पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यशायाह
1. {#1परमेश्वर अपने जगत पर राज करता है } [PS]यहोवा कहता है, [PE][PBR] [QS]“याकूब के परिवार, तू मेरी बात सुन। [QE][QS2]तुम लोग अपने आप को ‘इस्राएल’ कहा करते हो। [QE][QS2]तुम यहूदा के घराने से वचन देने के लिये यहोवा का नाम लेते हो। [QE][QS]तुम इस्राएल के परमेश्वर की प्रशंसा करते हो। [QE][QS2]किन्तु जब तुम ये बातें करते हो तो सच्चे नहीं होते हो [QE][QS2]और निष्ठावान नहीं रहते। [QE][PBR]
2. [QS]“तुम लोग अपने को पवित्र नगरी के नागरिक कहते हो। [QE][QS]तुम इस्राएल के परमेश्वर के भरोसे रहते हो। [QE][QS2]उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है। [QE][PBR]
3. [QS]“मैंने तुम्हें बहुत पहले उन वस्तुओं के बारे में तुम्हें बताया था जो आगे घटेंगी। [QE][QS2]मैंने तुम्हें उस वस्तुओं के बारे में बताया था, [QE][QS2]और फिर अचानक मैंने बातें घटा दीं। [QE]
4. [QS]मैंने इसलिए वह किया था क्योंकि मुझको ज्ञात था कि तुम बहुत जिद्दी हो। [QE][QS]मैंने जो कुछ भी बताया था उस पर विश्वास करने से तुमने मना किया। [QE][QS2]तुम बहुत जिद्दी थे,जैसे लोहे की छड़ नहीं झुकती है। [QE][QS2]यह बात ऐसी थी जैसे तुम्हारा सिर काँसे का बना हुआ है। [QE]
5. [QS]इसलिए मैंने तुमको पहले ही बता दिया था, उन सभी ऐसी बातों को जो घटने वाली हैं। [QE][QS2]जब वे बातें घटी थी उससे बहुत पहले मैंने तुम्हें वह बता दी थीं। [QE][QS]मैंने ऐसा इसलिए किया था ताकि तू कह न सके कि, [QE][QS2]‘ये काम हमारे देवताओं ने किये, [QE][QS2]ये बातें हमारे देवताओं ने, हमारी मूर्तियों ने घटायी हैं।’ ” [QE]
6. {#1इस्राएल को पवित्र करने के लिए परमेश्वर का ताड़ना } [QS]“तूने उन सभी बातों को जो हो चुकी हैं, [QE][QS2]देखा और सुना है। [QE][QS2]ए तुझको ये समाचार दूसरों को बताना चाहिए। [QE][QS]अब मैं तुझे नयी बातें बताना आरम्भ करता हूँ [QE][QS2]जिनको तू अभी नहीं जानता है। [QE]
7. [QS]ये वे बातें नहीं हैं जो पहले घट चुकी है। [QE][QS]ये बातें ऐसी हैं जो अब शुरू हो रही हैं। [QE][QS2]आज से पहले तूने ये बातें नहीं सुनी। [QE][QS2]सो तू नहीं कह सकता, ‘हम तो इसे पहले से ही जानते हैं।’ [QE]
8. [QS]किन्तु तूने कभी उस पर कान नहीं दिया जो मैंने कहा। [QE][QS2]तूने कुछ नहीं सीखा। [QE][QS2]तूने मेरी कभी नहीं सुनी, किन्तु मैंने तुझे उन बातों के बारे में बताया [QE][QS]क्योंकि मैं जानता न था कि तू मेरे विरोध में होगा। [QE][QS2]अरे! तू तो विद्रोही रहा जब से तू पैदा हुआ। [QE][PBR]
