पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
सभोपदेशक
1. मैंने फिर यह भी देखा है कि कुछ लोगों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। मैंने उनके आँसू देखे हैं और फिर यह भी देखा है कि उन दुःखी लोगों को ढाढ़स बँधाने वाला भी कोई नहीं है। मैंने देखा है कि कठोर लोगों के पास समूची शक्ति है और ये लोग जिन लोगों को क्षति पहुँचाते हैं उन्हें ढाढ़स बँधाने वाला भी कोई नहीं है।
2. मैं इस निर्णय पर पहुँचा हूँ कि ये बातें उन व्यक्तियों के लिये ज्यादा अच्छी हैं जो मर चुके हैं बजाये उनके लिये जो अभी तक जी रहे हैं।
3. उन लोगों के लिये तो ये बातें और भी अच्छे हैं जो जन्म लेते ही मर गए! क्यों? क्योकि, उन्होंने इस संसार में जो बुराइयाँ हो रही हैं, उन्हें देखा ही नहीं। इतना कठिन परिश्रम क्यों? [PS]
4. फिर मैंने सोचा, “लोग इतनी कड़ी मेहनत क्यों करते हैं?” मैंने देखा है कि लोग सफल होने और दूसरे लोगों से और अधिक ऊँचा होने के प्रयत्न में लगे रहते हैं। ऐसा इसलिये होता है कि लोग ईष्यालु हैं। वे नहीं चाहते कि जितना उनके पास है, दूसरे के पास उससे अधिक हो। यह सब अर्थहीन है। यह वैसा ही है जैसे वायु को पकड़ना। [PE][PS]
5. कुछ लोग कहा करते हैं कि हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहना और कुछ नहीं करना मूर्खता है। यदि तुम काम नहीं करोगे तो भूखों मर जाओगे।
6. जो कुछ मुठ्ठी भर तुम्हारे पास है उसमें संतुष्ट रहना अच्छा है बजाय इसके कि अधिकाधिक पाने की ललक में जूझते हुए वायु के पीछे दौड़ा जाता रहे। [PE][PS]
7. फिर मैंने एक और बात देखी, जिसका कोई अर्थ नहीं है:
8. एक व्यक्ति परिवार विहीन हो सकता है। हो सकता है उसके कोई पुत्र और यहाँ तक कि कोई भाई भी न हो किन्तु वह व्यक्ति कठिन से कठिन परिश्रम करने में लगा रहता है और जो कुछ उसके पास होता है, उससे कभी संतुष्ट नहीं होता। सो मैं भी इतनी कड़ी मेहनत क्यों करता हूँ? मैं स्वयं अपने जीवन का आनन्द क्यों नहीं लेता हूँ? अब देखो यह भी एक दुःख भरी और व्यर्थ की बात है। [PS]
9. {मित्रों और परिवार से शक्ति मिलती है} [PS] एक व्यक्ति से दो व्यक्ति उत्तम होते हैं। जब दो व्यक्ति मिलकर साथ—साथ काम करते हैं तो जिस काम को वे करते हैं, उस काम से उन्हें अधिक लाभ मिलता है। [PE][PS]
10. यदि एक व्यक्ति गिर जाये तो दूसरा व्यक्ति उसकी मदद कर सकता है। किन्तु किसी व्यक्ति के लिये अकेला रहना अच्छा नहीं है क्योंकि जब वह गिरता है तो उसकी सहायता के लिये वहाँ कोई और नहीं होता। [PE][PS]
11. यदि दो व्यक्ति एक साथ सोते हैं तो उनमें गरमाहट रहती है किन्तु अकेला सोता हुआ कभी गर्म नहीं हो सकता। [PE][PS]
12. अकेले व्यक्ति को शत्रु हरा सकता है किन्तु वही शत्रु दो व्यक्तियों को नहीं हरा सकता है और तीन व्यक्तियों की शक्ति तो और भी अधिक होती है। वे एक ऐसे रस्से के समान होते हैं, जिसकी तीन लटें आपस में गुंथी हुई होती है, जिसे तोड़ पाना बहुत कठिन है। लोग, राजनीति और प्रसिद्धि [PS]
13. एक गरीब किन्तु बुद्धिमान युवा नेता, एक वृद्ध किन्तु मूर्ख राजा से अच्छा है। वह वृद्ध राजा चेतावनियों पर ध्यान नहीं देता।
14. हो सकता है वह युवा शासक उस राज्य में गरीबी में पैदा हुआ हो और हो सकता है वह कारागर से छूटकर देश पर शासन करने के लिये आया हो।
15. किन्तु इस जीवन में मैंने लोगों को देखा है और मैं यह जानता हूँ कि लोग उस दूसरे युवानेता का ही अनुसरण करते हैं और वही नया राजा बन जाता हैं।
16. बहुत से लोग इस युवक के पीछे हो लेते हैं। किन्तु आगे चलकर वे लोग भी उसे पसन्द नहीं करते इसलिये यह सब भी व्यर्थ हैं। यह वैसे ही है जैसा कि वायु को पकड़ने का प्रयत्न करना। [PE]

