पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
निर्गमन
1. इस्राएल के सभी लोगों ने सीन की मरुभूमि से एक साथ यात्रा की। वे यहोवा जैसा आदेश देता रहा, एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करते रहे। लोगों ने रपीदीम की यात्रा की और वहाँ उन्होंने डेरा डाला। वहाँ लोगों के पीने के लिए पानी न था।
2. इसलिए वे मूसा के विरुद्ध हो गए और उससे बहस करने लगे। लोगों ने कहा, “हमें पीने के लिए पानी दो।” [PE][PS] किन्तु मूसा ने उनसे कहा, “तुम लोग मेरे विरुद्ध क्यों हो रहे हो? तुम लोग यहोवा की परीक्षा क्यों ले रहे हो? क्या तुम लोग समझते हो कि यहोवा हमारे साथ नहीं है?” [PE][PS]
3. किन्तु लोग बहुत प्यासे थे। इसलिए उन्होंने मूसा से शिकायत जारी रखी। लोगों ने कहा, “हम लोगों को तुम मिस्र से बाहर क्यों लाए? क्या तुम इसलिए लाए कि पानी के बिना हमको, हमारे बच्चों को और हमारी गाय, बकरियों को प्यासा मार डालो?” [PE][PS]
4. इसलिए मूसा ने यहोवा को पुकारा, “मैं इन लोगों के साथ क्या करूँ? ये मुझे मार डालने को तैयार है।” [PE][PS]
5. यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएल के लोगों के पास जाओ और उनके कुछ बुजुर्गों (नेताओं) को अपने साथ लो। अपनी लाठी अपने साथ ले जाओ। यह वही लाठी है जिसे तुमने तब उपयोग में लिया था जब नील नदी पर इससे चोट की थी।
6. होरेब (सीनै) पहाड़ पर मैं तुम्हारे सामने एक चट्टान पर खड़ा होऊँगा। लाठी को चट्टान पर मारो और इससे पानी बाहर आ जाएगा। तब लोग पी सकते हैं।” [PE][PS] मूसा ने वही बातें कीं और इस्राएल के बुजुर्गों (नेताओं) ने इसे देखा।
7. मूसा ने इस स्थान का नाम मरीबा और मस्सा रखा। क्योंकि यह वह स्थान था जहाँ इस्राएल के लोग उसके विरुद्ध हुए और उन्होंने यहोवा की परीक्षा ली थी। लोग यह जानना चाहते थे कि यहोवा उनके साथ है या नहीं। [PE][PS]
8. अमालेकी लोग रपीदीम आए और इस्राएल के लोगों के विरुद्ध लड़े।
9. इसलिए मूसा ने यहोशू से कहा, “कुछ लोगों को चुनों और अगले दिन अमालेकियों से जाकर लड़ो। मैं पर्वत की चोटी पर खड़ा होकर तुम्हें देखूँगा। मैं परमेश्वर द्वारा दी गई छड़ी को पकड़े रहूँगा।” [PE][PS]
10. यहोशू ने मूसा की आज्ञा मानी और अगले दिन अमालेकियों से लड़ने गया। उसी समय मूसा, हारून और हूर पहाड़ी की चोटी पर गए।
11. जब कभी मूसा अपने हाथ को हवा में उठाता तो इस्राएल के लोग युद्ध जीत लेते। किन्तु जब मूसा अपने हाथ को नीचे करता तो इस्राएल के लोग युद्ध में हारने लगते। [PE][PS]
12. कुछ समय बाद मूसा की बाहें थक गई। मूसा के साथ के लोग ऐसा उपाय करना चाहते थे, जिससे मूसा की बाहें हव में रह सकें। इसलिए उन्होंने एक बड़ी चट्टान मूसा के नीचे बैठने के लिए रखी तथा हारून और हूर ने मूसा की बाहों को हवा में पकड़े रखा। हारून मूसा की एक ओर था तथा हूर दूसरी ओर। वे उसके हाथों को वैसे ही ऊपर तब तक पकड़े रहे जब तक सूरज नहीं डूबा।
13. इसलिए यहोशू और उसके सैनिकों ने अमालेकियों को इस युद्ध में हरा दिया। [PE][PS]
14. तब यहोवा ने मूसा से कहा, “इस युद्ध के बारे में लिखो। इस युद्ध की घटनाओं को एक पुस्तक में लिखो जिससे लोग याद करेंगे कि यहाँ क्या हुआ था और यहोशू से कहो कि मैं अमालेकी लोगों को धरती से पूर्णरूप से नष्ट कर दूँगा।” [PE][PS]
15. तब मूसा ने एक वेदी बनायी। मूसा ने वेदी का नाम “यहोवा निस्सी” रखा।
16. मूसा ने कहा, “मैंने यहोवा के सिंहासन की ओर अपने हाथ फैलाए। इसलिए यहोवा अमालेकी लोगों से लड़ा जैसा उसने सदा किया है।” [PE]

