पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
निर्गमन
1. {मिश्र तर्फ पलायन} [PS] कारीगरों ने नीले, लाल और बैंगनी कपड़ों के विशेष वस्त्र याजकों के लिए बनाए जिन्हें वे पवित्र स्थान में सेवा के समय पहनेगे। उन्होंने हारून के लिए भी वैसे ही विशेष वस्त्र बनाये जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। [PS]
2. {एपोद} [PS] उन्होंने एपोद सन के उत्तम रेशों और नीले, लाल और बैंगनी कपड़े से बनाया।
3. (उन्होंने सोने को बारीक पट्टियों के रूप में पीटा और तब उन्होंने उसे लम्बे धागो के रूप में काटा। उन्होंने सोने को नीले, बैंगनी, लाल कपड़ों और सन के उत्तम रेशों में बुना। इसे निपुणता के साथ किया गया।)
4. उन्होंने एपोद के कंधों की पट्टियाँ बनाई। और कंधे की इन पट्टियों को एपोद के कंधे पर टाँका।
5. पटुका उसी प्रकार बनाया गया था। यह एपोद से एक ही इकाई के रूप मे जोड़ दिया गया। यह सोने के तार, सन के उत्तम रेशों, नीला, लाल और बैंगनी कपड़े से वैसा ही बना जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। [PE][PS]
6. कारीगरों ने रत्नों को सोने को पट्टी में जड़ा। उन्होंने इस्राएल के पुत्रों के नाम रत्नों पर लिखे।
7. तब उन्होंने रत्नों को एपोद के कंधें के पेबन्द पर लगाया। हर एक रत्न इस्राएल के बारह पुत्रों में से एक—एक का प्रतिनिधित्व करता था। यह वैसा ही किया गया जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। [PS]
8. {सीनाबन्द} [PS] तब उन्होंने सीनाबन्द बनाया। यह वही निपुणता के साथ बनाया गया था। सीनाबन्द एपोद की तरह बनाया गया था। यह सोने के तार, सन के उत्तम रेशों, नीला, लाल और बैंगनी कपड़े का बनाया गया था।
9. सीनाबन्द वर्गाकार दोहरा तह किया हुआ था। यह नौ इंच लम्बा और नौ इंच चौड़ा था।
10. तब कारीगर ने इस पर सुन्दर रत्नों की पक्तियाँ जड़ीं। पहली पंक्ति में एक लाल, एक पुखराज और एक मर्कतमणि थी।
11. दूसरी पंक्ति में एक फिरोज़ा, एक नीलम तथा एक पन्ना था।
12. तीसरी पंक्ति में एक धूम्रकान्त, अकीक और एक याकूत था।
13. चौथी पंक्ति में एक लहसुनिया, एक गोमेदक मणि, और एक कपिश मणि थी। ये सभी रत्न सोने में जड़े थे।
14. इन बारह रत्नों पर इस्राएल के पुत्रों के नाम उसी प्रकार लिखे गये थे जिस प्रराक एक कारीगर मुहर पर खोदता है। हर एक रत्न पर इस्राएल के बारह पुत्रों में से एक—एक का नाम था। [PE][PS]
15. सीनाबन्द के लिए शुद्ध सोने की एक जंजीर बनाई गई। ये रस्सी की तरह बटी थी।
16. कारीगरों ने सोने की दो पट्टियों और दो सोने के छल्ले बनाए। उन्होंने दोनों छल्लों को सीनाबन्द के ऊपरी कोनों पर लगाया।
17. तब उन्होंने दोनों सोने की जंजीरों को दोनों छल्लों में बाँधा।
18. उन्होंने सोने की जंजीरों के दूसरी सिरों को दोनों पट्टियों से बाँधा। तब उन्होंने एपोद के दोनों कंधों से सामने की ओर उन्हें फँसाया।
19. तब उन्होंने दो और सोने के छल्ले बनाए और सीनाबन्द के निचले कोनों पर उन्हें लगाया। उन्होंने छल्लों को चोगे के समीप अन्दर लगाया।
