पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
उत्पत्ति
1. {इसहाक अबीमेलेक से झूठ बोलता है} [PS] एक बार अकाल [*अकाल वह समय जब बहुत समय तक वर्षा न हो और कोई फसल न उग सके। आमतौर पर आदमी और जानवर पर्याप्त खाना और पानी न मिलने से मर जाते हैं।] पड़ा। यह अकाल वैसा ही था जैसा इब्राहीम के समय में पड़ा था। इसलिए इसहाक गरार नगर में पलिश्तियों के रजा अबीमेलेक के पास गया।
2. यहोवा ने इसहाक से बात की। यहोवा ने इसहाक से यह कहा, “मिस्र को न जाओ। उसी देश में रहो जिामें न का आदेश मैंने तुम्हें दिया है।
3. उसी देश में रहो और मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। मैं तुम्हें आशीर्वाद दूँगा। मैं तुम्हें और तुम्हारे परिवार को यह सारा प्रदेश दूँगा। मैं वही करूँगा जो मैंने तुम्हारे पिता इब्राहीम को वचन दिया है।
4. मैं तुम्हारे परिवार को आकाश के तारागणों की तरह बहुत से बनाऊँगा और मैं सारा प्रदेश तुम्हारे परिवार को दूँगा। पृथ्वी के सभी राष्ट्र तुम्हारे परिवार के कारण मेरा आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।
5. मैं यह इसलिए करूँगा कि तुम्हारे पिता इब्राहीम ने मेरी आज्ञा का पालन किया और मैंने जो कुछ कहा, उसने किया। इब्राहीम ने मेरे आदेशों, मेरी विधियों और मेरे नियमों का पालन किया।” [PE][PS]
6. इसहान ठहरा और गरार में रहा।
7. इसहाक की पत्नी रिबका बहुत ही सुन्दर थी। उस जगह के लोगों ने इसहाक से रिबका के बारे में पूछा। इसहाक ने कहा, “यह मेरी बहन है।” इसहाक यह कहने से डर रहा था कि रिबका मेरी पत्नी है। इसहाक डरता था कि लोग उसकी पत्नी को पाने के लिए उसको मार डालेंगे। [PE][PS]
8. जब इसहाक वहाँ बहुत समय तक रह चुका, अबीमेलेक ने अपनी खिड़की से बाहर झाँका और देखा कि इसहाक, रिबका के साथ छेड़खानी कर रहा है।
9. अबीमेलेक ने इसहाक को बुलाया और कहा, “यह स्त्री तुम्हारी पत्नी है। तुमने हम लोगों से यह क्यों कहा कि यह मेरी बहन है।” [PE][PS] इसहाक ने उससे कहा, “मैं डरता था कि तुम उसे पाने के लिए मुझे मार डालोगे।” [PE][PS]
10. अबीमेलेक ने कहा, “तुमने हम लोगों के लिए बुरा किया है। हम लोगों का कोई भी पुरुष तुम्हारी पत्नी के साथ सो सकता था। तब वह बड़े पाप का दोषी होता।” [PE][PS]
11. इसलिए अबीमेलेक ने सभी लोगों को चेतावनी दी। उसने कहा, “इस पुरुष और इस स्त्री को कोई चोट नहीं पहुँचाएगा। यदि कोई इन्हें चोट पहुँचाएगा तो वह व्यक्ति जान से मार दिया जाएगा।” [PS]
12. {इसहाक धनी बना} [PS] इसहाक ने उस भूमि पर खेती की और उस साल उसे बहुत फसल हुई। यहोवा ने उस पर बहुत अधिक कृपा की।
13. इसहाक धनी हो गया। वह अधिक से अधिक धन तब तक बटोरता रहा जब तक वह धनी नहीं हो गया।
14. उसके पास बहुत सी रेवड़े और मवेशियों के झुण्ड थे। उसके पास अनेक दास भी थे। सभी पलिश्ती उससे डाह रखते थे।
15. इसल; इए पलिश्तियों ने उन सभी कुओं को नष्ट कर दिया जिन्हें इसहाक के पिता इब्राहीम और उसके साथियों ने वर्षों पहले खोदा था। पलिश्तीयों ने उन्हें मिट्टी से भर दिया।
16. और अबीमेलेक ने इसहाक से कहा, “हमारा देश छोड़ दो। तुम हम लोगों से बहुत अधिक शक्तिशाली हो गए हो।” [PE][PS]
