पवित्र बाइबिल

ऐसी तो रीड वर्शन (ESV)
निर्गमन
1. {#1“मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊँगा” } [PS]तब यहोवा ने मूसा से कहा, “तुम और तुम्हारे वे लोग जिन्हें तुम मिस्र से लाए हो उस जगह को अवश्य छोड़ दो। और उस प्रदेश में जाओ जिसे मैंने इब्राहीम, इसहाक और याकूब को देने का वचन दिया था। मैंने उन्हें वचन दिया मैंने कहा, ‘मैं वह प्रदेश तुम्हारे भावी वंशजों को दूँगा।
2. मैं एक दूत तुम्हारे आगे आगे चलने के लिये भेजूँगा, और मैं कनानी, एमोरी, हित्ती, परिज्जी, हिब्बी और यबूसी लोगों को हराऊँगा, मैं उन लोगों को तुम्हारा प्रदेश छोड़ने को विवश करूँगा।
3. इसलिए उस प्रदेश को जाओ जो बहुत ही अच्छी चीज़ों[* अच्छी चीज़ें अर्थात् दूध और शहद से भरपूर। ] से भरा है। किन्तु मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊँगा, तुम लोग बड़े हठी हो, यदि मैं तुम्हारे साथ गया तो मैं तुम्हें शायद रास्ते में ही नष्ट कर दूँ।’ ” [PE]
4. [PS]लोगों ने यह बुरी खबर सुनी और वे वहुत दुःखी हुए। इसके बाद लोगों ने आभूषण नही पहने।
5. उन्होंने आभूषण नहीं पहने क्योंकि यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएल के लोगों से कहो, ‘तुम हठी लोग हो। यदि मैं तुम लोगों के साथ थोड़े समय के लिए भी यात्रा करुँ तो मैं तुम लोगों को नष्ट कर दूँगा, इसलिए अपने सभी गहने उतार लो। तब मैं निश्चय करूँगा कि तुम्हारे साथ क्या करूँ।’ ”
6. इसलिए इस्राएल के लोगों ने होरेब (सीनै) पर्वत पर अपने सभी गहने उतार लिए। [PE]
7. {#1मिलापवाला तम्बू } [PS]मूसा मिलापवाला तम्बू को डेरे से कुछ दूर ले गया। वहाँ उसने उसे लगाया और उसका नाम “मिलापवाला तम्बू” रखा। कोई व्यक्ति जो यहोवा से कुछ जानना चाहता था उसे डेरे के बाहर मिलापवाले तम्बू तक जाना होता था।
8. जब कभी मूसा बाहर तम्बू में जाता तो लोग उसको देखते रहते। लोग अपने तम्बूओं के द्वार पर खड़े रहते और मूसा को तब तक देखते रहते जब तक वह मिलापवाले तम्बू में चला जाता।
9. जब मूसा तम्बू में जाता तो एक लम्बा बादल का स्तम्भ सदा नीचे उतरता था। वह बादल तम्बू के द्वार पर ठहरता। इस प्रकार यहोवा मूसा से बात करता था।
10. जब लोग तम्बू के द्वार पर बादल को देखते तो सामने झुकते और उपासना करते थे। हर एक व्यक्ति अपने तम्बू के द्वार पर उपासना करता था। [PE]
11.
12. [PS]यहोवा मूसा से आमने—सामने बात करता था। यहोवा मूसा से इस प्रकार बात करता था जिस प्रकार कोई व्यक्ति अपने मित्र से बात करता है। यहोवा से बात करने के बाद मूसा हमेशा अपने डेरे मे वापस लौटता था। नून का पुत्र नवयुवक यहोशू मूसा का सहायक था। यहोशू सदा तम्बू में रहता था जब मूसा उसे छोड़ता था। [PE]{#1मूसा को यहोवा की महिमा का दर्शन } [PS]मूसा ने यहोवा से कहा, “तूने मुझे इन लोगों को ले चलने को कहा। किन्तु तूने यह नहीं बताया कि मेरे साथ किसे भेजेगा। तूने मुझसे कहा, ‘मैं तुम्हें अच्छी तरह जानता हूँ और मैं तुमसे प्रसन्न हूँ।’
13. यदि तुझे मैंने सचमुच प्रसन्न किया है तो अपने निर्णय मुझे बता। तुझे मैं सचमुच जानना चाहता हूँ। तब मैं तुझे लगातार प्रसन्न रख सकता हूँ। याद रख कि ये सभी तेरे लोग हैं।” [PE]
14.