20. उन्होंने सामने की ओर कंधे की पट्टी के तले में सोने के दो छल्ले लगाए। ये छल्ले बटनों के समीप ठीक पटुके के ऊपर थे।
21. तब उन्होंने एक नीली पट्टी का उपयोग किया और सीनाबन्द के छल्लों को एपोद छल्लों से बाँधा। इस प्रकार सीनाबन्द पेटी के समीप लगा रहा। यह गिर नहीं सकता था। उन्होंने यह सब चीज़ें यहोवा के आदेश के अनुसार कीं। [PS]
22. {याजक के अन्य वस्त्र} [PS] तब उन्होंने एपोद के नीचे का चोगा बनाया। उन्होंने इसे नीले कपड़े से बनाया। यह एक निपुण व्यक्ति का काम था।
23. चोग़े के बीचोंबीच एक छेद था। इस छेद के चारों ओर कपड़े की गोट लगी थी। यह गोट छेद को फटने से बचाती थी।
24. तब उन्होंने सन के उत्तम रेशों, नीले, लाल और बैंगनी कपड़े से फूँदने बनाए जे अनार के आकार के नीचे लटके थे। उन्होंने इन अनारों को चोग़े के नीचे के सिरे पर चारों ओर बाँधा।
25. तब उन्होंने शुद्ध सोने की घंटियाँ बनाई। उन्होंने अनारों के बीच में चोगे के नीचे के सिरे के चारों ओर इन्हें बाँधा।
26. लबादे के नीचे के सिरे के चारो ओर अनार और घंटियाँ थी। हर एक अनारों के मध्य घंटी थी। याजक उस चोगे को तब पहनता था जब वह यहोवा की सेवा करता था, जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। [PE][PS]
27. कारीगरों ने हारून ओर उसके पुत्रों के लिये लबादे बनाए। ये लबादे सन के उत्तम रेशों के थे।
28. और कारीगरों के सन के उत्तम रेशों के साफ़े बनाए। उन्होंने सिर की पगड़ियाँ और अधोवस्त्र भी बनाए। उन्होंने इन चीज़ों को सन के उत्तम रेशों का बनाया।
29. तब उन्होंने पटुके को सन के उत्तम रेशों, नीले, बैंगनी और लाल कपड़े से बनाया। कपड़े में काढ़ने काढ़े गये। ये चीज़ें वैसी ही बनाई गई जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। [PE][PS]
30. तब उन्होंने सिर पर बाँधने के लिये सोने का पतरा बनाया। उन्होंने सोने पर ये शब्द लिखे: यहोवा के लिए पवित्र।
31. तब उन्होंने पतरे से एक नीली पट्टी बाँधी और उसे पगड़ी पर इस प्रकार बाँधा जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। [PS]
32. {याजक के अन्य वस्त्र} [PS] इस प्रकार मिलापवाले तम्बू का सारा काम पूरा हो गया। इस्राएल के लोगों ने हर चीज़ ठीक वैसी ही बनाई जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था।
33. तब उन्होंने मिलापवाला तम्बू मूसा को दिखाया। उन्होंने उसे तम्बू और उसमें की सभी चीज़ें दिखाईं। उन्होंने उसे छल्ले, तख्ते, छड़ें खम्भे तथा आधार दिखाए।
34. उन्होंने उसे तम्बू का आच्छादन दिखाया जो लाल रंगी हुई भेड़ की खाल का बना था और उन्होंने वह आच्छादन दिखाया जो सुइसों के चमड़े का बना था और उन्होंने वह कनात दिखाई जो प्रवेश द्वार से सब से अधिक पवित्र स्थान को ढकती थी। [PE][PS]
35. उन्होंने मूसा को साक्षीपत्र का सन्दूक दिखाया। उन्होंने सन्दूक को ले जाने वाली बल्लियाँ तथा सन्दूक को ढकने वाले ढक्कन को दिखाया।