Notes

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सभोपदेशक 4:4
1 मैंने फिर यह भी देखा है कि कुछ लोगों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। मैंने उनके आँसू देखे हैं और फिर यह भी देखा है कि उन दुःखी लोगों को ढाढ़स बँधाने वाला भी कोई नहीं है। मैंने देखा है कि कठोर लोगों के पास समूची शक्ति है और ये लोग जिन लोगों को क्षति पहुँचाते हैं उन्हें ढाढ़स बँधाने वाला भी कोई नहीं है। 2 मैं इस निर्णय पर पहुँचा हूँ कि ये बातें उन व्यक्तियों के लिये ज्यादा अच्छी हैं जो मर चुके हैं बजाये उनके लिये जो अभी तक जी रहे हैं। 3 उन लोगों के लिये तो ये बातें और भी अच्छे हैं जो जन्म लेते ही मर गए! क्यों? क्योकि, उन्होंने इस संसार में जो बुराइयाँ हो रही हैं, उन्हें देखा ही नहीं। इतना कठिन परिश्रम क्यों? 4 फिर मैंने सोचा, “लोग इतनी कड़ी मेहनत क्यों करते हैं?” मैंने देखा है कि लोग सफल होने और दूसरे लोगों से और अधिक ऊँचा होने के प्रयत्न में लगे रहते हैं। ऐसा इसलिये होता है कि लोग ईष्यालु हैं। वे नहीं चाहते कि जितना उनके पास है, दूसरे के पास उससे अधिक हो। यह सब अर्थहीन है। यह वैसा ही है जैसे वायु को पकड़ना। 5 कुछ लोग कहा करते हैं कि हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहना और कुछ नहीं करना मूर्खता है। यदि तुम काम नहीं करोगे तो भूखों मर जाओगे। 6 जो कुछ मुठ्ठी भर तुम्हारे पास है उसमें संतुष्ट रहना अच्छा है बजाय इसके कि अधिकाधिक पाने की ललक में जूझते हुए वायु के पीछे दौड़ा जाता रहे। 7 फिर मैंने एक और बात देखी, जिसका कोई अर्थ नहीं है: 8 एक व्यक्ति परिवार विहीन हो सकता है। हो सकता है उसके कोई पुत्र और यहाँ तक कि कोई भाई भी न हो किन्तु वह व्यक्ति कठिन से कठिन परिश्रम करने में लगा रहता है और जो कुछ उसके पास होता है, उससे कभी संतुष्ट नहीं होता। सो मैं भी इतनी कड़ी मेहनत क्यों करता हूँ? मैं स्वयं अपने जीवन का आनन्द क्यों नहीं लेता हूँ? अब देखो यह भी एक दुःख भरी और व्यर्थ की बात है। मित्रों और परिवार से शक्ति मिलती है 9 एक व्यक्ति से दो व्यक्ति उत्तम होते हैं। जब दो व्यक्ति मिलकर साथ—साथ काम करते हैं तो जिस काम को वे करते हैं, उस काम से उन्हें अधिक लाभ मिलता है। 10 यदि एक व्यक्ति गिर जाये तो दूसरा व्यक्ति उसकी मदद कर सकता है। किन्तु किसी व्यक्ति के लिये अकेला रहना अच्छा नहीं है क्योंकि जब वह गिरता है तो उसकी सहायता के लिये वहाँ कोई और नहीं होता। 11 यदि दो व्यक्ति एक साथ सोते हैं तो उनमें गरमाहट रहती है किन्तु अकेला सोता हुआ कभी गर्म नहीं हो सकता। 12 अकेले व्यक्ति को शत्रु हरा सकता है किन्तु वही शत्रु दो व्यक्तियों को नहीं हरा सकता है और तीन व्यक्तियों की शक्ति तो और भी अधिक होती है। वे एक ऐसे रस्से के समान होते हैं, जिसकी तीन लटें आपस में गुंथी हुई होती है, जिसे तोड़ पाना बहुत कठिन है। लोग, राजनीति और प्रसिद्धि 13 एक गरीब किन्तु बुद्धिमान युवा नेता, एक वृद्ध किन्तु मूर्ख राजा से अच्छा है। वह वृद्ध राजा चेतावनियों पर ध्यान नहीं देता। 14 हो सकता है वह युवा शासक उस राज्य में गरीबी में पैदा हुआ हो और हो सकता है वह कारागर से छूटकर देश पर शासन करने के लिये आया हो। 15 किन्तु इस जीवन में मैंने लोगों को देखा है और मैं यह जानता हूँ कि लोग उस दूसरे युवानेता का ही अनुसरण करते हैं और वही नया राजा बन जाता हैं। 16 बहुत से लोग इस युवक के पीछे हो लेते हैं। किन्तु आगे चलकर वे लोग भी उसे पसन्द नहीं करते इसलिये यह सब भी व्यर्थ हैं। यह वैसे ही है जैसा कि वायु को पकड़ने का प्रयत्न करना।
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