पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
उत्पत्ति
1. {फिरौन के सपने} [PS] दो वर्ष बाद फ़िरौन ने सपना देखा। फिरौन ने सपने में देखा कि वह नील नदी के किनारे खड़ा है।
2. तब फ़िरौन ने सपने में नदी से सात गायों को बाहर आते देखा। गायें मोटी और सुन्दर थीं। गायें वहाँ खड़ी थी और घास चर रही थीं।
3. तब सात अन्य गायें नदी से बाहर आईं, और नदी के किनारे मोटी गायों के पास खड़ी हो गई। किन्तु ये गायें दुबली और भद्दी थी।
4. ये सातों दुबली गायें, सुन्दर मोटी सात गायों को खा गईं। तब फ़िरौन जाग उठा। [PE][PS]
5. फ़िरौन फिर सोया और दूसरी बार सपना देखा। उसने सपने में अनाज की सात बालें [*बालें “अन्नों के अग्र भाग।”] एक अनाज के पीछे उगी हुई देखी। अनाज की बालें मोटी और अच्छी थीं।
6. तब उसने उसी अनाज के पीछे सात अन्न बालें उगी देखीं। अनाज की ये बालें पतली और गर्म हवा से नष्ट हो गई थीं।
7. तब सात पतली बालों ने सात मोटी ओर अच्छी वालों ने सात मोटी और अच्छी वालों को खा लिया। फ़िरौन फिर जाग उठा और उसने समझा कि यह केवल सपना ही है।
8. अगली सुबह फ़िरौन इन सपनों के बारे में परेशान था। इसलिए उसने मिस्र के सभी जादूगरों को और सभी गुणी लोगों को बुलाया। फ़िरौन ने उनको सपना बताया। किन्तु उन लोगों में से कोई भी सपने को स्पष्ट या उसकी व्याख्या न कर सका। [PS]
9. {नौकर फ़िरौन को यूसुफ के बारे में बताता है} [PS] तब दाखमधु देने वाले नौकर को यूसुफ याद आ गया। नौकर ने फ़िरौन से कहा, “मेरे साथ जो कुछ घटा वह मुझे याद आ रहा है।
10. आप मुझ पर और एक दूसरे नौकर पर क्रुद्ध थे और आपने हम दोनों को कारागार में डाल दिया था।
11. कारागार में एक ही रात हम दोनों ने सपने देखे। हर सपना अलग अर्थ रखता था।
12. एक हिब्रू युवक हम लोगों के साथ कारागार में था। वह अंगरक्षको के नायक का नौकर था। हम लोगों ने अपने सपने उसको बताए और उसने सपने को व्याख्या हम लोगों को समझाई। उसने हर सपने का अर्थ हम लोगों को बताया।
13. जो अर्थ उसने बताए वे ठीक निकले। उसने बताया कि मैं स्वतन्त्र होऊँगा और अपनी पुरानी नौकरी फिर पाऊँगा और यही हुआ। उसने कहा कि रोटी पकाने वाला मरेगा और वही हुआ।” [PS]
14. {यूसुफ सपनें की व्याख्या करने के लिए बुलाया गया} [PS] इसलिए फ़िरौन ने यूसुफ को कारागार से बुलाया। रक्षक जल्दी से यूसुफ को कारागार से बाहर लाए। यूसुफ ने बाल कटाए और साफ कपड़े पहने। तब वह गया और फ़िरौन के सामने खड़ा हुआ।
15. तब फ़िरौन ने यूसुफ से कहा, “मैंने एक सपना देखा है। किन्तु कोई ऐसा नहीं है जो सपने की व्याख्या मुझको समझा सके। मैंने सुना है कि जब कोई सपने के बारे में तुमसे कहता है तब तुम सपनों की व्याख्या और उन्हें स्पष्ट कर सकते हो।” [PE][PS]