Notes

No Verse Added

Total 40 अध्याय, Selected अध्याय 17 / 40
निर्गमन 17:18
1 इस्राएल के सभी लोगों ने सीन की मरुभूमि से एक साथ यात्रा की। वे यहोवा जैसा आदेश देता रहा, एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करते रहे। लोगों ने रपीदीम की यात्रा की और वहाँ उन्होंने डेरा डाला। वहाँ लोगों के पीने के लिए पानी न था। 2 इसलिए वे मूसा के विरुद्ध हो गए और उससे बहस करने लगे। लोगों ने कहा, “हमें पीने के लिए पानी दो।” किन्तु मूसा ने उनसे कहा, “तुम लोग मेरे विरुद्ध क्यों हो रहे हो? तुम लोग यहोवा की परीक्षा क्यों ले रहे हो? क्या तुम लोग समझते हो कि यहोवा हमारे साथ नहीं है?” 3 किन्तु लोग बहुत प्यासे थे। इसलिए उन्होंने मूसा से शिकायत जारी रखी। लोगों ने कहा, “हम लोगों को तुम मिस्र से बाहर क्यों लाए? क्या तुम इसलिए लाए कि पानी के बिना हमको, हमारे बच्चों को और हमारी गाय, बकरियों को प्यासा मार डालो?” 4 इसलिए मूसा ने यहोवा को पुकारा, “मैं इन लोगों के साथ क्या करूँ? ये मुझे मार डालने को तैयार है।” 5 यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएल के लोगों के पास जाओ और उनके कुछ बुजुर्गों (नेताओं) को अपने साथ लो। अपनी लाठी अपने साथ ले जाओ। यह वही लाठी है जिसे तुमने तब उपयोग में लिया था जब नील नदी पर इससे चोट की थी। 6 होरेब (सीनै) पहाड़ पर मैं तुम्हारे सामने एक चट्टान पर खड़ा होऊँगा। लाठी को चट्टान पर मारो और इससे पानी बाहर आ जाएगा। तब लोग पी सकते हैं।” मूसा ने वही बातें कीं और इस्राएल के बुजुर्गों (नेताओं) ने इसे देखा। 7 मूसा ने इस स्थान का नाम मरीबा और मस्सा रखा। क्योंकि यह वह स्थान था जहाँ इस्राएल के लोग उसके विरुद्ध हुए और उन्होंने यहोवा की परीक्षा ली थी। लोग यह जानना चाहते थे कि यहोवा उनके साथ है या नहीं। 8 अमालेकी लोग रपीदीम आए और इस्राएल के लोगों के विरुद्ध लड़े। 9 इसलिए मूसा ने यहोशू से कहा, “कुछ लोगों को चुनों और अगले दिन अमालेकियों से जाकर लड़ो। मैं पर्वत की चोटी पर खड़ा होकर तुम्हें देखूँगा। मैं परमेश्वर द्वारा दी गई छड़ी को पकड़े रहूँगा।” 10 यहोशू ने मूसा की आज्ञा मानी और अगले दिन अमालेकियों से लड़ने गया। उसी समय मूसा, हारून और हूर पहाड़ी की चोटी पर गए। 11 जब कभी मूसा अपने हाथ को हवा में उठाता तो इस्राएल के लोग युद्ध जीत लेते। किन्तु जब मूसा अपने हाथ को नीचे करता तो इस्राएल के लोग युद्ध में हारने लगते। 12 कुछ समय बाद मूसा की बाहें थक गई। मूसा के साथ के लोग ऐसा उपाय करना चाहते थे, जिससे मूसा की बाहें हव में रह सकें। इसलिए उन्होंने एक बड़ी चट्टान मूसा के नीचे बैठने के लिए रखी तथा हारून और हूर ने मूसा की बाहों को हवा में पकड़े रखा। हारून मूसा की एक ओर था तथा हूर दूसरी ओर। वे उसके हाथों को वैसे ही ऊपर तब तक पकड़े रहे जब तक सूरज नहीं डूबा। 13 इसलिए यहोशू और उसके सैनिकों ने अमालेकियों को इस युद्ध में हरा दिया। 14 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “इस युद्ध के बारे में लिखो। इस युद्ध की घटनाओं को एक पुस्तक में लिखो जिससे लोग याद करेंगे कि यहाँ क्या हुआ था और यहोशू से कहो कि मैं अमालेकी लोगों को धरती से पूर्णरूप से नष्ट कर दूँगा।” 15 तब मूसा ने एक वेदी बनायी। मूसा ने वेदी का नाम “यहोवा निस्सी” रखा। 16 मूसा ने कहा, “मैंने यहोवा के सिंहासन की ओर अपने हाथ फैलाए। इसलिए यहोवा अमालेकी लोगों से लड़ा जैसा उसने सदा किया है।”
Total 40 अध्याय, Selected अध्याय 17 / 40
Common Bible Languages
West Indian Languages
×

Alert

×

hindi Letters Keypad References