पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यशायाह
1. {#1परमेश्वर इस्राएल को दण्ड देगा } [PS]देखो! यहोवा इस धरती को नष्ट करेगा। यहोवा भूचालों के द्वारा इस धरती को मरोड़ देगा। यहोवा लोगों को कहीं दूर जाने को विवश करेगा।
2. उस समय, हर किसी के साथ एक जैसी घटनाएँ घटेगी, साधारण मनुष्य और याजक एक जैसे हो जायेंगे। स्वामी और सेवक एक जैसे हो जायेंगे। दासियाँ और उनकी स्वामिनियाँ एक समान हो जायेंगी। मोल लेने वाले और बेचने वाले एक जैसे हो जायेंगे। कर्जा लेने वाले और कर्जा देने वाले लोग एक जैसे हो जायेंगे। धनवान और ऋणी लोग एक जैसे हो जायेंगे।
3. सभी लोगों को वहाँ से धकेल बाहर किया जायेगा। सारी धन—दौलत छीन ली जायेंगी। ऐसा इसलिये घटेगा क्योंकि यहोवा ने ऐसा ही आदेश दिया है।
4. देश उजड़ जायेगा और दु:खी होगा। दुनिया ख़ाली हो जायेगी और वह दुर्बल हो जायेगी। इस धरती के महान नेता शक्तिहीन हो जायेंगे। [PE]
5. [PS]इस धरती के लोगों ने इस धरती को गंदा कर दिया है। ऐसा कैसा हो गया लोगों ने परमेश्वर की शिक्षा के विरोध में गलत काम किये। (इसलिये ऐसा हुआ) लोगों ने परमेश्वर के नियमों का पालन नहीं किया। बहुत पहले लोगों ने परमेश्वर के साथ एक वाचा की थी। किन्तु परमेश्वर के साथ किये उस वाचा को लोगों ने तोड़ दिया।
6. इस धरती के रहने वाले लोग अपराधी हैं। इसलिये परमेश्वर ने इस धरती को नष्ट करने का निश्चय किया। उन लोगों को दण्ड दिया जायेगा और वहाँ थोड़े से लोग ही बच पायेंगे। [PE]
7. [PS]अँगूर की बेलें मुरझा रही हैं। नयी दाखमधु की कमी पड़ रही है। पहले लोग प्रसन्न थे। किन्तु अब वे ही लोग दु:खी हैं।
8. लोगों ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करना छोड़ दिया है। प्रसन्नता की सभी ध्वनियाँ रुक गयी हैं। खंजरिओं और वीणाओं का आनन्दपूर्ण संगीत समाप्त हो चुका है।
9. अब लोग जब दाखमधु पीते हैं, तो प्रसन्नता के गीत नहीं गाते। अब जब व्यक्ति दाखमधु पीते है, तब वह उसे कड़वी लगती है। [PE]
10. [PS]इस नगर का एक अच्छा सा नाम है, “गड़बड़ से भरा”, इस नगर का विनाश किया गया। लोग घरों में नहीं घुस सकते। द्वार बंद हो चुके हैं।
11. गलियों में दुकानों पर लोग अभी भी दाखमधु को पूछते हैं किन्तु समूची प्रसन्नता जा चुकी है। आनन्द तो दूर कर दिया गया है।
12. नगर के लिए बस विनाश ही बच रहा है। द्वार तक चकनाचूर हो चुके हैं। [PE][PBR]
13. [QS]फसल के समय लोग जैतून के पेड़ से जैतून को गिराया करेंगे। [QE][QS2]किन्तु केवल कुछ ही जैतून पेड़ों पर बचेंगे। [QE][QS]जैसे अंगूर की फसल उतारने के बाद थोड़े से अंगूर बचे रह जाते हैं। [QE][QS2]यह ऐसा ही इस धरती के राष्ट्रों के साथ होगा। [QE]
14. [QS]बचे हुए लोग चिल्लाने लग जायेंगे। [QE][QS2]पश्चिम से लोग यहोवा की महानता की स्तुति करेंगे और वे, प्रसन्न होंगे। [QE]
15. [QS]वे लोग कहा करेंगे, “पूर्व के लोगों, यहोवा की प्रशंसा करो! [QE][QS2]दूर देश के लोगों, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम का गुणगान करो।” [QE]