36. उन्होंने विशेष रोटी की मेज़ तथा उस पर रहने वाली सभी चीज़े और साथ में विशेष रोटी मूसा को दिखायी।
37. उन्होंने मूसा को शुद्ध सोने का दीपाधार और उस पर रखे हुए दीपकों को दिखाया। उन्होंने तेल और अन्य सभी चीज़ें मूसा को दिखाई, जिनका उपयोग दीपकों के साथ होता था।
38. उन्होंने उसे सोने की वेदी, अभिषेक का तेल, सुगन्धित धूप और तम्बू के प्रवेश द्वार को ढकने वाली कनात को दिखाया।
39. उन्होंने काँसे की वेदी और काँसे की जाली को दिखाया। उन्होंने वेदी को ले जाने के लिये बनी बल्लियों को भी मूसा को दिखाया। और उन्होंने उन सभी चीज़ों को दिखाया जो वेदी पर काम मे आती थी। उन्होंने चिलमची और उसके नीचे का आधार दिखाया। [PE][PS]
40. उन्होंने आँगन के चारों ओर की कनातों को, खम्भों ओर आधारों के साथ मूसा को दिखाया। उन्होंने उसको उस कनात को दिखाया जो आँगन के प्रवेशद्वार को ढके थी। उन्होंने उसे रस्सियाँ और काँसे की तम्बू वाली खूँटियाँ दिखाईं। उन्होंने मिलापवाले तम्बू में उसे सभी चीज़ें दिखाईं। [PE][PS]
41. तब उन्होंने मूसा को पवित्र स्थान में सेवा करने वाले याजकों के लिये बने वस्त्रों को दिखाया। वे उन वस्त्रों को तब पहनते थे जब वे याजक के रूप में सेवा करते थे। [PE][PS]
42. यहोवा ने मूसा को जैसा आदेश दिया था इस्राएल के लोगों ने ठीक सभी काम उसी तरह किया।
43. मूसा ने सभी कामों को ध्यान से देखा। मूसा ने देखा कि सब काम ठीक उसी प्रकार हुआ जैसा यहोवा ने आदेश दिया था। इसलिए मूसा ने उनको आशीर्वाद दिया। [PE]

Notes

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निर्गमन 39:23
मिश्र तर्फ पलायन 1 कारीगरों ने नीले, लाल और बैंगनी कपड़ों के विशेष वस्त्र याजकों के लिए बनाए जिन्हें वे पवित्र स्थान में सेवा के समय पहनेगे। उन्होंने हारून के लिए भी वैसे ही विशेष वस्त्र बनाये जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। एपोद 2 उन्होंने एपोद सन के उत्तम रेशों और नीले, लाल और बैंगनी कपड़े से बनाया। 3 (उन्होंने सोने को बारीक पट्टियों के रूप में पीटा और तब उन्होंने उसे लम्बे धागो के रूप में काटा। उन्होंने सोने को नीले, बैंगनी, लाल कपड़ों और सन के उत्तम रेशों में बुना। इसे निपुणता के साथ किया गया।) 4 उन्होंने एपोद के कंधों की पट्टियाँ बनाई। और कंधे की इन पट्टियों को एपोद के कंधे पर टाँका। 5 पटुका उसी प्रकार बनाया गया था। यह एपोद से एक ही इकाई के रूप मे जोड़ दिया गया। यह सोने के तार, सन के उत्तम रेशों, नीला, लाल और बैंगनी कपड़े से वैसा ही बना जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। 6 कारीगरों ने रत्नों को सोने को पट्टी में जड़ा। उन्होंने इस्राएल के पुत्रों के नाम रत्नों पर लिखे। 