पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
2 इतिहास
1. हिजकिय्याह ने इस्राएल और यहूदा के सभी लोगों को सन्देश भेजा। उसने एप्रैम और मनश्शे के लोगों को भी पत्र लिखा। हिजकिय्याह ने उन सभी लोगों को यरूशलेम में यहोवा के मन्दिर में आने के लिये निमन्त्रित किया जिससे वे सभी फसहपर्व यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर के लिये मना सकें।
2. हिजकिय्याह ने सभी अधिकारियों और यरूशलेम की सभा से यह सलाह की कि फसह पर्व दूसरे महीने मनें मनाया जाये।
3. वे फसह पर्व को नियमित समय से न मना सके। क्यों क्योंकि याजक पर्याप्त संख्या में पवित्र सेवा के लिये अपने को तैयार न कर सके और दूसरा कारण यह था कि लोग यरूशलेम में इकट्ठे नहीं हो सके थे।
4. इस सुझाव ने राजा हिजकिय्याह और पूरी सभा को सन्तुष्ट किया।
5. इसलिये उन्होंने इस्राएल में बेर्शेबा नगर से लेकर लगातार दान नगर तक हर एक स्थान पर घोषणा की। उन्होंने लोगों से कहा कि वे यरूशलेम में यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर के लिये फसह पर्व मनाने आऐं। इस्राएल के बहुत बड़े समूह ने बहुत समय से फसह पर्व उस प्रकार नहीं मनाया था, जिस प्रकार मूसा के नियमों ने इसे मनाने को कहा था।
6. इसलिये दूत राजा का पत्र पूरे इस्राएल औऱ यहूदा में ले गए। उन पत्रों में यह लिखा था: इस्राएल की सन्तानों, इब्राहीम, इसहाक और इस्राएल (याकूब), जिस यहोवा, परमेश्वर की आज्ञा मानते थे उसके पास लौटो। तब यहोवा तुम लोगों के पास वापस आयेगा जो अश्शूर के राजा से बच गए हैं और अभी तक जीवित हैं।
7. अपने पिता और भाइयों की तरह न बनो। यहोवा उनका परमेश्वर था, किन्तु वे उसके विरुद्ध हो गए। इसलिये यहोवा ने उनके प्रति लोगों के हृदय में घृणा पैदा की और उनके बारे में बुरा कहलवाया। तुम स्वयं अपनी आँखों से देख सकते हो कि यह सत्य है।
8. अपने पूर्वजों की तरह हठी न बनो। अपितु सच्चे हृदय से यहोवा की आज्ञा मानो। सर्वार्धिक पवित्र स्थान पर आओ। यहोवा ने सर्वाधिक पवित्र स्थान को सदैव के लिये पवित्र बनाया है। अपने यहोवा, परमेश्वर की सेवा करो। तब यहोवा का डरावना क्रोध तुम पर से हट जाएगा।
9. यदि तुम लौटोगे और यहोवा की आज्ञा मानोगे तब तुम्हारे सम्बन्धी और बच्चे उन लोगों की कृपा पाएंगे जिन्होंने उन्हें बन्दी बनाया है और तुम्हारे सम्बन्धी और बच्चे इस देश में लौटेंगे। यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर कृपालु है। यदि तुम उसके पास लौटोगे तो वह तुमसे दूर नहीं जायेगा।
10. दूत एप्रैम और मनश्शे के क्षेत्रों के सभी नगरों में गए। वे लगातार पूरे जबूलून देश में गए। किन्तु लोगों ने दूतों की हँसी उड़ाई औऱ उनका मजाक उड़ाया।
11. किन्तु आशेर, मनश्शे और जबूलून देश के कुछ लोग विनम्र हुए और यरूशलेम गए।
12. यहूदा में परमेश्वर की शक्ति ने लोगों को संगठित किया ताकि वे राजा हिजकिय्याह औऱ उसके अधिकारियों की आज्ञा का पालन करें। इस तरह उन्होंने यहोवा की आज्ञा का पालन किया।
