पवित्र बाइबिल

ऐसी तो रीड वर्शन (ESV)
यहेजकेल
1. [PS]तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा,
2. “मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के परिवार को यह कहानी सुनाओ। उनसे पूछो कि इसका तात्पर्य क्या है
3. उनसे कहो: [PE][PBR] [QS]“ ‘एक विशाल उकाब (नबूकदनेस्सर) विशाल पंख सहित लबानोन में आया। [QE][QS2]उकाब के चितकबरे लम्बें पंख थे। [QE]
4. [QS]उस उकाब ने उस विशाल देवदार वृक्ष (लबानोन) के माथे को तोड़ डालाऔर उसे कनान ले गया। [QE][QS2]उकाब ने व्यापारियों के नगर में उस शाखा को रखा। [QE]
5. [QS]तब उकाब ने बीजों (लोगों) में से कुछ को कनान से लिया। [QE][QS2]उसने उन्हें अच्छी भूमि में बोया। [QE][QS2]उसने एक अच्छी नदी के सहारे उन्हें बोया। [QE]
6. [QS]बीज उगे और वे अंगूर की बेल बने। [QE][QS2]यह बेल अच्छी थी। [QE][QS]बेल ऊँची नहीं थी। [QE][QS2]किन्तु यह एक बड़े क्षेत्र को ढकने के लिये फैल गई। [QE][QS]बेल के तने बने [QE][QS2]और छोटी बेलें बहुत लम्बी हो गई। [QE]
7. [QS]तब दूसरे बड़े पंखों वाले उकाब ने अंगूर की बेल को देखा। [QE][QS2]उकाब के लम्बें पंख थे। [QE][QS]अंगूर की बेल चाहती थी कि यह नया उकाब उसकी देख—भाल करे। [QE][QS2]इसलिये इसने अपनी जड़ों को इस उकाब की ओर फैलाया। [QE][QS]इसकी शाखायें इस उकाब की ओर फैलीं। [QE][QS2]इसकी शाखायें इस उकाब की ओर फलीं। [QE][QS]इसकी शाखायें उस खेत से दूर फैली जहाँ यह बोई गई थी। [QE][QS2]अगूंर की बेल चाहती थी कि नया उकाब इसे पानी दे। [QE]
8. [QS]अगूंर की बेल अच्छे खेत में बोई गई थी। [QE][QS]यह प्रभूत जल के पास बोई गई थी। [QE][QS2]यह शाखायें और फल उत्पन्न कर सकती थी। [QE][QS2]यह एक बहुत अच्छी अगूंर की बेल हो सकती थी।’ ” [QE][PBR]
9. [QS]मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कही, [QE][QS]“क्या तुम समझते हो कि बेल सफल होगी? [QE][QS]नहीं! नया उकाब बेल को जमीन से उखाड़ देगा। [QE][QS2]और पक्षी बेल की जड़ों को तोड़ देगा। [QE][QS2]वह सारे अंगूर खा जाएगा। [QE][QS]तब नयी पत्तियाँ सूखेंगी और मर जाएंगी। [QE][QS2]वह बेल बहुत कमजोर होगी। [QE][QS]इस बेल को जड़ से उखाड़ने के लिये शक्तिशाली अस्त्र—शस्त्र [QE][QS2]या शक्तिशाली राष्ट्र की जरूरत नहीं होगी। [QE]
10. [QS]क्या यह बेल वहाँ बढ़ेगी जहाँ बोई गई हैं नहीं, गर्म पुरवाई चलेगी [QE][QS2]और बेल सूखेगी और मर जाएगी। [QE][QS2]यह वहीं मरेगी जहाँ यह बोई गई थी।” [QE][PBR]
11. [PS]यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा,
12. “इस कहानी की व्याख्या इस्राएल के लोगों के बीच करो, वे सदा मेरे विरुद्ध जाते हैं। उनसे यह कहो: पहला उकाब (नबूकदनेस्सर) बाबुल का राजा है। वह यरूशलेम आया और राजा तथा अन्य प्रमुखों को ले गया। वह उन्हें बाबुल लाया।
13. तब नबूकदनेस्सर ने राजा के परिवार के एक व्यक्ति से साथ सन्धि की। नबूकदनेस्सर ने उस व्यक्ति को प्रतिज्ञा करने के लिये विवश किया। इस प्रकार इस व्यक्ति ने नबूकदनेस्सर के प्रति राजभक्त रहने की प्रतिज्ञा की। नबूकदनेस्सर ने इस व्यक्ति को यहूदा का नया राजा बनाया। तब उसने सभी शक्तिशाली व्यक्तियों को यहूदा से बाहर निकाला।