16. [QS]इस धरती पर हर कहीं हम परमेश्वर के स्तुति गीत सुनेंगे। [QE][QS2]इन गीतों में परमेश्वर की स्तुति होगी। [QE][QS]किन्तु मैं कहता हूँ, “मैं बरबाद हो रहा हूँ। [QE][QS2]मैं जो कुछ भी देखता हूँ सब कुछ भयंकर है। [QE][QS]गद्दार लोग, लोगों के विरोधी हो रहे हैं, [QE][QS2]और उन्हें चोट पहुँचा रहे हैं।” [QE]
17. [QS]मैं धरती के वासियों पर खतरा आते देखता हूँ। [QE][QS2]मैं उनके लिये भय, गके और फँदे देख रहा हूँ। [QE]
18. [QS]लोग खतरे की सुनकर डर से काँप जायेंगे। [QE][QS2]कुछ लोग भाग जायेंगे किन्तु वे गके [QE][QS]और फँदों में जा गिरेंगे और उन गकों से कुछ चढ़कर बच निकल आयेंगे। [QE][QS2]किन्तु वे फिर दूसरे फँदों में फँसेंगे। [QE][QS]ऊपर आकाश की छाती फट जायेगी [QE][QS2]जैसे बाढ़ के दरवाजे खुल गये हो। [QE][QS2]बाढ़े आने लगेंगी और धरती की नींव डगमग हिलने लगेंगी। [QE]
19. [QS]भूचाल आयेगा [QE][QS2]और धरती फटकर खुल जायेगी। [QE]
20. [QS]संसार के पाप बहुत भारी हैं। [QE][QS2]उस भार से दबकर यह धरती गिर जायेगी। [QE][QS]यह धरती किसी झोपड़ी सी काँपेगी [QE][QS2]और नशे में धुत्त किसी व्यक्ति की तरह धरती गिर जायेगी। [QE][QS2]यह धरती बनी न रहेगी। [QE]
21. [QS]उस समय यहोवा सबका न्याय करेगा। [QE][QS2]उस समय यहोवा आकाश में स्वर्ग की सेनाएँ [QE][QS2]और धरती के राजा उस न्याय का विषय होंगे। [QE]
22. [QS]इन सबको एक साथ एकत्र किया जायेगा। [QE][QS2]उनमें से कुछ काल कोठरी में बन्द होंगे [QE][QS]और कुछ कारागार में रहेंगे। [QE][QS2]किन्तु अन्त में बहुत समय के बाद इन सबका न्याय होगा। [QE]
23. [QS]यरूशलेम में सिय्योन के पहाड़ पर यहोवा राजा के रूप में राज्य करेगा। [QE][QS2]अग्रजों के सामने उसकी महिमा होगी। [QE][QS]उसकी महिमा इतनी भव्य होगी कि चाँद घबरा जायेगा, [QE][QS2]सूरज लज्जित होगा। [QE][PBR]

Notes

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Total 66 अध्याय, Selected अध्याय 24 / 66
यशायाह 24:17
#1परमेश्वर इस्राएल को दण्ड देगा 1 देखो! यहोवा इस धरती को नष्ट करेगा। यहोवा भूचालों के द्वारा इस धरती को मरोड़ देगा। यहोवा लोगों को कहीं दूर जाने को विवश करेगा। 2 उस समय, हर किसी के साथ एक जैसी घटनाएँ घटेगी, साधारण मनुष्य और याजक एक जैसे हो जायेंगे। स्वामी और सेवक एक जैसे हो जायेंगे। दासियाँ और उनकी स्वामिनियाँ एक समान हो जायेंगी। मोल लेने वाले और बेचने वाले एक जैसे हो जायेंगे। कर्जा लेने वाले और कर्जा देने वाले लोग एक जैसे हो जायेंगे। धनवान और ऋणी लोग एक जैसे हो जायेंगे। 3 सभी लोगों को वहाँ से धकेल बाहर किया जायेगा। सारी धन—दौलत छीन ली जायेंगी। ऐसा इसलिये घटेगा क्योंकि यहोवा ने ऐसा ही आदेश दिया है। 4 देश उजड़ जायेगा और दु:खी होगा। दुनिया ख़ाली हो जायेगी और वह दुर्बल हो जायेगी। इस धरती के महान नेता शक्तिहीन हो जायेंगे। 5 इस धरती के लोगों ने इस धरती को गंदा कर दिया है। ऐसा कैसा हो गया लोगों ने परमेश्वर की शिक्षा के विरोध में गलत काम किये। (इसलिये ऐसा हुआ) लोगों ने परमेश्वर के नियमों का पालन नहीं किया। बहुत पहले लोगों ने परमेश्वर के साथ एक वाचा की थी। किन्तु परमेश्वर के साथ किये उस वाचा को लोगों ने तोड़ दिया। 6 इस धरती के रहने वाले लोग अपराधी हैं। इसलिये परमेश्वर ने इस धरती को नष्ट करने का निश्चय किया। उन लोगों को दण्ड दिया जायेगा और वहाँ थोड़े से लोग ही बच पायेंगे। 