पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
2 राजा
1. {लोग नियम को सुनते हैं} [PS] राजा योशिय्याह ने यहूदा और इस्राएल के सभी प्रमुखों से आने और उससे मिलने के लिये कहा।
2. तब राजा यहोवा के मन्दिर गया। सभी यहूदा के लोग और यरूशलेम में रहने वाले लोग उसके साथ गए। याजक, नबी, और सभी व्यक्ति, सबसे अधिक महत्वपूर्ण से सबसे कम महत्व के सभी उसके साथ गए। तब उसने साक्षीपत्र की पुस्तक पढ़ी। यह वही नियम की पुस्तक थी जो यहोवा के मन्दिर में मिली थी। योशिय्याह ने उस पुस्तक को इस प्रकार पढ़ा कि सभी लोग उसे सुन सकें। [PE][PS]
3. राजा स्तम्भ के पास खढ़ा हुआ और उसने यहोवा के साथ वाचा की। उसने यहोवा का अनुसरण करना, उसकी आज्ञा, वाचा और नियमों का पालन करना स्वीकार किया। उसने पूरी आत्मा और हृदय से यह करना स्वीकार किया। उसने उस पुस्तक में लिखी वाचा को मानना स्वीकार किया। सभी लोग यह प्रकट करने के लिये खड़े हुए कि वे राजा की वाचा का समर्थन करते हैं। [PE][PS]
4. तब राजा ने महायाजक हिलकिय्याह, अन्य याजकों और द्वारपालों को बाल, अशेरा और आकाश के नक्षत्रों के सम्मान के लिये बनी सभी चीज़ों को यहोवा के मन्दिर के बाहर लाने का आदेश दिया। तब योशिय्याह ने उन सभी को यरूशलेम के बाहर किद्रोन के खेतों में जला दिया। तब राख को वे बेतेल ले गए। [PE][PS]
5. यहूदा के राजाओं ने कुछ सामान्य व्यक्तियों को याजकों के रूप में सेवा के लिये चुना था। ये लोग हारून के परिवार से नहीं थे! वे बनावटी याजक यहूदा के सभी नगरों और यरूशलेम के चारों ओर के नगरों में उच्च स्थानों पर सुगन्धि जला रहे थे। वे बाल, सूर्य, चन्द्र, राशियों (नक्षत्रों के समूह) और आकाश के सभी नक्षत्रों के सम्मान में सुगन्धि जला रहे थे। किन्तु योशिय्याह ने उन बनावटी याजकों को रोक दिया। [PE][PS]
6. योशिय्याह ने अशेरा स्तम्भ को यहोवा के मन्दिर से हटाया। वह अशेरा स्तम्भ को नगर के बाहर किद्रोन घाटी को ले गया और उसे वहीं जला दिया। तब उसने जले खण्ड़ों को कूटा तथा उस राख को साधारण लोगों की कब्रों पर बिखेरा। [*तब … बिखेरा यह इस बात को प्रकट करने की प्रबल पद्धति थी कि अशेरा—स्तम्भ का उपयोग फिर नहीं हो सकता।] [PE][PS]
7. तब राजा योशिय्याह ने यहोवा के मन्दिर में बने पुरषगामियों के कोठों को गिरवा दिया। स्त्रियाँ भी उन घरों का उपयोग करती थीं और असत्य देवी अशेरा के सम्मान के लिये डेरे के आच्छादन बनाती थीं। [PE][PS]
8. (8-9) उस समय याजक बलि यरूशलेम को नहीं लाते थे और उसे मन्दिर की वेदी पर नहीं चढ़ाते थे। याजक सारे यहूदा के नगरों में रहते थे और वे उन नगरों में उच्च स्थानों पर सुगन्धि जलाते तथा बलि भेंट करते थे। वे उच्च स्थान गेबा से लेकर बेर्शेबा तक हर जगह थे। याजक अपनी अखमीरी रोटी उन नगरों में साधारण लोगों के साथ खाते थे, किन्तु यरूशलेम के मन्दिर में बने याजकों के लिये विशेष स्थान पर नहीं। परन्तु राजा योशिय्याह ने उन उच्च स्थानों को भ्रष्ट (नष्ट) कर डाला और याजकों को यरूशलेम ले गया। योशिय्याह ने उन उच्च स्थानों को भी नष्ट किया था जो यहोशू—द्वार के पास बायीं ओर थे। (यहोशू नगर का प्रशासक था।) [PE][PS]
