पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
उत्पत्ति
1. इसहाक ने याकूब को बुलाया और उसको आशीर्वाद दिया। तब इसहाक ने उसे आदेश दिया। इसहाक ने कहा, “तुम कनानी स्त्री से विवाह नहीं कर सकते।
2. इसलिए इस जगह को छोड़ो और पद्दनराम को जाओ। अपने नाना बतूएल के घराने में जाओ। वहाँ तुम्हारा मामा लाबान रहता है। उसकी किसी एक पुत्री से विवाह करो।
3. मैं प्रार्थना करता हूँ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर तुम्हें आशीर्वाद दे और तुम्हें बहुत से पुत्र दे। मैं प्रार्थना करता हूँ कि तुम एक महान राष्ट्र के पिता बनो।
4. मैं प्रार्थना करता हूँ कि जिस तरह परमेश्वर ने इब्राहीम को वरदान दिया था उसी तरह वह तुमको भी आशीर्वाद दे। मैं प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर तुम्हें इब्राहीम का आशीर्वाद दे, यानी वह तुम्हें और तुम्हारी आने वाली पीढ़ी को, यह जगह जहाँ तुम आज परदेशी की तरह रहते हो, हमेशा के लिए तुम्हारी सम्पत्ति बना दे।” [PE][PS]
5. इस तरह इसहाक ने याकूब को पद्दनराम के प्रदेश को भेजा। याकूब अपने मामा लाबान और रिबका का पिता था और रिबका याकूब और एसाव की माँ थी। [PE][PS]
6. एसाव को पता चला कि उसके पिता इसहाक ने याकूब को आशीर्वाद दिया है और उसने याकूब को पद्दरनाम में एक पत्नी की खोज के लिए भेजा है। एसाव को यह भी पता लगा कि इसहाक ने याकूब को आदेश दिया है कि वह कनानी स्त्री से विवाह न करे।
7. एसाव ने यह समझा कि याकूब ने अपने पिता और माँ की आज्ञा मानी और वह पद्दरनाम को चला गया।
8. एसाव ने इससे यह समझा कि उसका पिता नहीं चाहता कि उसके पुत्र कनानी स्त्रियों से विवाह करें।
9. एसाव की दो पत्नियाँ पहले से ही थी। किन्तु उसने इश्माएल की पुत्री महलत से विवाह किया। इश्माएल इब्राहीम का पुत्र था। महलत नबायोत की बहन थी। [PS]
10. {परमेश्वर का घर बेतेल} [PS] याकूब ने बेर्शेबा को छोड़ा और वह हारान को गया।
11. याकूब के यात्रा करते समय ही सूरज डूब गया था। इसलिए याकूब रात बिताने के लिए एक जगह ठहरने गया। याकूब ने उस जगह एक चट्टान देखी और सोने के लिए इस पर अपना सिर रखा।
12. याकूब ने सपना देखा। उसने देखा कि एक सीढ़ी पृथ्वी से स्वर्ग तक पहुँची है।
13. याकूब ने स्वर्गदूतों को उस सीढ़ी पर चढ़ते उतरते देखा और यहोवा को सीढ़ी के पास खड़ा देखा। यहोवा ने कहा, “मैं तुम्हारे पितामह इब्राहीम का परमेश्वर यहोवा हूँ। मैं इसहाक का परमेश्वर हूँ। मैं तुम्हें वह भूमि दूँगा जिस पर तुम अब सो रहे हो। मैं यह भूमि तुम्हें और तुम्हारे वंशजों को दूँगा।
14. तुम्हारे वंशज उतने होगे जितने पृथ्वी पर मिट्टी के कण हैं। वे पूर्व, पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण में फैलेंगे। पृथ्वी के सभी परिवार तुम्हारे वंशजों के कारण वरदान पाएँगे। [PE][PS]
