पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
2 राजा
1. अतः बाबेल का राजा नबूकदनेस्सर अपनी सारी सेना के साथ यरूशलेम के विरूद्ध युद्ध करने आया। सिदकिय्याह के राज्य के नौवें वर्ष के दसवें महीने के दसवें दिन यह घटित हुआ। नबूकदेनस्सर ने यरूशलेम के चारों ओर डेरा डाला। उसने यह कार्य यरूशलेम के लोगों को बाहर से भीतर, और भीतर से बाहर आने जाने से रोकने के लिये किया। तब उन्होंने यरूशलेम के चारों ओर मिट्टी की दीवार खड़ी की।
2. नबूकदनेस्सर की सेना यरूशलेम के चारों ओर सिदकिय्याह के यहूदा में शासनकाल के ग्यारहवें वर्ष तक बनी रही।
3. नगर में भुखमरी की स्थिति बद से बदतर होती जा रही थी। चौथे महीने के नौवें दिन साधारण लोगों के लिये कुछ भी भोजन नहीं रह गया था।
4. नबूकदनेस्सर की सेना ने नगर प्राचीर में एक छेद बनाया। उस रात को राजा सिदकिय्याह और उसके सारे सैनिक भाग गए। वे राजा के बाग के सहारे दो दीवारों के द्वार से बच निकले। बाबेल की सेना नगर के चारों ओर थी। किन्तु सिदकिय्याह और उसकी सेना मरूभूमि की ओर की सड़क पर भाग निकले।
5. बाबेल की सेना ने सिदकिय्याह का पीछा किया और उसे यरीहो के पास पकड़ लिया। सदिकिय्याह की सारी सेना भाग गई और उसे अकेला छोड़ दिया।
6. बाबेल सिदकिय्याह को रिबला में बाबेल के राजा के पास ले गये। बाबेल के राजा ने सिदकिय्याह को दण्ड देने का निर्णय किया।
7. उन्होंने सिदकिय्याह के सामने उसके पुत्रों को मार डाला। तब उन्होंने सिदकिय्याह की आँखें निकाल लीं। उन्होंने उसे जंजीर में जकड़ा और उसे बाबेल ले गए।
8. नबूकदनेस्सर के बाबेल के शाशनकाल के उन्नीसवें वर्ष के पाँचवें महीने के सातवें दिन नबूजरदान यरूशलेम आया। नबूकदनेसर के अंगरक्षकों का नायक नबूजरदान था।
9. नबूजरदान ने यहोवा का मन्दिर और राजमहल जला डाला। नबूजरदान ने यरूशलेम के सभी घरों को भी जला डाला। उसने बड़ी से बड़ी इमारतों को भी नष्ट किया।
10. तब नबूजरदान के साथ जो बाबेल की सेना थी उसने यरूशलेम के चारों ओर की दीवारों को गिरा दिया
11. और नबूजरदान ने उन सभी लोगों को पकड़ा जो तब तक नगर में बचे रह गए थे। नबूजरदान ने सभी लोगों को बन्दी बना लिया और उन्हें भी जिन्होंने आत्मसमपर्ण करने की कोशिश की।
12. नबूजरदान ने केवल साधारण व्यक्तियों में सबसे गरीब लोगों को वहाँ रहने दिया। उसने उन गरीब लोगों को वहाँ अंगूर और अन्य फसलों की देखभाल के लिये रहने दिया।
13. बाबल के सैनिकों ने यहोवा के मन्दिर के काँसे की वस्तुओं के टुकड़े कर डाले। उन्होंने काँसे के स्तम्भों, काँसे की गाड़ी को और काँसे के विशाल सरोवर के भी टुकड़े कर डाले, तब बाबेल के सैनिक उन काँसे के टुकड़ों को बाबेल ले गए।
14. कसदियों ने बर्तन, बेलचे, दीप-झारु चम्मच और काँसे के बर्तन जो यहोवा के मन्दिर में काम आती थी, को भी ले लिया।
15. नबूजरदान ने सभी कढ़ाहियों और प्यालों को ले लिया। उसने जो सोने के बने थे उन्हें सोने के लिये और चाँदी के बने थे उन्हें चाँदी के लिये लिया।