9. तोपेत “हिन्नोम के पुत्र की घाटी” में एक स्थान था जहाँ लोग अपने बच्चों को मारते थे और असत्य देवता मोलेक के सम्मान में उन्हें वेदी पर जलाते थे। [†मोलेक … जलाते थे शाब्दिक, “लोग अपने पुत्र या पुत्री को आग से होकर मोलेक तक पहुँचाते थे।”] योशिय्याह ने उस स्थान को इतना भ्रष्ट(नष्ट) कर डाला कि लोग उस स्थान का फिर प्रयोग न कर सकें।
10. बीते समय में यहूदा के राजाओं ने यहोवा के मन्दिर के द्वार के पास कुछ घोड़े और रथ रख छोड़े थे। यह नतन्मेलेख नामक महत्वपूर्ण अधिकारी के कमरे के पास था। घोड़े और रथ सूर्य देव के सम्मान के लिये थे। योशिय्याह ने घोड़ों को हटाया और रथ को जला दिया। [PE][PS]
11. बीते समय में यहूदा के राजाओं ने अहाब की इमारत की छत पर वेदियाँ बना रखी थी। राजा मनश्शे ने भी यहोवा के मन्दिर के दो आँगनों में वेदियाँ बना रखी थीं। योशिय्याह ने उन वेदियों को तोड़ डाला और उनके टूटे टुकड़ों को किद्रोन की घाटी में फेंक दिया।
12. बीते समय में राजा सुलैमान ने यरूशलेम के निकट विध्वंसक पहाड़ी पर कुछ उच्च स्थान बनाए थे। उच्च स्थान उस पहाड़ी की दक्षिण की ओर थे। राजा सुलैमान ने पूजा के उन स्थानों में से एक को, सीदोन के लोग जिस भयंकर चीज़ अशतोरेत की पूजा करते थे, उसके सम्मान के लिये बनाया था। सुलैमान ने मोआब लोगों द्वारा पूजित भयंकर कमोश के सम्मान के लिये भी एक वेदी बनाई थी और राजा सुलैमान ने अम्मोन लोगों द्वारा पूजित भयंकर चीज मिल्कोम के सम्मान के लिये एक उच्च स्थान बनाया था। किन्तु राजा योशिय्याह ने उन सभी पूजा स्थानों को भ्रष्ट(नष्ट) कर दिया।
13. राजा योशिय्याह ने सभी स्मृति पत्थरों और अशेरा स्तम्भों को तोड़ डाला। तब उसने उस स्थानों के ऊपर मृतकों की हड्डियाँ बिखेरीं। [‡तब … बिखेरीं यही तरीका था कि उसने उन स्थानों को इस प्रकार भ्रष्ट (नष्ट) कर दिया जिससे वे पूजा के स्थान के रूप में प्रयोग में न आ सके।] [PE][PS]
14. योशिय्याह ने बेतेल की वेदी और उच्च स्थानों को भी तोड़ डाला। नबात के पुत्र यारोबाम ने इस वेदी को बनाया था। यारोबाम ने इस्राएल से पाप कराया था। [§यारोबाम … कराया था देखें 1 राजा 12:26-30] [PE][PS] योशिय्याह ने उच्च स्थानों और वेदी दोनों को तोड़ डाला। योशिय्याह ने वेदी के पत्थर के टुकड़े कर दिये। तब उसने उन्हें कूट कर धूलि बना दिया और उसने अशेरा स्तम्भ को जला दिया।
