8. भूमि का अगला क्षेत्र विशेष उपयोग के लिये होगा। यह भूमि यहूदा की भूमि के दक्षिण में है। यह क्षेत्र पच्चीस हजार हाथ उत्तर से दक्षिण तक लम्बा है और पूर्व से पश्चिम तक, यह उतना चौड़ा होगा जितना अन्य परिवार समूहों का होगा। मन्दिर भूमि के इस विभाग के बीच होगा।
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10. भूमि का यह विशेष क्षेत्र याजकों और लेवीवंशियों में बँटेगा। याजक इस क्षेत्र का एक भाग पाएंगे। यह भूमि उत्तर की ओर पच्चीस हजार हाथ लम्बी, पश्चिम की ओर दस हजार हाथ चौड़ी, पूर्व की ओर दस हजार हाथ चौड़ी और दक्षिण की ओर पच्चीस हजार हाथ लम्बी होगी। भूमि के इस क्षेत्र के बीच में यहोवा का मन्दिर होगा।
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11. यह भूमि सादोक के वंशजों के लिये है। ये व्यक्ति मेरे पवित्र याजक होने के लिये चुने गए थे। क्यों क्योंकि इन्होंने तब भी मेरा सेवा करना जारी रखा जब इस्राएल के अन्य लोगों ने मुझे छोड़ दिया। सादोक के परिवार ने मुझे लेवी परिवार समूह के अन्य लोगों की तरह नहीं छोड़ा।
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12. इस पवित्र भू-भाग का विशेष हिस्सा विशेष रूप से इन याजकों का होगा। यह लेवीवंशियों की भूमि से लगा हुआ होगा।
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13. “याजकों की भूमि से लगी भूमि को लेवीवंशी अपने हिस्से के रूप में पाएंगे। यह पच्चीस हजार हाथ लम्बी, दस हजार हाथ चौड़ी होगी। वे इस भूमि की पूरी लम्बाई और चौड़ाई पच्चीस हजार हाथ लम्बी और बीस हजार हाथ चौड़ी पाएंगे।
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14. लेवीवंशी इस भूमि का कोई भाग न तो बेचेंगे, न ही व्यापार करेंगे। वे इस भूमि का कोई भी भाग बेचने का अधिकार नहीं रखते। वे देश के इस भाग के टुकड़े नहीं कर सकते। क्यों क्योंकि यह भूमि यहोवा की है। यह अति विशेष है। यह भूमि का सर्वोत्तम भाग है।
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15. “भूमि का एक क्षेत्र पाँच हजार हाथ चौड़ा और पच्चीस हजार हाथ लम्बा होगा जो याजकों और लेवीवंशियों को दी गई भूमि से अतिरिक्त होगा। यह भूमि नगर, पशुओं की चरागाह और घर बनाने के लिये हो सकती है। साधारण लोग इसका उपयोग कर सकते हैं। नगर इसके बीच में होगा।
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16. नगर की नाप यह है: उत्तर की ओर यह साढ़े चार हजार हाथ होगा। पूर्व की ओर यह साढ़े चार हजार हाथ होगा। दक्षिण की ओर यह साढ़े चार हजार हाथ होगा। पश्चिम की ओर यह साढ़े चार हजार हाथ होगा।
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17. नगर की चरागाह होगी। ये चरागाहें ढाई सौ हाथ उत्तर की ओर, ढाई सौ हाथ दक्षिण की ओर होगी। वे ढाई सौ हाथ पूर्व की ओर तथा ढाई सौ हाथ पश्चिम की ओर होगी।
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18. पवित्र क्षेत्र के सहारे जो लम्बाई बचेगी, वह दस हजार हाथ पूर्व में ओर दस हजार हाथ पश्चिम में होगी। यह भूमि पवित्र क्षेत्र के बगल में होगी। यह भूमि नगर के मजदूरों के लिये अन्न पैदा करेगी।
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20. “यह भूमि का विशेष क्षेत्र वर्गाकार होगा। यह पच्चीस हजार हाथ लम्बा औरप् पच्चीस हजार हाथ चौड़ा होगा। तुम इस क्षेत्र को विशेष कामों के लिये अलग रखोगे। एक भाग याजकों के लिये है। एक भाग लेवीवंशियों के लिये है और एक भाग नगर के लिये है।
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28. “गाद की भूमि की दक्षिणी सीमा तामार से मरीबोत-कादेश के नखलिस्तान तक जाएगी। तब मिस्र के नाले से भूमध्य़ सागर तक पहुँचेगी
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29. और यही वह भूमि है जिसे तुम इस्राएल के परिवार समूह में बाँटोगे। वही हर एक परिवार समूह पाएगा।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा!
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30. “नगर के ये फाटक हैं। फाटकों का नाम इस्राएल के परिवार समूह के नामों पर होंगे। “उत्तर की ओर नगर साढ़े चार हजार हाथ लम्बा होगा।
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32. “पूर्व की ओर नगर साढ़े चार हजार हाथ लम्बा होगा। उसमें तीन फाटक होंगे: यूसुफ का फाटक, बिन्यामीन का फाटक और दान का फाटक।
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33. “दक्षिण की ओर नगर साढ़े चार हजार हाथ लम्बा होगा। उसमें तीन फाटक होंगे: शिमोन का फाटक, इस्साकार का फाटक और जबूलून का फाटक।
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34. “पश्चिम की ओर नगर साढ़े चार हजार हाथ लम्बा होगा। इसमें तीन फाटक होंगे: गाद का फाटक, आशेर का फाटक और नप्ताली का फाटक।
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