14. इस प्रकार यहूदा एक दुर्बल राज्य बन गया, जो राजा नबूकदनेस्सर के विरुद्ध नहीं उठ सकता था। यहूदा के नये राजा के साथ नबूकदनेस्सर ने जो सन्धि की थी उसका पालन करने के लिये लोग विवश किये गये।
15. किन्तु इस नये राजा ने किसी भी प्रकार नबूकदनेस्सर के विरुद्ध विद्रोह करने का प्रयत्न किया। उसने सहायता माँगने के लिये मिस्र को दूत भेजे। नये राजा ने बहुत से घोड़े और सैनिक मांगे। इस दशा में, क्या तुम समझते हो कि यहूदा का राजा सफल होगा क्या तुम समझते हो कि नये राजा के पास पर्याप्त शक्ति होगी कि वह सन्धि को तोड़कर दण्ड से बच सकेगा” [PE]
16. [PS]मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर वचन देता हूँ कि यह नया राजा बाबुल में मरेगा! नबूकदनेस्सर ने इस व्यक्ति को यहूदा का नया राजा बनाया। किन्तु इस व्यक्ति ने नबूकदनेस्सर के साथ की हुई अपनी प्रतिज्ञा तोड़ी। इस नये राजा ने सन्धि की उपेक्षा की।
17. मिस्र का राजा यहूदा के राजा की रक्षा करने में समर्थ नहीं होगा। वह बड़ी संख्या में सैनिक भेज सकता है किन्तु मिस्र की महान शक्ति यहूदा की रक्षी नहीं कर सकेगी। नबूकदनेस्सर की सेनायें नगर पर अधिकार के लिये कच्ची सड़कें और मिट्टी की दीवारें बनाएंगी। बड़ी संख्या में लोग मरेंगे।
18. किन्तु यहूदा का राजा बचकर निकल नहीं सकेगा। क्यों क्योंकि उसने अपने सन्धि की उपेक्षा की। उसने नबूकदनेस्सर को दिये अपने वचन को तोड़ा।”
19. मेरा स्वामी यहोवा यह वचन देता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं यहूदा के राजा को दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि उसने मेरी चेतावनियों की उपेक्षा की। उसने हमारी सन्धि को तोड़ा।
20. मैं अपना जाल फैलाऊँगा और वह इसमें फंसेगा। मैं उस बाबुल लाऊँगा तथा मैं उसे उस स्थान में दण्ड दूँगा। मैं उसे दण्ड दूँगा क्योंकि वह मेरे विरुद्ध उठा।
21. मैं उसकी सेना को नष्ट करूँगा। मैं उसके सर्वोत्तम सैनिकों को नष्ट करूँगा और बचे हुए लोगों को हवा में उड़ा दूँगा। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ और मैंने ये बातें तुमसे कही थीं।”
22. मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कही थीं: [PE][PBR] [QS]“मैं लम्बें देवदार के वृक्ष से एक शाखा लूँगा। [QE][QS2]मैं वृक्ष की चोटी से एक छोटी शाखा लूँगा। [QE][QS2]और मैं स्वयं उसे बहुत ऊँचे पर्वत पर बोऊँगा। [QE]
23. [QS]मैं स्वयं इसे इस्राएल में ऊँचे पर्वत पर लगाऊँगा। [QE][QS2]यह शाखा एक वृक्ष बन जाएगी। [QE][QS]इसकी शाखायें निकलेंगी और इसमें फल लगेंगे। [QE][QS2]यह एक सुन्दर देवदार का वृक्ष बन जाएगा। [QE][QS]अनेक पक्षी इसकी शाखाओं पर बैठा करेंगे। [QE][QS2]अनेक पक्षी इसकी शाखाओं के नीचे छाया में रहेंगे। [QE]