15. योशिय्याह ने चारों ओर नज़र दौड़ाई और पहाड़ पर कब्रों को देखा। उसने व्यक्तियों को भेजा और वे उन कब्रों से हड्डियाँ ले आए। तब उसने वेदी पर उन हड्डियों को जलाया। इस प्रकार योशिय्याह ने वेदी को भ्रष्ट(नष्ट) कर दिया। यह उसी प्रकार हुआ जैसा यहोवा के सन्देश को परमेश्वर के जन ने घोषित किया था। [**घोषित किया था देखें 1 राजा 13:1-3] परमेश्वर के जन ने इसकी घोषणा तब की थी जब यारोबाम वेदी की बगल में खड़ा था। [PE][PS] तब योशिय्याह ने चारों ओर निगाह दौड़ाई और परमेश्वर के जन की कब्र देखी। [PE][PS]
16. योशिय्याह ने कहा, “जिस स्मारक को मैं देख रहा हूँ, वह क्या है” [PE][PS] नगर के लोगों ने उससे कहा, “यह परमेश्वर के उस जन की कब्र है जो यहूदा से आया था। इस परमेश्वर के जन ने वह सब बताया था जो आपने बेतेल में वेदी के साथ किया। उसने ये बातें बहुत पहले बताई थीं।” [PE][PS]
17. योशिय्याह ने कहा, “परमेश्वर के जन को अकेला छोड़ दो। उसकी हडिड्यों को मत हटाओ।” अत: उन्होंने हडिड्याँ छोड़ दी, और साथ ही शोमरोन से आये परमेश्वर के जन की हडिड्याँ भी छोड़ दी। [PE][PS]
18. योशिय्याह ने शोमरोन नगर के सभी उच्च स्थानों के पूजागृह को भी नष्ट कर दिया। इस्राएल के राजाओं ने उन पूजागृहों को बनाया था और उसने यहोवा को बहुत क्रोधित किया था। योशिय्याह ने उन पूजागृहों को वैसे ही नष्ट किया जैसे उसने बेतेल के पूजा के स्थानों को नष्ट किया। [PE][PS]
19. योशिय्याह ने शोमरोन में रहने वाले उच्च स्थानों के सभी पुरोहितों को मार डाला। उसने उन्हीं वेदियों पर पुरोहितों का वध किया। उसने मनुष्यों की हड्डियाँ वेदियों पर जलाई। इस प्रकार उसने पूजा के उन स्थानों को भ्रष्ट किया। तब वह यरूशलेम लौट गया। [PS]
20. {यहूदा के लोग फसह पर्व मनाते हैं} [PS] तब राजा योशिय्याह ने सभी लोगों को आदेश दिया। उसने कहा, “यहोवा, अपने परमेश्वर का फसह पर्व मनाओ। इसे उसी प्रकार मनाओ जैसा साक्षीपत्र की पुस्तक में लिखा है।” [PE][PS]
21. लोगों ने इस प्रकार फसह पर्व तब से नहीं मनाया था जब से इस्राएल पर न्यायाधीश शासन करते थे। इस्राएल के किसी राजा या यहूदा के किसी भी राजा ने कभी फसह पर्व का इतना बड़ा उत्सव नहीं मनाया था।
22. उन लोगों ने यहोवा के लिये यह फसह पर्व योशिय्याह के राज्यकाल के अट्ठारहवें वर्ष में यरूशलेम में मनाया। [PE][PS]
23. योशिय्याह ने ओझाओं, भूतसिद्धकों, गृह—देवताओं, देवमूर्तियों और यहूदा तथा इस्राएल में जिन डरावनी चीज़ों की पूजा होती थी, सबको नष्ट कर दिया। योशिय्याह ने यह यहोवा के मन्दिर में याजक हिलकिय्याह को मिली पुस्तक में लिखे नियमों का पालन करने के लिये किया। [PE][PS]
24. इसके पहले योशिय्याह के समान कभी कोई राजा नहीं हुआ था। योशिय्याह यहोवा की ओर अपने पूरे हृदय, अपनी पूरी आत्मा और अपनी पूरी शक्ति से गया। योशिय्याह की तरह किसी राजा ने मूसा के सभी नियमों का अनुसरण नहीं किया था और उस समय से योशिय्याह की तरह का कोई अन्य राजा कभी नहीं हुआ। [PE][PS]
