पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
इब्रानियों
1. {#1सन्तुष्टता की आराधना } [PS]भाई के समान परस्पर प्रेम करते रहो।
2. अतिथियों का सत्कार करना मत भूलो, क्योंकि ऐसा करतेहुए कुछ लोगों ने अनजाने में ही स्वर्गदूतों का स्वागत-सत्कार किया है।
3. बंदियों को इस रूप में याद करो जैसे तुम भी उनके साथ बंदी रहे हो। जिनके साथ बुरा व्यवहार हुआ है उनकी इस प्रकार सुधि लो जैसे मानो तुम स्वयं पीड़ित हो। [PE]
4. [PS]विवाह का सब को आदर करना चाहिए। विवाह की सेज को पवित्र रखो। क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों और दुराचारियों को दण्ड देगा।
5. अपने जीवन को धन के लालच से मुक्त रखो। जो कुछ तुम्हारे पास है, उसी में संतोष करो क्योंकि परमेश्वर ने कहा है: [PE][PBR] [QS]“मैं तुझको कभी नहीं छोड़ूँगा; [QE][QS2]मैं तुझे कभी नहीं तजूँगा।” --व्यवस्था विवरण 31:6-- [QE][PBR]
6. [MS] इसलिए हम विश्वास के साथ कहते हैं: [ME][PBR] [QS]“प्रभु मेरी सहाय करता है; [QE][QS2]मैं कभी भयभीत न बनूँगा। [QE][QS]कोई मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?” --भजन संहिता 118:6-- [QE][PBR]
7. [PS]अपने मार्ग दर्शकों को याद रखो जिन्होंने तुम्हें परमेश्वर का वचन सुनाया है। उनकी जीवन-विधि के परिणाम पर विचार करो तथा उनके विश्वास का अनुसरण करो।
8. यीशु मसीह कल भी वैसा ही था, आज भी वैसा ही है और युग-युगान्तर तक वैसा ही रहेगा।
9. हर प्रकार की विचित्र शिक्षाओं से भरमाये मत जाओ। तुम्हारे मनों के लिए यह अच्छा है कि वे अनुग्रह के द्वारा सुदृढ़ बने न कि खाने पीने सम्बन्धी नियमों को मानने से, जिनसे उनका कभी कोई भला नहीं हुआ, जिन्होंने उन्हें माना। [PE]
10. [PS]हमारे पास एक ऐसी वेदी है जिस पर से खाने का अधिकार उनको नहीं है जो तम्बू में सेवा करते है।
11. महायाजक परम पवित्र स्थान पर पापबलि के रूप में पशुओं का लहू तो ले जाता है, किन्तु उनके शरीर डेरों के बाहर जला दिए जाते हैं।
12. इसीलिए यीशु ने भी स्वयं अपने लहू से लोगों को पवित्र करने के लिए नगर द्वार के बाहर यातना झेली।
13. तो फिर आओ हम भी इसी अपमान को झेलते हुए जिसे उसने झेला था, डेरों के बाहर उसके पास चलें।
14. क्योंकि यहाँ हमारा कोई स्थायी नगर नहीं है बल्कि हम तो उस नगर की बाट जोह रहे हैं जो आनेवाला है।
15. अतः आओ हम यीशु के द्वारा परमेश्वर को स्तुति रूपी बलि अर्पित करें जो उन होठों का फल है जिन्होंने उसके नाम को पहचाना है।
16. तथा नेकी करना और अपनी वस्तुओं को औरों के साथ बाँटना मत भूलो। क्योंकि परमेश्वर ऐसी ही बलियों से प्रसन्न होता है। [PE]
17.
18. [PS]अपने मार्ग दर्शकों की आज्ञा मानो। उनके अधीन रहो। वे तुम पर ऐसे चौकसी रखते हैं जैसे उन व्यक्तियों पर रखी जाती है जिनको अपना लेखा जोखा उन्हें देना है। उनकी आज्ञा मानो जिससे उनका कर्म आनन्द बन जाए। न कि एक बोझ बने। क्योंकि उससे तो तुम्हारा कोई लाभ नहीं होगा। [PE][PS]हमारे लिए विनती करते रहो। हमें निश्चय है कि हमारी चेतना शुद्ध है। और हम हर प्रकार से वही करना चाहते हैं जो उचित है।
19. मैं विशेष रूप से आग्रह करता हूँ कि तुम प्रार्थना किया करो ताकि शीघ्र ही मैं तुम्हारे पास आ सकूँ। [PE]
20. [PS]जिसने भेड़ों के उस महान रखवाले हमारे प्रभु यीशु के लहू द्वारा उस सनातन करार पर मुहर लगाकर मरे हुओं में से जिला उठाया, वह शांतिदाता परमेश्वर
21. तुम्हें सभी उत्तम साधनों से सम्पन्न करे। जिससे तुम उसकी इच्छा पूरी कर सको। और यीशु मसीह के द्वारा वह हमारे भीतर उस सब कुछ को सक्रिय करे जो उसे भाता है। युग-युगान्तर तक उसकी महिमा होती रहे। आमीन! [PE]
22. [PS]हे भाईयों, मेरा आग्रह है कि तुम प्रेरणा देने वाले मेरे इस वचन को धारण करो मैंने तुम्हें यह पत्र बहुत संक्षेप में लिखा है।
23. मैं चाहता हूँ कि तुम्हें ज्ञात हो कि हमारा भाई तीमुथियुस रिहा कर दिया गया है। यदि वह शीघ्र ही आ पहुँचा तो मैं उसी के साथ तुमसे मिलने आऊँगा। [PE]
24.
