पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
अय्यूब

अय्यूब अध्याय 17

1 मेरा प्राण नाश हुआ चाहता है, मेरे दिन पूरे हो चुके हैं; मेरे लिये कब्र तैयार है। 2 निश्चय जो मेरे संग हैं वह ठट्ठा करने वाले हैं, और उनका झगड़ा रगड़ा मुझे लगातार दिखाई देता है। 3 जमानत दे अपने और मेरे बीच में तू ही जामिन हो; कौन है जो मेरे हाथ पर हाथ मारे? 4 तू ने इनका मन समझने से रोका है, इस कारण तू इन को प्रबल न करेगा। 5 जो अपने मित्रों को चुगली खाकर लुटा देता, उसके लड़कों की आंखें रह जाएंगी। 6 उसने ऐसा किया कि सब लोग मेरी उपमा देते हैं; और लोग मेरे मुंह पर थूकते हैं। 7 खेद के मारे मेरी आंखों में घुंघलापन छा गया है, और मेरे सब अंग छाया की नाईं हो गए हैं। 8 इसे देखकर सीधे लोग चकित होते हैं, और जो निर्दोष हैं, वह भक्तिहीन के विरुद्ध उभरते हैं। 9 तौभी धमीं लोग अपना मार्ग पकड़े रहेंगे, और शुद्ध काम करने वाले सामर्थ्य पर सामर्थ्य पाते जाएंगे। 10 तुम सब के सब मेरे पास आओ तो आओ, परन्तु मुझे तुम लोगों में एक भी बुद्धिमान न मिलेगा। 11 मेरे दिन तो बीत चुके, और मेरी मनसाएं मिट गई, और जो मेरे मन में था, वह नाश हुआ है। 12 वे रात को दिन ठहराते; वे कहते हैं, अन्धियारे के निकट उजियाला है। 13 यदि मेरी आशा यह हो कि अधोलोक मेरा धाम होगा, यदि मैं ने अन्धियारे में अपना बिछौना बिछा लिया है, 14 यदि मैं ने सड़ाहट से कहा कि तू मेरा पिता है, और कीड़े से, कि तू मेरी मां, और मेरी बहिन है, 15 तो मेरी आशा कहां रही? और मेरी आशा किस के देखने में आएगी? 16 वह तो अधोलोक में उतर जाएगी, और उस समेत मुझे भी मिट्टी में विश्राम मिलेगा।
1 मेरा प्राण नाश हुआ चाहता है, मेरे दिन पूरे हो चुके हैं; मेरे लिये कब्र तैयार है। .::. 2 निश्चय जो मेरे संग हैं वह ठट्ठा करने वाले हैं, और उनका झगड़ा रगड़ा मुझे लगातार दिखाई देता है। .::. 3 जमानत दे अपने और मेरे बीच में तू ही जामिन हो; कौन है जो मेरे हाथ पर हाथ मारे? .::. 4 तू ने इनका मन समझने से रोका है, इस कारण तू इन को प्रबल न करेगा। .::. 5 जो अपने मित्रों को चुगली खाकर लुटा देता, उसके लड़कों की आंखें रह जाएंगी। .::. 6 उसने ऐसा किया कि सब लोग मेरी उपमा देते हैं; और लोग मेरे मुंह पर थूकते हैं। .::. 7 खेद के मारे मेरी आंखों में घुंघलापन छा गया है, और मेरे सब अंग छाया की नाईं हो गए हैं। .::. 8 इसे देखकर सीधे लोग चकित होते हैं, और जो निर्दोष हैं, वह भक्तिहीन के विरुद्ध उभरते हैं। .::. 9 तौभी धमीं लोग अपना मार्ग पकड़े रहेंगे, और शुद्ध काम करने वाले सामर्थ्य पर सामर्थ्य पाते जाएंगे। .::. 10 तुम सब के सब मेरे पास आओ तो आओ, परन्तु मुझे तुम लोगों में एक भी बुद्धिमान न मिलेगा। .::. 11 मेरे दिन तो बीत चुके, और मेरी मनसाएं मिट गई, और जो मेरे मन में था, वह नाश हुआ है। .::. 12 वे रात को दिन ठहराते; वे कहते हैं, अन्धियारे के निकट उजियाला है। .::. 13 यदि मेरी आशा यह हो कि अधोलोक मेरा धाम होगा, यदि मैं ने अन्धियारे में अपना बिछौना बिछा लिया है, .::. 14 यदि मैं ने सड़ाहट से कहा कि तू मेरा पिता है, और कीड़े से, कि तू मेरी मां, और मेरी बहिन है, .::. 15 तो मेरी आशा कहां रही? और मेरी आशा किस के देखने में आएगी? .::. 16 वह तो अधोलोक में उतर जाएगी, और उस समेत मुझे भी मिट्टी में विश्राम मिलेगा।
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