमेश्‍वर के झूठे गवाह ठहरे; क्योंकि हमने परमेश्‍वर के विषय में यह गवाही दी कि उसने मसीह को जिला दिया यद्यपि नहीं जिलाया, यदि मरे हुए नहीं जी उठते। 16 और यदि मुर्दे नहीं जी उठते, तो मसीह भी नहीं जी उठा। 17 और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो तुम्हारा विश्वास व्यर्थ है; और तुम अब तक अपने पापों में फँसे हो। 18 वरन् जो मसीह में सो गए हैं, वे भी नाश हुए। 19 यदि हम केवल इसी जीवन में मसीह से आशा रखते हैं तो हम सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं। 20 परन्तु सचमुच मसीह मुर्दों में से जी उठा है, और जो सो गए हैं, उनमें पहला फल हुआ। 21 क्योंकि जब मनुष्य के द्वारा मृत्यु आई*; तो मनुष्य ही के द्वारा मरे हुओं का पुनरुत्थान भी आया। 22 और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसा ही मसीह में सब जिलाए जाएँगे। 23 परन्तु हर एक अपनी-अपनी बारी से; पहला फल मसीह; फिर मसीह के आने पर उसके लोग। 24 इसके बाद अन्त होगा; उस समय वह सारी प्रधानता और सारा अधिकार और सामर्थ्य का अन्त करके राज्य को परमेश्‍वर पिता के हाथ में सौंप देगा। (दानि. 2:44) 25 क्योंकि जब तक कि वह अपने बैरियों को अपने पाँवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है। (भज. 110:1) 26 सबसे अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है*। 27 क्योंकि “परमेश्‍वर ने सब कुछ उसके पाँवों तले कर दिया है,” परन्तु जब वह कहता है कि सब कुछ उसके अधीन कर दिया गया है तो स्पष्ट है, कि जिस ने सब कुछ मसीह के अधीन कर दिया, वह आप अलग रहा। (भज. 8:6) 28 और जब सब कुछ उसके अधीन हो जाएगा, तो पुत्र आप भी उसके अधीन हो जाएगा जिस ने सब कुछ उसके अधीन कर दिया; ताकि सब में परमेश्‍वर ही सब कुछ हो। 29 नहीं तो जो लोग मरे हुओं के लिये बपतिस्मा लेते हैं, वे क्या करेंगे? यदि मुर्दे जी उठते ही नहीं तो फिर क्यों उनके लिये बपतिस्मा लेते हैं? 30 और हम भी क्यों हर घड़ी जोखिम में पड़े रहते हैं? 31 हे भाइयों, मुझे उस घमण्ड की शपथ जो हमारे मसीह यीशु में मैं तुम्हारे विषय में करता हूँ, कि मैं प्रतिदिन मरता हूँ। 32 यदि मैं मनुष्य की रीति पर इफिसुस में वन-पशुओं से लड़ा, तो मुझे क्या लाभ हुआ? यदि मुर्दे जिलाए नहीं जाएँगे, “तो आओ, खाएँ-पीएँ, क्योंकि कल तो मर ही जाएँगे।” (यशा. 22:13) 33 34 धोखा न खाना, “बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” 35 धार्मिकता के लिये जाग उठो और पाप न करो; क्योंकि कितने ऐसे हैं जो परमेश्‍वर को नहीं जानते, मैं तुम्हें लज्जित करने के लिये यह कहता हूँ। हमें कैसी देह मिलेगी? अब कोई यह कहेगा, “मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और किस देह के साथ आते हैं?” 36 हे निर्बुद्धि, जो कुछ तू बोता है, जब तक वह न मरे जिलाया नहीं जाता। 37 और जो तू बोता है, यह वह देह नहीं जो उत्‍पन्‍न होनेवाली है, परन्तु केवल दाना है, चाहे गेहूँ का, चाहे किसी और अनाज का। 38 परन्तु परमेश्‍वर अपनी इच्छा के अनुसार उसको देह देता है; और हर एक बीज को उसकी विशेष देह। (उत्प. 1:11) 39 सब शरीर एक समान नहीं, परन्तु मनुष्यों का शरीर और है, पशुओं का शरीर और है; पक्षियों का शरीर और है; मछलियों का शरीर और है। 40 स्वर्गीय देह है, और पार्थिव देह भी है: परन्तु स्वर्गीय देहों का तेज और हैं, और पार्थिव का और। 