17. इसलिए इसहाक ने वह जगह छोड़ दी और गरार की छोटी नदी के पास पड़ाव डाला। इसहाक वहीं ठहरा और वहीं रहा।
18. इसके बहुत पहले इब्राहीम ने कई कुएँ खोदे थे। जब इब्राहीम मरा तो पलिश्तीयों ने मिट्टी से कुओं को भर दिया। इसलिए वहीं इसहाक लौटा और उन कुओं को फिर खोद डाला।
19. इसहाक के नौकरों ने छोटी दी के पास एक कुआँ खोदा। उस कुएँ से एक पानी का सोता फूट पड़ा।
20. तब गरार के गड़ेंरिए उस कुएँ की वजह से इसहाक के नौकरों से झगड़ा करने लगे। उन्होंने कहा, “यह पाणी हमारा है।” इसलिए इसहाक ने उसका नाम एसेक रखा। उसने यह नाम इसलिए दिया कि उसी जगह पर उन लोगों ने उससे झगड़ा किया था। [PE][PS]
21. तब इसहाक के नौकरों ने दूसरा कुआँ खोदा। वहाँ के लोगों ने उस कुएँ के लिए भी झगड़ा किया। इसलिए इसहाक ने उस कुएँ का नाम सित्रा रखा। [PE][PS]
22. इसहाक वहाँ से हटा और दूसरा कुआँ खोदा। उस कुएँ के लिए झगड़ा करने कोई नहीं आया। इसलिए इसहाक ने उस कुएँ का नाम रहोबोत रखा। इसहाक ने कहा, “यहोवा ने यहाँ हमारे लिए जगह उपलब्ध कराई है। हम लोग बढ़ेगे और इसी भूमि पर सफल होंगे।” [PE][PS]
23. उस जगह से इसहाक बेर्शेबा को गया।
24. यहोवा उस रात इसहाक से बोला, “मैं तुम्हारे पिता इब्राहीम का परमेश्वर हूँ। डरो मत। मैं तुम्हारे साथ हूँ और मैं तुम्हें आशीर्वाद दूँगा। मैं तुम्हारे परिवार को महान बनाऊँगा। मैं अपने सेवक इब्राहीम के कारण यह करूँगा।”
25. इसलिए इसहाक ने उस जगह यहोवा की उपासना के लिए एक वेदी बनाई। इसहाक ने वहाँ पड़ाव डाला और उसके नौकरों ने एक कुआँ खोदा। [PE][PS]
26. अबीमेलेक गरार से इसहाक को देखने आया। अबीमेलेक अपने साथ सलाहकार अहुज्जत और सेनापति पीकोल को लाया। [PE][PS]
27. इसहाक ने पूछा, “तुम मुझे देखने क्यों आए हो? तुम इसके पहले मेरे साथ मित्रता नहीं रखते थे। तुमने मुझे अपना देश छोड़ने को विवश किया।” [PE][PS]
28. उन्होंने जवाब दिय, “अब हम लोग जानते हैं कि यहोवा तुम्हारे साथ है। हम चाहते हैं कि हम तुम्हारे साथ एक वाचा करें। हम चाहते हैं कि तुम हमें एक वचन दो।
29. हम लोगों ने तुम्हें चोट नहीं पहुँचाई, अब तुम्हें यह वचन देना चाहिए कि तुम हम लोगों को चोट नहीं पहुँचाओगे। हम लोगों ने तुमको भेजा। लेकिन हम लोगों ने तुम्हें शान्ति से भेजा। अब साफ है कि यहोवा ने तुम्हें आशीर्वाद दिया है।” [PE][PS]
30. इसलिए इसहाक ने उन्हें दावत दी। सभी ने खाया और पीया।
31. दूसरे दिन सवेरे हर एक व्यक्ति ने वचन दिया और शपथ खाई। तब इसहाक ने उनको शान्ति से विदा किया और वे सकुशल उसके पास से चले आए। [PE][PS]
32. उस दिन इसहाक के नौकर आए और उन्होंने अपने खोदे हुए कुएँ के बारे में बताया। नौकरों ने कहा, “हम लोगों ने उस कुएँ से पानी पिया।”
33. इसलिए इसहाक ने उसका नाम शिबा रखा और वह नगर अभी भी बेर्शेबा कहलाता है। [PS]
34. {एसाव की पत्नियाँ} [PS] जब एसाव चालीस वर्ष का हुआ, उसने हित्ती स्त्रियों से विवाह किया। एक बेरी की पुत्री यहूदीत थी। दूसरी एलोन की पुत्री बाशमत थी।
35. इन विवाहों ने इसहाक और रिबका का मन दुःखी कर दिया। [PE]