13. बहुत से लोग एक साथ यरूशलेम, दूसरे महीने में अखमीरी रोटी का उत्सव मनाने आए। यह बहुत बड़ी भीड़ थी।
14. उन लोगों ने यरूशलेम में असत्य देवताओं की वेदियों को हटा दिया। उन्होंने असत्य देवताओं के लिये सुगन्धि भेंट की वेदियों को भी हटा दिया। उन्होंने उन वेदियों को किद्रोन की घाटी में फेंक दिया।
15. तब उन्होंने फसह पर्व के मेमने को दूसरे महीने के चौदहवें दिन मारा। याजक और लेवीवंशी लज्जित हुए। उन्होेंने अपने को पवित्र सेवा के लिये तैयार किया। याजक और लेवीवंशी होमबलि यहोवा के मन्दिर में ले आए।
16. मन्दिर में अपने लिए निर्धारित स्थान पर वे वैसे ही बैठे जैसा परमेश्वर के व्यक्ति मूसा के नियम में कहा गया था। लेवीवंशियों ने याजकों को खून दिया। तब याजकों ने खून को वेदी पर छिड़का।
17. उस समूह में बहुत से लोग ऐसे थे जिन्होंने अपने को पवित्र सेवा के लिये तैयार नहीं किया था अत: वे फसह पर्व के मेमने को मारने की स्वीकृति नहीं पा सके। यही कारण था कि लेवीवंशी उन सभी लोगों के लिए फसह पर्व के मेमने को मारने के उत्तरदायी थे जो शुद्ध नहीं थे। लेवीवंशी ने हर एक मेमने को यहोवा के लिये पवित्र बनाया।
18. [This verse may not be a part of this translation]
19. [This verse may not be a part of this translation]
20. यहोवा ने राजा हिजकिय्याह की प्रार्थना सुनी। यहोवा ने लोगों को क्षमा कर दिया।
21. इस्राएल की सन्तानों ने यरूशलेम में अखमीरी रोटी का उत्सव सात दिन तक मनाया। वे बहुत प्रसन्न थे। लेवीवंशी और याजकों ने अपनी पूरी शक्ति से हर एक दिन यहोवा की स्तुति की।
22. राजा हिजकिय्याह ने उन सभी लेवीवंशियों को उत्साहित किया जो अच्छी तरह समझ गये थे कि यहोवा की सेवा कैसे की जाती है। लोगों ने सात दिन तक पर्व मनाया और मेलबलि चढ़ाई। उन्होंने अपने पूर्वजों के यहोवा परमेश्वर को धन्यवाद दिया और उसकी स्तुति की।
23. सभी लोग सात दिन और ठहरने को सहमत हो गए। वे फसहपर्व मनाते समय सात दिन तक बड़े प्रसन्न रहे।
24. यहूदा के राजा हिजकिय्याह ने उस सभा को एक हज़ार बैल तथा सात हज़ार भेड़ें मारने और खाने के लिये दिये। प्रमुखों ने सभा को एक हज़ार बैल और दस हज़ार भेड़ें दीं। बहुत से याजकों ने पवित्र सेवा के लिये अपने को तैयार किया।
25. यहूदा की पूरी सभा, याजक, लेवीवंशी, इस्राएल से आने वाली पूरी सभा और वे यात्री जो इस्राएल से आए थे तथा यहूदा पहुँच गए थे, सभी लोग अत्यन्त प्रसन्न थे।
26. इस प्रकार यरूशलेम में बहुत आनन्द था। इस पर्व के समान कोई भी पर्व इस्राएल के राजा, दाऊद के पुत्र सुलैमान के समय के बाद से नहीं हुआ था।
27. याजक और लेवीवंशी खड़े हुए और यहोवा से लोगों को आशीर्वाद देने को कहा। परमेश्वर ने उनकी सुनी। उनकी प्रार्थना स्वर्ग में यहोवा के पवित्र निवास तक पहुँची।

