पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
1 शमूएल
1. {#1दाऊद और योनातान एक सन्धि करते हैं }
2. [PS]दाऊद रामा के निकट के डेरे से भाग गया। दाऊद योनातान के पास पहुँचा और उससे पूछा, “मैंने कौन सी गलती की है? मेरा अपराध क्या है? तुम्हारा पिता मुझे मारने का प्रयत्न क्यों कर रहा है?” [PE]
3. [PS]योनातान ने उत्तर दिया, “मेरे पिता तुमको मारने का प्रयत्न नहीं कर रहे हैं! मेरे पिता मुझसे पहले कहे बिना कुछ नहीं करते। यह महत्वपूर्ण नहीं कि वह बात बहुत महत्वपूर्ण हो या तुच्छ, मेरे पिता सदा मुझे बताते हैं। मेरे पिता मुझसे यह बताने से क्यों इन्कार करेंगे कि वे तुमको मार डालना चाहते हैं? नहीं, यह सत्य नहीं है!” [PE]
4. [PS]किन्तु दाऊद ने उत्तर दिया, “तुम्हारे पिता अच्छी तरह जानते हैं कि मैं तुम्हारा मित्र हूँ। तुम्हारे पिता ने अपने मन में यह सोचा है, ‘योनातान को इस विषय में जानकारी नहीं होनी चाहिये। यदि वह जानेगा तो दाऊद से कह देगा।’ किन्तु जैसे यहोवा का होना सत्य है और तुम जीवित हो, उसी प्रकार यह भी सत्य है कि मैं मृत्यु के बहुत निकट हूँ!” [PE]
5. [PS]योनातान ने दाऊद से कहा, “मैं वह सब कुछ करूँगा जो तुम मुझसे करवाना चाहो।” [PE][PS]तब दाऊद ने कहा, “देखो, कल नया चाँद का महोत्सव है और मुझे राजा के साथ भोजन करना है। किन्तु मुझे सन्ध्या तक मैदान में छिपे रहने दो।
6. यदि तुम्हारे पिता को यह दिखाई दे कि मैं चला गया हूँ, तो उनसे कहो कि, ‘दाऊद अपने घर बेतलेहेम जाना चाहता था। उसका परिवार इस मासिक बलि के लिए स्वयं ही दावत कर रहा है। दाऊद ने मुझसे पूछा कि मैं उसे बेतलेहेम जाने और उसके परिवार से उसे मिलने दूँ,’
7. यदि तुम्हारे पिता कहते हैं, ‘बहुत अच्छा हुआ,’ तो मैं सुरक्षित हूँ। किन्तु यदि तुम्हारे पिता क्रोधित होते हैं तो समझो कि मेरा बुरा करना चाहते हैं।
8. योनातान मुझ पर दया करो। मैं तुम्हारा सेवक हूँ। तुमने यहोवा के सामने मेरे साथ सन्धि की है। यदि मैं अपराधी हूँ ते तुम स्वयं मुझे मार सकते हो! किन्तु मुझे अपने पिता के पास मत ले जाओ।” [PE]
9.