7 अँगूर की बेलें मुरझा रही हैं। नयी दाखमधु की कमी पड़ रही है। पहले लोग प्रसन्न थे। किन्तु अब वे ही लोग दु:खी हैं। 8 लोगों ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करना छोड़ दिया है। प्रसन्नता की सभी ध्वनियाँ रुक गयी हैं। खंजरिओं और वीणाओं का आनन्दपूर्ण संगीत समाप्त हो चुका है। 9 अब लोग जब दाखमधु पीते हैं, तो प्रसन्नता के गीत नहीं गाते। अब जब व्यक्ति दाखमधु पीते है, तब वह उसे कड़वी लगती है। 10 इस नगर का एक अच्छा सा नाम है, “गड़बड़ से भरा”, इस नगर का विनाश किया गया। लोग घरों में नहीं घुस सकते। द्वार बंद हो चुके हैं। 11 गलियों में दुकानों पर लोग अभी भी दाखमधु को पूछते हैं किन्तु समूची प्रसन्नता जा चुकी है। आनन्द तो दूर कर दिया गया है। 12 नगर के लिए बस विनाश ही बच रहा है। द्वार तक चकनाचूर हो चुके हैं। PBR 13 फसल के समय लोग जैतून के पेड़ से जैतून को गिराया करेंगे। QS2 किन्तु केवल कुछ ही जैतून पेड़ों पर बचेंगे। जैसे अंगूर की फसल उतारने के बाद थोड़े से अंगूर बचे रह जाते हैं। QS2 यह ऐसा ही इस धरती के राष्ट्रों के साथ होगा। 14 बचे हुए लोग चिल्लाने लग जायेंगे। QS2 पश्चिम से लोग यहोवा की महानता की स्तुति करेंगे और वे, प्रसन्न होंगे। 15 वे लोग कहा करेंगे, “पूर्व के लोगों, यहोवा की प्रशंसा करो! QS2 दूर देश के लोगों, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम का गुणगान करो।” 16 इस धरती पर हर कहीं हम परमेश्वर के स्तुति गीत सुनेंगे। QS2 इन गीतों में परमेश्वर की स्तुति होगी। किन्तु मैं कहता हूँ, “मैं बरबाद हो रहा हूँ। QS2 मैं जो कुछ भी देखता हूँ सब कुछ भयंकर है। गद्दार लोग, लोगों के विरोधी हो रहे हैं, QS2 और उन्हें चोट पहुँचा रहे हैं।” 17 मैं धरती के वासियों पर खतरा आते देखता हूँ। QS2 मैं उनके लिये भय, गके और फँदे देख रहा हूँ। 18 लोग खतरे की सुनकर डर से काँप जायेंगे। QS2 कुछ लोग भाग जायेंगे किन्तु वे गके और फँदों में जा गिरेंगे और उन गकों से कुछ चढ़कर बच निकल आयेंगे। QS2 किन्तु वे फिर दूसरे फँदों में फँसेंगे। ऊपर आकाश की छाती फट जायेगी QS2 जैसे बाढ़ के दरवाजे खुल गये हो। QS2 बाढ़े आने लगेंगी और धरती की नींव डगमग हिलने लगेंगी। 19 भूचाल आयेगा QS2 और धरती फटकर खुल जायेगी। 20 संसार के पाप बहुत भारी हैं। QS2 उस भार से दबकर यह धरती गिर जायेगी। यह धरती किसी झोपड़ी सी काँपेगी QS2 और नशे में धुत्त किसी व्यक्ति की तरह धरती गिर जायेगी। QS2 यह धरती बनी न रहेगी। 21 उस समय यहोवा सबका न्याय करेगा। QS2 उस समय यहोवा आकाश में स्वर्ग की सेनाएँ QS2 और धरती के राजा उस न्याय का विषय होंगे। 22 इन सबको एक साथ एकत्र किया जायेगा। QS2 उनमें से कुछ काल कोठरी में बन्द होंगे और कुछ कारागार में रहेंगे। QS2 किन्तु अन्त में बहुत समय के बाद इन सबका न्याय होगा। 23 यरूशलेम में सिय्योन के पहाड़ पर यहोवा राजा के रूप में राज्य करेगा। QS2 अग्रजों के सामने उसकी महिमा होगी। उसकी महिमा इतनी भव्य होगी कि चाँद घबरा जायेगा, QS2 सूरज लज्जित होगा। PBR
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