पवित्र बाइबिल

ऐसी तो रीड वर्शन (ESV)
2 राजा
1. {#1हिजकिय्याह यशायाह नबी के पास अपने अधिकारियों को भेजता है }
2. [PS]राजा हिजकिय्याह ने वह सब सुना और यह दिखाने के लिये कि वह बहुत दुःखी है और घबराया हुआ है, अपने वस्त्रों को फाड़ डाला और मोटे वस्त्र पहन लिये। तब वह यहोवा के मन्दिर में गया।। [PE][PS]हिजकिय्याह ने एल्याकीम (एल्याकीम राजमहल का अधीक्षक था।) शेब्ना (शास्त्री) और याजकों के अग्रजों को आमोस के पुत्र यशायाह नबी के पास भेजा। उन्होंने मोटे वस्त्र पहने जिससे पता चलता था कि वे परेशान और दुःखी हैं।
3. उन्होंने यशायाह से कहा, “हिजकिय्याह यह कहता है, ‘यह हमारे लिये संकट’ दण्ड और अपमान का दिन है। यह बच्चों को जन्म देने जैसा समय है, किन्तु उन्हें जन्म देने के लिये कोई शक्ति नहीं है।
4. सेनापति के स्वामी अश्शूर के राजा ने जीवित परमेश्वर के विषय में निन्दा करने के लिये उसे भेजा है। यह हो सकता है कि यहोवा, आपका परमेश्वर उन सभी बातों को सुन ले। यह हो सकता है कि यहोवा यह प्रमाणित कर दे कि शत्रु गलती पर है! इसलिये उन लोगों के लिये प्रार्थना करें जो अभी तक जीवित बचे हैं।” [PE]
5. [PS]राजा हिजकिय्याह के अधिकारी यशायाह के पास गए।
6. यशायाह ने उनसे कहा, “अपने स्वामी हिजकिय्याह को यह सन्देश दोः ‘यहोवा कहता हैः उन बातों से डरो नहीं जिन्हें अश्शूर के राजा के अधिकारियों ने मेरी मजाक उड़ाते हुए कही है।
7. मैं शीघ्र ही उसके मन में ऐसी भावना पैदा करूँगा जिससे वह एक अफवाह सुनकर अपने देश वापस जाने को विवश होगा और मैं उसे उसके देश में एक तलवार के घाट उतरवा दूँगा।’ ” [PE]
8. {#1हिजकिय्याह को अश्शूर के राजा की पुनः चेतावनी } [PS]सेनापति ने सुना कि अश्शूर का राजा लाकीश से चल पड़ा है। अतः सेनापति गया और यह पाया कि उसका सम्राट लिब्ना के विरुद्ध कर रहा है।
9. अश्शूर के राजा ने एक अफवाह कूश के राजा तिर्हाका के बारे में सुनी। अफवाह यह थीः “तिर्हाका तुम्हारे विरुद्ध लड़ने आया है।” [PE][PS]अतः अश्शूर के राजा ने हिजकिय्याह के पास फिर सन्देशवाहक भेजे। [PE][PS]अश्शूर के राजा ने इन सन्देशवाहकों को यह सन्देश दिया।
10. उसने इसमें यह कहाः “यहूदा के राजा हिजकिय्याह से यह कहोः [PE][PBR] [PIS]‘जिस परमेश्वर में तुम विश्वाश रखते हो उसे तुम अपने को मूर्ख बनाने मत दो। वह कहता है, अश्शूर का राजा यरूशलेम को पराजित नहीं करेगा।’
11. तुमने उन घटानाओं को सुना है जो अश्शूर के राजाओं ने अन्य सभी देशों में घटित की है। हमने उन्हें पूरी तरह से नष्ट किया। क्या तुम बच पाओगे। नहीं।
12. उन राष्ट्रों के देवता अपने लोगों की रक्षा नहीं कर सके। मेरे पूर्वजों ने उन सभी को नष्ट किया। उन्होंने गोजान, हारान, रेसेप और तलस्सार में एदेन के लोगों को नष्ट किया।