10. [PS]योनातान ने उत्तर दिया, “नहीं, कभी नहीं! यदि मैं जान जाऊँगा कि मेरे पिता तुम्हारा बुरा करना चाहते हैं तो तुम्हें सावधान कर दूँगा।” [PE]
11. [PS]दाऊद ने कहा, “यदि तुम्हारे पिता तुम्हें कठोरता से उत्तर देते हैं तो उसके बारे में मुझे कौन बताएगा?” [PE]
12. [PS]तब योनातान ने कहा, “आओ, हम लोग मैदान मे चलें।” सो योनातान और दाऊद एक साथ एक मैदान में चले गए। [PE][PS]योनातान ने दाऊद से कहा, “मैं इस्राएल का परमेश्वर यहोवा के सामने यह प्रतिज्ञा करता हूँ। मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं पता लागाऊँगा कि मेरे पिता तुम्हारे प्रति कैसा भाव रखते हैं। मैं पता लगाऊँगा कि वे तुम्हारे बारे में अच्छा भाव रखते हैं या नहीं। तब तीन दिन में, मैं तुम्हें मैदान में सूचना भेजूँगा।
13. यदि मेरे पिता तुम पर चोट करना चाहते हैं तो मैं तुम्हें जानकारी दूँगा। मैं तुमको यहाँ से सुरक्षित जाने दूँगा। यहोवा मुझे दण्ड दे यदि मैं ऐसा न करूँ। यहोवा तुम्हारे साथ रहे जैसे वह मेरे पिता के साथ रहा है।
14. जब तक मैं जीवित रहूँ मेरे ऊपर दया रखना और जब मैं मर जाऊँ तो
15. मेरे परिवार पर दया करना बन्द न करना। यहोवा तुम्हारे सभी शत्रुओं को पृथ्वी पर से नष्ट कर देगा।
16. यदि उस समय योनातान का परिवार दाऊद के परिवार से पृथक किया जाना ही हो, तो उसे हो जाने देना। दाऊद के शत्रुओं को यहोवा दण्ड दे।” [PE]
17.
18. [PS]तब योनातान ने दाऊद से कहा कि वह उसके प्रति प्रेम की प्रतिज्ञा को दुहराये। योनातान ने यह इसलिए किया क्योंकि वह दाऊद से उतना ही प्रेम करता था जितना अपने आप से। [PE][PS]योनातान ने दाऊद से कहा, “कल नया चाँद का उत्सव है। तुम्हारा आसन खाली रहेगा। इसलिए मेरे पिता समझ जाएंगे कि तुम चले गये हो।
19. तीसरे दिन उसी स्थान पर जाओ जहाँ तुम इस परेशानी के प्रारम्भ होने के समय छिपे थे। उस पहाड़ी की बगल में प्रतीक्षा करो।
20. तीसरे दिन, मैं उस पहाड़ी पर ऐसे जाऊँगा जैसे में किसी लक्ष्य को बेध रहा हूँ। मैं कुछ बाणों को छोड़ूँगा।
21. तब मैं, बाणों का पता लगाने के लिये, अपने शस्त्रवाहक लड़के से जाने के लिये कहूँगा। यदि सब कुछ ठीक होगा तो मैं लड़के से कहूँगा, ‘तुम बहुत दूर निकल गए हो! बाण मेरे करीब ही है। लौटो और उन्हें उठा लाओ।’ यदि मैं ऐसा कहूँ तो तुम छिपने के स्थान से बाहर आ सकते हो। मैं वचन देता हूँ कि जैसे यहोवा शाश्वत है वैसे ही तुम सुरक्षित हो। कोई भी खतरा नहीं है।
22. किन्तु यदि खतरा होगा तो मैं लड़के से कहूँगा। ‘बाण बहुत दूर है, जाओ और उन्हें लाओ।’ यदि मैं ऐसा कहूँ तो तुम्हें चले जाना चाहिये। यहोवा तुम्हें दूर भेज रहा है।
23. तुम्हारे और मेरे बीच की इस सन्धि को याद रखो। यहोवा सदैव के लिये हामारा साक्षी है!” [PE]
24. [PS]तब दाऊद मैदान में जा छिपा। [PE]{#1उत्सव में शाऊल के इरादे } [PS]नया चाँद के उत्सव का समय आया और राजा भोजन करने बैठा।
25. राजा दीवार के निकट वहीं बैठा जहाँ वह प्राय: बैठा करता था। योनातान शाऊल के दूसरी ओर समाने बैठा। अब्नेर शाऊल के बाद बैठा। किन्तु दाऊद का स्थान खाली था।
26. उस दिन शाऊल ने कुछ नहीं कहा। उसने सोचा, “सम्भव है दाऊद को कुछ हुआ हो और वह शुद्ध न हो।” [PE]
27.
