1. {#1मन्दिर के पुनः निर्माण के विरुद्ध शत्रु }
1. [PS](1-2)उस क्षेत्र में रहने वाले वहुत से लोग यहूदा और बिन्यामीन के लोगों के विरूद्ध थे। उन शत्रुओं ने सुना कि वे लोग जो बन्धुवाई से आये हैं वे, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिये एक मन्दिर बना रहे हैं। इसलिये वे शत्रु जरुब्बाबेल तथा परिवार प्रमुखों के पास आए और उन्होंने कहा, “मन्दिर बनाने में हमें तुमको सहायता करने दो। हम लोग वही हैं जो तुम हो, हम तुम्हारे परमेश्वर से सहायता माँगते हैं। हम लोगों ने तुम्हारे परमेश्वर को तब से बलि चढ़ाई है जब से अश्शूर का राजा एसर्हद्दोन हम लोगों को यहाँ लाया।” [PE]
3.
4. [PS]किन्तु जरुब्बाबेल, येशू और इस्राएल के अन्य परिवार प्रमुखों ने उत्तर दिया, “नहीं, तुम जैसे लोग हमारे परमेश्वर के लिये मन्दिर बनाने में हमें सहायता नहीं कर सकते। केवल हम लोग ही यहोवा के लिये मन्दिर बना सकते हैं। वह इस्राएल का परमेश्वर है। फारस के राजा कुस्रू ने जो करने का आदेश दिया है, वह यही है।” [PE][PS]इससे वे लोग क्रोधित हो उठे। अत: उन लोगों ने यहूदियों को परेशान करना आरम्भ किया। उन्होंने उनको हतोत्साह और मन्दिर को बनाने से रोकने का प्रयत्न किया।
5. उन शत्रुओं ने सरकारी अधिकारियों को यहूदा के लोगों के विरुद्ध काम करने के लिए खरीद लिया। उन अधिकारियों ने यहूदियों द्वारा मन्दिर को बनाने की योजना को रोकने के लिए लगातार काम किया। यह उस दौरान तब तक लगातार चलता रहा जब तक कुस्रू फारस का राजा रहा और बाद में जब तक दारा फारस का राजा नहीं हो गया। [PE]
6.
485. [PS]उन शत्रुओं ने यहूदियों को रोकने के लिये प्रयत्न करते हुए फारस के राजा को पत्र भी लिखा। उन्होंने यह पत्र तब लिखा था जब क्षयर्ष[* क्षयर्ष फारस का राजा लगभग ई. पू. 485—465 ] फारस का राजा बना। [PE]{#1यरूशलेम के पुनः निर्माण के विरुद्ध शत्रु }
465. [PS]बाद में, जब अर्तक्षत्र[† अर्तक्षत्र फारस का राजा लगभग ई. पू. 465—424 यह क्षयर्ष का पुत्र था। ] फारस का नया राजा हुआ, इन लोगों में से कुछ ने यहूदियों के विरुद्ध शिकायत करते हुए एक और पत्र लिखा। जिन लोगों ने वह पत्र लिखा, वे ये थे: बिशलाम, मिथदात, ताबेल और उसके दल के अन्य लोग। उन्होंने पत्र राजा अर्तक्षत्र को अरामी में अरामी लिपि का उपयोग करते हुए लिखा। [PE][PS][‡ यहाँ मूल भाषा हिब्रू से अरामी भाषा हो गई हैं। ] तब शासनाधिकारी रहूम और सचिव शिलशै ने यरूशलेम के लोगों के विरुद्ध पत्र लिखा। उन्होंने राजा अर्तक्षत्र को पत्र लिखा। उन्होंने जो लिखा वह यह था: [PE][PBR]
9. [MIS] शासनाधिकारी रहूम, सचिव शिमशै, तथा तर्पली, अफ़ारसी, एरेकी, बाबेली और शूशनी के एलामी लोगों के न्यायाधीश और महत्वपूर्ण अधिकारियों की ओर से,
10. तथा वे अन्य लोग जिन्हें महान और शक्तिशाली ओस्नप्पर ने शोमरोन के नगरों एवं परात नदी के पश्चिमी प्रदेश के अन्य स्थानों पर बसाय था। [MIE][PBR]
11. [PS]यह उस पत्र कि प्रतिलिपि है जिसे उन लोगों ने अर्तक्षत्र को भेजा था। [PE][PBR] [MIS]राजा अर्तक्षत्र को, परात नदी के पश्चिमी क्षेत्र में रहने वाले आप के सेवकों की ओर से है। [MIE][PBR]