13. हमात का राजा कहाँ है अर्पाद का राजा सपवैम नगर का राजा हेना और इव्वा का राजा ये सभी समाप्त हो गये हैं।’ ” [PIE]
14. {#1हिजकिय्याह यहोवा से प्रार्थना करता है } [PS]हिजकिय्याह ने सन्देशवाहकों से पत्र प्राप्त किये और उन्हें पढ़ा। तब हिजकिय्याह यहोवा के मन्दिर तक गया और यहोवा के सामने पत्रों को रखा।
15. हिजकिय्याह ने यहोवा के सामने प्रार्थना की और कहा, “यहोवा इस्राएल का परमेश्वर! तू करूब (स्वर्गदूतों) पर सम्राट की तरह बैठता है। तू ही केवल सारी पृथ्वी के राज्यों का परमेश्वर है। तूने पृथ्वी और आकाश को बनाया।
16. यहोवा मेरी प्रार्थना सुन। यहोवा अपनी आँखें खोल और इस पत्र को देख। उन शब्दों को सुन जिन्हें सन्हेरिब ने शाश्वत परमेश्वर का अपमान करने को भेजा है।
17. यहोवा, यह सत्य है। अश्शूर के राजाओं ने इन सभी राष्ट्रों को नष्ट किया।
18. उन्होंने राष्ट्रों के देवताओं को आग में फेंक दिया। किन्तु वे सच्चे देवता नहीं थे। वे केवल लकड़ी और पत्थर की मूर्ति थे जिन्हें मनुष्यों ने बना रखा था। यही कारण था कि अश्शूर के राजा उन्हें नष्ट कर सके।
19. अतः यहोवा, हमारा परमेश्वर, अब तो अश्शूर के राजा से बचा। तब पृथ्वी के सारे राज्य समझेंगे कि यहोवा, तू ही केवल परमेश्वर है।” [PE]
20.
21. [PS]आमोस के पुत्र यशायाह ने हिजकिय्याह को यह सन्देश भेजा। उसने कहा, “यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर यह कहता है, ‘तुमने मुझसे अश्शूर के राजा सन्हेरीब के विरुद्ध प्रार्थना की है। मैंने तुम्हारी प्रार्थना सुन ली है।’ [PE][PS]“सन्हेरीब के बारे में यहोवा का सन्देश यह हैः [PE][PBR] [QS]‘सिय्योन की कुमारी पुत्र (यरूशलेम) तुम्हें तुच्छ समझती है, [QE][QS2]वह तुम्हारा मजाक उड़ाती है! [QE][QS]यरूशलेम की पुत्री तुम्हारे पीठ के पीछे सिर झटकती है। [QE]
22. [QS]तुमने किसका अपमान किया किसका मजाक उड़ाया [QE][QS2]किसके विरुद्ध तुमने बातें की तुमने ऐसे काम किये [QE][QS]मानों तुम उससे बढ़कर हो। [QE][QS2]तुम इस्राएल के परम पावन के विरुद्ध रहे! [QE]
23. [QS]तुमने अपने सन्देशवाहकों को यहोवा का अपमान करने को भेजा। [QE][QS2]तुमने कहा, “मैं अपने अनेक रथों सहित ऊँचे पर्वतों तक आया। [QE][QS]मैं लबानोन में भीतर तक आया। [QE][QS]मैंने लबानोन के उच्चतम देवदारू के पड़ों, और लबानोन के उत्तम चीड़ के पेड़ों को काटा। [QE][QS2]मैं लबानोन के उच्चतम और सघनतम वन में घुसा । [QE]
24. [QS]मैंने कुएँ और नये स्थानों का पानी पीया। [QE][QS2]मैंने मिस्र की नदियों को सुखाया [QE][QS2]और उस देश को रौंदा” [QE][PBR]