9. [QS]“किन्तु मैं धीरज धरूँगा। ऐसा मैं अपने लिये करूँगा। [QE][QS2]मुझको क्रोध नहीं आया इसके लिये लोग मेरा यश गायेंगे। [QE][QS]मैं अपने क्रोध पर काबू करूँगा कि तुम्हारा नाश न करूँ। [QE][QS2]तुम मेरी बाट जोहते हुए मेरा गुण गाओगे। [QE][PBR]
10. [QS]“देख, मैं तुझे पवित्र करूँगा। [QE][QS2]चाँदी को शुद्ध करने के लिये लोग उसे आँच में डालते हैं! [QE][QS2]किन्तु मैं तुझे विपत्ति की भट्टी में डालकर शुद्ध करूँगा। [QE]
11. [QS]यह मैं स्वयं अपने लिये करूँगा! [QE][QS2]तू मेरे साथ ऐसे नहीं बरतेगा, जैसे मेरा महत्त्व न हो। [QE][QS2]किसी मिथ्या देवता को मैं अपनी प्रशंसा नहीं लेने दूँगा। [QE][PBR]
12. [QS]“याकूब, तू मेरी सुन! [QE][QS2]हे इस्राएल के लोगों, मैंने तुम्हें अपने लोग बनने को बुलाया है। [QE][QS2]तुम इसलिए मेरी सुनों! [QE][QS]मैं परमेश्वर हूँ, मैं ही आरम्भ हूँ [QE][QS2]और मैं ही अन्त हूँ। [QE]
13. [QS]मैंने स्वयं अपने हाथों से धरती की रचना की। [QE][QS2]मेरे दाहिने हाथ ने आकाश को बनाया। [QE][QS]यदि मैं उन्हें पुकारूँ तो [QE][QS2]दोनों साथ—साथ मेरे सामने आयेंगे। [QE][PBR]
14. [QS]“इसलिए तुम सभी जो आपस में इकट्ठे हुए हो मेरी बात सुनों! [QE][QS2]क्या किसी झूठे देव ने तुझसे ऐसा कहा है कि आगे चल कर ऐसी बातें घटित होंगी नहीं।” [QE][QS]यहोवा इस्राएल से जिसे, उस ने चुना है, प्रेम करता है। [QE][QS2]वह जैसा चाहेगा वैसा ही बाबुल और कसदियों के साथ करेगा। [QE][PBR]
15. [QS]यहोवा कहता है कि मैंने तुझसे कहा था, “मैं उसको बुलाऊँगा [QE][QS2]और मैं उसको लाऊँगा [QE][QS2]और उसको सफल बनाऊँगा! [QE]
16. [QS]मेरे पास आ और मेरी सुन! [QE][QS2]मैंने आरम्भ में साफ—साफ बोला ताकि लोग मुझे सुन ले [QE][QS]और मैं उस समय वहाँ पर था जब बाबुल की नींव पड़ी।” [QE][QS2]इस पर यशायाह ने कहा, [QE][PBR] [PS]अब देखो, मेरे स्वामी यहोवा ने इन बातों को तुम्हें बताने के लिये मुझे और अपनी आत्मा को भेजा है।
17. यहोवा जो मुक्तिदाता है और इस्राएल का पवित्र है, कहता है, [PE][PBR] [QS]“तेरा यहोवा परमेश्वर हूँ। [QE][QS2]मैं तुझको सिखाता हूँ कि क्या हितकर है। [QE][QS2]मैं तुझको राह पर लिये चलता हूँ जैसे तुझे चलना चाहिए। [QE]
18. [QS]यदि तू मेरी मानता तो तुझे उतनी शान्ति मिल जाती जितनी नदी भर करके बहती है। [QE][QS2]तुझ पर उत्तम वस्तुएँ ऐसी छा जाती जैसे समुद्र की तरंग हों। [QE]
19. [QS]यदि तू मेरी मानता तो तेरी सन्तानें बहुत बहुत होतीं। [QE][QS2]तेरी सन्तानें वैसे अनगिनत हो जाती जैसे रेत के असंख्य कण होते हैं। [QE][QS]यदि तू मेरी मानता तो तू नष्ट नहीं होता। [QE][QS2]तू भी मेरे साथ में बना रहता।” [QE][PBR]