28. [PS]अगले दिन, महीने के दूसरे दिन, दाऊद का स्थान फिर खाली था। तब शाऊल ने अपने पुत्र योनातान से पूछा, “यिशै का पुत्र नया चाँद के उत्सव में कल या आज क्यों नहीं आया?” [PE][PS]योनातान ने उत्तर दिया, “दाऊद ने मुझसे बेतलेहेम जाने देने के लिये कहा था।
29. उसने कहा, ‘मुझे जाने दो। मेरा परिवार बेतलेहेम में एक बलि—भेंट कर रहा है। मेरे भाई ने वहाँ रहने का आदेश दिया है। अब यदि मैं तुम्हारा मित्र हूँ तो मुझे जाने दो और भाईयों से मिलने दो।’ यही कारण है कि दाऊद राजा की मेज पर नहीं आया है।” [PE]
30. [PS]शाऊल योनातान पर बहुत क्रोधित हुआ। उसने योनातान से कहा, “तुम उस एक दासी के पुत्र हो, जो आज्ञा पालन करने से इन्कार करती है और तुम ठीक उसी तरह के हो। मैं जानता हूँ कि तुम दाऊद के पक्ष में हो। तुम अपनी माँ और अपने लिये लज्जा का कारण हो।
31. जब तक यिशै का पुत्र जीवित रहेगा तब तक तुम कभी राजा नहीं बनोगे, न तुम्हारा राज्य होगा। अब दाऊद को हमारे पास लाओ। वह एक मरा व्यक्ति है!” [PE]
32.
33. [PS]योनातान ने अपने पिता से पूछा, “दाऊद को क्यों मार डाला जाना चाहिये? उसने क्या अपराध किया है?” [PE][PS]किन्तु शाऊल ने अपना भाला योनातान पर चलाया और उसे मार डालने का प्रयन्त किया। अत: योनातान ने समझ लिया कि मेरा पिता दाऊद को निश्चित रूप से मा जालने का इच्चुक है।
34. योनातान क्रोधित हुआ और उसने मेज छोड़ दी। योनातान इतना घबरा गया और अपने पिता पर इतना क्रोधित हुआ कि उसने दावत के दूसरे दिन कुछ भी भोजन करना अस्वीकार कर दिया। योनातान इसलिये क्रोधित हुआ क्योंकि शाऊल ने उसे अपमानित किया था और शाऊल दाऊद को मार जालना चाहता था। [PE]
35. {#1दाऊद और योनातान का विदा लेना } [PS]अगली सुबह योनातान मैदान में गया। वह दाऊद से मिलने गया, जैसा उन्होंने तय किया था। योनातान एक शस्त्रवाहक लड़के को अपने साथ लाया।
36. योनातान ने लडके से कहा, “दौड़ो, और जो बाण मैं चलाता हूँ, उनहें लाओ।” लड़के ने दौड़ना आरम्भ किया और योनातान ने उसके सिर के ऊपर से बाण चलाए।
37. लड़का उस स्थान को दौड़ा, जहाँ बाण गिरा था। किन्तु योनातान ने पुकारा, “बाण बहुत दूर है!”
38. तब योनातान जोर से चिल्लाया “जल्दी कारो! उन्हें लाओ! वहीं पर खड़े न रहो!” लड़के ने बाणों को उठाया और अपने स्वामी के पास वापस लाया।
39. लड़के को कुछ पता न चला कि हुआ क्या। केवल योनातान और दाऊद जान सके।
40. योनातान ने अपना धनुष बाण लड़के को दिया। तब योनातान ने लड़के से कहा, “नगर को लौट जाओ।” [PE]
41.