Notes

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उत्पत्ति 26:13
1. {इसहाक अबीमेलेक से झूठ बोलता है} PS एक बार अकाल *अकाल वह समय जब बहुत समय तक वर्षा हो और कोई फसल उग सके। आमतौर पर आदमी और जानवर पर्याप्त खाना और पानी मिलने से मर जाते हैं। पड़ा। यह अकाल वैसा ही था जैसा इब्राहीम के समय में पड़ा था। इसलिए इसहाक गरार नगर में पलिश्तियों के रजा अबीमेलेक के पास गया।
2. यहोवा ने इसहाक से बात की। यहोवा ने इसहाक से यह कहा, “मिस्र को जाओ। उसी देश में रहो जिामें का आदेश मैंने तुम्हें दिया है।
3. उसी देश में रहो और मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। मैं तुम्हें आशीर्वाद दूँगा। मैं तुम्हें और तुम्हारे परिवार को यह सारा प्रदेश दूँगा। मैं वही करूँगा जो मैंने तुम्हारे पिता इब्राहीम को वचन दिया है।
4. मैं तुम्हारे परिवार को आकाश के तारागणों की तरह बहुत से बनाऊँगा और मैं सारा प्रदेश तुम्हारे परिवार को दूँगा। पृथ्वी के सभी राष्ट्र तुम्हारे परिवार के कारण मेरा आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।
5. मैं यह इसलिए करूँगा कि तुम्हारे पिता इब्राहीम ने मेरी आज्ञा का पालन किया और मैंने जो कुछ कहा, उसने किया। इब्राहीम ने मेरे आदेशों, मेरी विधियों और मेरे नियमों का पालन किया।” PEPS
6. इसहान ठहरा और गरार में रहा।
7. इसहाक की पत्नी रिबका बहुत ही सुन्दर थी। उस जगह के लोगों ने इसहाक से रिबका के बारे में पूछा। इसहाक ने कहा, “यह मेरी बहन है।” इसहाक यह कहने से डर रहा था कि रिबका मेरी पत्नी है। इसहाक डरता था कि लोग उसकी पत्नी को पाने के लिए उसको मार डालेंगे। PEPS
8. जब इसहाक वहाँ बहुत समय तक रह चुका, अबीमेलेक ने अपनी खिड़की से बाहर झाँका और देखा कि इसहाक, रिबका के साथ छेड़खानी कर रहा है।
9. अबीमेलेक ने इसहाक को बुलाया और कहा, “यह स्त्री तुम्हारी पत्नी है। तुमने हम लोगों से यह क्यों कहा कि यह मेरी बहन है।” PEPS इसहाक ने उससे कहा, “मैं डरता था कि तुम उसे पाने के लिए मुझे मार डालोगे।” PEPS
10. अबीमेलेक ने कहा, “तुमने हम लोगों के लिए बुरा किया है। हम लोगों का कोई भी पुरुष तुम्हारी पत्नी के साथ सो सकता था। तब वह बड़े पाप का दोषी होता।” PEPS
11. इसलिए अबीमेलेक ने सभी लोगों को चेतावनी दी। उसने कहा, “इस पुरुष और इस स्त्री को कोई चोट नहीं पहुँचाएगा। यदि कोई इन्हें चोट पहुँचाएगा तो वह व्यक्ति जान से मार दिया जाएगा।” PS
12. {इसहाक धनी बना} PS इसहाक ने उस भूमि पर खेती की और उस साल उसे बहुत फसल हुई। यहोवा ने उस पर बहुत अधिक कृपा की।
13. इसहाक धनी हो गया। वह अधिक से अधिक धन तब तक बटोरता रहा जब तक वह धनी नहीं हो गया।
14. उसके पास बहुत सी रेवड़े और मवेशियों के झुण्ड थे। उसके पास अनेक दास भी थे। सभी पलिश्ती उससे डाह रखते थे।
15. इसल; इए पलिश्तियों ने उन सभी कुओं को नष्ट कर दिया जिन्हें इसहाक के पिता इब्राहीम और उसके साथियों ने वर्षों पहले खोदा था। पलिश्तीयों ने उन्हें मिट्टी से भर दिया।
16. और अबीमेलेक ने इसहाक से कहा, “हमारा देश छोड़ दो। तुम हम लोगों से बहुत अधिक शक्तिशाली हो गए हो।” PEPS
