पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
न्यायियों

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न्यायियों अध्याय 21

1. इस्राएली पुरूषों ने तो मिस्पा में शपथ खाकर कहा था, कि हम में कोई अपनी बेटी किसी बिन्यामीनी को न ब्याह देगा। 2. वे बेतेल को जा कर सांझ तक परमेश्वर के साम्हने बैठे रहे, और फूट फूटकर बहुत रोते रहे। 3. और कहते थे, हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, इस्राएल में ऐसा क्यों होने पाया, कि आज इस्राएल में एक गोत्र की घटी हुई है? 4. फिर दूसरे दिन उन्होंने सवेरे उठ वहां वेदी बनाकर होमबलि और मेलबलि चढ़ाए। 5. तब इस्राएली पूछने लगे, इस्राएल के सारे गोत्रों में से कौन है जो यहोवा के पास सभा में न आया था? उन्होंने तो भारी शपथ खाकर कहा था, कि जो कोई मिस्पा को यहोवा के पास न आए वह निश्चय मार डाला जाएगा। 6. तब इस्राएली अपने भाई बिन्यामीन के विषय में यह कहकर पछताने लगे, कि आज इस्राएल में से एक गोत्र कट गया है। 7. हम ने जो यहोवा की शपथ खाकर कहा है, कि हम उन्हें अपनी किसी बेटी को न ब्याह देंगे, इसलिये बचे हुओं को स्त्रियां मिलने के लिये क्या करें? 8. जब उन्होंने यह पूछा, कि इस्राएल के गोत्रों में से कौन है जो मिस्पा को यहोवा के पास न आया था? तब यह मालूम हुआ, कि गिलादी यावेश से कोई छावनी में सभा को न आया था। 9. अर्थात जब लोगों की गिनती की गई, तब यह जाना गया कि गिलादी यावेश के निवासियों में से कोई यहां नहीं है। 10. इसलिये मण्डली ने बारह हजार शूरवीरों को वहां यह आज्ञा देकर भेज दिया, कि तुम जा कर स्त्रियों और बालबच्चों समेत गिलादी यावेश को तलवार से नाश करो। 11. और तुम्हें जो करना होगा वह यह है, कि सब पुरूषों को और जितनी स्त्रियों ने पुरूष का मुंह देखा हो उन को सत्यानाश कर डालना। 12. और उन्हें गिलादी यावेश के निवासियों में से चार सौ जवान कुमारियां मिलीं जिन्होंने पुरूष का मुंह नहीं देखा था; और उन्हें वे शीलो को जो कनान देश में है छावनी में ले आए॥ 13. तब सारी मण्डली ने उन बिन्यामीनियों के पास जो रिम्मोन नाम चट्टान पर थे कहला भेजा, और उन से संधि का प्रचार कराया। 14. तब बिन्यामीन उसी समय लौट गए; और उन को वे स्त्रियां दी गईं जो गिलादी यावेश की स्त्रियों में से जीवित छोड़ी गईं थीं; तौभी वे उनके लिये थोड़ी थीं। 15. तब लोग बिन्यामीन के विषय फिर यह कहके पछताथे, कि यहोवा ने इस्राएल के गोत्रों में घटी की है। 16. तब मण्डली के वृद्ध गोत्रों ने कहा, कि बिन्यामीनी स्त्रियां जो नाश हुई हैं, तो बचे हुए पुरूषों के लिये स्त्री पाने का हम क्या उपाय करें? 17. फिर उन्होंने कहा, बचे हुए बिन्यामीनियों के लिये कोई भाग चाहिये, ऐसा न हो कि इस्राएल में से एक गोत्र मिट जाए। 18. परन्तु हम तो अपनी किसी बेटी को उन्हें ब्याह नहीं दे सकते, क्योंकि इस्राएलियों ने यह कहकर शपथ खाई है कि शापित हो वह जो किसी बिन्यामीनी को अपनी लड़की ब्याह दे। 19. फिर उन्होंने कहा, सुनो, शीलो जो बेतेल की उत्तर ओर, और उस सड़क की पूर्व ओर है जो बेतेल से शकेन को चली गई है, और लाबोना की दक्खिन ओर है, उस में प्रति वर्ष यहोवा का एक पर्व माना जाता है। 20. इसलिये उन्होंने बिन्यामीनियों को यह आज्ञा दी, कि तुम जा कर दाख की बारियों के बीच घात लगाए बैठे रहो, 21. और देखते रहो; और यदि शीलो की लड़कियां नाचने को निकलें, तो तुम दाख की बारियों से निकलकर शीलो की लड़कियों में से अपनी अपनी स्त्री को पकड़कर बिन्यामीन के देश को चले जाना। 22. और जब उनके पिता वा भाई हमारे पास झगड़ने को आएंगे, तब हम उन से कहेंगे, कि अनुग्रह करके उन को हमें दे दो, क्योंकि लड़ाई के समय हम ने उन में से एक एक के लिये स्त्री नहीं बचाई; और तुम लोगों ने तो उन को ब्याह नहीं दिया, नहीं तो तुम अब दोषी ठहरते। 23. तब बिन्यामीनियों ने ऐसा ही किया, अर्थात उन्होंने अपनी गिनती के अनुसार उन नाचने वालियों में से पकड़कर स्त्रियां ले लीं; तब अपने भाग को लौट गए, और नगरों को बसाकर उन में रहने लगे। 24. उसी समय इस्राएली वहां से चलकर अपने अपने गोत्र और अपने अपने घराने को गए, और वहां से वे अपने अपने निज भाग को गए। 25. उन दिनों में इस्राएलियों का कोई राजा न था; जिस को जो ठीक सूझ पड़ता था वही वह करता था॥