42. [PS]लड़का चल पड़ा, और दाऊद अपने उस छिपने के स्थान से बाहर आया जो पहाड़ी के दूसरी ओर था। दाऊद ने भूमि तक अपने सिर को झुकाकर योनातान के सामने प्रणाम किया। दाऊद तीन बार झुका। तब दाऊद और योनातान ने एक दूसरे का चुम्बन लिया। वे दोनों एक साथ रोये, किन्तु दाऊद योनातान से अधिक रोया। [PE][PS]योनातान ने दाऊद से कहा, “शान्तिपूर्वक जाओ। हम लोगों ने यहोवा का नाम लेकर मित्र होने की प्रतिज्ञा की थी। हम लोगों ने कहा था कि यहोवा हम लोगों और हमारे वंशजों के बीच सदा साक्षी रहेगा।” [PE]
Total 31 अध्याय, Selected अध्याय 20 / 31
दाऊद और योनातान एक सन्धि करते हैं 1 2 दाऊद रामा के निकट के डेरे से भाग गया। दाऊद योनातान के पास पहुँचा और उससे पूछा, “मैंने कौन सी गलती की है? मेरा अपराध क्या है? तुम्हारा पिता मुझे मारने का प्रयत्न क्यों कर रहा है?” 3 योनातान ने उत्तर दिया, “मेरे पिता तुमको मारने का प्रयत्न नहीं कर रहे हैं! मेरे पिता मुझसे पहले कहे बिना कुछ नहीं करते। यह महत्वपूर्ण नहीं कि वह बात बहुत महत्वपूर्ण हो या तुच्छ, मेरे पिता सदा मुझे बताते हैं। मेरे पिता मुझसे यह बताने से क्यों इन्कार करेंगे कि वे तुमको मार डालना चाहते हैं? नहीं, यह सत्य नहीं है!” 4 किन्तु दाऊद ने उत्तर दिया, “तुम्हारे पिता अच्छी तरह जानते हैं कि मैं तुम्हारा मित्र हूँ। तुम्हारे पिता ने अपने मन में यह सोचा है, ‘योनातान को इस विषय में जानकारी नहीं होनी चाहिये। यदि वह जानेगा तो दाऊद से कह देगा।’ किन्तु जैसे यहोवा का होना सत्य है और तुम जीवित हो, उसी प्रकार यह भी सत्य है कि मैं मृत्यु के बहुत निकट हूँ!” 5 योनातान ने दाऊद से कहा, “मैं वह सब कुछ करूँगा जो तुम मुझसे करवाना चाहो।” तब दाऊद ने कहा, “देखो, कल नया चाँद का महोत्सव है और मुझे राजा के साथ भोजन करना है। किन्तु मुझे सन्ध्या तक मैदान में छिपे रहने दो। 6 यदि तुम्हारे पिता को यह दिखाई दे कि मैं चला गया हूँ, तो उनसे कहो कि, ‘दाऊद अपने घर बेतलेहेम जाना चाहता था। उसका परिवार इस मासिक बलि के लिए स्वयं ही दावत कर रहा है। दाऊद ने मुझसे पूछा कि मैं उसे बेतलेहेम जाने और उसके परिवार से उसे मिलने दूँ,’ 7 यदि तुम्हारे पिता कहते हैं, ‘बहुत अच्छा हुआ,’ तो मैं सुरक्षित हूँ। किन्तु यदि तुम्हारे पिता क्रोधित होते हैं तो समझो कि मेरा बुरा करना चाहते हैं। 8 योनातान मुझ पर दया करो। मैं तुम्हारा सेवक हूँ। तुमने यहोवा के सामने मेरे साथ सन्धि की है। यदि मैं अपराधी हूँ ते तुम स्वयं मुझे मार सकते हो! किन्तु मुझे अपने पिता के पास मत ले जाओ।” 9 10 योनातान ने उत्तर दिया, “नहीं, कभी नहीं! यदि मैं जान जाऊँगा कि मेरे पिता तुम्हारा बुरा करना चाहते हैं तो तुम्हें सावधान कर दूँगा।” 11 दाऊद ने कहा, “यदि तुम्हारे पिता तुम्हें कठोरता से उत्तर देते हैं तो उसके बारे में मुझे कौन बताएगा?” 