41 सूर्य का तेज और है, चाँद का तेज और है, और तारागणों का तेज और है, क्योंकि एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अन्तर है। 42 मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशवान दशा में बोया जाता है, और अविनाशी रूप में जी उठता है। 43 वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है; और सामर्थ्य के साथ जी उठता है। 44 स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है: जब कि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है। 45 ऐसा ही लिखा भी है, “प्रथम मनुष्य, अर्थात् आदम, जीवित प्राणी बना” और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना। 46 परन्तु पहले आत्मिक न था, पर स्वाभाविक था, इसके बाद आत्मिक हुआ। 47 प्रथम मनुष्य धरती से अर्थात् मिट्टी का था; दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है। (यूह. 3:31) 48 जैसा वह मिट्टी का था वैसे ही वे भी हैं जो मिट्टी के हैं; और जैसा वह स्वर्गीय है, वैसे ही वे भी स्वर्गीय हैं। 49 और जैसे हमने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे। (1 यूह. 3:2) 50 हे भाइयों, मैं यह कहता हूँ कि माँस और लहू परमेश्‍वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न नाशवान अविनाशी का अधिकारी हो सकता है। 51 देखो, मैं तुम से भेद की बात कहता हूँ: कि हम सब तो नहीं सोएँगे, परन्तु सब बदल जाएँगे। 52 और यह क्षण भर में, पलक मारते ही अन्तिम तुरही फूँकते ही होगा क्योंकि तुरही फूँकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जाएँगे, और हम बदल जाएँगे। 53 क्योंकि अवश्य है, कि वह नाशवान देह अविनाश को पहन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहन ले। 54 और जब यह नाशवान अविनाश को पहन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, “जय ने मृत्यु को निगल लिया। (यशा. 25:8) 55 हे मृत्यु तेरी जय कहाँ रहीं? हे मृत्यु तेरा डंक कहाँ रहा?” (होशे 13:14) 56 मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल व्यवस्था है। 57 परन्तु परमेश्‍वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है*। 58 इसलिए हे मेरे प्रिय भाइयों, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है। (गला. 6:9)
1. {#1पौलुस का सुसमाचार और मसीह का पुनरुत्थान } हे भाइयों, मैं तुम्हें वही सुसमाचार बताता हूँ जो पहले सुना चुका हूँ, जिसे तुम ने अंगीकार भी किया था और जिसमें तुम स्थिर भी हो। 2. उसी के द्वारा तुम्हारा उद्धार भी होता है, यदि उस सुसमाचार को जो मैंने तुम्हें सुनाया था स्मरण रखते हो; नहीं तो तुम्हारा विश्वास करना व्यर्थ हुआ। 3. इसी कारण मैंने सबसे पहले तुम्हें वही बात पहुँचा दी, जो मुझे पहुँची थी, कि पवित्रशास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया*। 4. और गाड़ा गया; और पवित्रशास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा। (होशे 6:2) 5. और कैफा को तब बारहों को दिखाई दिया। 6. फिर पाँच सौ से अधिक भाइयों को एक साथ दिखाई दिया, जिनमें से बहुत सारे अब तक वर्तमान हैं पर कितने सो गए। 7. फिर याकूब को दिखाई दिया तब सब प्रेरितों को दिखाई दिया। 8. और सब के बाद मुझ को भी दिखाई दिया, जो मानो अधूरे दिनों का जन्मा हूँ। 