पवित्र बाइबिल

ऐसी तो रीड वर्शन (ESV)
2 इतिहास
1. {#1यहूदा का राजा यहोशापात } [PS]आसा के स्थान पर यहोशापात यहूदा का नया राजा हुआ। यहोशापात आसा का पुत्र था। यहोशापात ने यहूदा को शक्तिशाली बनाया जिससे वे इस्राएल के विरुद्ध लड़ सकते थे।
2. उसने यहूदा के उन सभी नगरों में सेना की टुकड़ियाँ रखीं जो किले बना दिये गए थे। यहोशापात ने यहूदा और एप्रैम के उन नगरों में किले बनाए जिन्हें उसके पिता ने अपने अधिकार में किया था। [PE]
3. [PS]यहोवा यहोशापात के साथ था क्योंकि उसने वे अच्छे काम किये जिन्हें उसके पूर्वज दाऊद ने किया था। यहोशापात ने बाल की मूर्तियों का अनुसरण नहीं किया।
4. यहोशापात ने उस परमेश्वर को खोजा जिसका अनुसरण उसके पूर्वज करते थे। उसने परमेश्वर के आदेशों का पालन किया। वह उस तरह नहीं रहा जैसै इस्राएल के अन्य लोग रहते थे।
5. यहोवा ने यहोशापात को यहूदा का शक्तिशाली राजा बनाया। यहूदा के सभी लोग यहोशापात को भेंट लाए। इस प्रकार यहोशापात के पास बहुत सी सम्पत्ति और सम्मान दोनों थे।
6. यहोशापात का हृदय यहोवा के मार्ग पर चलने में आनन्दित था। उसने उच्च स्थानों और अशेरा के स्तम्भों को यहूदा देश से बाहर किया। [PE]
7. [PS]यहोशापात ने अपने प्रमुखों को यहूदा के नगरों में उपदेश देने के लिये भेजा। यह यहोशापात के राज्यकाल के तीसरे वर्ष हुआ। वे प्रमुख बेन्हैल, ओबद्याह, जकर्याह, नतनेल और मीकायाह थे।
8. यहोशापात ने इन प्रमुखों के साथ लेवीवंशियों को भी भेजा। ये लेवीवंशी शमायाह, नतन्याह, असाहेल, शमीरामोत, यहोनातान, अदोनिय्याह और तोबिय्याह थे। यहोशापात ने याचक एलीशामा और यहोराम को भेजा।
9. उन प्रमुखों, लेवीवंशियों और याचकों ने यहूदा में लोगों को शिक्षा दी। उनके पास [BKS]यहोवा के नियमों की पुस्तक[BKE] थी। वे यहूदा के सभी नगरों में गये और लोगों को उन्होंने शिक्षा दी। [PE]
10. [PS]यहूदा के आसपास के नगर यहोवा से डरते थे। यही कारण था कि उन्होंने यहोशापात के विरुद्ध युद्ध नहीं छेड़ा।
11. कुछ पलिश्ती लोग यहोशापात के पास भेंट लाए। वे यहोशापात के पास चाँदी भी लाए क्योंकि वे जानते थे कि वह बहुत शक्तिशाली राजा है। कुछ अरब के लोग यहोशापात के पास रेवड़े लाये। वे उसके पास सात हज़ार सात सौ भेंड़ें और सात हज़ार सात सौ बकरियाँ लाए। [PE]
12. [PS]यहोशापात अधिक से अधिक शक्तिशाली होता गया। उसने किले और भण्डार नगर यहूदा देश में बनाये।
13. उसने बहुत सी सामग्री भण्डार नगरों में रखी और यहोशापात ने यरूशलेम में प्रशिक्षित सैनिक रखे।
14. उन सैनिकों की अपने परिवार समूह में गिनती थी। यरूशलेम के उन सैनिकों की सूची ये हैः [PE][PBR] [LS]यहूदा के परिवार समूह से ये सेनाध्यक्ष थेः [LE][LS]अदना तीन लाख सैनिकों का सेनाध्यक्ष था। [LE]
15. [LS] यहोहानान दो लाख अस्सी हज़ार सैनिकों का सेनाध्यक्ष था। [LE]
16. [LS] अमस्याह दो लाख सैनिकों का सेनाध्यक्ष था। अमस्याह जिक्री का पुत्र था। अमस्याह अपने को यहोवा की सेवा में अर्पित करने में प्रसन्न था। [LE]
17. [LS] बिन्यामीन के परिवार समूह से ये सेनाध्यक्ष थेः [LE][LS]एलयादा के पास दो लाख सैनिक थे जो धनुष, बाण और ढाल का उपयोग करते थे। एल्यादा एक साहसी सैनिक था। [LE]
18. [LS] यहोजाबाद के पास एक लाख अस्सी हज़ार व्यक्ति युद्ध के लिये तैयार थे। [LE][PBR]
19. [MS] वे सभी सैनिक यहोशापात की सेवा करते थे। राजा ने पूरे यहूदा देश के किलों में अन्य व्यक्तियों को भी रखा था। [ME]