20. [QS]हे मेरे लोगों, तुम बाबुल को छोड़ दो! [QE][QS2]हे मेरे लोगों तुम कसदियों से भाग जाओ! [QE][QS]प्रसन्नता में भरकर तुम लोगों से इस समाचार को कहो! [QE][QS2]धरती पर दूर दूर इस समाचार को फैलाओ! तुम लोगों को बता दो, [QE][QS]“यहोवा ने अपने दास याकूब को उबार लिया है!” [QE]
21. [QS]यहोवा ने अपने लोगों को मरूस्थल में राह दिखाई, [QE][QS2]और वे लोग कभी प्यासे नहीं रहे! [QE][QS]क्यों क्योंकि उसने अपने लोगों के लिये चट्टान फोड़कर पानी बहा दिया! [QE][PBR]
22. [QS]किन्तु परमेश्वर कहता है, [QE][QS2]“दुष्टों को शांति नहीं है!” [QE][PBR]
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परमेश्वर अपने जगत पर राज करता है 1 यहोवा कहता है, “याकूब के परिवार, तू मेरी बात सुन। तुम लोग अपने आप को ‘इस्राएल’ कहा करते हो। तुम यहूदा के घराने से वचन देने के लिये यहोवा का नाम लेते हो। तुम इस्राएल के परमेश्वर की प्रशंसा करते हो। किन्तु जब तुम ये बातें करते हो तो सच्चे नहीं होते हो और निष्ठावान नहीं रहते। 2 “तुम लोग अपने को पवित्र नगरी के नागरिक कहते हो। तुम इस्राएल के परमेश्वर के भरोसे रहते हो। उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है। 3 “मैंने तुम्हें बहुत पहले उन वस्तुओं के बारे में तुम्हें बताया था जो आगे घटेंगी। मैंने तुम्हें उस वस्तुओं के बारे में बताया था, और फिर अचानक मैंने बातें घटा दीं। 4 मैंने इसलिए वह किया था क्योंकि मुझको ज्ञात था कि तुम बहुत जिद्दी हो। मैंने जो कुछ भी बताया था उस पर विश्वास करने से तुमने मना किया। तुम बहुत जिद्दी थे,जैसे लोहे की छड़ नहीं झुकती है। यह बात ऐसी थी जैसे तुम्हारा सिर काँसे का बना हुआ है। 5 इसलिए मैंने तुमको पहले ही बता दिया था, उन सभी ऐसी बातों को जो घटने वाली हैं। जब वे बातें घटी थी उससे बहुत पहले मैंने तुम्हें वह बता दी थीं। मैंने ऐसा इसलिए किया था ताकि तू कह न सके कि, ‘ये काम हमारे देवताओं ने किये, ये बातें हमारे देवताओं ने, हमारी मूर्तियों ने घटायी हैं।’ ” इस्राएल को पवित्र करने के लिए परमेश्वर का ताड़ना 6 “तूने उन सभी बातों को जो हो चुकी हैं, देखा और सुना है। ए तुझको ये समाचार दूसरों को बताना चाहिए। अब मैं तुझे नयी बातें बताना आरम्भ करता हूँ जिनको तू अभी नहीं जानता है। 7 ये वे बातें नहीं हैं जो पहले घट चुकी है। ये बातें ऐसी हैं जो अब शुरू हो रही हैं। आज से पहले तूने ये बातें नहीं सुनी। सो तू नहीं कह सकता, ‘हम तो इसे पहले से ही जानते हैं।’ 8 किन्तु तूने कभी उस पर कान नहीं दिया जो मैंने कहा। तूने कुछ नहीं सीखा। तूने मेरी कभी नहीं सुनी, किन्तु मैंने तुझे उन बातों के बारे में बताया क्योंकि मैं जानता न था कि तू मेरे विरोध में होगा। अरे! तू तो विद्रोही रहा जब से तू पैदा हुआ। 