24. [QS]तब अन्य वृक्ष उसे जानेंगे कि मैं ऊँचे वृक्षों को भूमि पर गिराता हूँ। [QE][QS2]और मैं छोटे वृक्षों को बढ़ाता और उन्हें लम्बा बनाता हूँ। [QE][QS]मैं हरे वृक्षों को सुखा देता हूँ। [QE][QS2]और मैं सूखे वृक्षों को हरा करता हूँ। [QE][QS]मैं यहोवा हूँ। [QE][QS2]यदि मैं कहूँगा कि मैं कुछ करुँगा तो मैं उसे अवश्य करूँगा!” [QE][PBR]
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1 तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 2 “मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के परिवार को यह कहानी सुनाओ। उनसे पूछो कि इसका तात्पर्य क्या है 3 उनसे कहो: “ ‘एक विशाल उकाब (नबूकदनेस्सर) विशाल पंख सहित लबानोन में आया। उकाब के चितकबरे लम्बें पंख थे। 4 उस उकाब ने उस विशाल देवदार वृक्ष (लबानोन) के माथे को तोड़ डालाऔर उसे कनान ले गया। उकाब ने व्यापारियों के नगर में उस शाखा को रखा। 5 तब उकाब ने बीजों (लोगों) में से कुछ को कनान से लिया। उसने उन्हें अच्छी भूमि में बोया। उसने एक अच्छी नदी के सहारे उन्हें बोया। 6 बीज उगे और वे अंगूर की बेल बने। यह बेल अच्छी थी। बेल ऊँची नहीं थी। किन्तु यह एक बड़े क्षेत्र को ढकने के लिये फैल गई। बेल के तने बने और छोटी बेलें बहुत लम्बी हो गई। 7 तब दूसरे बड़े पंखों वाले उकाब ने अंगूर की बेल को देखा। उकाब के लम्बें पंख थे। अंगूर की बेल चाहती थी कि यह नया उकाब उसकी देख—भाल करे। इसलिये इसने अपनी जड़ों को इस उकाब की ओर फैलाया। इसकी शाखायें इस उकाब की ओर फैलीं। इसकी शाखायें इस उकाब की ओर फलीं। इसकी शाखायें उस खेत से दूर फैली जहाँ यह बोई गई थी। अगूंर की बेल चाहती थी कि नया उकाब इसे पानी दे। 8 अगूंर की बेल अच्छे खेत में बोई गई थी। यह प्रभूत जल के पास बोई गई थी। यह शाखायें और फल उत्पन्न कर सकती थी। यह एक बहुत अच्छी अगूंर की बेल हो सकती थी।’ ” 9 मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कही, “क्या तुम समझते हो कि बेल सफल होगी? नहीं! नया उकाब बेल को जमीन से उखाड़ देगा। और पक्षी बेल की जड़ों को तोड़ देगा। वह सारे अंगूर खा जाएगा। तब नयी पत्तियाँ सूखेंगी और मर जाएंगी। वह बेल बहुत कमजोर होगी। इस बेल को जड़ से उखाड़ने के लिये शक्तिशाली अस्त्र—शस्त्र या शक्तिशाली राष्ट्र की जरूरत नहीं होगी। 10 क्या यह बेल वहाँ बढ़ेगी जहाँ बोई गई हैं नहीं, गर्म पुरवाई चलेगी और बेल सूखेगी और मर जाएगी। यह वहीं मरेगी जहाँ यह बोई गई थी।” 11 यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा, 12 “इस कहानी की व्याख्या इस्राएल के लोगों के बीच करो, वे सदा मेरे विरुद्ध जाते हैं। उनसे यह कहो: पहला उकाब (नबूकदनेस्सर) बाबुल का राजा है। वह यरूशलेम आया और राजा तथा अन्य प्रमुखों को ले गया। वह उन्हें बाबुल लाया। 13 तब नबूकदनेस्सर ने राजा के परिवार के एक व्यक्ति से साथ सन्धि की। नबूकदनेस्सर ने उस व्यक्ति को प्रतिज्ञा करने के लिये विवश किया। इस प्रकार इस व्यक्ति ने नबूकदनेस्सर के प्रति राजभक्त रहने की प्रतिज्ञा की। नबूकदनेस्सर ने इस व्यक्ति को यहूदा का नया राजा बनाया। तब उसने सभी शक्तिशाली व्यक्तियों को यहूदा से बाहर निकाला। 