25. [QS]किन्तु क्या तुमने नहीं सुना [QE][QS2]मैंने (परमेश्वर) बहुत पहले यह योजना बनाई थी, [QE][QS]प्राचीनकाल से ही मैंने ये योजना बना दी थी, [QE][QS2]और अब मैं उसे ही पूरी होने दे रहा हूँ। [QE][QS]मैंने तुम्हें दृढ़ नगरों को चट्टानों की [QE][QS2]ढेर बनाने दिया। [QE]
26. [QS]नगर में रहने वाले व्यक्ति कोई शक्ति नहीं रखते। [QE][QS2]ये लोग भयभीत और अस्त—व्यस्त कर दिये गए। [QE][QS]लोग खेतों के जंगली पौधों की तरह हो गए, [QE][QS2]वे जो बढ़ने के पहले ही मर जाती है, घर के मुंडेर की घास बन गए। [QE]
27. [QS]तुम उठो और मेरे सामने बैठो, [QE][QS]मैं जानता हूँ कि तुम कब युद्ध करने जाते हो [QE][QS2]और कब घर आते हो, [QE][QS2]मैं जानता हूँ कि [QE][QS]तुम अपने को कब मेरे विरुद्ध करते हो। [QE]
28. [QS]तुम मेरे विरुद्ध गए मैंने तुम्हारे गर्वीले अपमान के शब्द सुने। [QE][QS]इसलिये मैं अपना अंकुश तुम्हारी नाक में डालूँगा। [QE][QS2]और में अपनी लगाम तुम्हारे मूहँ में डालूँगा। [QE][QS]तब मैं तुम्हें पीछे लौटाऊँगा [QE][QS2]और उस मार्ग लौटाऊँगा जिससे तुम आए थे।’ ” [QE]
29. {#1हिजकिय्याह को यहोवा का सन्देश } [PS]यहोवा कहा, “मैं तुम्हारी सहायता करूँगा, इसका संकेत यह होगाः इस वर्ष तुम वही अन्न खाओगे जो अपने आप उगेगा। अगले वर्ष तुम वह अन्न खाओगे जो उस बीज से उत्पन्न होगा। किन्तु तीसरे वर्ष तुम बीज बोआगे और अपनी बोयी फसल काटोगे। तुम अंगूर की बेल खेतों में लगाओगे और उनसे अगूंर खाओगे
30. और यहूदा के परिवार के जो लोग बच गए हैं वे फिर फूले फलेंगे ठीक वैसे ही जैसे पौधा अपनी जड़ें मजबूत कर लेने पर ही फल देता है।
31. क्यों क्योंकि कुछ लोग जीवित बचे रहेंगे। वे यरूशलेम के बाहर चले जायेंगे। जो लोग बच गये हैं वे सिय्योन पर्वत से बाहर जाएंगे। यहोवा की तीव्र भावना यह करेगी। [PE]
32. [PS]“अश्शूर के सम्राट के विषय में यहोवा कहता हैः [PE][PBR] [QS]‘वह इस नगर में नहीं आएगा। [QE][QS2]वह इस नगर में एक भी बाण नहीं चलाएगा। [QE][QS]वह इस नगर के विरुद्ध ढाल के साथ नहीं आएगा। [QE][QS2]वह इस नगर पर आक्रमण के मिट्टी के टीले नहीं बनाएगा। [QE]
33. [QS]वह उसी रास्ते लौटेगा जिससे आया। [QE][QS2]वह इस नगर में नहीं आएगा। [QE][QS]यह यहोवा कहता है! [QE]
34. [QS]मैं इस नगर की रक्षा करूँगा और बचा लूँगा। [QE][QS2]मैं इस नगर को बचाऊँगा। [QE][QS2]मैं यह अपने लिये और अपने सेवक दाऊद के लिये करूँगा।’ ” [QE]
35. {#1अश्शूरी सेना नष्ट हो गई }
36. [PS]उस रात यहोवा दूत अश्शूरी डेरे में गया और एक लाख पचासी हज़ार लोगों को मार डाला। सुबह को जब लोग उठे तो उन्होंने सारे शव देखे। [PE][PS]अतः अश्शूर का राजा सन्हेरीब पीछे हटा और नीनवे वापस पहुँचा, तथा वहीं रूक गया।