16. यूसुफ ने उत्तर दिया, “मेरी अपनी बुद्धि नहीं है कि मैं सपनों को समझ सकूँ केवल परमेश्वर ही है जो ऐसी शक्ति रखता है और फ़िरौन के लिए परमेश्वर ही यह करेगा।” [PE][PS]
17. तब फ़िरौन ने कहा, “अपने सपने में, मैं नील नदी के किनारे खड़ा था।
18. मैंने सात गायों को नदी से बाहर आते देखा और घास चरते देखा। ये गायें मोटी और सुन्दर थीं।
19. तब मैंने अन्य सात गायों को नदी से बाहर आते देखा। वे गायें पतली और भद्दी थीं। मैंने मिस्र देश में जितनी गायें देखी हैं उनमें वे सब से अधिक बुरी थीं।
20. और इन भद्दी और पतली गायों ने पहली सुन्दर सात गायों को खा डाला।
21. लेकिन सात गायों को खाने के बाद तक भी वे पतली और भद्दी ही रहीं। तुम उनको देखो तो नहीं जान सकते कि उन्होंने अन्य सात गायों को खाया है। वे उतनी ही भद्दी और पतली दिखाई पड़ती थीं जितनी आरम्भ में थीं। तब मैं जाग गया। [PE][PS]
22. “तब मैंने अपने दूसरे सपने में अनाज को सात बालें एक ही अनाज के पीछे उगी देखीं। वे अनाज की बालें भरी हुई, अच्छी और सुन्दर थीं।
23. तब उनके बाद सात अन्य बालें उगीं। किन्तु ये बालें पतली, भद्दी और गर्म हवा से नष्ट थीं।
24. तब पतली बालों ने सात अच्छी बालों को खा डाला। [PE][PS] “मैंने इस सपने को अपने लोगों को बताया जो जादूगर और गुणी हैं। किन्तु किसी ने सपने की व्याख्या मुझको नहीं समझाई। इसका अर्थ क्या है?” [PS]
25. {यूसुफ सपने का अर्थ बताता है} [PS] तब यूसुफ ने फ़िरौन से कहा, “ये दोनों सपने एक ही अर्थ रखते हैं। परमेश्वर तुम्हें बता रहा है जो जल्दी ही होगा।
26. सात अच्छी गायें और सात अच्छी अनाज की बालें [†सात … बालें या अनाज का अग्र भाग सात वर्ष है।] सात वर्ष हैं, दोनों सपने एक ही है।
27. सात दुबली और भद्दी गायें तथा सात बुरी अनाज की बालें देश में भूखमरी के सात वर्ष हैं। ये सात वर्ष, अच्छे सात वर्षो के बाद आयेंगे।
28. परमेश्वर ने आपको यह दिखा दिया है कि जल्दी ही क्या होने वाला है। यह वैसा ही होगा जैसा मैंने कहा है।
29. आपके सात वर्ष पूरे मिस्र में अच्छी पैदावार और भोजन बहुतायत के होंगे।
30. लेकिन इन सात वर्षों के बाद पूरे देश में भूखमरी के सात वर्ष आएँगे। यह अकाल देश को नष्ट कर देगा।
31. भरपूर भोजनस्मरण रखना लोग भूल जाएँगें कि क्या होता है? [PE][PS]
32. “हे फ़िरौन, आपने एक ही बात के बारे में दो सपने देखे थे। यह इस बात को दिखाने के लिए हुआ कि परमेश्वर निश्चय ही ऐसा होने देगा और यह बताया है कि परमेश्वर इसे जल्दी ही होने देगा।
33. इसलिए हे फ़िरौन आप एक ऐसा व्यक्ति चुनें जो बहुत और बुद्धिमान हो। आप उसे मिस्र देश का प्रशासक बनाएँ।
34. तब आप दूसरे व्यक्तियों को जनता से भोजन इकट्ठा करने के लिए चुने। हर व्यक्ति सात अच्छे वर्षों में जितना भोजन उत्पन्न करे, उसका पाँचवाँ हिस्सा दे।
