2. कि तुम जैसा कि पवित्र लोगों को चाहिए, उसे प्रभु में ग्रहण करो; और जिस किसी बात में उस को तुम से प्रयोजन हो, उस की सहायता करो; क्योंकि वह भी बहुतों की वरन मेरी भी उपकारिणी हुई है॥
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4. उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं।
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5. और उस कलीसिया को भी नमस्कार जो उन के घर में है। मेरे प्रिय इपैनितुस को जो मसीह के लिये आसिया का पहिला फल है, नमस्कार।
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7. अन्द्रुनीकुस और यूनियास को जो मेरे कुटम्बी हैं, और मेरे साथ कैद हुए थे, और प्रेरितों में नामी हैं, और मुझ से पहिले मसीह में हुए थे, नमस्कार।
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12. त्रूफैना और त्रूफोसा को जो प्रभु में परिश्रम करती हैं, नमस्कार। प्रिया परसिस को जिस ने प्रभु में बहुत परिश्रम किया, नमस्कार।
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15. फिलुलुगुस और यूलिया और नेर्युस और उस की बहिन, और उलुम्पास और उन के साथ के सब पवित्र लोगों को नमस्कार॥
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17. अब हे भाइयो, मैं तुम से बिनती करता हूं, कि जो लोग उस शिक्षा के विपरीत जो तुम ने पाई है, फूट पड़ने, और ठोकर खाने के कारण होते हैं, उन्हें ताड़ लिया करो; और उन से दूर रहो।
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18. क्योंकि ऐसे लोग हमारे प्रभु मसीह की नहीं, परन्तु अपने पेट की सेवा करते है; और चिकनी चुपड़ी बातों से सीधे सादे मन के लोगों को बहका देते हैं।
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19. तुम्हारे आज्ञा मानने की चर्चा सब लोगों में फैल गई है; इसलिये मैं तुम्हारे विषय में आनन्द करता हूं; परन्तु मैं यह चाहता हूं, कि तुम भलाई के लिये बुद्धिमान, परन्तु बुराई के लिये भोले बने रहो।
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20. शान्ति का परमेश्वर शैतान को तुम्हारे पांवों से शीघ्र कुचलवा देगा॥ हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम पर होता रहे।
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21. तीमुथियुस मेरे सहकर्मी का, और लूकियुस और यासोन और सोसिपत्रुस मेरे कुटुम्बियों का, तुम को नमस्कार।
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25. अब जो तुम को मेरे सुसमाचार अर्थात यीशु मसीह के विषय के प्रचार के अनुसार स्थिर कर सकता है, उस भेद के प्रकाश के अनुसार जो सनातन से छिपा रहा।
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26. परन्तु अब प्रगट होकर सनातन परमेश्वर की आज्ञा से भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों के द्वारा सब जातियों को बताया गया है, कि वे विश्वास से आज्ञा मानने वाले हो जाएं।
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