16. [This verse may not be a part of this translation]
17. [This verse may not be a part of this translation]
18. तब नबूजरदान ने मन्दिर से महायाजक सरायाह, द्वितीय याजक सपन्याह और तीन द्वार रक्षकों को लिया।
19. नगर में नबूजरदान ने एक अधिकारी को लिया। वह सेना का सेनापति था। नबूजरदान ने राजा के पाँच सलाहकारों को भी लिया जो नगर में पाए गए और उसने सेनापति के सचिव को लिया। सेनापति का सचिव वह व्यक्ति था जो साधारण लोगों की गणना करता था और उनमें से कुछ को सैनिक के रूप में चुनता था। नबूजरदान ने साठ अन्य लोगों को भी लिया जो नगर में पाए गए।
20. [This verse may not be a part of this translation]
21. [This verse may not be a part of this translation]
22. बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर ने यहूदा देश में कुछ लोगों को छोड़ा। उसने अहीकाम के पुत्र गदल्याह को यहूदा के उन लोगों का शासक बनाया। अहीकाम शापान का पुत्र था।
23. जब सेना के सभी सेनापतियों और आदमियों ने सुना की बाबेल के राजा ने गदल्याह को शासक बनाया है तो वे गदल्याह के पास मिस्पा में आए। ये सेना के सेनापति नतन्याह का पुत्र इश्माएल, कारेहू का पुत्र योहानान, नतोपाई तन्हू मेत का पुत्र सरायाह तथा माकाई का पुत्र याजन्याह थे।
24. तब गदल्याह ने इन सेना के सेनापतियों और उनके आदमियों को वचन दिया। गदल्याह ने उनसे कहा, “बाबेल के अधिकारियों से डरो नहीं। इस देश में रहो और बाबेल के राजा की सेवा करो। तब तुम्हारे साथ सब कुछ ठीक रहेगा।”
25. किन्तु सातवें महीने राजा के परिवार का एलीशामा का पौत्र व नतन्याह का पुत्र इश्माएल दस पुरुषों के साथ आया और गदल्याह को मार डाला। इश्माएल और उसके दस आदमियों ने मिस्पा में गदल्याह के साथ जो यहूदी और कसदी थे, उन्हें भी मार डाला।
26. तब सभी लोग सबसे कम महत्वपूर्ण और सबसे अधिक महत्वपूर्ण तथा सेना के नायक मिस्र को भाग गए। वे इसलिये भागे कि वे कसदियों से भयभीत थे।
27. बाद में राजा एवील्मरोदक यहूदा का राजा बना। उसने यहोयाकीन को बन्दीगृह से निकलने दिया। यह यहूदा के राजा यहोयाकीन के बन्दी बनाये जाने के सैंतीसवे वर्ष में हुआ। यह एवील्मरोदक के शासन आरम्भ करने के बारहवें महीने के सत्ताईसवें दिन हुआ।
28. एवील्मरोदक ने यहोयाकीन से दयापूर्वक बातें कीं। एवील्मरोदक ने यहोयाकीन को बाबेल में रहने वाले उसके सभी साथी राजाओं से अधिक उच्च स्थान प्रदान किया।
29. एवील्मरोदक ने यहोयाकीन के बन्दीगृह के वस्त्रों को पहनना बन्द करवाया। यहोयाकीन ने एवील्मरोदक के साथ एक ही मेज पर खाना खाया। उसने अपने शेष जीवन में हर एक दिन ऐसा ही किया।
30. इस प्रकार राजा एवील्मरोदक ने यहोयाकीन को जीवन पर्यन्त नियमित रूप से प्रतिदिन का भोजन प्रदान किया।

Notes