35. इन लोगों को आदेश दें कि जो अच्छे वर्ष आ रहे हैं उनमें सारा भोजन इकट्ठा करें। व्यक्तियों से कह दें कि उन्हें नगरों में भोजन जमा करने का अधिकार है। तब वे भोजन की रक्षा उस समय तक करेंगे जब उनकी आवश्यकता होगी।
36. वह भोजन मिस्र देश में आने वाले भूखमरी के सात वर्षों में सहायता करेगा। तब मिस्र में सात वर्षों में लोग भोजन के अभाव में मरेंगे नहीं।” [PE][PS]
37. फ़िरौन को यह अच्छा विचार मालूम हुआ। इससे सभी अधिकारी सहमत थे।
38. फ़िरौन ने अपने अधिकारियों से पूछा, “क्या तुम लोगों में से कोई इस काम को करने के लिए यूसुफ से अच्छा व्यक्ति ढूँढ सकता है? परमेश्वर की आत्मा ने इस व्यक्ति को सचमुच बुद्धिमान बना दिया है।” [PE][PS]
39. फ़िरौन ने यूसुफ से कहा, “परमेश्वर ने ये सभी चीज़ें तुम को दिखाई हैं। इसलिए तुम ही सर्वाधिक बुद्धिमान हो।
40. इसलिए मैं तुमको देश का प्रशासक बनाऊँगा। जनता तुम्हारे आदेशों का पालन करेगी। मैं अकेला इस देश में तुम से बड़ा प्रशासक रहूँगा।” [PE][PS]
41. एक विशेष समारोह और प्रदर्शन था जिसमें फ़िरौन ने यूसुफ को प्रशासक बनाया तब फ़िरौन ने यूसुफ से कहा, “मैं अब तुम्हें मिस्र के पूरे देश का प्रशासक बनाता हूँ।”
42. तब फिरौन ने अपनी राजकीय मुहर वाल अगूँठी यूसुफ को दी और यूसुफ को एक सुन्दर रेशमी वस्त्र पहनने को दिया।
43. फ़िरौन ने दूसरे श्रेणी के राजकीय रथ पर यूसुफ को सवार होने को कहा। उसके रथ के आगे विशेष रक्षक चलते थे। वे लोगों से कहते थे, “हे लोगों, यूसुफ को झुककर प्रणाम करो। इस तरह यूसुफ पूरे मिस्र का प्रशासक बना।” [PE][PS]
44. फ़िरौन ने उससे कहा, “मैं सम्राट फ़िरौन हूँ। इसलिए मैं जो करना चाहूँगा, करूँगा। किन्तु मिस्र में कोई अन्य व्यक्ति हाथ पैर नहीं हिला सकता है जब तक तुम उसे न कहो।”
45. फ़िरौन ने उसे दूसरा नाम सापन तपानेह दिया। फ़िरौन ने आसनत नाम की एक स्त्री, जो ओन के याजक पोतीपेरा की पुत्री थी, यूसुफ को पत्नी के रूप में दी। इस प्रकार यूसुफ पूरे मिस्र देश का प्रशासक हो गया। [PE][PS]
46. यूसुफ उस समय तीन वर्ष का था जब वह मिस्र के सम्राट की सेवा करने लगा। यूसुफ ने पूरे मिस्र देश में यात्राएँ की।
47. अच्छे सात वर्षों में देश में पैदावार बहुत अच्छी हुई
48. और यूसुफ ने मिस्र में सात वर्ष खाने की चीजें बचायीं। यूसुफ ने भोजन नगरों में जमा किया। यूसुफ ने नगर के चारों ओर के खेतों के उपजे अन्न को हर नगर में जमा किया।
49. यूसुफ ने बहुत अन्न इकट्ठा किया। यह समुद्र के बालू के सदृश था। उसने इतना अन्न इकट्ठा किया कि उसके वजन को भी न आँका जा सके। [PE][PS]
50. यूसुफ की पत्नी आसनत ओन के याजक पोतीपरा कि पुत्री थी। भूखमरी के पहले वर्ष के आने के पूर्व यूसुफ और आसनेत के दो पुत्र हुए।