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2 इतिहास 30:1
1. हिजकिय्याह ने इस्राएल और यहूदा के सभी लोगों को सन्देश भेजा। उसने एप्रैम और मनश्शे के लोगों को भी पत्र लिखा। हिजकिय्याह ने उन सभी लोगों को यरूशलेम में यहोवा के मन्दिर में आने के लिये निमन्त्रित किया जिससे वे सभी फसहपर्व यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर के लिये मना सकें।
2. हिजकिय्याह ने सभी अधिकारियों और यरूशलेम की सभा से यह सलाह की कि फसह पर्व दूसरे महीने मनें मनाया जाये।
3. वे फसह पर्व को नियमित समय से मना सके। क्यों क्योंकि याजक पर्याप्त संख्या में पवित्र सेवा के लिये अपने को तैयार कर सके और दूसरा कारण यह था कि लोग यरूशलेम में इकट्ठे नहीं हो सके थे।
4. इस सुझाव ने राजा हिजकिय्याह और पूरी सभा को सन्तुष्ट किया।
5. इसलिये उन्होंने इस्राएल में बेर्शेबा नगर से लेकर लगातार दान नगर तक हर एक स्थान पर घोषणा की। उन्होंने लोगों से कहा कि वे यरूशलेम में यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर के लिये फसह पर्व मनाने आऐं। इस्राएल के बहुत बड़े समूह ने बहुत समय से फसह पर्व उस प्रकार नहीं मनाया था, जिस प्रकार मूसा के नियमों ने इसे मनाने को कहा था।
6. इसलिये दूत राजा का पत्र पूरे इस्राएल औऱ यहूदा में ले गए। उन पत्रों में यह लिखा था: इस्राएल की सन्तानों, इब्राहीम, इसहाक और इस्राएल (याकूब), जिस यहोवा, परमेश्वर की आज्ञा मानते थे उसके पास लौटो। तब यहोवा तुम लोगों के पास वापस आयेगा जो अश्शूर के राजा से बच गए हैं और अभी तक जीवित हैं।
7. अपने पिता और भाइयों की तरह बनो। यहोवा उनका परमेश्वर था, किन्तु वे उसके विरुद्ध हो गए। इसलिये यहोवा ने उनके प्रति लोगों के हृदय में घृणा पैदा की और उनके बारे में बुरा कहलवाया। तुम स्वयं अपनी आँखों से देख सकते हो कि यह सत्य है।
8. अपने पूर्वजों की तरह हठी बनो। अपितु सच्चे हृदय से यहोवा की आज्ञा मानो। सर्वार्धिक पवित्र स्थान पर आओ। यहोवा ने सर्वाधिक पवित्र स्थान को सदैव के लिये पवित्र बनाया है। अपने यहोवा, परमेश्वर की सेवा करो। तब यहोवा का डरावना क्रोध तुम पर से हट जाएगा।
9. यदि तुम लौटोगे और यहोवा की आज्ञा मानोगे तब तुम्हारे सम्बन्धी और बच्चे उन लोगों की कृपा पाएंगे जिन्होंने उन्हें बन्दी बनाया है और तुम्हारे सम्बन्धी और बच्चे इस देश में लौटेंगे। यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर कृपालु है। यदि तुम उसके पास लौटोगे तो वह तुमसे दूर नहीं जायेगा।
10. दूत एप्रैम और मनश्शे के क्षेत्रों के सभी नगरों में गए। वे लगातार पूरे जबूलून देश में गए। किन्तु लोगों ने दूतों की हँसी उड़ाई औऱ उनका मजाक उड़ाया।
11. किन्तु आशेर, मनश्शे और जबूलून देश के कुछ लोग विनम्र हुए और यरूशलेम गए।
12. यहूदा में परमेश्वर की शक्ति ने लोगों को संगठित किया ताकि वे राजा हिजकिय्याह औऱ उसके अधिकारियों की आज्ञा का पालन करें। इस तरह उन्होंने यहोवा की आज्ञा का पालन किया।