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Total 25 Chapters, Current Chapter 25 of Total Chapters 25
2 राजा 25:8
1. अतः बाबेल का राजा नबूकदनेस्सर अपनी सारी सेना के साथ यरूशलेम के विरूद्ध युद्ध करने आया। सिदकिय्याह के राज्य के नौवें वर्ष के दसवें महीने के दसवें दिन यह घटित हुआ। नबूकदेनस्सर ने यरूशलेम के चारों ओर डेरा डाला। उसने यह कार्य यरूशलेम के लोगों को बाहर से भीतर, और भीतर से बाहर आने जाने से रोकने के लिये किया। तब उन्होंने यरूशलेम के चारों ओर मिट्टी की दीवार खड़ी की।
2. नबूकदनेस्सर की सेना यरूशलेम के चारों ओर सिदकिय्याह के यहूदा में शासनकाल के ग्यारहवें वर्ष तक बनी रही।
3. नगर में भुखमरी की स्थिति बद से बदतर होती जा रही थी। चौथे महीने के नौवें दिन साधारण लोगों के लिये कुछ भी भोजन नहीं रह गया था।
4. नबूकदनेस्सर की सेना ने नगर प्राचीर में एक छेद बनाया। उस रात को राजा सिदकिय्याह और उसके सारे सैनिक भाग गए। वे राजा के बाग के सहारे दो दीवारों के द्वार से बच निकले। बाबेल की सेना नगर के चारों ओर थी। किन्तु सिदकिय्याह और उसकी सेना मरूभूमि की ओर की सड़क पर भाग निकले।
5. बाबेल की सेना ने सिदकिय्याह का पीछा किया और उसे यरीहो के पास पकड़ लिया। सदिकिय्याह की सारी सेना भाग गई और उसे अकेला छोड़ दिया।
6. बाबेल सिदकिय्याह को रिबला में बाबेल के राजा के पास ले गये। बाबेल के राजा ने सिदकिय्याह को दण्ड देने का निर्णय किया।
7. उन्होंने सिदकिय्याह के सामने उसके पुत्रों को मार डाला। तब उन्होंने सिदकिय्याह की आँखें निकाल लीं। उन्होंने उसे जंजीर में जकड़ा और उसे बाबेल ले गए।
8. नबूकदनेस्सर के बाबेल के शाशनकाल के उन्नीसवें वर्ष के पाँचवें महीने के सातवें दिन नबूजरदान यरूशलेम आया। नबूकदनेसर के अंगरक्षकों का नायक नबूजरदान था।
9. नबूजरदान ने यहोवा का मन्दिर और राजमहल जला डाला। नबूजरदान ने यरूशलेम के सभी घरों को भी जला डाला। उसने बड़ी से बड़ी इमारतों को भी नष्ट किया।
10. तब नबूजरदान के साथ जो बाबेल की सेना थी उसने यरूशलेम के चारों ओर की दीवारों को गिरा दिया
11. और नबूजरदान ने उन सभी लोगों को पकड़ा जो तब तक नगर में बचे रह गए थे। नबूजरदान ने सभी लोगों को बन्दी बना लिया और उन्हें भी जिन्होंने आत्मसमपर्ण करने की कोशिश की।
12. नबूजरदान ने केवल साधारण व्यक्तियों में सबसे गरीब लोगों को वहाँ रहने दिया। उसने उन गरीब लोगों को वहाँ अंगूर और अन्य फसलों की देखभाल के लिये रहने दिया।
13. बाबल के सैनिकों ने यहोवा के मन्दिर के काँसे की वस्तुओं के टुकड़े कर डाले। उन्होंने काँसे के स्तम्भों, काँसे की गाड़ी को और काँसे के विशाल सरोवर के भी टुकड़े कर डाले, तब बाबेल के सैनिक उन काँसे के टुकड़ों को बाबेल ले गए।
14. कसदियों ने बर्तन, बेलचे, दीप-झारु चम्मच और काँसे के बर्तन जो यहोवा के मन्दिर में काम आती थी, को भी ले लिया।