7 तब उन्होंने रत्नों को एपोद के कंधें के पेबन्द पर लगाया। हर एक रत्न इस्राएल के बारह पुत्रों में से एक—एक का प्रतिनिधित्व करता था। यह वैसा ही किया गया जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। सीनाबन्द 8 तब उन्होंने सीनाबन्द बनाया। यह वही निपुणता के साथ बनाया गया था। सीनाबन्द एपोद की तरह बनाया गया था। यह सोने के तार, सन के उत्तम रेशों, नीला, लाल और बैंगनी कपड़े का बनाया गया था। 9 सीनाबन्द वर्गाकार दोहरा तह किया हुआ था। यह नौ इंच लम्बा और नौ इंच चौड़ा था। 10 तब कारीगर ने इस पर सुन्दर रत्नों की पक्तियाँ जड़ीं। पहली पंक्ति में एक लाल, एक पुखराज और एक मर्कतमणि थी। 11 दूसरी पंक्ति में एक फिरोज़ा, एक नीलम तथा एक पन्ना था। 12 तीसरी पंक्ति में एक धूम्रकान्त, अकीक और एक याकूत था। 13 चौथी पंक्ति में एक लहसुनिया, एक गोमेदक मणि, और एक कपिश मणि थी। ये सभी रत्न सोने में जड़े थे। 14 इन बारह रत्नों पर इस्राएल के पुत्रों के नाम उसी प्रकार लिखे गये थे जिस प्रराक एक कारीगर मुहर पर खोदता है। हर एक रत्न पर इस्राएल के बारह पुत्रों में से एक—एक का नाम था। 15 सीनाबन्द के लिए शुद्ध सोने की एक जंजीर बनाई गई। ये रस्सी की तरह बटी थी। 16 कारीगरों ने सोने की दो पट्टियों और दो सोने के छल्ले बनाए। उन्होंने दोनों छल्लों को सीनाबन्द के ऊपरी कोनों पर लगाया। 17 तब उन्होंने दोनों सोने की जंजीरों को दोनों छल्लों में बाँधा। 18 उन्होंने सोने की जंजीरों के दूसरी सिरों को दोनों पट्टियों से बाँधा। तब उन्होंने एपोद के दोनों कंधों से सामने की ओर उन्हें फँसाया। 19 तब उन्होंने दो और सोने के छल्ले बनाए और सीनाबन्द के निचले कोनों पर उन्हें लगाया। उन्होंने छल्लों को चोगे के समीप अन्दर लगाया। 20 उन्होंने सामने की ओर कंधे की पट्टी के तले में सोने के दो छल्ले लगाए। ये छल्ले बटनों के समीप ठीक पटुके के ऊपर थे। 21 तब उन्होंने एक नीली पट्टी का उपयोग किया और सीनाबन्द के छल्लों को एपोद छल्लों से बाँधा। इस प्रकार सीनाबन्द पेटी के समीप लगा रहा। यह गिर नहीं सकता था। उन्होंने यह सब चीज़ें यहोवा के आदेश के अनुसार कीं। याजक के अन्य वस्त्र 22 तब उन्होंने एपोद के नीचे का चोगा बनाया। उन्होंने इसे नीले कपड़े से बनाया। यह एक निपुण व्यक्ति का काम था। 23 चोग़े के बीचोंबीच एक छेद था। इस छेद के चारों ओर कपड़े की गोट लगी थी। यह गोट छेद को फटने से बचाती थी। 24 तब उन्होंने सन के उत्तम रेशों, नीले, लाल और बैंगनी कपड़े से फूँदने बनाए जे अनार के आकार के नीचे लटके थे। उन्होंने इन अनारों को चोग़े के नीचे के सिरे पर चारों ओर बाँधा। 25 तब उन्होंने शुद्ध सोने की घंटियाँ बनाई। उन्होंने अनारों के बीच में चोगे के नीचे के सिरे के चारों ओर इन्हें बाँधा। 26 लबादे के नीचे के सिरे के चारो ओर अनार और घंटियाँ थी। हर एक अनारों के मध्य घंटी थी। याजक उस चोगे को तब पहनता था जब वह यहोवा की सेवा करता था, जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। 27 कारीगरों ने हारून ओर उसके पुत्रों के लिये लबादे बनाए। ये लबादे सन के उत्तम रेशों के थे। 