पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यहेजकेल
1. [PS]यहोवा ने मुझसे कहा, “तुम्हें इस्राएल के प्रमुखों के विषय में इस करुण—गीत को गाना चाहिये। [PE][PBR]
2. [QS]“ ‘कैसी सिंहनी है तुम्हारी माँ [QE][QS2]वह सिहों के बीच एक सिंहनी थी। [QE][QS]वह जवान सिंहों से घिरी रहती थी [QE][QS2]और अपने बच्चों का लालन पालन करती थी। [QE]
3. [QS]उन सिंह—शावकों में से एक उठता है [QE][QS2]वह एक शक्तिशाली युवा सिंह हो गया है। [QE][QS]उसने अपना भोजन पाना सीख लिया है। [QE][QS2]उसने एक व्यक्ति को मारा और खा गया। [QE][PBR]
4. [QS]“ ‘लोगों ने उसे गरजते सुना [QE][QS2]और उन्होंने उसे अपने जाल में फँसा लिया! [QE][QS]उन्होंने उसके मुँह में नकेल डालीं [QE][QS2]और युवा सिंह को मिस्र ले गये। [QE][PBR]
5. [QS]“ ‘सिंह माता को आशा थी कि सिंह—शावक प्रमुख बनेगा। [QE][QS2]किन्तु अब उसकी सारी आशायें लुप्त हो गई। [QE][QS]इसलिये अपने शावकों में से उसने एक अन्य को लिया। [QE][QS2]उसे उसने सिंह होने का प्रशिक्षण दिया। [QE]
6. [QS]वह युवा सिंहों के साथ शिकार को निकला। [QE][QS2]वह एक बलवान युवा सिंह बना। [QE][QS]उसने अपने भोजन को पकड़ना सीखा। [QE][QS2]उसने एक आदमी को मारा और उसे खाया। [QE]
7. [QS]उसने महलों पर आक्रमण किया। [QE][QS2]उसने नगरों को नष्ट किया। [QE][QS]उस देश का हर एक व्यक्ति तब भय से अवाक होता था। [QE][QS2]जब वह उसका गरजना सुनता था। [QE]
8. [QS]तब उसके चारों ओर रहने वाले लोगों ने उसके लिये जाल बिछाया [QE][QS2]और उन्होंने उसे अपने जाल में फँसा लिया। [QE]
9. [QS]उन्होंने उस पर नकेल लगाई और उसे बन्द कर दिया। [QE][QS2]उन्होंने उसे अपने जाल में बन्द रखा। [QE][QS]इस प्रकार उसे वे बाबुल के राजा के पास ले गए। [QE][QS2]अब, तुम इस्राएल के पर्वतों पर उसकी गर्जना सुन नहीं सकते। [QE][PBR]
10. [QS]“ ‘तुम्हारी माँ एक अँगूर की बेल जैसी थी, [QE][QS2]जिसे पानी के पास बोया गया था। [QE][QS]उसके पास काफी जल था, [QE][QS2]इसलिये उसने अनेक शक्तिशाली बेलें उत्पन्न कीं। [QE]
11. [QS]तब उसने एक बड़ी शाखा उत्पन्न की, [QE][QS2]वह शाखा टहलने की छड़ी जैसी थी। [QE][QS]वह शाखा राजा के राजदण्ड जैसी थी। [QE][QS2]बेल ऊँची, और ऊँची होती गई। [QE][QS]इसकी अनेक शाखायें थीं और वह बादलों को छूने लगी। [QE]
12. [QS]किन्तु बेल को जड़ से उखाड़ दिया गया, [QE][QS2]और उसे भूमि पर फेंक दिया गया। [QE][QS]गर्म पुरवाई हवा चली और उसके फलों को सुखा दिया [QE][QS2]शक्तिशाली शाखायें टूट गईं, और उन्हें आग में फेंक दिया गया। [QE][PBR]
13. [QS]“ ‘किन्तु वह अंगूर की बेल अब मरूभूमि में बोयी गई है। [QE][QS2]यह बहुत सूखी और प्यासी धरती है। [QE]