15. “मैं तुम्हारे साथ हूँ और मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा जहाँ भी जाओगे और मैं इस भूमि पर तुम्हें लौटा ले आऊँगा। मैं तुमको तब तक नहीं छोड़ूँगा जब तक मैं वह नहीं कर लूँगा जो मैंने करो का वचन दिया है।” [PE][PS]
16. तब याकूब अपनी नींद से उठा और बोला, “मैं जानता हूँ कि यहोवा इस जगह पर है। किन्तु यहाँ जब तक मैं सोया नहीं था, मैं नहीं जानता था कि वह यहाँ है।” [PE][PS]
17. याकूब डर गया। उसने कहा, “यह बहुत महान जगह है। यह तो परमेश्वर का घर है। यह तो स्वर्ग का द्वार है।” [PE][PS]
18. याकूब दूसरे दिन बहुत सबेरे उठा। याकूब ने उस शिला को उठाया और उसे किनारे से खड़ा कर दिया। तब उसने इस पर तेल चढ़ाया। इस तरह उसने इसे परमेश्वर का स्मरण स्तम्भ बनाया।
19. उस जगह का नाम लूज था किन्तु याकूब ने उसे बेतेल नाम दिया। [PE][PS]
20. तब याकूब ने एक वचन दिया। उसने कहा, “यदि परमेश्वर मेरे साथ रहेगा और अगर परमेश्वर, जहाँ भी मैं जाता हूँ, वहाँ मेरी रक्षा करेगा, अगर परमेश्वर मुझे खाने को भोजन और पहनने को वस्त्र देगा।
21. अगर मैं अपने पिता के पास शान्ति से लौटूँगा, यदि परमेश्वर ये सभी चीजें करेगा, तो यहोवा मेरा परमेश्वर होगा।
22. इस जगह, जहाँ मैंने यह पत्थर खड़ा किया है, परमेश्वर का पवित्र स्थान होगा और परमेश्वर जो कुछ तू मुझे देगा उसका दशमांश मैं तुझे दूँगा।” [PE]

Notes

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उत्पत्ति 28:37
1. इसहाक ने याकूब को बुलाया और उसको आशीर्वाद दिया। तब इसहाक ने उसे आदेश दिया। इसहाक ने कहा, “तुम कनानी स्त्री से विवाह नहीं कर सकते।
2. इसलिए इस जगह को छोड़ो और पद्दनराम को जाओ। अपने नाना बतूएल के घराने में जाओ। वहाँ तुम्हारा मामा लाबान रहता है। उसकी किसी एक पुत्री से विवाह करो।
3. मैं प्रार्थना करता हूँ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर तुम्हें आशीर्वाद दे और तुम्हें बहुत से पुत्र दे। मैं प्रार्थना करता हूँ कि तुम एक महान राष्ट्र के पिता बनो।
4. मैं प्रार्थना करता हूँ कि जिस तरह परमेश्वर ने इब्राहीम को वरदान दिया था उसी तरह वह तुमको भी आशीर्वाद दे। मैं प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर तुम्हें इब्राहीम का आशीर्वाद दे, यानी वह तुम्हें और तुम्हारी आने वाली पीढ़ी को, यह जगह जहाँ तुम आज परदेशी की तरह रहते हो, हमेशा के लिए तुम्हारी सम्पत्ति बना दे।” PEPS
5. इस तरह इसहाक ने याकूब को पद्दनराम के प्रदेश को भेजा। याकूब अपने मामा लाबान और रिबका का पिता था और रिबका याकूब और एसाव की माँ थी। PEPS
6. एसाव को पता चला कि उसके पिता इसहाक ने याकूब को आशीर्वाद दिया है और उसने याकूब को पद्दरनाम में एक पत्नी की खोज के लिए भेजा है। एसाव को यह भी पता लगा कि इसहाक ने याकूब को आदेश दिया है कि वह कनानी स्त्री से विवाह करे।