28 और कारीगरों के सन के उत्तम रेशों के साफ़े बनाए। उन्होंने सिर की पगड़ियाँ और अधोवस्त्र भी बनाए। उन्होंने इन चीज़ों को सन के उत्तम रेशों का बनाया। 29 तब उन्होंने पटुके को सन के उत्तम रेशों, नीले, बैंगनी और लाल कपड़े से बनाया। कपड़े में काढ़ने काढ़े गये। ये चीज़ें वैसी ही बनाई गई जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। 30 तब उन्होंने सिर पर बाँधने के लिये सोने का पतरा बनाया। उन्होंने सोने पर ये शब्द लिखे: यहोवा के लिए पवित्र। 31 तब उन्होंने पतरे से एक नीली पट्टी बाँधी और उसे पगड़ी पर इस प्रकार बाँधा जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। याजक के अन्य वस्त्र 32 इस प्रकार मिलापवाले तम्बू का सारा काम पूरा हो गया। इस्राएल के लोगों ने हर चीज़ ठीक वैसी ही बनाई जैसा यहोवा ने मूसा को आदेश दिया था। 33 तब उन्होंने मिलापवाला तम्बू मूसा को दिखाया। उन्होंने उसे तम्बू और उसमें की सभी चीज़ें दिखाईं। उन्होंने उसे छल्ले, तख्ते, छड़ें खम्भे तथा आधार दिखाए। 34 उन्होंने उसे तम्बू का आच्छादन दिखाया जो लाल रंगी हुई भेड़ की खाल का बना था और उन्होंने वह आच्छादन दिखाया जो सुइसों के चमड़े का बना था और उन्होंने वह कनात दिखाई जो प्रवेश द्वार से सब से अधिक पवित्र स्थान को ढकती थी। 35 उन्होंने मूसा को साक्षीपत्र का सन्दूक दिखाया। उन्होंने सन्दूक को ले जाने वाली बल्लियाँ तथा सन्दूक को ढकने वाले ढक्कन को दिखाया। 36 उन्होंने विशेष रोटी की मेज़ तथा उस पर रहने वाली सभी चीज़े और साथ में विशेष रोटी मूसा को दिखायी। 37 उन्होंने मूसा को शुद्ध सोने का दीपाधार और उस पर रखे हुए दीपकों को दिखाया। उन्होंने तेल और अन्य सभी चीज़ें मूसा को दिखाई, जिनका उपयोग दीपकों के साथ होता था। 38 उन्होंने उसे सोने की वेदी, अभिषेक का तेल, सुगन्धित धूप और तम्बू के प्रवेश द्वार को ढकने वाली कनात को दिखाया। 39 उन्होंने काँसे की वेदी और काँसे की जाली को दिखाया। उन्होंने वेदी को ले जाने के लिये बनी बल्लियों को भी मूसा को दिखाया। और उन्होंने उन सभी चीज़ों को दिखाया जो वेदी पर काम मे आती थी। उन्होंने चिलमची और उसके नीचे का आधार दिखाया। 40 उन्होंने आँगन के चारों ओर की कनातों को, खम्भों ओर आधारों के साथ मूसा को दिखाया। उन्होंने उसको उस कनात को दिखाया जो आँगन के प्रवेशद्वार को ढके थी। उन्होंने उसे रस्सियाँ और काँसे की तम्बू वाली खूँटियाँ दिखाईं। उन्होंने मिलापवाले तम्बू में उसे सभी चीज़ें दिखाईं। 41 तब उन्होंने मूसा को पवित्र स्थान में सेवा करने वाले याजकों के लिये बने वस्त्रों को दिखाया। वे उन वस्त्रों को तब पहनते थे जब वे याजक के रूप में सेवा करते थे। 42 यहोवा ने मूसा को जैसा आदेश दिया था इस्राएल के लोगों ने ठीक सभी काम उसी तरह किया। 43 मूसा ने सभी कामों को ध्यान से देखा। मूसा ने देखा कि सब काम ठीक उसी प्रकार हुआ जैसा यहोवा ने आदेश दिया था। इसलिए मूसा ने उनको आशीर्वाद दिया।
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