25. किन्तु यहोवा ने यहूदा के लोगों पर क्रोध करना छोड़ा नहीं। यहोवा अब भी उन पर सारे कामों के लिये क्रोधित था जिन्हें मनश्शे ने किया था।
26. यहोवा ने कहा, “मैंने इस्राएलियों को उनका देश छोड़ने को विवश किया। मैं यहूदा के साथ वैसा ही करूँगा मैं यहूदा को अपनी आँखों से ओझल करूँगा। मैं यरूशलेम को अस्वीकार करूँगा। हाँ, मैंने उस नगर को चुना, और यह वही स्थान है जिसके बारे में मैं (यरूशलेम के बारे में) बातें कर रहा था जब मैंने यह कहा था, ‘मेरा नाम वहाँ रहेगा।’ किन्तु मैं वहाँ के मन्दिर को नष्ट करूँगा।” [PE][PS]
27. योशिय्याह ने जो अन्य काम किये वे यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं। [PS]
28. {योशिय्याह की मृत्यु} [PS] योशिय्याह के समय मिस्र का राजा फिरौन नको अश्शूर के राजा के विरुद्ध युद्ध करने परात नदी को गया। राजा योशिय्याह नको से मिलने मगिद्दो गया। [PE][PS] फ़िरौन नको ने योशिय्याह को देख लिया और तब उसे मार डाला।
29. योशिय्याह के अधिकारियों ने उसके शरीर को एक रथ में रखा और उसे मगिद्दो से यरूशलेम ले गये। उन्होंने योशिय्याह को उसकी अपनी कब्र में दफनाया। [PE][PS] तब साधारण लोगों ने योशिय्याह के पुत्र यहोआहाज को लिया और उसका राज्याभिषेक कर दिया। उन्होंने यहोआहाज को नया राजा बनाया। [PS]
30. {यहोआहाज यहूदा का नया राजा बनता है} [PS] यहोआहाज तेईस वर्ष का था, जब वह राजा बना। उसने यरूशलेम में तीन महीने शासन किया। उसकी माँ लिब्ना के यिर्मयाह की पुत्री हमूतल थी।
31. यहोआहाज ने वे काम किये जिन्हें यहोवा ने बुरा बताया था। यहोआहाज ने वे ही सब काम किये जिन्हें उसके पूर्वजों ने किये थे। [PE][PS]
32. फ़िरौन नको ने यहोआहाज को हमात प्रदेश में रिबला में कैद में रखा। अतः यहोआहाज यरूशलेम में शासन नहीं कर सका। फ़िरौन नको ने यहूदा को सात हज़ार पाँच सौ पौंड चाँदी और पचहत्तर पौंड सोना देने को विवश किया। [PE][PS]
33. फ़िरौन नको ने योशिय्याह के पुत्र एल्याकीम को नया राजा बनाया। एल्याकीम ने अपने पिता योशिय्याह का स्थान लिया। फ़िरौन—नको ने एल्याकीम का नाम बदलकर यहोयाकीम कर दिया और फ़िरौन—नको यहोआहाज को मिस्र ले गया। योहआहाज मिस्र में मरा।
34. यहोयाकीम ने फ़िरौन को सोना और चाँदी दिया। किन्तु यहोयाकीम ने साधारण जनता से कर वसूले और उस धन का उपयोग फ़िरौन—नको को देने में किया। अतः हर व्यक्ति ने चाँदी और सोने का अपने हिस्से का भुगतान किया और राजा यहोयाकीम ने फ़िरौन को वह धन दिया। [PE][PS]
35. यहोयाकीम जब राजा हुआ तो वह पच्चीस वर्ष का था। उसने ग्यारह वर्ष तक यरूशलेम में राज्य किया। [PE][PS] उसकी माँ रुमा के अदायाह की पुत्री जबीदा थी।
36. यहोयाकीम ने वे काम किये जिन्हें यहोवा ने बुरा बताया था। यहोयाकीम ने वे ही सब काम किये जो उसके पूर्वजों ने किये थे। [PE]
37.