12. [PIS] राजा अर्तक्षत्र हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि जिन यहूदियों को आपने—अपने पास से भेजा है, वे यहाँ आ गये हैं। वे यहूदी उस नगर को फिर से बनाना चाहते हैं। यरूशलेम एक बुरा नगर है। उस नगर के लोगों ने अन्य राजाओं के विरूद्ध सदैव विद्रोह किया है। अब वे यहूदी परकोटे की नींवों को पक्का कर रहे हैं और दीवारें खड़ी कर रहे हैं।[§ अब … रहे हैं यह नगर को सुरक्षित रखने का तरीका था, किन्तु ये लोग राजा को यह विचार करने वाला बनाना चाहते थे कि यहूदी उसके विरूद्ध विद्रोह करने की तैयारी कर रहे हैं। ] [PIE]
13. [PIS] राजा अर्तक्षत्र आपको यह भी जान लेना चाहिये कि यदि यरूशलेम और इसके परकोटे फिर बन गए तो यरूशलेम के लोग कर देना बन्द कर देंगे। वे आपका सम्मान करने के लिये धन भेजना बन्द कर देंगे। वे सेवा कर देना भी रोक देंगे और राजा को उस सारे धन से हाथ धोना पड़ेगा। [PIE]
14. [PIS] हम लोग राजा के प्रति उत्तरदायी हैं। हम लोग यह सब घटित होना नहीं देखना चाहते। यही कारण है कि हम लोग यह पत्र राजा को सूचना के लिये भेज रहे हैं। [PIE]
15. [PIS] राजा अर्तक्षत्र हम चाहते हैं कि आप उन राजाओं के लेखों का पता लगायें जिन्होंने आपके पहले शासन किये। आप उन लेखों में देखेंगे कि यरूशलेम ने सदैव अन्य राजाओं के प्रति विद्रोह किया। इसने अन्य राजाओं और राष्द्रों के लिये बहुत कठिनाईयाँ उत्पन्न की है। प्राचीन काल से इस नगर में बहुत से विद्रोह का आरम्भ हुआ हैं! यही कारण है कि यरूशलेम नष्ट हुआ था! [PIE]
16. [PIS] राजा अर्तक्षत्र हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि यदि यह नगर और इसके परकोटे फिर से बन गई तो फरात नदी के पश्चिम के क्षेत्र आप के हाथ से निकल जाएँगे। [PIE][PBR]
17. [PS]तब अर्तक्षत्र ने यह उत्तर भेजा: [PE][PBR] [MIS]शासनाधिकारी रहूम और सचिव शिमशै और उन के सभी साथियों को जो शोमरोन और परात नदी के अन्य पश्चिमी प्रदेश में रहते है, को अपना उत्तर भेजा। [MIE][PBR] [MIS]अभिवादन, [MIE]
18. [PIS] तुम लोगों ने जो हमारे पास पत्र भेजा उसका अनुवाद हुआ और मुझे सुनाया गया।
19. मैंने आदेश दिया कि मेरे पहले के राजाओं के लेखों की खोज की जाये। लेख पढ़े गये और हम लोगों को ज्ञात हुआ कि यरूशलेम दूरा राजाओं के विरूद्ध विद्रोह करने का एक लम्बा इतिहास है। यरूशलेम ऐसा स्थान रह है जहाँ प्राय: विद्रोह और क्रान्तियाँ होती रही हैं।
20. यरूशलेम और फरात नदी के पश्चिम के पूरे क्षेत्र पर शक्तिशाली राजा राज्य करते रहे हैं। राज्य कर और राजा के सम्मान के लिये धन और विविध प्रकार के कर उन राजाओं को दिये गए हैं। [PIE]
21. [PIS] अब तुम्हें उन लोगों को काम बन्द करने के लिये एक आदेश देना चाहिए। यह आदेश यरूशलेम के पुन: निर्माण को रोकने के लिये तब तक है, जब तक कि मैं वैसा करने की आज्ञा न दूँ।
22. इस आज्ञा की उपेक्षा न हो, इसके लिये सावधान रहना। हमें यरूशलेम के निर्माण कार्य को जारी नहीं रहने देना चाहिए। यदि काम चलता रहा तो मुझे यरूशलेम से आगे कुछ भी धन नहीं मिलेगा। [PIE][PBR]
23.
24. [PS]सो उस पत्र की प्रतिलिपि, जिसे राजा अर्तक्षत्र ने भेजा रहुम, सचिव शिमशै और उनके साथ के लोगों को पढ़कर सुनाई गई। तब वे लोग बड़ी तेज़ी से यरूशलेम में यहूदियों के पास गए। उन्होंने यहुदियों को निर्माण कार्य बन्द करने को विवश कर दिया। [PE]{#1मन्दिर का कार्य रुका } [PS]इस प्रकार यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर का काम रुका गया। फारस के राजा दारा के शासनकाल के दूसरे वर्ष तक यह कार्य नहीं चला। [PE]