1. {#1दर्शन में यहोवा का वेदी के सहारे खड़ा होना } [PS]मैंने अपने स्वामी को दर्शन के सामने खड़ा देखा। उसने कहा, [PE][PBR] [QS]“स्तम्भों के सिरे पर प्रहार करो, और पूरी इमारत की देहली तक काँप उठेगी। [QE][QS]स्तम्भों को लोगों के सिर पर गिराओ। [QE][QS2]यदि कोई जीवित बचेगा, सो उसे तलवार से मारो। [QE][QS]कोई व्यक्ति भाग सकता है, किन्तु वह बच नहीं सकेगा। [QE][QS2]लोगों में से कोई भी व्यक्ति बचकर नहीं निकलेगा। [QE]
2. [QS]यदि वे नीचे पाताल में खोदकर जाएंगे, [QE][QS2]मैं उन्हें वहाँ से खीच लूँगा। [QE][QS]यदि वे ऊपर आकाश में जाएंगे [QE][QS2]मैं उन्हें वहाँ से नीचे लाऊँगा। [QE]
3. [QS]यदि वे कर्म्मेल पर्वत की चोटी पर जा छिपेंगे, [QE][QS2]मैं उन्हें वहाँ खोज लूँगा और मैं उन्हें उस स्थान से ले आऊँगा। [QE][QS]यदि वे मुझसे, समुद्र के तल में छिपना चाहते हैं, [QE][QS2]मैं सर्प को आदेश दूँगा और वह उन्हें डस लेगा। [QE]
4. [QS]यदि वे पकड़े जाएंगे और अपने शत्रु द्वारा ले जाए जाएंगे, [QE][QS2]मैं तलवार को आदेश दूँगा [QE][QS2]और वह उन्हें वहीं मारेगी। [QE][QS]हाँ, मैं उन पर कड़ी निगाह रखूँगा किन्तु [QE][QS2]मैं उन्हें कष्ट देने के तरीकों पर निगाह रखूँगा। [QE][QS2]उनके लिये अच्छे काम करने के तरीकों पर नहीं।” [QE]
5. {#1देश के लोगों को दण्ड नष्ट करेगा } [QS]मेरे स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा, उस प्रदेश को छुएगा [QE][QS2]और वह पिघल जाएगा [QE][QS2]तब उस देश के सभी निवासी मृतको के लिये रोएंगे। [QE][QS]यह प्रदेश मिस्र की नील नदी की तरह ऊपर उठेगा [QE][QS2]और नीचे गिरेगा। [QE]
6. [QS]यहोवा ने अपने ऊपर के निवास आकाश के ऊपर बनाए। [QE][QS2]उसने अपने आकाश को पृथ्वी पर रखा। [QE][QS]वह सागर के जल को बुला लेता है, और देश पर उसकी वर्षा करता है। [QE][QS2]उसका नाम यहोवा है। [QE]
7. {#1यहोवा इस्राएल को नष्ट करने का प्रतिज्ञा करता है } [PS]यहोवा यह कहता है: [PE][PBR] [QS]“इस्राएल, तुम मेरे लिये कूशियों की तरह हो। [QE][QS2]मैं इस्राएल को मिस्र से निकाल कर लाया। [QE][QS2]मैं पलिश्तियों को भी कप्तोर से लाया और अरामियों को कीर से।” [QE]
8. [QS]मेरे स्वामी यहोवा पापपूर्ण राज्य (इस्राएल) पर दृष्टि रखा है। [QE][QS]यहोवा यह कहता है, [QE][QS]“मैं पृथ्वी पर से इस्राएल को नष्ट कर दूँगा। [QE][QS2]किन्तु मैं याकूब के परिवार को पूरी तरह नष्ट नहीं करूँगा। [QE]
9. [QS]मैं इस्राएल के घराने को तितर—बितर करके [QE][QS2]अन्य राष्ट्रों में बिखेर देने का आदेश देता हूँ। [QE][QS]यह उसी प्रकार होगा जैसे कोई व्यक्ति अनाज को छनने से छन देता हो। [QE][QS]अच्छा आटा उससे निकल जाता है, किन्तु बुरे अंश फँस जाते हैं। [QE][QS2]याकूब के परिवार के साथ ऐसा ही होगा। [QE][PBR]
10. [QS]“मेरे लोगों के बीच पापी कहते हैं, [QE][QS2]‘हम लोगों के साथ कुछ भी बुरा घटित नहीं होगा!’ [QE][QS]किन्तु वे सभी लोग तलवार से मार दिये जाएँगे।” [QE]
11. {#1परमेश्वर राज्य की पुनस्थापना की प्रतिज्ञा करता है } [QS]“दाऊद का डेरा गिर गया है, [QE][QS2]किन्तु उस समय इस डेरे को मैं फिर खड़ा करूँगा। [QE][QS2]मैं दीवारों के छेदों को भर दूँगा। [QE][QS]मैं नष्ट इमारतों को फिर से बनाऊँगा। [QE][QS2]मैं इसे ऐसा बनाऊँगा जैसा यह पहले था। [QE]
12. [QS]फिर वे एदोम में जो लोग बच गये हैं, [QE][QS2]उन्हें और उन जातियों को [QE][QS]जो मेरे नाम से जानी जाती है, ले जायेंगे।” [QE][QS2]यहोवा ने वे बातें कहीं, और वे उन्हें घटित करायेगा। [QE]
13. [QS]यहोवा कहता है, “वह समय आ रहा है, जब हर प्रकार का भोजन बहुतायत में होगा। [QE][QS2]अभी लोग पूरी तरह फसल काट भी नहीं पाये होंगे [QE][QS]कि जुताई का समय आ जायेगा। [QE][QS2]लोग अभी अंगूरों का रस निकाल ही रहे होंगे [QE][QS]कि अंगूरों की रूपाई का समय फिर आ पहुँचेगा। [QE][QS2]पर्वतों से दाखमधु की धार बहेगी [QE][QS]और वह पहाड़ियों से बरसेगी। [QE]
14. [QS]मैं अपने लोगों इस्राएलियों को [QE][QS2]देश निकाले से वापस लाऊँगा। [QE][QS]वे नष्ट हुए नगरों को फिर से बनाएंगे [QE][QS2]और उन नगरों में रहेंगे। [QE][QS]वे अंगूर की बेलों के बाग लगाएंगे [QE][QS2]और वे उन बागों से प्राप्त दाखमधु पीएंगे। [QE][QS]वे बाग लगाएंगे [QE][QS2]और वे उन बागों के फलों को खाएंगे। [QE]
15. [QS]मैं अपने लोगों को उनकी भूमी पर जमाऊँगा [QE][QS2]और वे पुन: उस देश से उखाड़े नहीं जाएंगे जिसे मैंने उन्हें दिया है।” [QE][QS]यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने ये बाते कहीं। [QE][PBR]