Notes

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Total 25 अध्याय, Selected अध्याय 23 / 25
2 राजा 23
लोग नियम को सुनते हैं 1 राजा योशिय्याह ने यहूदा और इस्राएल के सभी प्रमुखों से आने और उससे मिलने के लिये कहा। 2 तब राजा यहोवा के मन्दिर गया। सभी यहूदा के लोग और यरूशलेम में रहने वाले लोग उसके साथ गए। याजक, नबी, और सभी व्यक्ति, सबसे अधिक महत्वपूर्ण से सबसे कम महत्व के सभी उसके साथ गए। तब उसने साक्षीपत्र की पुस्तक पढ़ी। यह वही नियम की पुस्तक थी जो यहोवा के मन्दिर में मिली थी। योशिय्याह ने उस पुस्तक को इस प्रकार पढ़ा कि सभी लोग उसे सुन सकें। 3 राजा स्तम्भ के पास खढ़ा हुआ और उसने यहोवा के साथ वाचा की। उसने यहोवा का अनुसरण करना, उसकी आज्ञा, वाचा और नियमों का पालन करना स्वीकार किया। उसने पूरी आत्मा और हृदय से यह करना स्वीकार किया। उसने उस पुस्तक में लिखी वाचा को मानना स्वीकार किया। सभी लोग यह प्रकट करने के लिये खड़े हुए कि वे राजा की वाचा का समर्थन करते हैं। 4 तब राजा ने महायाजक हिलकिय्याह, अन्य याजकों और द्वारपालों को बाल, अशेरा और आकाश के नक्षत्रों के सम्मान के लिये बनी सभी चीज़ों को यहोवा के मन्दिर के बाहर लाने का आदेश दिया। तब योशिय्याह ने उन सभी को यरूशलेम के बाहर किद्रोन के खेतों में जला दिया। तब राख को वे बेतेल ले गए। 5 यहूदा के राजाओं ने कुछ सामान्य व्यक्तियों को याजकों के रूप में सेवा के लिये चुना था। ये लोग हारून के परिवार से नहीं थे! वे बनावटी याजक यहूदा के सभी नगरों और यरूशलेम के चारों ओर के नगरों में उच्च स्थानों पर सुगन्धि जला रहे थे। वे बाल, सूर्य, चन्द्र, राशियों (नक्षत्रों के समूह) और आकाश के सभी नक्षत्रों के सम्मान में सुगन्धि जला रहे थे। किन्तु योशिय्याह ने उन बनावटी याजकों को रोक दिया। 6 योशिय्याह ने अशेरा स्तम्भ को यहोवा के मन्दिर से हटाया। वह अशेरा स्तम्भ को नगर के बाहर किद्रोन घाटी को ले गया और उसे वहीं जला दिया। तब उसने जले खण्ड़ों को कूटा तथा उस राख को साधारण लोगों की कब्रों पर बिखेरा। *तब … बिखेरा यह इस बात को प्रकट करने की प्रबल पद्धति थी कि अशेरा—स्तम्भ का उपयोग फिर नहीं हो सकता। 7 तब राजा योशिय्याह ने यहोवा के मन्दिर में बने पुरषगामियों के कोठों को गिरवा दिया। स्त्रियाँ भी उन घरों का उपयोग करती थीं और असत्य देवी अशेरा के सम्मान के लिये डेरे के आच्छादन बनाती थीं। 8 (8-9) उस समय याजक बलि यरूशलेम को नहीं लाते थे और उसे मन्दिर की वेदी पर नहीं चढ़ाते थे। याजक सारे यहूदा के नगरों में रहते थे और वे उन नगरों में उच्च स्थानों पर सुगन्धि जलाते तथा बलि भेंट करते थे। वे उच्च स्थान गेबा से लेकर बेर्शेबा तक हर जगह थे। याजक अपनी अखमीरी रोटी उन नगरों में साधारण लोगों के साथ खाते थे, किन्तु यरूशलेम के मन्दिर में बने याजकों के लिये विशेष स्थान पर नहीं। परन्तु राजा योशिय्याह ने उन उच्च स्थानों को भ्रष्ट (नष्ट) कर डाला और याजकों को यरूशलेम ले गया। योशिय्याह ने उन उच्च स्थानों को भी नष्ट किया था जो यहोशू—द्वार के पास बायीं ओर थे। (यहोशू नगर का प्रशासक था।) 