13. बहुत से लोग एक साथ यरूशलेम, दूसरे महीने में अखमीरी रोटी का उत्सव मनाने आए। यह बहुत बड़ी भीड़ थी।
14. उन लोगों ने यरूशलेम में असत्य देवताओं की वेदियों को हटा दिया। उन्होंने असत्य देवताओं के लिये सुगन्धि भेंट की वेदियों को भी हटा दिया। उन्होंने उन वेदियों को किद्रोन की घाटी में फेंक दिया।
15. तब उन्होंने फसह पर्व के मेमने को दूसरे महीने के चौदहवें दिन मारा। याजक और लेवीवंशी लज्जित हुए। उन्होेंने अपने को पवित्र सेवा के लिये तैयार किया। याजक और लेवीवंशी होमबलि यहोवा के मन्दिर में ले आए।
16. मन्दिर में अपने लिए निर्धारित स्थान पर वे वैसे ही बैठे जैसा परमेश्वर के व्यक्ति मूसा के नियम में कहा गया था। लेवीवंशियों ने याजकों को खून दिया। तब याजकों ने खून को वेदी पर छिड़का।
17. उस समूह में बहुत से लोग ऐसे थे जिन्होंने अपने को पवित्र सेवा के लिये तैयार नहीं किया था अत: वे फसह पर्व के मेमने को मारने की स्वीकृति नहीं पा सके। यही कारण था कि लेवीवंशी उन सभी लोगों के लिए फसह पर्व के मेमने को मारने के उत्तरदायी थे जो शुद्ध नहीं थे। लेवीवंशी ने हर एक मेमने को यहोवा के लिये पवित्र बनाया।
18. This verse may not be a part of this translation
19. This verse may not be a part of this translation
20. यहोवा ने राजा हिजकिय्याह की प्रार्थना सुनी। यहोवा ने लोगों को क्षमा कर दिया।
21. इस्राएल की सन्तानों ने यरूशलेम में अखमीरी रोटी का उत्सव सात दिन तक मनाया। वे बहुत प्रसन्न थे। लेवीवंशी और याजकों ने अपनी पूरी शक्ति से हर एक दिन यहोवा की स्तुति की।
22. राजा हिजकिय्याह ने उन सभी लेवीवंशियों को उत्साहित किया जो अच्छी तरह समझ गये थे कि यहोवा की सेवा कैसे की जाती है। लोगों ने सात दिन तक पर्व मनाया और मेलबलि चढ़ाई। उन्होंने अपने पूर्वजों के यहोवा परमेश्वर को धन्यवाद दिया और उसकी स्तुति की।
23. सभी लोग सात दिन और ठहरने को सहमत हो गए। वे फसहपर्व मनाते समय सात दिन तक बड़े प्रसन्न रहे।
24. यहूदा के राजा हिजकिय्याह ने उस सभा को एक हज़ार बैल तथा सात हज़ार भेड़ें मारने और खाने के लिये दिये। प्रमुखों ने सभा को एक हज़ार बैल और दस हज़ार भेड़ें दीं। बहुत से याजकों ने पवित्र सेवा के लिये अपने को तैयार किया।
25. यहूदा की पूरी सभा, याजक, लेवीवंशी, इस्राएल से आने वाली पूरी सभा और वे यात्री जो इस्राएल से आए थे तथा यहूदा पहुँच गए थे, सभी लोग अत्यन्त प्रसन्न थे।
26. इस प्रकार यरूशलेम में बहुत आनन्द था। इस पर्व के समान कोई भी पर्व इस्राएल के राजा, दाऊद के पुत्र सुलैमान के समय के बाद से नहीं हुआ था।
27. याजक और लेवीवंशी खड़े हुए और यहोवा से लोगों को आशीर्वाद देने को कहा। परमेश्वर ने उनकी सुनी। उनकी प्रार्थना स्वर्ग में यहोवा के पवित्र निवास तक पहुँची।
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