37. एक दिन सन्हेरीब निस्रोक के मन्दिर में अपने देवता की पूजा कर रहा था। उसके पुत्रों अद्रेम्मेलेक और सरेसेर ने उसे तलवार से मार डाला। तब अद्रेम्मेलेक और सरेसेर अरारात प्रदेश में भाग निकले और सनहेरीब का पुत्र एसर्हद्दोन उसके बाद नया राजा हुआ। [PE]
Total 25 अध्याय, Selected अध्याय 19 / 25
हिजकिय्याह यशायाह नबी के पास अपने अधिकारियों को भेजता है 1 2 राजा हिजकिय्याह ने वह सब सुना और यह दिखाने के लिये कि वह बहुत दुःखी है और घबराया हुआ है, अपने वस्त्रों को फाड़ डाला और मोटे वस्त्र पहन लिये। तब वह यहोवा के मन्दिर में गया।। हिजकिय्याह ने एल्याकीम (एल्याकीम राजमहल का अधीक्षक था।) शेब्ना (शास्त्री) और याजकों के अग्रजों को आमोस के पुत्र यशायाह नबी के पास भेजा। उन्होंने मोटे वस्त्र पहने जिससे पता चलता था कि वे परेशान और दुःखी हैं। 3 उन्होंने यशायाह से कहा, “हिजकिय्याह यह कहता है, ‘यह हमारे लिये संकट’ दण्ड और अपमान का दिन है। यह बच्चों को जन्म देने जैसा समय है, किन्तु उन्हें जन्म देने के लिये कोई शक्ति नहीं है। 4 सेनापति के स्वामी अश्शूर के राजा ने जीवित परमेश्वर के विषय में निन्दा करने के लिये उसे भेजा है। यह हो सकता है कि यहोवा, आपका परमेश्वर उन सभी बातों को सुन ले। यह हो सकता है कि यहोवा यह प्रमाणित कर दे कि शत्रु गलती पर है! इसलिये उन लोगों के लिये प्रार्थना करें जो अभी तक जीवित बचे हैं।” 5 राजा हिजकिय्याह के अधिकारी यशायाह के पास गए। 6 यशायाह ने उनसे कहा, “अपने स्वामी हिजकिय्याह को यह सन्देश दोः ‘यहोवा कहता हैः उन बातों से डरो नहीं जिन्हें अश्शूर के राजा के अधिकारियों ने मेरी मजाक उड़ाते हुए कही है। 7 मैं शीघ्र ही उसके मन में ऐसी भावना पैदा करूँगा जिससे वह एक अफवाह सुनकर अपने देश वापस जाने को विवश होगा और मैं उसे उसके देश में एक तलवार के घाट उतरवा दूँगा।’ ” हिजकिय्याह को अश्शूर के राजा की पुनः चेतावनी 8 सेनापति ने सुना कि अश्शूर का राजा लाकीश से चल पड़ा है। अतः सेनापति गया और यह पाया कि उसका सम्राट लिब्ना के विरुद्ध कर रहा है। 9 अश्शूर के राजा ने एक अफवाह कूश के राजा तिर्हाका के बारे में सुनी। अफवाह यह थीः “तिर्हाका तुम्हारे विरुद्ध लड़ने आया है।” अतः अश्शूर के राजा ने हिजकिय्याह के पास फिर सन्देशवाहक भेजे। अश्शूर के राजा ने इन सन्देशवाहकों को यह सन्देश दिया। 10 उसने इसमें यह कहाः “यहूदा के राजा हिजकिय्याह से यह कहोः ‘जिस परमेश्वर में तुम विश्वाश रखते हो उसे तुम अपने को मूर्ख बनाने मत दो। वह कहता है, अश्शूर का राजा यरूशलेम को पराजित नहीं करेगा।’ 11 तुमने उन घटानाओं को सुना है जो अश्शूर के राजाओं ने अन्य सभी देशों में घटित की है। हमने उन्हें पूरी तरह से नष्ट किया। क्या तुम बच पाओगे। नहीं। 