12 तब योनातान ने कहा, “आओ, हम लोग मैदान मे चलें।” सो योनातान और दाऊद एक साथ एक मैदान में चले गए। योनातान ने दाऊद से कहा, “मैं इस्राएल का परमेश्वर यहोवा के सामने यह प्रतिज्ञा करता हूँ। मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं पता लागाऊँगा कि मेरे पिता तुम्हारे प्रति कैसा भाव रखते हैं। मैं पता लगाऊँगा कि वे तुम्हारे बारे में अच्छा भाव रखते हैं या नहीं। तब तीन दिन में, मैं तुम्हें मैदान में सूचना भेजूँगा। 13 यदि मेरे पिता तुम पर चोट करना चाहते हैं तो मैं तुम्हें जानकारी दूँगा। मैं तुमको यहाँ से सुरक्षित जाने दूँगा। यहोवा मुझे दण्ड दे यदि मैं ऐसा न करूँ। यहोवा तुम्हारे साथ रहे जैसे वह मेरे पिता के साथ रहा है। 14 जब तक मैं जीवित रहूँ मेरे ऊपर दया रखना और जब मैं मर जाऊँ तो 15 मेरे परिवार पर दया करना बन्द न करना। यहोवा तुम्हारे सभी शत्रुओं को पृथ्वी पर से नष्ट कर देगा। 16 यदि उस समय योनातान का परिवार दाऊद के परिवार से पृथक किया जाना ही हो, तो उसे हो जाने देना। दाऊद के शत्रुओं को यहोवा दण्ड दे।” 17 18 तब योनातान ने दाऊद से कहा कि वह उसके प्रति प्रेम की प्रतिज्ञा को दुहराये। योनातान ने यह इसलिए किया क्योंकि वह दाऊद से उतना ही प्रेम करता था जितना अपने आप से। योनातान ने दाऊद से कहा, “कल नया चाँद का उत्सव है। तुम्हारा आसन खाली रहेगा। इसलिए मेरे पिता समझ जाएंगे कि तुम चले गये हो। 19 तीसरे दिन उसी स्थान पर जाओ जहाँ तुम इस परेशानी के प्रारम्भ होने के समय छिपे थे। उस पहाड़ी की बगल में प्रतीक्षा करो। 20 तीसरे दिन, मैं उस पहाड़ी पर ऐसे जाऊँगा जैसे में किसी लक्ष्य को बेध रहा हूँ। मैं कुछ बाणों को छोड़ूँगा। 21 तब मैं, बाणों का पता लगाने के लिये, अपने शस्त्रवाहक लड़के से जाने के लिये कहूँगा। यदि सब कुछ ठीक होगा तो मैं लड़के से कहूँगा, ‘तुम बहुत दूर निकल गए हो! बाण मेरे करीब ही है। लौटो और उन्हें उठा लाओ।’ यदि मैं ऐसा कहूँ तो तुम छिपने के स्थान से बाहर आ सकते हो। मैं वचन देता हूँ कि जैसे यहोवा शाश्वत है वैसे ही तुम सुरक्षित हो। कोई भी खतरा नहीं है। 22 किन्तु यदि खतरा होगा तो मैं लड़के से कहूँगा। ‘बाण बहुत दूर है, जाओ और उन्हें लाओ।’ यदि मैं ऐसा कहूँ तो तुम्हें चले जाना चाहिये। यहोवा तुम्हें दूर भेज रहा है। 23 तुम्हारे और मेरे बीच की इस सन्धि को याद रखो। यहोवा सदैव के लिये हामारा साक्षी है!” 24 तब दाऊद मैदान में जा छिपा। उत्सव में शाऊल के इरादे नया चाँद के उत्सव का समय आया और राजा भोजन करने बैठा। 25 राजा दीवार के निकट वहीं बैठा जहाँ वह प्राय: बैठा करता था। योनातान शाऊल के दूसरी ओर समाने बैठा। अब्नेर शाऊल के बाद बैठा। किन्तु दाऊद का स्थान खाली था। 26 उस दिन शाऊल ने कुछ नहीं कहा। उसने सोचा, “सम्भव है दाऊद को कुछ हुआ हो और वह शुद्ध न हो।” 