पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
इब्रानियों

इब्रानियों अध्याय 5

1 हर एक महापुरोहित मनुष्यों में से चुना जाता है और मनुष्यों के ही लिए परमेश्वर से संबंधित संस्कारों के लिए चुना जाता है कि पापों के लिए भेंट तथा बलि दोनों चढ़ाया करे. 2 उसमें अज्ञानों तथा भूले-भटकों के साथ नम्र व्यवहार करने की क्षमता होती है क्योंकि वह स्वयं भी निर्बलताओं के अधीन है. 3 इसलिये यह आवश्यक हो जाता है कि वह पापों के लिए बलि चढ़ाया करे—लोगों के लिए तथा स्वयं अपने लिए. 4 किसी भी व्यक्ति को यह सम्मान अपनी कोशिश से नहीं परंतु परमेश्वर की बुलाहट द्वारा प्राप्‍त होती है, जैसे हारोन को. 5 इसी प्रकार मसीह ने भी महापुरोहित के पद पर बैठने के लिए स्वयं को ऊंचा नहीं किया परंतु उन्होंने, जिन्होंने उनसे यह कहा, “तुम मेरे पुत्र हो; आज मैं तुम्हारा पिता हुआ हूं.”* स्तोत्र 2:7 6 जैसा उन्होंने दूसरी जगह भी कहा है, “तुम मेलखीज़ेदेक की शृंखला में, एक अनंत काल के पुरोहित हो.” स्तोत्र 110:4 7 अपने देह में रहने के समय में उन्होंने ऊंचे शब्द में रोते हुए, आंसुओं के साथ उनके सामने प्रार्थनाएं और विनती की, जो उन्हें मृत्यु से बचा सकते थे, उनकी परमेश्वर में भक्ति के कारण उनकी प्रार्थनाएं स्वीकार की गई. 8 पुत्र होने पर भी, उन्होंने अपने दुःख उठाने से आज्ञा मानने की शिक्षा ली. 9 फिर, सिद्ध घोषित किए जाने के बाद वह स्वयं उन सबके लिए, जो उनकी आज्ञाओं का पालन करते हैं, अनंत काल उद्धार का कारण बन गए; 10 क्योंकि वह परमेश्वर द्वारा मेलखीज़ेदेक की श्रृंखला के महापुरोहित चुने गए थे. शिक्षा में अपेक्षित प्रगति 11 हमारे पास इस विषय में कहने के लिए बहुत कुछ है तथा इसका वर्णन करना भी कठिन काम है क्योंकि तुम अपनी सुनने की क्षमता खो बैठे हो. 12 समय के अनुसार तो तुम्हें अब तक शिक्षक बन जाना चाहिए था किंतु अब आवश्यक यह हो गया है कि कोई तुम्हें दोबारा परमेश्वर के ईश्वरीय वचनों के शुरू के सिद्धांतों की शिक्षा दे. तुम्हें ठोस आहार नहीं, दूध की ज़रूरत हो गई है! 13 वह जो मात्र दूध का सेवन करता है, धार्मिकता की शिक्षा से अपरिचित है, क्योंकि वह शिशु है. 14 ठोस आहार सयानों के लिए होता है, जिन्होंने लगातार अभ्यास के द्वारा अपनी ज्ञानेन्द्रियों को इसके प्रति निपुण बना लिया है कि क्या सही है और क्या गलत.
1 हर एक महापुरोहित मनुष्यों में से चुना जाता है और मनुष्यों के ही लिए परमेश्वर से संबंधित संस्कारों के लिए चुना जाता है कि पापों के लिए भेंट तथा बलि दोनों चढ़ाया करे. .::. 2 उसमें अज्ञानों तथा भूले-भटकों के साथ नम्र व्यवहार करने की क्षमता होती है क्योंकि वह स्वयं भी निर्बलताओं के अधीन है. .::. 3 इसलिये यह आवश्यक हो जाता है कि वह पापों के लिए बलि चढ़ाया करे—लोगों के लिए तथा स्वयं अपने लिए. .::. 4 किसी भी व्यक्ति को यह सम्मान अपनी कोशिश से नहीं परंतु परमेश्वर की बुलाहट द्वारा प्राप्‍त होती है, जैसे हारोन को. .::. 5 इसी प्रकार मसीह ने भी महापुरोहित के पद पर बैठने के लिए स्वयं को ऊंचा नहीं किया परंतु उन्होंने, जिन्होंने उनसे यह कहा, “तुम मेरे पुत्र हो; आज मैं तुम्हारा पिता हुआ हूं.”* स्तोत्र 2:7 .::. 6 जैसा उन्होंने दूसरी जगह भी कहा है, “तुम मेलखीज़ेदेक की शृंखला में, एक अनंत काल के पुरोहित हो.” स्तोत्र 110:4 .::. 7 अपने देह में रहने के समय में उन्होंने ऊंचे शब्द में रोते हुए, आंसुओं के साथ उनके सामने प्रार्थनाएं और विनती की, जो उन्हें मृत्यु से बचा सकते थे, उनकी परमेश्वर में भक्ति के कारण उनकी प्रार्थनाएं स्वीकार की गई. .::. 8 पुत्र होने पर भी, उन्होंने अपने दुःख उठाने से आज्ञा मानने की शिक्षा ली. .::. 9 फिर, सिद्ध घोषित किए जाने के बाद वह स्वयं उन सबके लिए, जो उनकी आज्ञाओं का पालन करते हैं, अनंत काल उद्धार का कारण बन गए; .::. 10 क्योंकि वह परमेश्वर द्वारा मेलखीज़ेदेक की श्रृंखला के महापुरोहित चुने गए थे. .::. शिक्षा में अपेक्षित प्रगति 11 हमारे पास इस विषय में कहने के लिए बहुत कुछ है तथा इसका वर्णन करना भी कठिन काम है क्योंकि तुम अपनी सुनने की क्षमता खो बैठे हो. .::. 12 समय के अनुसार तो तुम्हें अब तक शिक्षक बन जाना चाहिए था किंतु अब आवश्यक यह हो गया है कि कोई तुम्हें दोबारा परमेश्वर के ईश्वरीय वचनों के शुरू के सिद्धांतों की शिक्षा दे. तुम्हें ठोस आहार नहीं, दूध की ज़रूरत हो गई है! .::. 13 वह जो मात्र दूध का सेवन करता है, धार्मिकता की शिक्षा से अपरिचित है, क्योंकि वह शिशु है. .::. 14 ठोस आहार सयानों के लिए होता है, जिन्होंने लगातार अभ्यास के द्वारा अपनी ज्ञानेन्द्रियों को इसके प्रति निपुण बना लिया है कि क्या सही है और क्या गलत.
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