9 तोपेत “हिन्नोम के पुत्र की घाटी” में एक स्थान था जहाँ लोग अपने बच्चों को मारते थे और असत्य देवता मोलेक के सम्मान में उन्हें वेदी पर जलाते थे। मोलेक … जलाते थे शाब्दिक, “लोग अपने पुत्र या पुत्री को आग से होकर मोलेक तक पहुँचाते थे।” योशिय्याह ने उस स्थान को इतना भ्रष्ट(नष्ट) कर डाला कि लोग उस स्थान का फिर प्रयोग न कर सकें। 10 बीते समय में यहूदा के राजाओं ने यहोवा के मन्दिर के द्वार के पास कुछ घोड़े और रथ रख छोड़े थे। यह नतन्मेलेख नामक महत्वपूर्ण अधिकारी के कमरे के पास था। घोड़े और रथ सूर्य देव के सम्मान के लिये थे। योशिय्याह ने घोड़ों को हटाया और रथ को जला दिया। 11 बीते समय में यहूदा के राजाओं ने अहाब की इमारत की छत पर वेदियाँ बना रखी थी। राजा मनश्शे ने भी यहोवा के मन्दिर के दो आँगनों में वेदियाँ बना रखी थीं। योशिय्याह ने उन वेदियों को तोड़ डाला और उनके टूटे टुकड़ों को किद्रोन की घाटी में फेंक दिया। 12 बीते समय में राजा सुलैमान ने यरूशलेम के निकट विध्वंसक पहाड़ी पर कुछ उच्च स्थान बनाए थे। उच्च स्थान उस पहाड़ी की दक्षिण की ओर थे। राजा सुलैमान ने पूजा के उन स्थानों में से एक को, सीदोन के लोग जिस भयंकर चीज़ अशतोरेत की पूजा करते थे, उसके सम्मान के लिये बनाया था। सुलैमान ने मोआब लोगों द्वारा पूजित भयंकर कमोश के सम्मान के लिये भी एक वेदी बनाई थी और राजा सुलैमान ने अम्मोन लोगों द्वारा पूजित भयंकर चीज मिल्कोम के सम्मान के लिये एक उच्च स्थान बनाया था। किन्तु राजा योशिय्याह ने उन सभी पूजा स्थानों को भ्रष्ट(नष्ट) कर दिया। 13 राजा योशिय्याह ने सभी स्मृति पत्थरों और अशेरा स्तम्भों को तोड़ डाला। तब उसने उस स्थानों के ऊपर मृतकों की हड्डियाँ बिखेरीं। तब … बिखेरीं यही तरीका था कि उसने उन स्थानों को इस प्रकार भ्रष्ट (नष्ट) कर दिया जिससे वे पूजा के स्थान के रूप में प्रयोग में न आ सके। 14 योशिय्याह ने बेतेल की वेदी और उच्च स्थानों को भी तोड़ डाला। नबात के पुत्र यारोबाम ने इस वेदी को बनाया था। यारोबाम ने इस्राएल से पाप कराया था। §यारोबाम … कराया था देखें 1 राजा 12:26-30 योशिय्याह ने उच्च स्थानों और वेदी दोनों को तोड़ डाला। योशिय्याह ने वेदी के पत्थर के टुकड़े कर दिये। तब उसने उन्हें कूट कर धूलि बना दिया और उसने अशेरा स्तम्भ को जला दिया। 