पवित्र बाइबिल

बाइबल सोसाइटी ऑफ इंडिया (BSI)
होशे

होशे अध्याय 7

1 जब मैं इस्राएल को चंगा करता हूं तब एप्रैम का अधर्म और शोमरोन की बुराइयां प्रगट हो जाती हैं; वे छल से काम करते हैं, चोर भीतर घुसता, और डाकुओं का दल बाहर छीन लेता है। 2 तौभी वे नहीं सोचते कि यहोवा हमारी सारी बुराई को स्मरण रखता है। इसलिये अब वे अपने कामों के जाल में फसेंगे, क्योंकि उनके कार्य मेरी दृष्टि में बने हैं। 3 वे राजा को बुराई करने से, और हाकिमों को झूठ बोलने से आनन्दित करते हैं। 4 वे सब के सब व्यभिचारी हैं; वे उस तन्दूर के समान हैं जिस को पकाने वाला गर्म करता है, पर जब तक आटा गूंधा नहीं जाता और खमीर से फूल नहीं चुकता, तब तक वह आग को नहीं उकसाता। 5 हमारे राजा के जन्म दिन में हाकिम दाखमधु पीकर चूर हुए; उसने ठट्ठा करने वालों से अपना हाथ मिलाया। 6 जब तक वे घात लगाए रहते हैं, तब तक वे अपना मन तन्दूर की नाईं तैयार किए रहते हैं; उन का पकाने वाला रात भर सोता रहता है; वह भोर को तन्दूर की धधकती लौ के समान लाल हो जाता है। 7 वे सब के सब तन्दूर की नाईं धधकते, और अपने न्यायियों को भस्म करते हैं। उनके सब राजा मारे गए हैं; और उन में से कोई मेरी दोहाई नहीं देता है॥ 8 एप्रैम देश देश के लोगों से मिलाजुला रहता है; एप्रैम ऐसी चपाती ठहरा है जो उलटी न गई हो। 9 परदेशियों ने उसका बल तोड़ डाला, परन्तु वह इसे नहीं जानता; उसके सिर में कहीं कहीं पके बाल हैं, परन्तु वह इसे भी नहीं जानता। 10 इस्राएल का गर्व उसी के विरुद्ध साक्षी देता है; इन सब बातों के रहते हुए भी वे अपने परमेश्वर यहोवा की ओर नहीं फिरे, और न उसको ढूंढ़ा है॥ 11 एप्रैम एक भोली पण्डुकी के समान हो गया है जिस के कुछ बुद्धि नहीं; वे मिस्रियों की दोहाई देते, और अश्शूर को चले जाते हैं। 12 जब वे जाएं, तब उनके ऊपर मैं अपना जाल फैलाऊंगा; मैं उन्हें ऐसा खींच लूंगा जैसे आकाश के पक्षी खींचे जाते हैं; मैं उन को ऐसी ताड़ना दूंगा, जैसी उनकी मण्डली सुन चुकी है। 13 उन पर हाय, क्योंकि वे मेरे पास से भटक गए! उनका सत्यानाश होए, क्योंकि उन्होंने मुझ से बलवा किया है! मैं तो उन्हें छुड़ाता रहा, परन्तु वे मुझ से झूठ बोलते आए हैं॥ 14 वे मन से मेरी दोहाई नहीं देते, परन्तु अपने बिछौने पर पड़े हुए हाय, हाय, करते हैं; वे अन्न और नये दाखमधु पाने के लिये भीड़ लगाते, और मुझ से बलवा करते हैं। 15 मैं उन को शिक्षा देता रहा और उनकी भुजाओं को बलवन्त करता आया हूं, तौभी वे मेरे विरुद्ध बुरी कल्पना करते हैं। 16 वे फिरते तो हैं, परन्तु परमप्रधान की ओर नहीं; वे धोखा देने वाले धनुष के समान हैं; इसलिये उनके हाकिम अपनी क्रोधभरी बातों के कारण तलवार से मारे जाएंगे। मिस्र देश में उनके ठट्ठों में उड़ाए जाने का यही कारण होगा॥
