1. दाऊद ने कहा, “यहोवा परमेश्वर का मन्दिर और इस्राएल के लोगों के लिये भेंटों को जलाने की वेदी यहाँ बनेगी।” [PS]
2. {दाऊद मन्दिर के लिये योजना बनाता है} [PS] दाऊद ने आदेश दिया कि इस्राएल में रहने वले सभी विदेशी एक साथ इकट्ठे हों। विदेशियों के उस समूह में से दाऊद ने संगतराशों को चुना। उनका काम परमेश्वर के मन्दिर के लिये पत्थरों को काट कर तैयार करना था।
3. दाऊद ने द्वार के पल्लों के लिये कीलें तथा चूलें बनाने के लिए लोहा प्राप्त किया। दाऊद ने उतना काँसा भी प्राप्त किया जो तौला न जा सके
4. और दाऊद ने इतने अधिक देवदारु के लट्ठे इकट्ठे किये जो गिने न जा सकें। सीदोन और सोर के लोग बहुत से देवदारु के लट्ठे लाए। [PE][PS]
5. दाऊद ने कहा, “हमें यहोवा के लिये एक विशाल मन्दिर बनाना चाहिए। किन्तु मेरा पुत्र सुलैमान बालक है और वह उन सब चीजों को नहीं सीख सका है जो उसे जानना चाहिये। यहोवा का मन्दिर बहुत विशाल होना चाहिये। इस अपनी विशालता और सुन्दरता के लिये सभी राष्ट्रों में प्रसिद्ध होना चाहिये। यही कारण है कि मैं यहोवा का मन्दिर बनाने की योजना बनाऊँगा।” इसलिये दाऊद ने मरने से पहले मन्दिर बनाने के लिये बहुत सी योजनायें बनाई। [PE][PS]
6. तब दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान को बुलाया। दाऊद ने सुलैमान से इस्राएल के यहोवा परमेश्वर के लिये मन्दिर बनाने को कहा।
7. दाऊद ने सुलैमान से कहा, “मेरे पुत्र, मैं अपने परमेश्वर यहोवा के नाम के लिये एक मन्दिर बनाना चाहता था।
8. किन्तु यहोवा ने मुझसे कहा, दाऊद तुमने बहुत से युद्ध किये हैं और बहुत से लोगों को मारा है इसलिये तुम मेरे नाम के लिये मन्दिर नहीं बना सकते
9. किन्तु तुम्हारा एक पुत्र है जो शान्ति प्रिय है। मैं तुम्हारे पुत्र को शान्ति प्रदान करूँगा। उसके चारों ओर के शत्रु उसे परेशान नहीं करेंगे। उसका नाम सुलैमान है और मैं इस्राएल को उस समय सुख शान्ति दूँगा जिस समय सुलैमान राजा रहेगा।
10. सुलैमान मेरे नाम का एक मन्दिर बनायेगा। सुलैमान मेरा पुत्र और मैं उसका पिता रहूँगा और मैं सुलैमान के राज्य को शक्तिशाली बनाऊँगा और उसके परिवार का कोई सदस्य सदा इस्राएल पर राज्य करेगा।” [PE][PS]
11. दाऊद ने यह भी कहा, “पुत्र, अब यहोवा तुम्हारे साथ रहे। तुम सफल बनो और जैसा यहोवा ने कहा है, अपने यहोवा परमेश्वर का मन्दिर बनाओ।
12. यहोवा तुम्हें इस्राएल का राजा बनाएगा। यहोवा तुम्हें बुद्धि और समझ दे जिससे तुम लोगों का मार्गदर्शन कर सको और अपने यहोवा परमेश्वर की व्यवस्था का पालन कर सको
13. और तुम्हें सफलता तब मिलेगी जब तुम उन नियमों और व्यवस्था के पालन में सावधान रहोगे जो यहोवा ने मूसा को इस्राएल के लिये दी थी। तुम शक्तिशाली और वीर बनो। डरो नहीं। [PE][PS]
14. “सुलैमान, मैंने यहोवा के मन्दिर की योजना बनाने में बड़ा परिश्रम किया है। मैंने तीन हजार सात सौ पचास टन सोना दिया है और मैंने लगभग सैंतीस हजार पाँच सौ टन चाँदी दी है। मैंने काँसा और लोहा इतना अधिक दिया है कि वह तौला नहीं जा सकता और मैंने लकड़ी एवं पत्थर दिये हैं। सुलैमान, तुम उसे और अधिक कर सकते हो।
15. तुम्हारे पास बहुत से संगतराश और बढ़ई हैं। तुम्हारे पास हर एक प्रकार के काम करने वाले कुशल व्यक्ति हैं।
16. वे सोना, चाँदी काँसा, और लोहे काम करने में कुशल हैं। तुम्हारे पास इतने अधिक कुशल व्यक्ति हैं कि वे गिने नहीं जा सकते। अब काम आरम्भ करो और यहोवा तुम्हारे साथ है।” [PE][PS]
17. तब दाऊद ने इस्राएल के सभी प्रमुखों को अपने पुत्र सुलैमान की सहायता करने का आदेश दिया।
18. दाऊद ने उन प्रमुखों से कहा, “यहोवा तुम्हारा परमेश्वर साथ है। उसने तुम्हें शान्ति का समय दिया है। यहोवा ने हम लोगों के चारों ओर रहने वाले लोगों को पराजित करने में सहायता की है। अब यहोवा और उसके लोगों ने इस भूमि पर पूरा अधिकार किया है।
19. अब तुम अपने हृदय और आत्मा को अपने यहोवा परमेश्वर को समर्पित कर दो और वह जो कहे, करो। यहोवा परमेश्वर का पवित्र स्थान बनाओ। यहोवा के नाम के लिये मन्दिर बनाओ। तब साक्षिपत्र का सन्दूक तथा अन्य सभी पवित्र चीजे मन्दिर में लाओ।” [PE]