12 उन राष्ट्रों के देवता अपने लोगों की रक्षा नहीं कर सके। मेरे पूर्वजों ने उन सभी को नष्ट किया। उन्होंने गोजान, हारान, रेसेप और तलस्सार में एदेन के लोगों को नष्ट किया। 13 हमात का राजा कहाँ है अर्पाद का राजा सपवैम नगर का राजा हेना और इव्वा का राजा ये सभी समाप्त हो गये हैं।’ ” हिजकिय्याह यहोवा से प्रार्थना करता है 14 हिजकिय्याह ने सन्देशवाहकों से पत्र प्राप्त किये और उन्हें पढ़ा। तब हिजकिय्याह यहोवा के मन्दिर तक गया और यहोवा के सामने पत्रों को रखा। 15 हिजकिय्याह ने यहोवा के सामने प्रार्थना की और कहा, “यहोवा इस्राएल का परमेश्वर! तू करूब (स्वर्गदूतों) पर सम्राट की तरह बैठता है। तू ही केवल सारी पृथ्वी के राज्यों का परमेश्वर है। तूने पृथ्वी और आकाश को बनाया। 16 यहोवा मेरी प्रार्थना सुन। यहोवा अपनी आँखें खोल और इस पत्र को देख। उन शब्दों को सुन जिन्हें सन्हेरिब ने शाश्वत परमेश्वर का अपमान करने को भेजा है। 17 यहोवा, यह सत्य है। अश्शूर के राजाओं ने इन सभी राष्ट्रों को नष्ट किया। 18 उन्होंने राष्ट्रों के देवताओं को आग में फेंक दिया। किन्तु वे सच्चे देवता नहीं थे। वे केवल लकड़ी और पत्थर की मूर्ति थे जिन्हें मनुष्यों ने बना रखा था। यही कारण था कि अश्शूर के राजा उन्हें नष्ट कर सके। 19 अतः यहोवा, हमारा परमेश्वर, अब तो अश्शूर के राजा से बचा। तब पृथ्वी के सारे राज्य समझेंगे कि यहोवा, तू ही केवल परमेश्वर है।” 20 21 आमोस के पुत्र यशायाह ने हिजकिय्याह को यह सन्देश भेजा। उसने कहा, “यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर यह कहता है, ‘तुमने मुझसे अश्शूर के राजा सन्हेरीब के विरुद्ध प्रार्थना की है। मैंने तुम्हारी प्रार्थना सुन ली है।’ “सन्हेरीब के बारे में यहोवा का सन्देश यह हैः ‘सिय्योन की कुमारी पुत्र (यरूशलेम) तुम्हें तुच्छ समझती है, वह तुम्हारा मजाक उड़ाती है! यरूशलेम की पुत्री तुम्हारे पीठ के पीछे सिर झटकती है। 22 तुमने किसका अपमान किया किसका मजाक उड़ाया किसके विरुद्ध तुमने बातें की तुमने ऐसे काम किये मानों तुम उससे बढ़कर हो। तुम इस्राएल के परम पावन के विरुद्ध रहे! 23 तुमने अपने सन्देशवाहकों को यहोवा का अपमान करने को भेजा। तुमने कहा, “मैं अपने अनेक रथों सहित ऊँचे पर्वतों तक आया। मैं लबानोन में भीतर तक आया। मैंने लबानोन के उच्चतम देवदारू के पड़ों, और लबानोन के उत्तम चीड़ के पेड़ों को काटा। मैं लबानोन के उच्चतम और सघनतम वन में घुसा । 