15 योशिय्याह ने चारों ओर नज़र दौड़ाई और पहाड़ पर कब्रों को देखा। उसने व्यक्तियों को भेजा और वे उन कब्रों से हड्डियाँ ले आए। तब उसने वेदी पर उन हड्डियों को जलाया। इस प्रकार योशिय्याह ने वेदी को भ्रष्ट(नष्ट) कर दिया। यह उसी प्रकार हुआ जैसा यहोवा के सन्देश को परमेश्वर के जन ने घोषित किया था। *घोषित किया था देखें 1 राजा 13:1-3 परमेश्वर के जन ने इसकी घोषणा तब की थी जब यारोबाम वेदी की बगल में खड़ा था। तब योशिय्याह ने चारों ओर निगाह दौड़ाई और परमेश्वर के जन की कब्र देखी। 16 योशिय्याह ने कहा, “जिस स्मारक को मैं देख रहा हूँ, वह क्या है” नगर के लोगों ने उससे कहा, “यह परमेश्वर के उस जन की कब्र है जो यहूदा से आया था। इस परमेश्वर के जन ने वह सब बताया था जो आपने बेतेल में वेदी के साथ किया। उसने ये बातें बहुत पहले बताई थीं।” 17 योशिय्याह ने कहा, “परमेश्वर के जन को अकेला छोड़ दो। उसकी हडिड्यों को मत हटाओ।” अत: उन्होंने हडिड्याँ छोड़ दी, और साथ ही शोमरोन से आये परमेश्वर के जन की हडिड्याँ भी छोड़ दी। 18 योशिय्याह ने शोमरोन नगर के सभी उच्च स्थानों के पूजागृह को भी नष्ट कर दिया। इस्राएल के राजाओं ने उन पूजागृहों को बनाया था और उसने यहोवा को बहुत क्रोधित किया था। योशिय्याह ने उन पूजागृहों को वैसे ही नष्ट किया जैसे उसने बेतेल के पूजा के स्थानों को नष्ट किया। 19 योशिय्याह ने शोमरोन में रहने वाले उच्च स्थानों के सभी पुरोहितों को मार डाला। उसने उन्हीं वेदियों पर पुरोहितों का वध किया। उसने मनुष्यों की हड्डियाँ वेदियों पर जलाई। इस प्रकार उसने पूजा के उन स्थानों को भ्रष्ट किया। तब वह यरूशलेम लौट गया। यहूदा के लोग फसह पर्व मनाते हैं 20 तब राजा योशिय्याह ने सभी लोगों को आदेश दिया। उसने कहा, “यहोवा, अपने परमेश्वर का फसह पर्व मनाओ। इसे उसी प्रकार मनाओ जैसा साक्षीपत्र की पुस्तक में लिखा है।” 21 लोगों ने इस प्रकार फसह पर्व तब से नहीं मनाया था जब से इस्राएल पर न्यायाधीश शासन करते थे। इस्राएल के किसी राजा या यहूदा के किसी भी राजा ने कभी फसह पर्व का इतना बड़ा उत्सव नहीं मनाया था। 22 उन लोगों ने यहोवा के लिये यह फसह पर्व योशिय्याह के राज्यकाल के अट्ठारहवें वर्ष में यरूशलेम में मनाया। 23 योशिय्याह ने ओझाओं, भूतसिद्धकों, गृह—देवताओं, देवमूर्तियों और यहूदा तथा इस्राएल में जिन डरावनी चीज़ों की पूजा होती थी, सबको नष्ट कर दिया। योशिय्याह ने यह यहोवा के मन्दिर में याजक हिलकिय्याह को मिली पुस्तक में लिखे नियमों का पालन करने के लिये किया। 24 इसके पहले योशिय्याह के समान कभी कोई राजा नहीं हुआ था। योशिय्याह यहोवा की ओर अपने पूरे हृदय, अपनी पूरी आत्मा और अपनी पूरी शक्ति से गया। योशिय्याह की तरह किसी राजा ने मूसा के सभी नियमों का अनुसरण नहीं किया था और उस समय से योशिय्याह की तरह का कोई अन्य राजा कभी नहीं हुआ। 