51. पहले पुत्र का नाम मनश्शे रखा गया। यूसुफ ने उसका यह नाम रखा क्योंकि उसने बताया, “मुझे जितने सारे कष्ट हुए तथा घर की हर बात परमेश्वर ने मुझसे भुला दी।”
52. यूसुफ ने दूसरे पुत्र का नाम एप्रैम रखा। यूसुफ ने उसका नाम यह रका क्योंकि उसने बताया, “मुझे बहुत दुःख मिला, लेकिन परमेश्वर ने मुझे फुलाया—फलाया।” [PS]
53. {भूखमरी का समय आरम्भ होता है} [PS] सात वर्ष तक लोगों के पास खाने के लिए यह सब भोजन था जिसकी उन्हें आवश्यकता थी और जो चीजें उन्हें आवश्यक थीं वे सभी उगती थीं।
54. किन्तु सात वर्ष वाद भूखमरी के दिन शुरु हुए। यह ठीक वैसा ही हुआ जैसा यूसुफ ने कहा था। सारी भूमि में चारों ओर अन्न पैदा न हुआ। लोगों के पास खाने को कुछ न था। किन्तु मिस्र में लोगों के खाने के लिए काफी था, क्योंकि यूसुफ ने अन्न जमा कर रखा था।
55. भूखमरी का समय शुरु हुआ और लोग भोजन के लिए फ़िरौन के सामने रोने लगे। फ़िरौन ने मिस्री लोगों से कहा, “यूसुफ से पूछो। वही करो जो वह करने को कहता है।” [PE][PS]
56. इसलिए जब देश में सर्वत्र भूखमरी थी, यूसुफ ने अनाज के गोदामों से लोगों को अन्न दिया। यूसुफ ने जमा अन्न को मिस्र के लोगों को बेचा। मिस्र में बहुत भयंकर अकाल था।
57. मिस्र के चारों ओर के देशों के लोग अनाज खरीदने मिस्र आए। वे यूसुफ के पास आए क्योंकि वहाँ संसार के उस भाग में सर्वत्र भूखमरी थी। [PE]

Notes

No Verse Added

Total 50 Chapters, Current Chapter 41 of Total Chapters 50
उत्पत्ति 41:37
1. {फिरौन के सपने} PS दो वर्ष बाद फ़िरौन ने सपना देखा। फिरौन ने सपने में देखा कि वह नील नदी के किनारे खड़ा है।
2. तब फ़िरौन ने सपने में नदी से सात गायों को बाहर आते देखा। गायें मोटी और सुन्दर थीं। गायें वहाँ खड़ी थी और घास चर रही थीं।
3. तब सात अन्य गायें नदी से बाहर आईं, और नदी के किनारे मोटी गायों के पास खड़ी हो गई। किन्तु ये गायें दुबली और भद्दी थी।
4. ये सातों दुबली गायें, सुन्दर मोटी सात गायों को खा गईं। तब फ़िरौन जाग उठा। PEPS
5. फ़िरौन फिर सोया और दूसरी बार सपना देखा। उसने सपने में अनाज की सात बालें *बालें “अन्नों के अग्र भाग।” एक अनाज के पीछे उगी हुई देखी। अनाज की बालें मोटी और अच्छी थीं।
6. तब उसने उसी अनाज के पीछे सात अन्न बालें उगी देखीं। अनाज की ये बालें पतली और गर्म हवा से नष्ट हो गई थीं।
7. तब सात पतली बालों ने सात मोटी ओर अच्छी वालों ने सात मोटी और अच्छी वालों को खा लिया। फ़िरौन फिर जाग उठा और उसने समझा कि यह केवल सपना ही है।
8. अगली सुबह फ़िरौन इन सपनों के बारे में परेशान था। इसलिए उसने मिस्र के सभी जादूगरों को और सभी गुणी लोगों को बुलाया। फ़िरौन ने उनको सपना बताया। किन्तु उन लोगों में से कोई भी सपने को स्पष्ट या उसकी व्याख्या कर सका। PS