15. [PS]यहोवा ने कहा, “मैं स्वयं तुम्हारे साथ चलूँगा। मैं तुम्हें रास्ता दिखाऊँगा।”[† मैं … दिखाऊँगा या “आराम दूँगा।” ] [PE][PS]तब मूसा ने उससे कहा, “यदि तू हम लोगों के साथ न चले तो तू इस स्थान से हम लोगों को दूर मत भेज।
16. हम यह भी कैसे जानेंगे कि तू मुझसे और इन लोगों से प्रसन्न है? यदि तू साथ चलेगा तो हम लोग निश्चयपूर्वक यह जानेंगे। यदि तू हम लोगों के साथ नहीं जाता तो मैं और ये लोग धरती के अन्य दूसरे लोगों से भिन्न नहीं होंगे।” [PE]
17.
18. [PS]तब यहोवा ने मूसा से कहा, “मैं वह करूँगा जो तू कहता है। मैं यह करूँगा क्योंकि मैं तुझसे प्रसन्न हूँ। मैं तुझे अच्छी तरह जानता हूँ।” [PE]
19. [PS]तब मूसा ने कहा, “अब कृपया मुझे अपनी महिमा दिखा।” [PE][PS]तब यहोवा ने उत्तर दिया, “मैं अपनी सम्पूर्ण भलाई को तुम तक जाने दूँगा। मैं यहोवा हूँ और मैं अपने नाम की घोषणा करूँगा जिससे तुम उसे सुन सको। मैं उन लोगों पर कृपा और प्रेम दिखाऊँगा जिन्हें मैं चूनूँगा।
20. किन्तु तुम मेरा मुख नहीं देख सकते। कोई भी व्यक्ति मुझे देख नहीं सकता और यदि देख ले तो जीवित नहीं रह सकता है। [PE]
21. [PS]“मेरे समीप के स्थान पर एक चट्टान है। तुम उस चट्टान पर खड़े हो सकते हो।
22. मेरी महिमा उस स्थान से होकर गुज़रेगी। उस चट्टान की बड़ी दरार में मैं तुम को रखूँगा और गुजरते समय मैं तुम्हें अपने हाथ से ढकूँगा।
23. तब मैं अपना हाथ हटा लूँगा और तुम मेरी पीठ मात्र देखोगे। किन्तु तुम मेरा मुख नहीं देख पाओगे।” [PE]
Total 40 अध्याय, Selected अध्याय 33 / 40
“मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊँगा” 1 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “तुम और तुम्हारे वे लोग जिन्हें तुम मिस्र से लाए हो उस जगह को अवश्य छोड़ दो। और उस प्रदेश में जाओ जिसे मैंने इब्राहीम, इसहाक और याकूब को देने का वचन दिया था। मैंने उन्हें वचन दिया मैंने कहा, ‘मैं वह प्रदेश तुम्हारे भावी वंशजों को दूँगा। 2 मैं एक दूत तुम्हारे आगे आगे चलने के लिये भेजूँगा, और मैं कनानी, एमोरी, हित्ती, परिज्जी, हिब्बी और यबूसी लोगों को हराऊँगा, मैं उन लोगों को तुम्हारा प्रदेश छोड़ने को विवश करूँगा। 3 इसलिए उस प्रदेश को जाओ जो बहुत ही अच्छी चीज़ों* अच्छी चीज़ें अर्थात् दूध और शहद से भरपूर। से भरा है। किन्तु मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊँगा, तुम लोग बड़े हठी हो, यदि मैं तुम्हारे साथ गया तो मैं तुम्हें शायद रास्ते में ही नष्ट कर दूँ।’ ” 4 लोगों ने यह बुरी खबर सुनी और वे वहुत दुःखी हुए। इसके बाद लोगों ने आभूषण नही पहने। 5 उन्होंने आभूषण नहीं पहने क्योंकि यहोवा ने मूसा से कहा, “इस्राएल के लोगों से कहो, ‘तुम हठी लोग हो। यदि मैं तुम लोगों के साथ थोड़े समय के लिए भी यात्रा करुँ तो मैं तुम लोगों को नष्ट कर दूँगा, इसलिए अपने सभी गहने उतार लो। तब मैं निश्चय करूँगा कि तुम्हारे साथ क्या करूँ।’ ” 6 इसलिए इस्राएल के लोगों ने होरेब (सीनै) पर्वत पर अपने सभी गहने उतार लिए। मिलापवाला तम्बू 7 मूसा मिलापवाला तम्बू को डेरे से कुछ दूर ले गया। वहाँ उसने उसे लगाया और उसका नाम “मिलापवाला तम्बू” रखा। कोई व्यक्ति जो यहोवा से कुछ जानना चाहता था उसे डेरे के बाहर मिलापवाले तम्बू तक जाना होता था। 8 जब कभी मूसा बाहर तम्बू में जाता तो लोग उसको देखते रहते। लोग अपने तम्बूओं के द्वार पर खड़े रहते और मूसा को तब तक देखते रहते जब तक वह मिलापवाले तम्बू में चला जाता। 9 जब मूसा तम्बू में जाता तो एक लम्बा बादल का स्तम्भ सदा नीचे उतरता था। वह बादल तम्बू के द्वार पर ठहरता। इस प्रकार यहोवा मूसा से बात करता था। 10 जब लोग तम्बू के द्वार पर बादल को देखते तो सामने झुकते और उपासना करते थे। हर एक व्यक्ति अपने तम्बू के द्वार पर उपासना करता था। 11 12 यहोवा मूसा से आमने—सामने बात करता था। यहोवा मूसा से इस प्रकार बात करता था जिस प्रकार कोई व्यक्ति अपने मित्र से बात करता है। यहोवा से बात करने के बाद मूसा हमेशा अपने डेरे मे वापस लौटता था। नून का पुत्र नवयुवक यहोशू मूसा का सहायक था। यहोशू सदा तम्बू में रहता था जब मूसा उसे छोड़ता था। मूसा को यहोवा की महिमा का दर्शन मूसा ने यहोवा से कहा, “तूने मुझे इन लोगों को ले चलने को कहा। किन्तु तूने यह नहीं बताया कि मेरे साथ किसे भेजेगा। तूने मुझसे कहा, ‘मैं तुम्हें अच्छी तरह जानता हूँ और मैं तुमसे प्रसन्न हूँ।’ 13 यदि तुझे मैंने सचमुच प्रसन्न किया है तो अपने निर्णय मुझे बता। तुझे मैं सचमुच जानना चाहता हूँ। तब मैं तुझे लगातार प्रसन्न रख सकता हूँ। याद रख कि ये सभी तेरे लोग हैं।” 14 15 यहोवा ने कहा, “मैं स्वयं तुम्हारे साथ चलूँगा। मैं तुम्हें रास्ता दिखाऊँगा।” मैं … दिखाऊँगा या “आराम दूँगा।” तब मूसा ने उससे कहा, “यदि तू हम लोगों के साथ न चले तो तू इस स्थान से हम लोगों को दूर मत भेज। 16 हम यह भी कैसे जानेंगे कि तू मुझसे और इन लोगों से प्रसन्न है? यदि तू साथ चलेगा तो हम लोग निश्चयपूर्वक यह जानेंगे। यदि तू हम लोगों के साथ नहीं जाता तो मैं और ये लोग धरती के अन्य दूसरे लोगों से भिन्न नहीं होंगे।” 17 18 तब यहोवा ने मूसा से कहा, “मैं वह करूँगा जो तू कहता है। मैं यह करूँगा क्योंकि मैं तुझसे प्रसन्न हूँ। मैं तुझे अच्छी तरह जानता हूँ।” 19 तब मूसा ने कहा, “अब कृपया मुझे अपनी महिमा दिखा।” तब यहोवा ने उत्तर दिया, “मैं अपनी सम्पूर्ण भलाई को तुम तक जाने दूँगा। मैं यहोवा हूँ और मैं अपने नाम की घोषणा करूँगा जिससे तुम उसे सुन सको। मैं उन लोगों पर कृपा और प्रेम दिखाऊँगा जिन्हें मैं चूनूँगा। 20 किन्तु तुम मेरा मुख नहीं देख सकते। कोई भी व्यक्ति मुझे देख नहीं सकता और यदि देख ले तो जीवित नहीं रह सकता है। 21 “मेरे समीप के स्थान पर एक चट्टान है। तुम उस चट्टान पर खड़े हो सकते हो। 22 मेरी महिमा उस स्थान से होकर गुज़रेगी। उस चट्टान की बड़ी दरार में मैं तुम को रखूँगा और गुजरते समय मैं तुम्हें अपने हाथ से ढकूँगा। 23 तब मैं अपना हाथ हटा लूँगा और तुम मेरी पीठ मात्र देखोगे। किन्तु तुम मेरा मुख नहीं देख पाओगे।”
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