1. जब मैं इस्राएल को चंगा करता हूं तब एप्रैम का अधर्म और शोमरोन की बुराइयां प्रगट हो जाती हैं; वे छल से काम करते हैं, चोर भीतर घुसता, और डाकुओं का दल बाहर छीन लेता है। 2. तौभी वे नहीं सोचते कि यहोवा हमारी सारी बुराई को स्मरण रखता है। इसलिये अब वे अपने कामों के जाल में फसेंगे, क्योंकि उनके कार्य मेरी दृष्टि में बने हैं। 3. वे राजा को बुराई करने से, और हाकिमों को झूठ बोलने से आनन्दित करते हैं। 4. वे सब के सब व्यभिचारी हैं; वे उस तन्दूर के समान हैं जिस को पकाने वाला गर्म करता है, पर जब तक आटा गूंधा नहीं जाता और खमीर से फूल नहीं चुकता, तब तक वह आग को नहीं उकसाता। 5. हमारे राजा के जन्म दिन में हाकिम दाखमधु पीकर चूर हुए; उसने ठट्ठा करने वालों से अपना हाथ मिलाया। 6. जब तक वे घात लगाए रहते हैं, तब तक वे अपना मन तन्दूर की नाईं तैयार किए रहते हैं; उन का पकाने वाला रात भर सोता रहता है; वह भोर को तन्दूर की धधकती लौ के समान लाल हो जाता है। 7. वे सब के सब तन्दूर की नाईं धधकते, और अपने न्यायियों को भस्म करते हैं। उनके सब राजा मारे गए हैं; और उन में से कोई मेरी दोहाई नहीं देता है॥ 8. एप्रैम देश देश के लोगों से मिलाजुला रहता है; एप्रैम ऐसी चपाती ठहरा है जो उलटी न गई हो। 9. परदेशियों ने उसका बल तोड़ डाला, परन्तु वह इसे नहीं जानता; उसके सिर में कहीं कहीं पके बाल हैं, परन्तु वह इसे भी नहीं जानता। 10. इस्राएल का गर्व उसी के विरुद्ध साक्षी देता है; इन सब बातों के रहते हुए भी वे अपने परमेश्वर यहोवा की ओर नहीं फिरे, और न उसको ढूंढ़ा है॥ 11. एप्रैम एक भोली पण्डुकी के समान हो गया है जिस के कुछ बुद्धि नहीं; वे मिस्रियों की दोहाई देते, और अश्शूर को चले जाते हैं। 12. जब वे जाएं, तब उनके ऊपर मैं अपना जाल फैलाऊंगा; मैं उन्हें ऐसा खींच लूंगा जैसे आकाश के पक्षी खींचे जाते हैं; मैं उन को ऐसी ताड़ना दूंगा, जैसी उनकी मण्डली सुन चुकी है। 13. उन पर हाय, क्योंकि वे मेरे पास से भटक गए! उनका सत्यानाश होए, क्योंकि उन्होंने मुझ से बलवा किया है! मैं तो उन्हें छुड़ाता रहा, परन्तु वे मुझ से झूठ बोलते आए हैं॥ 14. वे मन से मेरी दोहाई नहीं देते, परन्तु अपने बिछौने पर पड़े हुए हाय, हाय, करते हैं; वे अन्न और नये दाखमधु पाने के लिये भीड़ लगाते, और मुझ से बलवा करते हैं। 15. मैं उन को शिक्षा देता रहा और उनकी भुजाओं को बलवन्त करता आया हूं, तौभी वे मेरे विरुद्ध बुरी कल्पना करते हैं। 16. वे फिरते तो हैं, परन्तु परमप्रधान की ओर नहीं; वे धोखा देने वाले धनुष के समान हैं; इसलिये उनके हाकिम अपनी क्रोधभरी बातों के कारण तलवार से मारे जाएंगे। मिस्र देश में उनके ठट्ठों में उड़ाए जाने का यही कारण होगा॥
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