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2. [PS]तब सुलैमान ने यहोवा के मन्दिर के लिये किये गए सभी काम पूरे कर लिए। सुलैमान उन सभी चीज़ों को लाया जो उसके पिता दाऊद ने मन्दिर के लिये दी थी। सुलैमान सोने चाँदी की बनी हुई वस्तुएँ तथा और सभी सामान लाया। सुलैमान ने उन सभी चीज़ों को परमेश्वर के मन्दिर के कोषागार में रखा। [PE]{#1पवित्र सन्दूक मन्दिर में पहुँचाया गया } [PS]सुलैमान ने इस्राएल के सभी अग्रजों, परिवार समूहों के प्रमुखों और इस्राएल में परिवार प्रमुखों को इकट्ठा किया। उसने सभी को यरूशलेम में इकट्ठा किया। सुलैमान ने यह इसलिये किया कि लेवीवंशी साक्षीपत्र के सन्दूक को दाऊद के नगर से ला सकें। दाऊद का नगर सिय्योन है।
3. राजा सुलैमान से इस्राएल के सभी लोग सातवें महीने के पर्व के अवसर पर एक साथ मिले। [PE]
4. [PS]जब इस्राएल के सभी अग्रज आ गए तब लेवीवंशियों ने साक्षीपत्र के सन्दूक को उठाया।
5. तब याजक और लेवीवंशी साक्षीपत्र के सन्दूक को मन्दिर में ले गए। याजक और लेवीवंशी मिलापवाले तम्बू तथा इसमें जो पवित्र चीज़ें थीं उन्हें भी यरूशलेम ले आए।
6. राजा सुलैमान और इस्राएल के सभी लोग साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने मिले। राजा सुलैमान और इस्राएल के सभी लोगों ने भेड़ों और बैलों की बलि चढ़ाई। वहाँ इतने अधिक मेढ़े व बैल थे कि कोई व्यक्ति उन्हें गिन नहीं सकता था।
7. तब याजकों ने यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को उस स्थान पर रखा, जो इसके लिये तैयार किया गया था। वह सर्वाधिक पवित्र स्थान मन्दिर के भीतर था। साक्षीपत्र के सन्दूक को करूब (स्वर्गदूत) के पंखों के नीचे रखा गया।
8. साक्षीपत्र के सन्दूक के स्थान के ऊपर करूबों के पंख फैले हुये थे, करूब (स्वर्गदूत) साक्षीपत्र के सन्दूक के ऊपर खड़े थे। बल्लियाँ सन्दूक को लेजा ने में प्रयोग होती थी।
9. बल्लियाँ इतनी लम्बी थीं कि सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने से उनके सिरे देखे जा सकें। किन्तु कोई व्यक्ति मन्दिर के बाहर से बल्लियों को नहीं देख सकता था। बल्लियाँ, अब तक आज भी वहाँ हैं।
10. साक्षीपत्र के सन्दूक में दो शिलाओं के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं था। मूसा ने दोनों शिलाओं को होरेब पर्वत पर साक्षीपत्र के सन्दूक में रखा था। होरेब वह स्थान था जहाँ यहोवा ने इस्राएल के लोगों के साथ वाचा की थी। यह उसके बाद हुआ जब इस्राएल के लोग मिस्र से चले आए। [PE]
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12. [PS]तब वे सभी याजक पवित्र स्थान से बाहर आए। सभी वर्ग के याजकों ने अपने को पवित्र कर लिया था [PE][PS]और सभी लेविवंशी गायक वेदी के पूर्वी ओर खड़े थे। सभी आसाप, हेमान और यदूतून के गायक समूह वहाँ थे और उनके पुत्र तथा उनके सम्बन्धी भी वहाँ थे। वे लेवीवंशी गायक सफेद बहुमूल्य मलमल के वस्त्र पहने हुए थे। वे झाँझ, वीणा और सांरगी लिये थे। उन लेवीवंशी गायकों के साथ वहाँ एक सौ बीस याजक थे। वे एक सौ बीस याजक तुरही बजा रहे थे।
13. जो तुरही बजा रहे थे और गा रहे थे, वे एक व्यक्ति की तरह थे। जब वे यहोवा की स्तुति करते थे और उसे धन्यवाद देते थे तब वे एक ही ध्वनि करते थे। तुरही, झाँझ तथा अन्य वाद्य यन्त्रों पर वे तीव्र घोष करते थे, उन्होंने यहोवा की स्तुति में यह गीत गया [PE][PBR] [QS]“यहोवा की स्तुति करो क्योंकि वह भला है। [QE][QS2]उसका प्रेम शाश्वत है।” [QE][PBR] [PS]तब यहोवा का मन्दिर मेघ से भर उठा।
14. मेघ के कारण याजक सेवा कर न सके, इसका कारण था यहोवा की महिमा मन्दिर में भर गई थी। [PE]