9. {नौकर फ़िरौन को यूसुफ के बारे में बताता है} PS तब दाखमधु देने वाले नौकर को यूसुफ याद गया। नौकर ने फ़िरौन से कहा, “मेरे साथ जो कुछ घटा वह मुझे याद रहा है।
10. आप मुझ पर और एक दूसरे नौकर पर क्रुद्ध थे और आपने हम दोनों को कारागार में डाल दिया था।
11. कारागार में एक ही रात हम दोनों ने सपने देखे। हर सपना अलग अर्थ रखता था।
12. एक हिब्रू युवक हम लोगों के साथ कारागार में था। वह अंगरक्षको के नायक का नौकर था। हम लोगों ने अपने सपने उसको बताए और उसने सपने को व्याख्या हम लोगों को समझाई। उसने हर सपने का अर्थ हम लोगों को बताया।
13. जो अर्थ उसने बताए वे ठीक निकले। उसने बताया कि मैं स्वतन्त्र होऊँगा और अपनी पुरानी नौकरी फिर पाऊँगा और यही हुआ। उसने कहा कि रोटी पकाने वाला मरेगा और वही हुआ।” PS
14. {यूसुफ सपनें की व्याख्या करने के लिए बुलाया गया} PS इसलिए फ़िरौन ने यूसुफ को कारागार से बुलाया। रक्षक जल्दी से यूसुफ को कारागार से बाहर लाए। यूसुफ ने बाल कटाए और साफ कपड़े पहने। तब वह गया और फ़िरौन के सामने खड़ा हुआ।
15. तब फ़िरौन ने यूसुफ से कहा, “मैंने एक सपना देखा है। किन्तु कोई ऐसा नहीं है जो सपने की व्याख्या मुझको समझा सके। मैंने सुना है कि जब कोई सपने के बारे में तुमसे कहता है तब तुम सपनों की व्याख्या और उन्हें स्पष्ट कर सकते हो।” PEPS
16. यूसुफ ने उत्तर दिया, “मेरी अपनी बुद्धि नहीं है कि मैं सपनों को समझ सकूँ केवल परमेश्वर ही है जो ऐसी शक्ति रखता है और फ़िरौन के लिए परमेश्वर ही यह करेगा।” PEPS
17. तब फ़िरौन ने कहा, “अपने सपने में, मैं नील नदी के किनारे खड़ा था।
18. मैंने सात गायों को नदी से बाहर आते देखा और घास चरते देखा। ये गायें मोटी और सुन्दर थीं।
19. तब मैंने अन्य सात गायों को नदी से बाहर आते देखा। वे गायें पतली और भद्दी थीं। मैंने मिस्र देश में जितनी गायें देखी हैं उनमें वे सब से अधिक बुरी थीं।
20. और इन भद्दी और पतली गायों ने पहली सुन्दर सात गायों को खा डाला।
21. लेकिन सात गायों को खाने के बाद तक भी वे पतली और भद्दी ही रहीं। तुम उनको देखो तो नहीं जान सकते कि उन्होंने अन्य सात गायों को खाया है। वे उतनी ही भद्दी और पतली दिखाई पड़ती थीं जितनी आरम्भ में थीं। तब मैं जाग गया। PEPS
22. “तब मैंने अपने दूसरे सपने में अनाज को सात बालें एक ही अनाज के पीछे उगी देखीं। वे अनाज की बालें भरी हुई, अच्छी और सुन्दर थीं।
23. तब उनके बाद सात अन्य बालें उगीं। किन्तु ये बालें पतली, भद्दी और गर्म हवा से नष्ट थीं।
24. तब पतली बालों ने सात अच्छी बालों को खा डाला। PEPS “मैंने इस सपने को अपने लोगों को बताया जो जादूगर और गुणी हैं। किन्तु किसी ने सपने की व्याख्या मुझको नहीं समझाई। इसका अर्थ क्या है?” PS