1. इस्राएली पुरूषों ने तो मिस्पा में शपथ खाकर कहा था, कि हम में कोई अपनी बेटी किसी बिन्यामीनी को न ब्याह देगा। .::. 2. वे बेतेल को जा कर सांझ तक परमेश्वर के साम्हने बैठे रहे, और फूट फूटकर बहुत रोते रहे। .::. 3. और कहते थे, हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, इस्राएल में ऐसा क्यों होने पाया, कि आज इस्राएल में एक गोत्र की घटी हुई है? .::. 4. फिर दूसरे दिन उन्होंने सवेरे उठ वहां वेदी बनाकर होमबलि और मेलबलि चढ़ाए। .::. 5. तब इस्राएली पूछने लगे, इस्राएल के सारे गोत्रों में से कौन है जो यहोवा के पास सभा में न आया था? उन्होंने तो भारी शपथ खाकर कहा था, कि जो कोई मिस्पा को यहोवा के पास न आए वह निश्चय मार डाला जाएगा। .::. 6. तब इस्राएली अपने भाई बिन्यामीन के विषय में यह कहकर पछताने लगे, कि आज इस्राएल में से एक गोत्र कट गया है। .::. 7. हम ने जो यहोवा की शपथ खाकर कहा है, कि हम उन्हें अपनी किसी बेटी को न ब्याह देंगे, इसलिये बचे हुओं को स्त्रियां मिलने के लिये क्या करें? .::. 8. जब उन्होंने यह पूछा, कि इस्राएल के गोत्रों में से कौन है जो मिस्पा को यहोवा के पास न आया था? तब यह मालूम हुआ, कि गिलादी यावेश से कोई छावनी में सभा को न आया था। .::. 9. अर्थात जब लोगों की गिनती की गई, तब यह जाना गया कि गिलादी यावेश के निवासियों में से कोई यहां नहीं है। .::. 10. इसलिये मण्डली ने बारह हजार शूरवीरों को वहां यह आज्ञा देकर भेज दिया, कि तुम जा कर स्त्रियों और बालबच्चों समेत गिलादी यावेश को तलवार से नाश करो। .::. 11. और तुम्हें जो करना होगा वह यह है, कि सब पुरूषों को और जितनी स्त्रियों ने पुरूष का मुंह देखा हो उन को सत्यानाश कर डालना। .::. 12. और उन्हें गिलादी यावेश के निवासियों में से चार सौ जवान कुमारियां मिलीं जिन्होंने पुरूष का मुंह नहीं देखा था; और उन्हें वे शीलो को जो कनान देश में है छावनी में ले आए॥ .::. 13. तब सारी मण्डली ने उन बिन्यामीनियों के पास जो रिम्मोन नाम चट्टान पर थे कहला भेजा, और उन से संधि का प्रचार कराया। .::. 14. तब बिन्यामीन उसी समय लौट गए; और उन को वे स्त्रियां दी गईं जो गिलादी यावेश की स्त्रियों में से जीवित छोड़ी गईं थीं; तौभी वे उनके लिये थोड़ी थीं। .::. 15. तब लोग बिन्यामीन के विषय फिर यह कहके पछताथे, कि यहोवा ने इस्राएल के गोत्रों में घटी की है। .::. 16. तब मण्डली के वृद्ध गोत्रों ने कहा, कि बिन्यामीनी स्त्रियां जो नाश हुई हैं, तो बचे हुए पुरूषों के लिये स्त्री पाने का हम क्या उपाय करें? .::. 17. फिर उन्होंने कहा, बचे हुए बिन्यामीनियों के लिये कोई भाग चाहिये, ऐसा न हो कि इस्राएल में से एक गोत्र मिट जाए। .::. 18. परन्तु हम तो अपनी किसी बेटी को उन्हें ब्याह नहीं दे सकते, क्योंकि इस्राएलियों ने यह कहकर शपथ खाई है कि शापित हो वह जो किसी बिन्यामीनी को अपनी लड़की ब्याह दे। .::. 19. फिर उन्होंने कहा, सुनो, शीलो जो बेतेल की उत्तर ओर, और उस सड़क की पूर्व ओर है जो बेतेल से शकेन को चली गई है, और लाबोना की दक्खिन ओर है, उस में प्रति वर्ष यहोवा का एक पर्व माना जाता है। .::. 20. इसलिये उन्होंने बिन्यामीनियों को यह आज्ञा दी, कि तुम जा कर दाख की बारियों के बीच घात लगाए बैठे रहो, .::. 21. और देखते रहो; और यदि शीलो की लड़कियां नाचने को निकलें, तो तुम दाख की बारियों से निकलकर शीलो की लड़कियों में से अपनी अपनी स्त्री को पकड़कर बिन्यामीन के देश को चले जाना। .::. 22. और जब उनके पिता वा भाई हमारे पास झगड़ने को आएंगे, तब हम उन से कहेंगे, कि अनुग्रह करके उन को हमें दे दो, क्योंकि लड़ाई के समय हम ने उन में से एक एक के लिये स्त्री नहीं बचाई; और तुम लोगों ने तो उन को ब्याह नहीं दिया, नहीं तो तुम अब दोषी ठहरते। .::. 23. तब बिन्यामीनियों ने ऐसा ही किया, अर्थात उन्होंने अपनी गिनती के अनुसार उन नाचने वालियों में से पकड़कर स्त्रियां ले लीं; तब अपने भाग को लौट गए, और नगरों को बसाकर उन में रहने लगे। .::. 24. उसी समय इस्राएली वहां से चलकर अपने अपने गोत्र और अपने अपने घराने को गए, और वहां से वे अपने अपने निज भाग को गए। .::. 25. उन दिनों में इस्राएलियों का कोई राजा न था; जिस को जो ठीक सूझ पड़ता था वही वह करता था॥
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