25 किन्तु यहोवा ने यहूदा के लोगों पर क्रोध करना छोड़ा नहीं। यहोवा अब भी उन पर सारे कामों के लिये क्रोधित था जिन्हें मनश्शे ने किया था। 26 यहोवा ने कहा, “मैंने इस्राएलियों को उनका देश छोड़ने को विवश किया। मैं यहूदा के साथ वैसा ही करूँगा मैं यहूदा को अपनी आँखों से ओझल करूँगा। मैं यरूशलेम को अस्वीकार करूँगा। हाँ, मैंने उस नगर को चुना, और यह वही स्थान है जिसके बारे में मैं (यरूशलेम के बारे में) बातें कर रहा था जब मैंने यह कहा था, ‘मेरा नाम वहाँ रहेगा।’ किन्तु मैं वहाँ के मन्दिर को नष्ट करूँगा।” 27 योशिय्याह ने जो अन्य काम किये वे यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे हैं। योशिय्याह की मृत्यु 28 योशिय्याह के समय मिस्र का राजा फिरौन नको अश्शूर के राजा के विरुद्ध युद्ध करने परात नदी को गया। राजा योशिय्याह नको से मिलने मगिद्दो गया। फ़िरौन नको ने योशिय्याह को देख लिया और तब उसे मार डाला। 29 योशिय्याह के अधिकारियों ने उसके शरीर को एक रथ में रखा और उसे मगिद्दो से यरूशलेम ले गये। उन्होंने योशिय्याह को उसकी अपनी कब्र में दफनाया। तब साधारण लोगों ने योशिय्याह के पुत्र यहोआहाज को लिया और उसका राज्याभिषेक कर दिया। उन्होंने यहोआहाज को नया राजा बनाया। यहोआहाज यहूदा का नया राजा बनता है 30 यहोआहाज तेईस वर्ष का था, जब वह राजा बना। उसने यरूशलेम में तीन महीने शासन किया। उसकी माँ लिब्ना के यिर्मयाह की पुत्री हमूतल थी। 31 यहोआहाज ने वे काम किये जिन्हें यहोवा ने बुरा बताया था। यहोआहाज ने वे ही सब काम किये जिन्हें उसके पूर्वजों ने किये थे। 32 फ़िरौन नको ने यहोआहाज को हमात प्रदेश में रिबला में कैद में रखा। अतः यहोआहाज यरूशलेम में शासन नहीं कर सका। फ़िरौन नको ने यहूदा को सात हज़ार पाँच सौ पौंड चाँदी और पचहत्तर पौंड सोना देने को विवश किया। 33 फ़िरौन नको ने योशिय्याह के पुत्र एल्याकीम को नया राजा बनाया। एल्याकीम ने अपने पिता योशिय्याह का स्थान लिया। फ़िरौन—नको ने एल्याकीम का नाम बदलकर यहोयाकीम कर दिया और फ़िरौन—नको यहोआहाज को मिस्र ले गया। योहआहाज मिस्र में मरा। 34 यहोयाकीम ने फ़िरौन को सोना और चाँदी दिया। किन्तु यहोयाकीम ने साधारण जनता से कर वसूले और उस धन का उपयोग फ़िरौन—नको को देने में किया। अतः हर व्यक्ति ने चाँदी और सोने का अपने हिस्से का भुगतान किया और राजा यहोयाकीम ने फ़िरौन को वह धन दिया। 35 यहोयाकीम जब राजा हुआ तो वह पच्चीस वर्ष का था। उसने ग्यारह वर्ष तक यरूशलेम में राज्य किया। उसकी माँ रुमा के अदायाह की पुत्री जबीदा थी। 36 यहोयाकीम ने वे काम किये जिन्हें यहोवा ने बुरा बताया था। यहोयाकीम ने वे ही सब काम किये जो उसके पूर्वजों ने किये थे। 37
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