25. {यूसुफ सपने का अर्थ बताता है} PS तब यूसुफ ने फ़िरौन से कहा, “ये दोनों सपने एक ही अर्थ रखते हैं। परमेश्वर तुम्हें बता रहा है जो जल्दी ही होगा।
26. सात अच्छी गायें और सात अच्छी अनाज की बालें †सात बालें या अनाज का अग्र भाग सात वर्ष है। सात वर्ष हैं, दोनों सपने एक ही है।
27. सात दुबली और भद्दी गायें तथा सात बुरी अनाज की बालें देश में भूखमरी के सात वर्ष हैं। ये सात वर्ष, अच्छे सात वर्षो के बाद आयेंगे।
28. परमेश्वर ने आपको यह दिखा दिया है कि जल्दी ही क्या होने वाला है। यह वैसा ही होगा जैसा मैंने कहा है।
29. आपके सात वर्ष पूरे मिस्र में अच्छी पैदावार और भोजन बहुतायत के होंगे।
30. लेकिन इन सात वर्षों के बाद पूरे देश में भूखमरी के सात वर्ष आएँगे। यह अकाल देश को नष्ट कर देगा।
31. भरपूर भोजनस्मरण रखना लोग भूल जाएँगें कि क्या होता है? PEPS
32. “हे फ़िरौन, आपने एक ही बात के बारे में दो सपने देखे थे। यह इस बात को दिखाने के लिए हुआ कि परमेश्वर निश्चय ही ऐसा होने देगा और यह बताया है कि परमेश्वर इसे जल्दी ही होने देगा।
33. इसलिए हे फ़िरौन आप एक ऐसा व्यक्ति चुनें जो बहुत और बुद्धिमान हो। आप उसे मिस्र देश का प्रशासक बनाएँ।
34. तब आप दूसरे व्यक्तियों को जनता से भोजन इकट्ठा करने के लिए चुने। हर व्यक्ति सात अच्छे वर्षों में जितना भोजन उत्पन्न करे, उसका पाँचवाँ हिस्सा दे।
35. इन लोगों को आदेश दें कि जो अच्छे वर्ष रहे हैं उनमें सारा भोजन इकट्ठा करें। व्यक्तियों से कह दें कि उन्हें नगरों में भोजन जमा करने का अधिकार है। तब वे भोजन की रक्षा उस समय तक करेंगे जब उनकी आवश्यकता होगी।
36. वह भोजन मिस्र देश में आने वाले भूखमरी के सात वर्षों में सहायता करेगा। तब मिस्र में सात वर्षों में लोग भोजन के अभाव में मरेंगे नहीं।” PEPS
37. फ़िरौन को यह अच्छा विचार मालूम हुआ। इससे सभी अधिकारी सहमत थे।
38. फ़िरौन ने अपने अधिकारियों से पूछा, “क्या तुम लोगों में से कोई इस काम को करने के लिए यूसुफ से अच्छा व्यक्ति ढूँढ सकता है? परमेश्वर की आत्मा ने इस व्यक्ति को सचमुच बुद्धिमान बना दिया है।” PEPS
39. फ़िरौन ने यूसुफ से कहा, “परमेश्वर ने ये सभी चीज़ें तुम को दिखाई हैं। इसलिए तुम ही सर्वाधिक बुद्धिमान हो।
40. इसलिए मैं तुमको देश का प्रशासक बनाऊँगा। जनता तुम्हारे आदेशों का पालन करेगी। मैं अकेला इस देश में तुम से बड़ा प्रशासक रहूँगा।” PEPS
41. एक विशेष समारोह और प्रदर्शन था जिसमें फ़िरौन ने यूसुफ को प्रशासक बनाया तब फ़िरौन ने यूसुफ से कहा, “मैं अब तुम्हें मिस्र के पूरे देश का प्रशासक बनाता हूँ।”
42. तब फिरौन ने अपनी राजकीय मुहर वाल अगूँठी यूसुफ को दी और यूसुफ को एक सुन्दर रेशमी वस्त्र पहनने को दिया।
