1. {#1परमेश्वर का एक स्तुति—गीत } [PS]उस समय, यहूदा के लोग यह गीत गायेंगे: [PE][PBR] [QS]यहोवा हमें मुक्ति देता है। [QE][QS2]हमारी एक सुदृढ़ नगरी है। [QE][QS]हमारे नगर का सुदृढ़ परकोटा और सुरक्षा है। [QE]
2. [QS]उसके द्वारों को खोलो ताकि भले लोग उसमें प्रवेश करें। [QE][QS2]वे लोग परमेश्वर के जीवन की खरी राह का पालन करते हैं। [QE][PBR]
3. [QS]हे यहोवा, तू हमें सच्ची शांति प्रदान करता है। [QE][QS2]तू उनको शान्ति दिया करता है, [QE][QS2]जो तेरे भरोसे हैं और तुझ पर विश्वास रखते हैं। [QE][PBR]
4. [QS]अत: सदैव यहोवा पर विश्वास करो। [QE][QS2]क्यों क्योंकि यहोवा याह ही तुम्हारा सदा सर्वदा के लिये शरणस्थल होगा! [QE]
5. [QS]किन्तु अभिमानी नगर को यहोवा ने झुकाया है [QE][QS2]और वहाँ के निवासियों को उसने दण्ड दियाहै। [QE][QS]यहोवा ने उस ऊँचे बसी नगरी को धरती पर गिराया। [QE][QS2]उसने इसे धूल में मिलाने गिराया है। [QE]
6. [QS]तब दीन और नम्र लोग नगरी के खण्डहरों को अपने पैर तले रौंदेंगे। [QE][PBR]
7. [QS]खरापन खरे लोगों के जीने का ढंग है। [QE][QS2]खरे लोग उस राह पर चलते हैं जो सीधी और सच्ची होती है। [QE][QS]परमेश्वर, तू उस राह को चलने के लिये सुखद व सरल बनाता है। [QE]
8. [QS]किन्तु हे परमेश्वर! हम तेरे न्याय के मार्ग की बाट जोह रहे हैं। [QE][QS2]हमारा मन तुझे और तेरे नाम को स्मरण करना चाहता है। [QE]
9. [QS]मेरा मन रात भर तेरे साथ रहना चाहता है और मेरे अन्दर की आत्मा हर नये दिन की प्रात: [QE][QS2]में तेरे साथ रहना चाहता है। [QE][QS]जब धरती पर तेरा न्याय आयेगा, लोग खरा जीवन जीना सीख जायेंगे। [QE]
10. [QS]यदि तुम केवल दुष्ट पर दया दिखाते रहो तो वह कभी भी अच्छे कर्म करना नहीं सीखेगा। [QE][QS2]दुष्ट जन चाहे भले लोगों के बीच में रहे लेकिन वह तब भी बुरे कर्म करता रहेगा। [QE][QS]वह दुष्ट कभी भी यहोवा की महानता नहीं देख पायेगा। [QE]
11. [QS]हे यहोवा तू उन्हें दण्ड देने को तत्पर है किन्तु वे इसे नहीं देखते। [QE][QS2]हे यहोवा तू अपने लोगों पर अपना असीम प्रेम दिखाता है जिसे देख दुष्ट जन लज्जित हो रहे हैं। [QE][QS]तेरे शत्रु अपने ही पापों की आग में जलकर भस्म होंगे। [QE]
12. [QS]हे यहोवा, हमको सफलता तेरे ही कारण मिली है। [QE][QS2]सो कृपा करके हमें शान्ति दे। [QE]
13. {#1यहोवा अपने लोगों को नया जीवन देगा } [QS]हे यहोवा, तू हमारा परमेश्वर है [QE][QS2]किन्तु पहले हम पर दूसरे देवता राज करते थे। [QE][QS]हम दूसरे स्वामियों से जुड़े हुए थे [QE][QS2]किन्तु अब हम यह चाहते हैं कि लोग बस एक ही नाम याद करें वह है तेरा नाम। [QE]
14. [QS]अब वे पहले स्वामी जीवित नहीं हैं। [QE][QS2]वे भूत अब अपनी कब्रों से कभी भी नहीं उठेंगे। [QE][QS]तूने उन्हें नष्ट करने का निश्चय किया था [QE][QS2]और तूने उनकी याद तक को मिटा दिया। [QE]
15. [QS]हे यहोवा, तूने जाति को बढ़ाया। [QE][QS2]जाति को बढ़ाकर तूने महिमा पायी। [QE][QS]तूने प्रदेश की सीमाओं को बढ़ाया। [QE]
16. [QS]हे यहोवा, तुझे लोग दु:ख में याद करते हैं, [QE][QS]और जब तू उनको दण्ड दिया करता है [QE][QS2]तब लोग तेरी मूक प्रार्थनाएँ किया करते हैं। [QE]
17. [QS]हे यहोवा, हम तेरे कारण ऐसे होते हैं [QE][QS2]जैसे प्रसव पीड़ा को झेलती स्त्री हो [QE][QS2]जो बच्चे को जन्म देते समय रोती—बिलखती और पीड़ा भोगती है। [QE]
18. [QS]इसी तरह हम भी गर्भवान होकर पीड़ा भोगतेहैं। [QE][QS2]हम जन्म देते हैं किन्तु केवल वायु को। [QE][QS]हम संसार को नये लोग नहीं दे पाये। [QE][QS2]हम धरती परउद्धार को नहीं ला पाये। [QE]
19. [QS]यहोवा कहता है, [QE][QS2]मरे हुए तेरे लोग फिर से जी जायेंगे! [QE][QS]मेरे लोगों की देह मृत्यु से जी उठेगी। [QE][QS2]हे मरे हुए लोगों, हे धूल में मिले हुओं, [QE][QS]उठो और तुम प्रसन्न हो जाओ। [QE][QS2]वह ओस जो तुझको घेरे हुए है, [QE][QS]ऐसी है जैसे प्रकाश में चमकती हुई ओस। [QE][QS2]धरती उन्हें फिर जन्म देगी जो अभी मरे हुए हैं। [QE]
20. {#1न्याय: पुरस्कार या दण्ड } [QS]हे मेरे लोगों, तुम अपने कोठरियों में जाओ। [QE][QS2]अपने द्वारों को बन्द करो [QE][QS]और थोड़े समय के लिये अपने कमरों में छिप जाओ। [QE][QS2]तब तक छिपे रहो जब तक परमेश्वर का क्रोध शांत नहीं होता। [QE]
21. [QS]यहोवा अपने स्थान को तजेगा [QE][QS2]और वह संसार के लोगों के पापों का न्याय करेगा। [QE][QS]उन लोगों के खून को धरती दिखायेगी जिनको मारा गया था। [QE][QS2]धरती मरे हुए लोगों को और अधिक ढके नहीं रहेगी। [QE][PBR] [PBR]