14 इस प्रकार यहूदा एक दुर्बल राज्य बन गया, जो राजा नबूकदनेस्सर के विरुद्ध नहीं उठ सकता था। यहूदा के नये राजा के साथ नबूकदनेस्सर ने जो सन्धि की थी उसका पालन करने के लिये लोग विवश किये गये। 15 किन्तु इस नये राजा ने किसी भी प्रकार नबूकदनेस्सर के विरुद्ध विद्रोह करने का प्रयत्न किया। उसने सहायता माँगने के लिये मिस्र को दूत भेजे। नये राजा ने बहुत से घोड़े और सैनिक मांगे। इस दशा में, क्या तुम समझते हो कि यहूदा का राजा सफल होगा क्या तुम समझते हो कि नये राजा के पास पर्याप्त शक्ति होगी कि वह सन्धि को तोड़कर दण्ड से बच सकेगा” 16 मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर वचन देता हूँ कि यह नया राजा बाबुल में मरेगा! नबूकदनेस्सर ने इस व्यक्ति को यहूदा का नया राजा बनाया। किन्तु इस व्यक्ति ने नबूकदनेस्सर के साथ की हुई अपनी प्रतिज्ञा तोड़ी। इस नये राजा ने सन्धि की उपेक्षा की। 17 मिस्र का राजा यहूदा के राजा की रक्षा करने में समर्थ नहीं होगा। वह बड़ी संख्या में सैनिक भेज सकता है किन्तु मिस्र की महान शक्ति यहूदा की रक्षी नहीं कर सकेगी। नबूकदनेस्सर की सेनायें नगर पर अधिकार के लिये कच्ची सड़कें और मिट्टी की दीवारें बनाएंगी। बड़ी संख्या में लोग मरेंगे। 18 किन्तु यहूदा का राजा बचकर निकल नहीं सकेगा। क्यों क्योंकि उसने अपने सन्धि की उपेक्षा की। उसने नबूकदनेस्सर को दिये अपने वचन को तोड़ा।” 19 मेरा स्वामी यहोवा यह वचन देता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं यहूदा के राजा को दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि उसने मेरी चेतावनियों की उपेक्षा की। उसने हमारी सन्धि को तोड़ा। 20 मैं अपना जाल फैलाऊँगा और वह इसमें फंसेगा। मैं उस बाबुल लाऊँगा तथा मैं उसे उस स्थान में दण्ड दूँगा। मैं उसे दण्ड दूँगा क्योंकि वह मेरे विरुद्ध उठा। 21 मैं उसकी सेना को नष्ट करूँगा। मैं उसके सर्वोत्तम सैनिकों को नष्ट करूँगा और बचे हुए लोगों को हवा में उड़ा दूँगा। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ और मैंने ये बातें तुमसे कही थीं।” 22 मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कही थीं: “मैं लम्बें देवदार के वृक्ष से एक शाखा लूँगा। मैं वृक्ष की चोटी से एक छोटी शाखा लूँगा। और मैं स्वयं उसे बहुत ऊँचे पर्वत पर बोऊँगा। 23 मैं स्वयं इसे इस्राएल में ऊँचे पर्वत पर लगाऊँगा। यह शाखा एक वृक्ष बन जाएगी। इसकी शाखायें निकलेंगी और इसमें फल लगेंगे। यह एक सुन्दर देवदार का वृक्ष बन जाएगा। अनेक पक्षी इसकी शाखाओं पर बैठा करेंगे। अनेक पक्षी इसकी शाखाओं के नीचे छाया में रहेंगे। 24 तब अन्य वृक्ष उसे जानेंगे कि मैं ऊँचे वृक्षों को भूमि पर गिराता हूँ। और मैं छोटे वृक्षों को बढ़ाता और उन्हें लम्बा बनाता हूँ। मैं हरे वृक्षों को सुखा देता हूँ। और मैं सूखे वृक्षों को हरा करता हूँ। मैं यहोवा हूँ। यदि मैं कहूँगा कि मैं कुछ करुँगा तो मैं उसे अवश्य करूँगा!”
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