पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यशायाह

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यशायाह अध्याय 31

1. हाय उन पर जो सहायता पाने के लिये मिस्र को जाते हैं और घोड़ों का आसरा करते हैं; जो रथों पर भरोसा रखते क्योंकि वे बहुत हैं, और सवारों पर, क्योंकि वे अति बलवान हैं, पर इस्राएल के पवित्र की ओर दृष्टि नहीं करते और न यहोवा की खोज करते हैं! 2. परन्तु वह भी बुद्धिमान है और दु:ख देगा, वह अपने वचन न टालेगा, परन्तु उठ कर कुकमिर्यों के घराने पर और अनर्थकारियों के सहायकों पर भी चढ़ाई करेगा। 3. मिस्री लोग ईश्वर नहीं, मनुष्य ही हैं; और उनके घोड़े आत्मा नहीं, मांस ही हैं। जब यहोवा हाथ बढ़ाएगा, तब सहायता करने वाले और सहायता चाहने वाले दोनों ठोकर खाकर गिरेंगे, और वे सब के सब एक संग नष्ट हो जाएंगे। 4. फिर यहोवा ने मुझ से यों कहा, जिस प्रकार सिंह वा जवान सिंह जब अपने अहेर पर गुर्राता हो, और चरवाहे इकट्ठे हो कर उसके विरुद्ध बड़ी भीड़ लगाएं, तौभी वह उनके बोल से न घबराएगा और न उनके कोलाहल के कारण दबेगा, उसी प्रकार सेनाओं का यहोवा, सिय्योन पर्वत और यरूशलेम की पहाड़ी पर, युद्ध करने को उतरेगा। 5. पंख फैलाई हुई चिडिय़ों की नाईं सेनाओं का यहोवा यरूशलेम की रक्षा करेगा; वह उसकी रक्षा कर के बचाएगा, और उसको बिन छूए ही उद्धार करेगा॥ 6. हे इस्राएलियों, जिसके विरुद्ध तुम ने भारी बलवा किया है, उसी की ओर फिरो। 7. उस समय तुम लोग सोने चान्दी की अपनी अपनी मूतिर्यों से जिन्हें तुम बनाकर पापी हो गए हो घृणा करोगे। 8. तब अश्शूर उस तलवार से गिराया जाएगा जो मनुष्य की नहीं; वह उस तलवार का कौर हो जाएगा जो आदमी की नहीं; और वह तलवार के साम्हने से भागेगा और उसके जवान बेगार में पकड़े जाएंगे। 9. वह भय के मारे अपने सुन्दर भवन से जाता रहेगा, और उसके हाकिम घबराहट के कारण ध्वजा त्याग कर भाग जाएंगे, यहोवा जिस की अग्नि सिय्योन में और जिसका भट्ठा यरूशेलम में हैं, उसी की यह वाणी है॥
1. हाय उन पर जो सहायता पाने के लिये मिस्र को जाते हैं और घोड़ों का आसरा करते हैं; जो रथों पर भरोसा रखते क्योंकि वे बहुत हैं, और सवारों पर, क्योंकि वे अति बलवान हैं, पर इस्राएल के पवित्र की ओर दृष्टि नहीं करते और न यहोवा की खोज करते हैं! .::. 2. परन्तु वह भी बुद्धिमान है और दु:ख देगा, वह अपने वचन न टालेगा, परन्तु उठ कर कुकमिर्यों के घराने पर और अनर्थकारियों के सहायकों पर भी चढ़ाई करेगा। .::. 3. मिस्री लोग ईश्वर नहीं, मनुष्य ही हैं; और उनके घोड़े आत्मा नहीं, मांस ही हैं। जब यहोवा हाथ बढ़ाएगा, तब सहायता करने वाले और सहायता चाहने वाले दोनों ठोकर खाकर गिरेंगे, और वे सब के सब एक संग नष्ट हो जाएंगे। .::. 4. फिर यहोवा ने मुझ से यों कहा, जिस प्रकार सिंह वा जवान सिंह जब अपने अहेर पर गुर्राता हो, और चरवाहे इकट्ठे हो कर उसके विरुद्ध बड़ी भीड़ लगाएं, तौभी वह उनके बोल से न घबराएगा और न उनके कोलाहल के कारण दबेगा, उसी प्रकार सेनाओं का यहोवा, सिय्योन पर्वत और यरूशलेम की पहाड़ी पर, युद्ध करने को उतरेगा। .::. 5. पंख फैलाई हुई चिडिय़ों की नाईं सेनाओं का यहोवा यरूशलेम की रक्षा करेगा; वह उसकी रक्षा कर के बचाएगा, और उसको बिन छूए ही उद्धार करेगा॥ .::. 6. हे इस्राएलियों, जिसके विरुद्ध तुम ने भारी बलवा किया है, उसी की ओर फिरो। .::. 7. उस समय तुम लोग सोने चान्दी की अपनी अपनी मूतिर्यों से जिन्हें तुम बनाकर पापी हो गए हो घृणा करोगे। .::. 8. तब अश्शूर उस तलवार से गिराया जाएगा जो मनुष्य की नहीं; वह उस तलवार का कौर हो जाएगा जो आदमी की नहीं; और वह तलवार के साम्हने से भागेगा और उसके जवान बेगार में पकड़े जाएंगे। .::. 9. वह भय के मारे अपने सुन्दर भवन से जाता रहेगा, और उसके हाकिम घबराहट के कारण ध्वजा त्याग कर भाग जाएंगे, यहोवा जिस की अग्नि सिय्योन में और जिसका भट्ठा यरूशेलम में हैं, उसी की यह वाणी है॥
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