9 “किन्तु मैं धीरज धरूँगा। ऐसा मैं अपने लिये करूँगा। मुझको क्रोध नहीं आया इसके लिये लोग मेरा यश गायेंगे। मैं अपने क्रोध पर काबू करूँगा कि तुम्हारा नाश न करूँ। तुम मेरी बाट जोहते हुए मेरा गुण गाओगे। 10 “देख, मैं तुझे पवित्र करूँगा। चाँदी को शुद्ध करने के लिये लोग उसे आँच में डालते हैं! किन्तु मैं तुझे विपत्ति की भट्टी में डालकर शुद्ध करूँगा। 11 यह मैं स्वयं अपने लिये करूँगा! तू मेरे साथ ऐसे नहीं बरतेगा, जैसे मेरा महत्त्व न हो। किसी मिथ्या देवता को मैं अपनी प्रशंसा नहीं लेने दूँगा। 12 “याकूब, तू मेरी सुन! हे इस्राएल के लोगों, मैंने तुम्हें अपने लोग बनने को बुलाया है। तुम इसलिए मेरी सुनों! मैं परमेश्वर हूँ, मैं ही आरम्भ हूँ और मैं ही अन्त हूँ। 13 मैंने स्वयं अपने हाथों से धरती की रचना की। मेरे दाहिने हाथ ने आकाश को बनाया। यदि मैं उन्हें पुकारूँ तो दोनों साथ—साथ मेरे सामने आयेंगे। 14 “इसलिए तुम सभी जो आपस में इकट्ठे हुए हो मेरी बात सुनों! क्या किसी झूठे देव ने तुझसे ऐसा कहा है कि आगे चल कर ऐसी बातें घटित होंगी नहीं।” यहोवा इस्राएल से जिसे, उस ने चुना है, प्रेम करता है। वह जैसा चाहेगा वैसा ही बाबुल और कसदियों के साथ करेगा। 15 यहोवा कहता है कि मैंने तुझसे कहा था, “मैं उसको बुलाऊँगा और मैं उसको लाऊँगा और उसको सफल बनाऊँगा! 16 मेरे पास आ और मेरी सुन! मैंने आरम्भ में साफ—साफ बोला ताकि लोग मुझे सुन ले और मैं उस समय वहाँ पर था जब बाबुल की नींव पड़ी।” इस पर यशायाह ने कहा, अब देखो, मेरे स्वामी यहोवा ने इन बातों को तुम्हें बताने के लिये मुझे और अपनी आत्मा को भेजा है। 17 यहोवा जो मुक्तिदाता है और इस्राएल का पवित्र है, कहता है, “तेरा यहोवा परमेश्वर हूँ। मैं तुझको सिखाता हूँ कि क्या हितकर है। मैं तुझको राह पर लिये चलता हूँ जैसे तुझे चलना चाहिए। 18 यदि तू मेरी मानता तो तुझे उतनी शान्ति मिल जाती जितनी नदी भर करके बहती है। तुझ पर उत्तम वस्तुएँ ऐसी छा जाती जैसे समुद्र की तरंग हों। 19 यदि तू मेरी मानता तो तेरी सन्तानें बहुत बहुत होतीं। तेरी सन्तानें वैसे अनगिनत हो जाती जैसे रेत के असंख्य कण होते हैं। यदि तू मेरी मानता तो तू नष्ट नहीं होता। तू भी मेरे साथ में बना रहता।” 20 हे मेरे लोगों, तुम बाबुल को छोड़ दो! हे मेरे लोगों तुम कसदियों से भाग जाओ! प्रसन्नता में भरकर तुम लोगों से इस समाचार को कहो! धरती पर दूर दूर इस समाचार को फैलाओ! तुम लोगों को बता दो, “यहोवा ने अपने दास याकूब को उबार लिया है!” 21 यहोवा ने अपने लोगों को मरूस्थल में राह दिखाई, और वे लोग कभी प्यासे नहीं रहे! क्यों क्योंकि उसने अपने लोगों के लिये चट्टान फोड़कर पानी बहा दिया! 22 किन्तु परमेश्वर कहता है, “दुष्टों को शांति नहीं है!”
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