25. [PS]अपने सभी अग्रणियों और संत जनों को नमस्कार कहना। इटली से आये लोग तुम्हें नमस्कार भेजते हैं। [PE][PS]परमेश्वर का अनुग्रह तुम सबके साथ रहे। [PE]
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सन्तुष्टता की आराधना 1 भाई के समान परस्पर प्रेम करते रहो। 2 अतिथियों का सत्कार करना मत भूलो, क्योंकि ऐसा करतेहुए कुछ लोगों ने अनजाने में ही स्वर्गदूतों का स्वागत-सत्कार किया है। 3 बंदियों को इस रूप में याद करो जैसे तुम भी उनके साथ बंदी रहे हो। जिनके साथ बुरा व्यवहार हुआ है उनकी इस प्रकार सुधि लो जैसे मानो तुम स्वयं पीड़ित हो। 4 विवाह का सब को आदर करना चाहिए। विवाह की सेज को पवित्र रखो। क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों और दुराचारियों को दण्ड देगा। 5 अपने जीवन को धन के लालच से मुक्त रखो। जो कुछ तुम्हारे पास है, उसी में संतोष करो क्योंकि परमेश्वर ने कहा है: “मैं तुझको कभी नहीं छोड़ूँगा; मैं तुझे कभी नहीं तजूँगा।” व्यवस्था विवरण 31:6 6 इसलिए हम विश्वास के साथ कहते हैं: “प्रभु मेरी सहाय करता है; मैं कभी भयभीत न बनूँगा। कोई मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?” भजन संहिता 118:6 7 अपने मार्ग दर्शकों को याद रखो जिन्होंने तुम्हें परमेश्वर का वचन सुनाया है। उनकी जीवन-विधि के परिणाम पर विचार करो तथा उनके विश्वास का अनुसरण करो। 8 यीशु मसीह कल भी वैसा ही था, आज भी वैसा ही है और युग-युगान्तर तक वैसा ही रहेगा। 9 हर प्रकार की विचित्र शिक्षाओं से भरमाये मत जाओ। तुम्हारे मनों के लिए यह अच्छा है कि वे अनुग्रह के द्वारा सुदृढ़ बने न कि खाने पीने सम्बन्धी नियमों को मानने से, जिनसे उनका कभी कोई भला नहीं हुआ, जिन्होंने उन्हें माना। 10 हमारे पास एक ऐसी वेदी है जिस पर से खाने का अधिकार उनको नहीं है जो तम्बू में सेवा करते है। 11 महायाजक परम पवित्र स्थान पर पापबलि के रूप में पशुओं का लहू तो ले जाता है, किन्तु उनके शरीर डेरों के बाहर जला दिए जाते हैं। 12 इसीलिए यीशु ने भी स्वयं अपने लहू से लोगों को पवित्र करने के लिए नगर द्वार के बाहर यातना झेली। 13 तो फिर आओ हम भी इसी अपमान को झेलते हुए जिसे उसने झेला था, डेरों के बाहर उसके पास चलें। 14 क्योंकि यहाँ हमारा कोई स्थायी नगर नहीं है बल्कि हम तो उस नगर की बाट जोह रहे हैं जो आनेवाला है। 15 अतः आओ हम यीशु के द्वारा परमेश्वर को स्तुति रूपी बलि अर्पित करें जो उन होठों का फल है जिन्होंने उसके नाम को पहचाना है। 16 तथा नेकी करना और अपनी वस्तुओं को औरों के साथ बाँटना मत भूलो। क्योंकि परमेश्वर ऐसी ही बलियों से प्रसन्न होता है। 17 18 अपने मार्ग दर्शकों की आज्ञा मानो। उनके अधीन रहो। वे तुम पर ऐसे चौकसी रखते हैं जैसे उन व्यक्तियों पर रखी जाती है जिनको अपना लेखा जोखा उन्हें देना है। उनकी आज्ञा मानो जिससे उनका कर्म आनन्द बन जाए। न कि एक बोझ बने। क्योंकि उससे तो तुम्हारा कोई लाभ नहीं होगा। हमारे लिए विनती करते रहो। हमें निश्चय है कि हमारी चेतना शुद्ध है। और हम हर प्रकार से वही करना चाहते हैं जो उचित है। 19 मैं विशेष रूप से आग्रह करता हूँ कि तुम प्रार्थना किया करो ताकि शीघ्र ही मैं तुम्हारे पास आ सकूँ। 20 जिसने भेड़ों के उस महान रखवाले हमारे प्रभु यीशु के लहू द्वारा उस सनातन करार पर मुहर लगाकर मरे हुओं में से जिला उठाया, वह शांतिदाता परमेश्वर 21 तुम्हें सभी उत्तम साधनों से सम्पन्न करे। जिससे तुम उसकी इच्छा पूरी कर सको। और यीशु मसीह के द्वारा वह हमारे भीतर उस सब कुछ को सक्रिय करे जो उसे भाता है। युग-युगान्तर तक उसकी महिमा होती रहे। आमीन! 22 हे भाईयों, मेरा आग्रह है कि तुम प्रेरणा देने वाले मेरे इस वचन को धारण करो मैंने तुम्हें यह पत्र बहुत संक्षेप में लिखा है। 23 मैं चाहता हूँ कि तुम्हें ज्ञात हो कि हमारा भाई तीमुथियुस रिहा कर दिया गया है। यदि वह शीघ्र ही आ पहुँचा तो मैं उसी के साथ तुमसे मिलने आऊँगा। 24 25 अपने सभी अग्रणियों और संत जनों को नमस्कार कहना। इटली से आये लोग तुम्हें नमस्कार भेजते हैं। परमेश्वर का अनुग्रह तुम सबके साथ रहे।
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