15. नबूजरदान ने सभी कढ़ाहियों और प्यालों को ले लिया। उसने जो सोने के बने थे उन्हें सोने के लिये और चाँदी के बने थे उन्हें चाँदी के लिये लिया।
16. This verse may not be a part of this translation
17. This verse may not be a part of this translation
18. तब नबूजरदान ने मन्दिर से महायाजक सरायाह, द्वितीय याजक सपन्याह और तीन द्वार रक्षकों को लिया।
19. नगर में नबूजरदान ने एक अधिकारी को लिया। वह सेना का सेनापति था। नबूजरदान ने राजा के पाँच सलाहकारों को भी लिया जो नगर में पाए गए और उसने सेनापति के सचिव को लिया। सेनापति का सचिव वह व्यक्ति था जो साधारण लोगों की गणना करता था और उनमें से कुछ को सैनिक के रूप में चुनता था। नबूजरदान ने साठ अन्य लोगों को भी लिया जो नगर में पाए गए।
20. This verse may not be a part of this translation
21. This verse may not be a part of this translation
22. बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर ने यहूदा देश में कुछ लोगों को छोड़ा। उसने अहीकाम के पुत्र गदल्याह को यहूदा के उन लोगों का शासक बनाया। अहीकाम शापान का पुत्र था।
23. जब सेना के सभी सेनापतियों और आदमियों ने सुना की बाबेल के राजा ने गदल्याह को शासक बनाया है तो वे गदल्याह के पास मिस्पा में आए। ये सेना के सेनापति नतन्याह का पुत्र इश्माएल, कारेहू का पुत्र योहानान, नतोपाई तन्हू मेत का पुत्र सरायाह तथा माकाई का पुत्र याजन्याह थे।
24. तब गदल्याह ने इन सेना के सेनापतियों और उनके आदमियों को वचन दिया। गदल्याह ने उनसे कहा, “बाबेल के अधिकारियों से डरो नहीं। इस देश में रहो और बाबेल के राजा की सेवा करो। तब तुम्हारे साथ सब कुछ ठीक रहेगा।”
25. किन्तु सातवें महीने राजा के परिवार का एलीशामा का पौत्र नतन्याह का पुत्र इश्माएल दस पुरुषों के साथ आया और गदल्याह को मार डाला। इश्माएल और उसके दस आदमियों ने मिस्पा में गदल्याह के साथ जो यहूदी और कसदी थे, उन्हें भी मार डाला।
26. तब सभी लोग सबसे कम महत्वपूर्ण और सबसे अधिक महत्वपूर्ण तथा सेना के नायक मिस्र को भाग गए। वे इसलिये भागे कि वे कसदियों से भयभीत थे।
27. बाद में राजा एवील्मरोदक यहूदा का राजा बना। उसने यहोयाकीन को बन्दीगृह से निकलने दिया। यह यहूदा के राजा यहोयाकीन के बन्दी बनाये जाने के सैंतीसवे वर्ष में हुआ। यह एवील्मरोदक के शासन आरम्भ करने के बारहवें महीने के सत्ताईसवें दिन हुआ।
28. एवील्मरोदक ने यहोयाकीन से दयापूर्वक बातें कीं। एवील्मरोदक ने यहोयाकीन को बाबेल में रहने वाले उसके सभी साथी राजाओं से अधिक उच्च स्थान प्रदान किया।
29. एवील्मरोदक ने यहोयाकीन के बन्दीगृह के वस्त्रों को पहनना बन्द करवाया। यहोयाकीन ने एवील्मरोदक के साथ एक ही मेज पर खाना खाया। उसने अपने शेष जीवन में हर एक दिन ऐसा ही किया।
30. इस प्रकार राजा एवील्मरोदक ने यहोयाकीन को जीवन पर्यन्त नियमित रूप से प्रतिदिन का भोजन प्रदान किया।
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