27 28 अगले दिन, महीने के दूसरे दिन, दाऊद का स्थान फिर खाली था। तब शाऊल ने अपने पुत्र योनातान से पूछा, “यिशै का पुत्र नया चाँद के उत्सव में कल या आज क्यों नहीं आया?” योनातान ने उत्तर दिया, “दाऊद ने मुझसे बेतलेहेम जाने देने के लिये कहा था। 29 उसने कहा, ‘मुझे जाने दो। मेरा परिवार बेतलेहेम में एक बलि—भेंट कर रहा है। मेरे भाई ने वहाँ रहने का आदेश दिया है। अब यदि मैं तुम्हारा मित्र हूँ तो मुझे जाने दो और भाईयों से मिलने दो।’ यही कारण है कि दाऊद राजा की मेज पर नहीं आया है।” 30 शाऊल योनातान पर बहुत क्रोधित हुआ। उसने योनातान से कहा, “तुम उस एक दासी के पुत्र हो, जो आज्ञा पालन करने से इन्कार करती है और तुम ठीक उसी तरह के हो। मैं जानता हूँ कि तुम दाऊद के पक्ष में हो। तुम अपनी माँ और अपने लिये लज्जा का कारण हो। 31 जब तक यिशै का पुत्र जीवित रहेगा तब तक तुम कभी राजा नहीं बनोगे, न तुम्हारा राज्य होगा। अब दाऊद को हमारे पास लाओ। वह एक मरा व्यक्ति है!” 32 33 योनातान ने अपने पिता से पूछा, “दाऊद को क्यों मार डाला जाना चाहिये? उसने क्या अपराध किया है?” किन्तु शाऊल ने अपना भाला योनातान पर चलाया और उसे मार डालने का प्रयन्त किया। अत: योनातान ने समझ लिया कि मेरा पिता दाऊद को निश्चित रूप से मा जालने का इच्चुक है। 34 योनातान क्रोधित हुआ और उसने मेज छोड़ दी। योनातान इतना घबरा गया और अपने पिता पर इतना क्रोधित हुआ कि उसने दावत के दूसरे दिन कुछ भी भोजन करना अस्वीकार कर दिया। योनातान इसलिये क्रोधित हुआ क्योंकि शाऊल ने उसे अपमानित किया था और शाऊल दाऊद को मार जालना चाहता था। दाऊद और योनातान का विदा लेना 35 अगली सुबह योनातान मैदान में गया। वह दाऊद से मिलने गया, जैसा उन्होंने तय किया था। योनातान एक शस्त्रवाहक लड़के को अपने साथ लाया। 36 योनातान ने लडके से कहा, “दौड़ो, और जो बाण मैं चलाता हूँ, उनहें लाओ।” लड़के ने दौड़ना आरम्भ किया और योनातान ने उसके सिर के ऊपर से बाण चलाए। 37 लड़का उस स्थान को दौड़ा, जहाँ बाण गिरा था। किन्तु योनातान ने पुकारा, “बाण बहुत दूर है!” 38 तब योनातान जोर से चिल्लाया “जल्दी कारो! उन्हें लाओ! वहीं पर खड़े न रहो!” लड़के ने बाणों को उठाया और अपने स्वामी के पास वापस लाया। 39 लड़के को कुछ पता न चला कि हुआ क्या। केवल योनातान और दाऊद जान सके। 40 योनातान ने अपना धनुष बाण लड़के को दिया। तब योनातान ने लड़के से कहा, “नगर को लौट जाओ।” 41 42 लड़का चल पड़ा, और दाऊद अपने उस छिपने के स्थान से बाहर आया जो पहाड़ी के दूसरी ओर था। दाऊद ने भूमि तक अपने सिर को झुकाकर योनातान के सामने प्रणाम किया। दाऊद तीन बार झुका। तब दाऊद और योनातान ने एक दूसरे का चुम्बन लिया। वे दोनों एक साथ रोये, किन्तु दाऊद योनातान से अधिक रोया। योनातान ने दाऊद से कहा, “शान्तिपूर्वक जाओ। हम लोगों ने यहोवा का नाम लेकर मित्र होने की प्रतिज्ञा की थी। हम लोगों ने कहा था कि यहोवा हम लोगों और हमारे वंशजों के बीच सदा साक्षी रहेगा।”
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