43. फ़िरौन ने दूसरे श्रेणी के राजकीय रथ पर यूसुफ को सवार होने को कहा। उसके रथ के आगे विशेष रक्षक चलते थे। वे लोगों से कहते थे, “हे लोगों, यूसुफ को झुककर प्रणाम करो। इस तरह यूसुफ पूरे मिस्र का प्रशासक बना।” PEPS
44. फ़िरौन ने उससे कहा, “मैं सम्राट फ़िरौन हूँ। इसलिए मैं जो करना चाहूँगा, करूँगा। किन्तु मिस्र में कोई अन्य व्यक्ति हाथ पैर नहीं हिला सकता है जब तक तुम उसे कहो।”
45. फ़िरौन ने उसे दूसरा नाम सापन तपानेह दिया। फ़िरौन ने आसनत नाम की एक स्त्री, जो ओन के याजक पोतीपेरा की पुत्री थी, यूसुफ को पत्नी के रूप में दी। इस प्रकार यूसुफ पूरे मिस्र देश का प्रशासक हो गया। PEPS
46. यूसुफ उस समय तीन वर्ष का था जब वह मिस्र के सम्राट की सेवा करने लगा। यूसुफ ने पूरे मिस्र देश में यात्राएँ की।
47. अच्छे सात वर्षों में देश में पैदावार बहुत अच्छी हुई
48. और यूसुफ ने मिस्र में सात वर्ष खाने की चीजें बचायीं। यूसुफ ने भोजन नगरों में जमा किया। यूसुफ ने नगर के चारों ओर के खेतों के उपजे अन्न को हर नगर में जमा किया।
49. यूसुफ ने बहुत अन्न इकट्ठा किया। यह समुद्र के बालू के सदृश था। उसने इतना अन्न इकट्ठा किया कि उसके वजन को भी आँका जा सके। PEPS
50. यूसुफ की पत्नी आसनत ओन के याजक पोतीपरा कि पुत्री थी। भूखमरी के पहले वर्ष के आने के पूर्व यूसुफ और आसनेत के दो पुत्र हुए।
51. पहले पुत्र का नाम मनश्शे रखा गया। यूसुफ ने उसका यह नाम रखा क्योंकि उसने बताया, “मुझे जितने सारे कष्ट हुए तथा घर की हर बात परमेश्वर ने मुझसे भुला दी।”
52. यूसुफ ने दूसरे पुत्र का नाम एप्रैम रखा। यूसुफ ने उसका नाम यह रका क्योंकि उसने बताया, “मुझे बहुत दुःख मिला, लेकिन परमेश्वर ने मुझे फुलाया—फलाया।” PS
53. {भूखमरी का समय आरम्भ होता है} PS सात वर्ष तक लोगों के पास खाने के लिए यह सब भोजन था जिसकी उन्हें आवश्यकता थी और जो चीजें उन्हें आवश्यक थीं वे सभी उगती थीं।
54. किन्तु सात वर्ष वाद भूखमरी के दिन शुरु हुए। यह ठीक वैसा ही हुआ जैसा यूसुफ ने कहा था। सारी भूमि में चारों ओर अन्न पैदा हुआ। लोगों के पास खाने को कुछ था। किन्तु मिस्र में लोगों के खाने के लिए काफी था, क्योंकि यूसुफ ने अन्न जमा कर रखा था।
55. भूखमरी का समय शुरु हुआ और लोग भोजन के लिए फ़िरौन के सामने रोने लगे। फ़िरौन ने मिस्री लोगों से कहा, “यूसुफ से पूछो। वही करो जो वह करने को कहता है।” PEPS
56. इसलिए जब देश में सर्वत्र भूखमरी थी, यूसुफ ने अनाज के गोदामों से लोगों को अन्न दिया। यूसुफ ने जमा अन्न को मिस्र के लोगों को बेचा। मिस्र में बहुत भयंकर अकाल था।
57. मिस्र के चारों ओर के देशों के लोग अनाज खरीदने मिस्र आए। वे यूसुफ के पास आए क्योंकि वहाँ संसार के उस भाग में सर्वत्र भूखमरी थी। PE
Total 50 Chapters, Current Chapter 41 of Total Chapters 50
×

Alert

×

hindi Letters Keypad References