24 मैंने कुएँ और नये स्थानों का पानी पीया। मैंने मिस्र की नदियों को सुखाया और उस देश को रौंदा” 25 किन्तु क्या तुमने नहीं सुना मैंने (परमेश्वर) बहुत पहले यह योजना बनाई थी, प्राचीनकाल से ही मैंने ये योजना बना दी थी, और अब मैं उसे ही पूरी होने दे रहा हूँ। मैंने तुम्हें दृढ़ नगरों को चट्टानों की ढेर बनाने दिया। 26 नगर में रहने वाले व्यक्ति कोई शक्ति नहीं रखते। ये लोग भयभीत और अस्त—व्यस्त कर दिये गए। लोग खेतों के जंगली पौधों की तरह हो गए, वे जो बढ़ने के पहले ही मर जाती है, घर के मुंडेर की घास बन गए। 27 तुम उठो और मेरे सामने बैठो, मैं जानता हूँ कि तुम कब युद्ध करने जाते हो और कब घर आते हो, मैं जानता हूँ कि तुम अपने को कब मेरे विरुद्ध करते हो। 28 तुम मेरे विरुद्ध गए मैंने तुम्हारे गर्वीले अपमान के शब्द सुने। इसलिये मैं अपना अंकुश तुम्हारी नाक में डालूँगा। और में अपनी लगाम तुम्हारे मूहँ में डालूँगा। तब मैं तुम्हें पीछे लौटाऊँगा और उस मार्ग लौटाऊँगा जिससे तुम आए थे।’ ” हिजकिय्याह को यहोवा का सन्देश 29 यहोवा कहा, “मैं तुम्हारी सहायता करूँगा, इसका संकेत यह होगाः इस वर्ष तुम वही अन्न खाओगे जो अपने आप उगेगा। अगले वर्ष तुम वह अन्न खाओगे जो उस बीज से उत्पन्न होगा। किन्तु तीसरे वर्ष तुम बीज बोआगे और अपनी बोयी फसल काटोगे। तुम अंगूर की बेल खेतों में लगाओगे और उनसे अगूंर खाओगे 30 और यहूदा के परिवार के जो लोग बच गए हैं वे फिर फूले फलेंगे ठीक वैसे ही जैसे पौधा अपनी जड़ें मजबूत कर लेने पर ही फल देता है। 31 क्यों क्योंकि कुछ लोग जीवित बचे रहेंगे। वे यरूशलेम के बाहर चले जायेंगे। जो लोग बच गये हैं वे सिय्योन पर्वत से बाहर जाएंगे। यहोवा की तीव्र भावना यह करेगी। 32 “अश्शूर के सम्राट के विषय में यहोवा कहता हैः ‘वह इस नगर में नहीं आएगा। वह इस नगर में एक भी बाण नहीं चलाएगा। वह इस नगर के विरुद्ध ढाल के साथ नहीं आएगा। वह इस नगर पर आक्रमण के मिट्टी के टीले नहीं बनाएगा। 33 वह उसी रास्ते लौटेगा जिससे आया। वह इस नगर में नहीं आएगा। यह यहोवा कहता है! 34 मैं इस नगर की रक्षा करूँगा और बचा लूँगा। मैं इस नगर को बचाऊँगा। मैं यह अपने लिये और अपने सेवक दाऊद के लिये करूँगा।’ ” अश्शूरी सेना नष्ट हो गई 35 36 उस रात यहोवा दूत अश्शूरी डेरे में गया और एक लाख पचासी हज़ार लोगों को मार डाला। सुबह को जब लोग उठे तो उन्होंने सारे शव देखे। अतः अश्शूर का राजा सन्हेरीब पीछे हटा और नीनवे वापस पहुँचा, तथा वहीं रूक गया। 37 एक दिन सन्हेरीब निस्रोक के मन्दिर में अपने देवता की पूजा कर रहा था। उसके पुत्रों अद्रेम्मेलेक और सरेसेर ने उसे तलवार से मार डाला। तब अद्रेम्मेलेक और सरेसेर अरारात प्रदेश में भाग निकले और सनहेरीब का पुत्र एसर्हद्दोन उसके बाद नया राजा हुआ।
Total 25 अध्याय, Selected अध्याय 19 / 25
×

Alert

×

Hindi Letters Keypad References