9. क्योंकि मैं प्रेरितों में सबसे छोटा हूँ, वरन् प्रेरित कहलाने के योग्य भी नहीं, क्योंकि मैंने परमेश्‍वर की कलीसिया को सताया था। 10. परन्तु मैं जो कुछ भी हूँ, परमेश्‍वर के अनुग्रह से हूँ। और उसका अनुग्रह जो मुझ पर हुआ, वह व्यर्थ नहीं हुआ परन्तु मैंने उन सबसे बढ़कर परिश्रम भी किया तो भी यह मेरी ओर से नहीं हुआ परन्तु परमेश्‍वर के अनुग्रह से जो मुझ पर था। 11. इसलिए चाहे मैं हूँ, चाहे वे हों, हम यही प्रचार करते हैं, और इसी पर तुम ने विश्वास भी किया। 12. {#1मरे हुओ का पुनरुत्थान } अतः जब कि मसीह का यह प्रचार किया जाता है, कि वह मरे हुओं में से जी उठा, तो तुम में से कितने क्यों कहते हैं, कि मरे हुओं का पुनरुत्थान है ही नहीं? 13. यदि मरे हुओं का पुनरुत्थान ही नहीं, तो मसीह भी नहीं जी उठा। 14. और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो हमारा प्रचार करना भी व्यर्थ है; और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है। 15. वरन् हम परमेश्‍वर के झूठे गवाह ठहरे; क्योंकि हमने परमेश्‍वर के विषय में यह गवाही दी कि उसने मसीह को जिला दिया यद्यपि नहीं जिलाया, यदि मरे हुए नहीं जी उठते। 16. और यदि मुर्दे नहीं जी उठते, तो मसीह भी नहीं जी उठा। 17. और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो तुम्हारा विश्वास व्यर्थ है; और तुम अब तक अपने पापों में फँसे हो। 18. वरन् जो मसीह में सो गए हैं, वे भी नाश हुए। 19. यदि हम केवल इसी जीवन में मसीह से आशा रखते हैं तो हम सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं। 20. परन्तु सचमुच मसीह मुर्दों में से जी उठा है, और जो सो गए हैं, उनमें पहला फल हुआ। 21. क्योंकि जब मनुष्य के द्वारा मृत्यु आई*; तो मनुष्य ही के द्वारा मरे हुओं का पुनरुत्थान भी आया। 22. और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसा ही मसीह में सब जिलाए जाएँगे। 23. परन्तु हर एक अपनी-अपनी बारी से; पहला फल मसीह; फिर मसीह के आने पर उसके लोग। 24. इसके बाद अन्त होगा; उस समय वह सारी प्रधानता और सारा अधिकार और सामर्थ्य का अन्त करके राज्य को परमेश्‍वर पिता के हाथ में सौंप देगा। (दानि. 2:44) 25. क्योंकि जब तक कि वह अपने बैरियों को अपने पाँवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है। (भज. 110:1) 26. सबसे अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है*। 27. क्योंकि “परमेश्‍वर ने सब कुछ उसके पाँवों तले कर दिया है,” परन्तु जब वह कहता है कि सब कुछ उसके अधीन कर दिया गया है तो स्पष्ट है, कि जिस ने सब कुछ मसीह के अधीन कर दिया, वह आप अलग रहा। (भज. 8:6) 28. और जब सब कुछ उसके अधीन हो जाएगा, तो पुत्र आप भी उसके अधीन हो जाएगा जिस ने सब कुछ उसके अधीन कर दिया; ताकि सब में परमेश्‍वर ही सब कुछ हो। 29. नहीं तो जो लोग मरे हुओं के लिये बपतिस्मा लेते हैं, वे क्या करेंगे? यदि मुर्दे जी उठते ही नहीं तो फिर क्यों उनके लिये बपतिस्मा लेते हैं? 30. और हम भी क्यों हर घड़ी जोखिम में पड़े रहते हैं? 31. हे भाइयों, मुझे उस घमण्ड की शपथ जो हमारे मसीह यीशु में मैं तुम्हारे विषय में करता हूँ, कि मैं प्रतिदिन मरता हूँ। 32. यदि मैं मनुष्य की रीति पर इफिसुस में वन-पशुओं से लड़ा, तो मुझे क्या लाभ हुआ? यदि मुर्दे जिलाए नहीं जाएँगे, “तो आओ, खाएँ-पीएँ, क्योंकि कल तो मर ही जाएँगे।” (यशा. 22:13) 33. 