Total 36 अध्याय, Selected अध्याय 17 / 36
यहूदा का राजा यहोशापात 1 आसा के स्थान पर यहोशापात यहूदा का नया राजा हुआ। यहोशापात आसा का पुत्र था। यहोशापात ने यहूदा को शक्तिशाली बनाया जिससे वे इस्राएल के विरुद्ध लड़ सकते थे। 2 उसने यहूदा के उन सभी नगरों में सेना की टुकड़ियाँ रखीं जो किले बना दिये गए थे। यहोशापात ने यहूदा और एप्रैम के उन नगरों में किले बनाए जिन्हें उसके पिता ने अपने अधिकार में किया था। 3 यहोवा यहोशापात के साथ था क्योंकि उसने वे अच्छे काम किये जिन्हें उसके पूर्वज दाऊद ने किया था। यहोशापात ने बाल की मूर्तियों का अनुसरण नहीं किया। 4 यहोशापात ने उस परमेश्वर को खोजा जिसका अनुसरण उसके पूर्वज करते थे। उसने परमेश्वर के आदेशों का पालन किया। वह उस तरह नहीं रहा जैसै इस्राएल के अन्य लोग रहते थे। 5 यहोवा ने यहोशापात को यहूदा का शक्तिशाली राजा बनाया। यहूदा के सभी लोग यहोशापात को भेंट लाए। इस प्रकार यहोशापात के पास बहुत सी सम्पत्ति और सम्मान दोनों थे। 6 यहोशापात का हृदय यहोवा के मार्ग पर चलने में आनन्दित था। उसने उच्च स्थानों और अशेरा के स्तम्भों को यहूदा देश से बाहर किया। 7 यहोशापात ने अपने प्रमुखों को यहूदा के नगरों में उपदेश देने के लिये भेजा। यह यहोशापात के राज्यकाल के तीसरे वर्ष हुआ। वे प्रमुख बेन्हैल, ओबद्याह, जकर्याह, नतनेल और मीकायाह थे। 8 यहोशापात ने इन प्रमुखों के साथ लेवीवंशियों को भी भेजा। ये लेवीवंशी शमायाह, नतन्याह, असाहेल, शमीरामोत, यहोनातान, अदोनिय्याह और तोबिय्याह थे। यहोशापात ने याचक एलीशामा और यहोराम को भेजा। 9 उन प्रमुखों, लेवीवंशियों और याचकों ने यहूदा में लोगों को शिक्षा दी। उनके पास [BKS]यहोवा के नियमों की पुस्तक[BKE] थी। वे यहूदा के सभी नगरों में गये और लोगों को उन्होंने शिक्षा दी। 10 यहूदा के आसपास के नगर यहोवा से डरते थे। यही कारण था कि उन्होंने यहोशापात के विरुद्ध युद्ध नहीं छेड़ा। 11 कुछ पलिश्ती लोग यहोशापात के पास भेंट लाए। वे यहोशापात के पास चाँदी भी लाए क्योंकि वे जानते थे कि वह बहुत शक्तिशाली राजा है। कुछ अरब के लोग यहोशापात के पास रेवड़े लाये। वे उसके पास सात हज़ार सात सौ भेंड़ें और सात हज़ार सात सौ बकरियाँ लाए। 12 यहोशापात अधिक से अधिक शक्तिशाली होता गया। उसने किले और भण्डार नगर यहूदा देश में बनाये। 13 उसने बहुत सी सामग्री भण्डार नगरों में रखी और यहोशापात ने यरूशलेम में प्रशिक्षित सैनिक रखे। 14 उन सैनिकों की अपने परिवार समूह में गिनती थी। यरूशलेम के उन सैनिकों की सूची ये हैः यहूदा के परिवार समूह से ये सेनाध्यक्ष थेः अदना तीन लाख सैनिकों का सेनाध्यक्ष था। 15 यहोहानान दो लाख अस्सी हज़ार सैनिकों का सेनाध्यक्ष था। 16 अमस्याह दो लाख सैनिकों का सेनाध्यक्ष था। अमस्याह जिक्री का पुत्र था। अमस्याह अपने को यहोवा की सेवा में अर्पित करने में प्रसन्न था। 17 बिन्यामीन के परिवार समूह से ये सेनाध्यक्ष थेः एलयादा के पास दो लाख सैनिक थे जो धनुष, बाण और ढाल का उपयोग करते थे। एल्यादा एक साहसी सैनिक था। 18 यहोजाबाद के पास एक लाख अस्सी हज़ार व्यक्ति युद्ध के लिये तैयार थे। 19 वे सभी सैनिक यहोशापात की सेवा करते थे। राजा ने पूरे यहूदा देश के किलों में अन्य व्यक्तियों को भी रखा था।
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