17. इसलिए इसहाक ने वह जगह छोड़ दी और गरार की छोटी नदी के पास पड़ाव डाला। इसहाक वहीं ठहरा और वहीं रहा।
18. इसके बहुत पहले इब्राहीम ने कई कुएँ खोदे थे। जब इब्राहीम मरा तो पलिश्तीयों ने मिट्टी से कुओं को भर दिया। इसलिए वहीं इसहाक लौटा और उन कुओं को फिर खोद डाला।
19. इसहाक के नौकरों ने छोटी दी के पास एक कुआँ खोदा। उस कुएँ से एक पानी का सोता फूट पड़ा।
20. तब गरार के गड़ेंरिए उस कुएँ की वजह से इसहाक के नौकरों से झगड़ा करने लगे। उन्होंने कहा, “यह पाणी हमारा है।” इसलिए इसहाक ने उसका नाम एसेक रखा। उसने यह नाम इसलिए दिया कि उसी जगह पर उन लोगों ने उससे झगड़ा किया था। PEPS
21. तब इसहाक के नौकरों ने दूसरा कुआँ खोदा। वहाँ के लोगों ने उस कुएँ के लिए भी झगड़ा किया। इसलिए इसहाक ने उस कुएँ का नाम सित्रा रखा। PEPS
22. इसहाक वहाँ से हटा और दूसरा कुआँ खोदा। उस कुएँ के लिए झगड़ा करने कोई नहीं आया। इसलिए इसहाक ने उस कुएँ का नाम रहोबोत रखा। इसहाक ने कहा, “यहोवा ने यहाँ हमारे लिए जगह उपलब्ध कराई है। हम लोग बढ़ेगे और इसी भूमि पर सफल होंगे।” PEPS
23. उस जगह से इसहाक बेर्शेबा को गया।
24. यहोवा उस रात इसहाक से बोला, “मैं तुम्हारे पिता इब्राहीम का परमेश्वर हूँ। डरो मत। मैं तुम्हारे साथ हूँ और मैं तुम्हें आशीर्वाद दूँगा। मैं तुम्हारे परिवार को महान बनाऊँगा। मैं अपने सेवक इब्राहीम के कारण यह करूँगा।”
25. इसलिए इसहाक ने उस जगह यहोवा की उपासना के लिए एक वेदी बनाई। इसहाक ने वहाँ पड़ाव डाला और उसके नौकरों ने एक कुआँ खोदा। PEPS
26. अबीमेलेक गरार से इसहाक को देखने आया। अबीमेलेक अपने साथ सलाहकार अहुज्जत और सेनापति पीकोल को लाया। PEPS
27. इसहाक ने पूछा, “तुम मुझे देखने क्यों आए हो? तुम इसके पहले मेरे साथ मित्रता नहीं रखते थे। तुमने मुझे अपना देश छोड़ने को विवश किया।” PEPS
28. उन्होंने जवाब दिय, “अब हम लोग जानते हैं कि यहोवा तुम्हारे साथ है। हम चाहते हैं कि हम तुम्हारे साथ एक वाचा करें। हम चाहते हैं कि तुम हमें एक वचन दो।
29. हम लोगों ने तुम्हें चोट नहीं पहुँचाई, अब तुम्हें यह वचन देना चाहिए कि तुम हम लोगों को चोट नहीं पहुँचाओगे। हम लोगों ने तुमको भेजा। लेकिन हम लोगों ने तुम्हें शान्ति से भेजा। अब साफ है कि यहोवा ने तुम्हें आशीर्वाद दिया है।” PEPS
30. इसलिए इसहाक ने उन्हें दावत दी। सभी ने खाया और पीया।
31. दूसरे दिन सवेरे हर एक व्यक्ति ने वचन दिया और शपथ खाई। तब इसहाक ने उनको शान्ति से विदा किया और वे सकुशल उसके पास से चले आए। PEPS
32. उस दिन इसहाक के नौकर आए और उन्होंने अपने खोदे हुए कुएँ के बारे में बताया। नौकरों ने कहा, “हम लोगों ने उस कुएँ से पानी पिया।”
33. इसलिए इसहाक ने उसका नाम शिबा रखा और वह नगर अभी भी बेर्शेबा कहलाता है। PS
34. {एसाव की पत्नियाँ} PS जब एसाव चालीस वर्ष का हुआ, उसने हित्ती स्त्रियों से विवाह किया। एक बेरी की पुत्री यहूदीत थी। दूसरी एलोन की पुत्री बाशमत थी।
35. इन विवाहों ने इसहाक और रिबका का मन दुःखी कर दिया। PE
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