34. धोखा न खाना, “बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” 35. धार्मिकता के लिये जाग उठो और पाप न करो; क्योंकि कितने ऐसे हैं जो परमेश्‍वर को नहीं जानते, मैं तुम्हें लज्जित करने के लिये यह कहता हूँ। {#1हमें कैसी देह मिलेगी? } अब कोई यह कहेगा, “मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और किस देह के साथ आते हैं?” 36. हे निर्बुद्धि, जो कुछ तू बोता है, जब तक वह न मरे जिलाया नहीं जाता। 37. और जो तू बोता है, यह वह देह नहीं जो उत्‍पन्‍न होनेवाली है, परन्तु केवल दाना है, चाहे गेहूँ का, चाहे किसी और अनाज का। 38. परन्तु परमेश्‍वर अपनी इच्छा के अनुसार उसको देह देता है; और हर एक बीज को उसकी विशेष देह। (उत्प. 1:11) 39. सब शरीर एक समान नहीं, परन्तु मनुष्यों का शरीर और है, पशुओं का शरीर और है; पक्षियों का शरीर और है; मछलियों का शरीर और है। 40. स्वर्गीय देह है, और पार्थिव देह भी है: परन्तु स्वर्गीय देहों का तेज और हैं, और पार्थिव का और। 41. सूर्य का तेज और है, चाँद का तेज और है, और तारागणों का तेज और है, क्योंकि एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अन्तर है। 42. मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशवान दशा में बोया जाता है, और अविनाशी रूप में जी उठता है। 43. वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है; और सामर्थ्य के साथ जी उठता है। 44. स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है: जब कि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है। 45. ऐसा ही लिखा भी है, “प्रथम मनुष्य, अर्थात् आदम, जीवित प्राणी बना” और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना। 46. परन्तु पहले आत्मिक न था, पर स्वाभाविक था, इसके बाद आत्मिक हुआ। 47. प्रथम मनुष्य धरती से अर्थात् मिट्टी का था; दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है। (यूह. 3:31) 48. जैसा वह मिट्टी का था वैसे ही वे भी हैं जो मिट्टी के हैं; और जैसा वह स्वर्गीय है, वैसे ही वे भी स्वर्गीय हैं। 49. और जैसे हमने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे। (1 यूह. 3:2) 50. हे भाइयों, मैं यह कहता हूँ कि माँस और लहू परमेश्‍वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न नाशवान अविनाशी का अधिकारी हो सकता है। 51. देखो, मैं तुम से भेद की बात कहता हूँ: कि हम सब तो नहीं सोएँगे, परन्तु सब बदल जाएँगे। 52. और यह क्षण भर में, पलक मारते ही अन्तिम तुरही फूँकते ही होगा क्योंकि तुरही फूँकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जाएँगे, और हम बदल जाएँगे। 53. क्योंकि अवश्य है, कि वह नाशवान देह अविनाश को पहन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहन ले। 54. और जब यह नाशवान अविनाश को पहन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, “जय ने मृत्यु को निगल लिया। (यशा. 25:8) 55. हे मृत्यु तेरी जय कहाँ रहीं? हे मृत्यु तेरा डंक कहाँ रहा?” (होशे 13:14) 56. मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल व्यवस्था है। 57. परन्तु परमेश्‍वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है*। 58. इसलिए हे मेरे प्रिय भाइयों, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है। (गला. 6:9)
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