14. [QS]विशाल शाखा से आग फैली। [QE][QS2]आग ने उसकी सारी टहनियों और फलों को जला दिया। [QE][QS]अत: कोई सहारे की शक्तिशाली छड़ी नहीं रही। [QE][QS2]कोई राजा का राजदण्ड न रहा।’ [QE][PBR] [MS]यह मृत्यु के बारे में करुण—गीत था और यह मृत्यु के बारे में करुणगीत के रूप में गाया गया था।” [ME][PBR]
Total 48 अध्याय, Selected अध्याय 19 / 48
1 यहोवा ने मुझसे कहा, “तुम्हें इस्राएल के प्रमुखों के विषय में इस करुण—गीत को गाना चाहिये। 2 “ ‘कैसी सिंहनी है तुम्हारी माँ वह सिहों के बीच एक सिंहनी थी। वह जवान सिंहों से घिरी रहती थी और अपने बच्चों का लालन पालन करती थी। 3 उन सिंह—शावकों में से एक उठता है वह एक शक्तिशाली युवा सिंह हो गया है। उसने अपना भोजन पाना सीख लिया है। उसने एक व्यक्ति को मारा और खा गया। 4 “ ‘लोगों ने उसे गरजते सुना और उन्होंने उसे अपने जाल में फँसा लिया! उन्होंने उसके मुँह में नकेल डालीं और युवा सिंह को मिस्र ले गये। 5 “ ‘सिंह माता को आशा थी कि सिंह—शावक प्रमुख बनेगा। किन्तु अब उसकी सारी आशायें लुप्त हो गई। इसलिये अपने शावकों में से उसने एक अन्य को लिया। उसे उसने सिंह होने का प्रशिक्षण दिया। 6 वह युवा सिंहों के साथ शिकार को निकला। वह एक बलवान युवा सिंह बना। उसने अपने भोजन को पकड़ना सीखा। उसने एक आदमी को मारा और उसे खाया। 7 उसने महलों पर आक्रमण किया। उसने नगरों को नष्ट किया। उस देश का हर एक व्यक्ति तब भय से अवाक होता था। जब वह उसका गरजना सुनता था। 8 तब उसके चारों ओर रहने वाले लोगों ने उसके लिये जाल बिछाया और उन्होंने उसे अपने जाल में फँसा लिया। 9 उन्होंने उस पर नकेल लगाई और उसे बन्द कर दिया। उन्होंने उसे अपने जाल में बन्द रखा। इस प्रकार उसे वे बाबुल के राजा के पास ले गए। अब, तुम इस्राएल के पर्वतों पर उसकी गर्जना सुन नहीं सकते। 10 “ ‘तुम्हारी माँ एक अँगूर की बेल जैसी थी, जिसे पानी के पास बोया गया था। उसके पास काफी जल था, इसलिये उसने अनेक शक्तिशाली बेलें उत्पन्न कीं। 11 तब उसने एक बड़ी शाखा उत्पन्न की, वह शाखा टहलने की छड़ी जैसी थी। वह शाखा राजा के राजदण्ड जैसी थी। बेल ऊँची, और ऊँची होती गई। इसकी अनेक शाखायें थीं और वह बादलों को छूने लगी। 12 किन्तु बेल को जड़ से उखाड़ दिया गया, और उसे भूमि पर फेंक दिया गया। गर्म पुरवाई हवा चली और उसके फलों को सुखा दिया शक्तिशाली शाखायें टूट गईं, और उन्हें आग में फेंक दिया गया। 13 “ ‘किन्तु वह अंगूर की बेल अब मरूभूमि में बोयी गई है। यह बहुत सूखी और प्यासी धरती है। 14 विशाल शाखा से आग फैली। आग ने उसकी सारी टहनियों और फलों को जला दिया। अत: कोई सहारे की शक्तिशाली छड़ी नहीं रही। कोई राजा का राजदण्ड न रहा।’ यह मृत्यु के बारे में करुण—गीत था और यह मृत्यु के बारे में करुणगीत के रूप में गाया गया था।”
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