7. एसाव ने यह समझा कि याकूब ने अपने पिता और माँ की आज्ञा मानी और वह पद्दरनाम को चला गया।
8. एसाव ने इससे यह समझा कि उसका पिता नहीं चाहता कि उसके पुत्र कनानी स्त्रियों से विवाह करें।
9. एसाव की दो पत्नियाँ पहले से ही थी। किन्तु उसने इश्माएल की पुत्री महलत से विवाह किया। इश्माएल इब्राहीम का पुत्र था। महलत नबायोत की बहन थी। PS
10. {परमेश्वर का घर बेतेल} PS याकूब ने बेर्शेबा को छोड़ा और वह हारान को गया।
11. याकूब के यात्रा करते समय ही सूरज डूब गया था। इसलिए याकूब रात बिताने के लिए एक जगह ठहरने गया। याकूब ने उस जगह एक चट्टान देखी और सोने के लिए इस पर अपना सिर रखा।
12. याकूब ने सपना देखा। उसने देखा कि एक सीढ़ी पृथ्वी से स्वर्ग तक पहुँची है।
13. याकूब ने स्वर्गदूतों को उस सीढ़ी पर चढ़ते उतरते देखा और यहोवा को सीढ़ी के पास खड़ा देखा। यहोवा ने कहा, “मैं तुम्हारे पितामह इब्राहीम का परमेश्वर यहोवा हूँ। मैं इसहाक का परमेश्वर हूँ। मैं तुम्हें वह भूमि दूँगा जिस पर तुम अब सो रहे हो। मैं यह भूमि तुम्हें और तुम्हारे वंशजों को दूँगा।
14. तुम्हारे वंशज उतने होगे जितने पृथ्वी पर मिट्टी के कण हैं। वे पूर्व, पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण में फैलेंगे। पृथ्वी के सभी परिवार तुम्हारे वंशजों के कारण वरदान पाएँगे। PEPS
15. “मैं तुम्हारे साथ हूँ और मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा जहाँ भी जाओगे और मैं इस भूमि पर तुम्हें लौटा ले आऊँगा। मैं तुमको तब तक नहीं छोड़ूँगा जब तक मैं वह नहीं कर लूँगा जो मैंने करो का वचन दिया है।” PEPS
16. तब याकूब अपनी नींद से उठा और बोला, “मैं जानता हूँ कि यहोवा इस जगह पर है। किन्तु यहाँ जब तक मैं सोया नहीं था, मैं नहीं जानता था कि वह यहाँ है।” PEPS
17. याकूब डर गया। उसने कहा, “यह बहुत महान जगह है। यह तो परमेश्वर का घर है। यह तो स्वर्ग का द्वार है।” PEPS
18. याकूब दूसरे दिन बहुत सबेरे उठा। याकूब ने उस शिला को उठाया और उसे किनारे से खड़ा कर दिया। तब उसने इस पर तेल चढ़ाया। इस तरह उसने इसे परमेश्वर का स्मरण स्तम्भ बनाया।
19. उस जगह का नाम लूज था किन्तु याकूब ने उसे बेतेल नाम दिया। PEPS
20. तब याकूब ने एक वचन दिया। उसने कहा, “यदि परमेश्वर मेरे साथ रहेगा और अगर परमेश्वर, जहाँ भी मैं जाता हूँ, वहाँ मेरी रक्षा करेगा, अगर परमेश्वर मुझे खाने को भोजन और पहनने को वस्त्र देगा।
21. अगर मैं अपने पिता के पास शान्ति से लौटूँगा, यदि परमेश्वर ये सभी चीजें करेगा, तो यहोवा मेरा परमेश्वर होगा।
22. इस जगह, जहाँ मैंने यह पत्थर खड़ा किया है, परमेश्वर का पवित्र स्थान होगा और परमेश्वर जो कुछ तू मुझे देगा उसका दशमांश मैं तुझे दूँगा।” PE
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