पवित्र बाइबिल

ऐसी तो रीड वर्शन (ESV)
यिर्मयाह
1. {#1यहोवा और देवमूर्तियाँ } [PS]इस्राएल के परिवार, यहोवा की सुनो।
2. जो यहोवा कहता है, वह यह है: [PE][PBR] [QS]“अन्य राष्ट्रों के लोगों की तरह न रहो। [QE][QS2]आकाश के विशेष संकेतों से न डरो। [QE][QS]अन्य राष्ट्र उन संकेतों से डरते हैं जिन्हें वे आकाश में देखते हैं। [QE][QS2]किन्तु तुम्हें उन चीज़ों से नहीं डरना चाहिये। [QE]
3. [QS]अन्य लोगों के रीति रिवाज व्यर्थ हैं। [QE][QS2]उनकी देव मूर्तियाँ जंगल की लकड़ी के अतिरिक्त कुछ नहीं। [QE][QS]उनकी देव मूर्तियाँ कारीगर की छैनी से बनी हैं। [QE]
4. [QS]वे अपनी देव मूर्तियों को सोने चाँदी से सुन्दर बनाते हैं। [QE][QS2]वे अपनी देव मूर्तियों को हथौड़े और कील से लटकाते हैं [QE][QS]जिससे वे लटके रहें, गिर न पड़े। [QE]
5. [QS]अन्य देशों की देव मूर्तियों, [QE][QS2]ककड़ी के खेत में खड़े फूस के पुतले के समान हैं। [QE][QS]वे न बोल सकती हैं, और न चल सकती हैं। [QE][QS2]उन्हें उठा कर ले जाना पड़ता है क्योंकि वे चल नहीं सकते। [QE][QS]उनसे मत डरो। वे न तो तुमको चोट पहुँचा सकती हैं [QE][QS2]और न ही कोई लाभ!” [QE][PBR]
6. [QS]यहोवा तुझ जैसा कोई अन्य नहीं है! [QE][QS2]तू महान है! तेरा नाम महान और शक्तिपूर्ण है। [QE]
7. [QS]परमेश्वर, हर एक व्यक्ति को तेरा सम्मान करना चाहिए। [QE][QS2]तू सभी राष्ट्रों का राजा है। [QE][QS]तू उनके सम्मान का पात्र है। [QE][QS2]राष्ट्रों में अनेक बुद्धिमान व्यक्ति हैं। [QE][QS]किन्तु कोई व्यक्ति तेरे समान बुद्धिमान नहीं है। [QE][PBR]
8. [QS]अन्य राष्ट्रों के सभी लोग शरारती और मूर्ख हैं। [QE][QS2]उनकी शिक्षा निरर्थक लकड़ी की मूर्तियों से मिली है। [QE]
9. [QS]वे अपनी मूर्तियों को तर्शीश नगर की चाँदी [QE][QS2]और उफाज नगर के सोने का उपयोग करके बनाते हैं। [QE][QS]वे देवमूर्तियाँ वढइयों और सुनारो द्वारा बनाई जाती हैं। [QE][QS2]वे उन देवमूर्तियों को नीले और बैंगनी वस्त्र पहनाते हैं। [QE][QS]निपुण लोग उन्हें “देवता” बनाते हैं। [QE]
10. [QS]किन्तु केवल यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है। [QE][QS2]वह एकमात्र परमेश्वर है जो चेतन है। [QE][QS2]वह शाश्वत शासक है। [QE][QS]जब परमेश्वर क्रोध करता है तो धरती काँप जाती है। [QE][QS2]राष्ट्रों के लोग उसके क्रोध को रोक नहीं सकते। [QE][PBR]
11. [QS]यहोवा कहता है, “उन लोगों को यह सन्देश दो: [QE][QS2]‘उन असत्य देवताओं ने पृथ्वी और स्वर्ग नहीं बनाए [QE][QS]और वे असत्य देवता नष्ट कर दिए जाएंगे, [QE][QS2]और पृथ्वी और स्वर्ग से लुप्त हो जाएंगे।’ ” [QE][PBR]
12. [QS]वह परमेश्वर एक ही है जिसने अपनी शक्ति से पृथ्वी बनाई। [QE][QS2]परमेश्वर ने अपने बुद्धि का उपयोग किया [QE][QS]और संसार की रचना कर डाली। [QE][QS2]अपनी समझ के अनुसार परमेश्वर ने पृथ्वी के ऊपर आकाश को फैलाया। [QE]
13. [QS]परमेश्वर कड़कती बिजली बनाता है [QE][QS2]और वह आकाश से बड़े जल की बाढ़ को गिराता है। [QE][QS]वह पृथ्वी के हर एक स्थान पर, [QE][QS2]आकाश में मेघों को उठाता है। [QE][QS]वह बिजली को वर्षा के साथ भेजता है। [QE][QS2]वह अपने गोदामों से पवन को निकालता है। [QE][PBR]
14. [QS]लोग इतने बेवकूफ हैं! [QE][QS2]सुनार उन देवमूर्तियों से मूर्ख बनाए गये हैं [QE][QS]जिन्हें उन्होंने स्वयं बनाया है। [QE][QS2]ये मूर्तियाँ झूठ के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं, वे निष्क्रिय हैं। [QE]
15. [QS]वे देवमूर्तियाँ किसी काम की नहीं। [QE][QS2]वे कुछ ऐसी हैं जिनका मजाक उड़ाया जा सके। [QE][QS]न्याय का समय आने पर वे देवमूर्तियाँ नष्ट कर दी जाएंगी। [QE]
16. [QS]किन्तु याकूब का परमेश्वर उन देवमूर्तियों के समान नहीं है। [QE][QS2]परमेश्वर ने सभी वस्तुओं की सृष्टि की, [QE][QS]और इस्राएल वह परिवार है जिसे परमेश्वर ने अपने लोग के रूप में चुना। [QE][QS2]परमेश्वर का नाम “सर्वशक्तिमान यहोवा” है। [QE]
17. {#1विनाश आ रहा है } [QS]अपनी सभी चीज़ें लो और जाने को तैयार हो जाओ। [QE][QS]यहूदा के लोगों, तुम नगर में पकड़ लिये गए हो [QE][QS2]और शत्रु ने इसका घेरा डाल लिया है। [QE]
18. [QS]यहोवा कहता है, [QE][QS]“इस समय मैं यहूदा के लोगों को इस देश से बाहर फेंक दूँगा। [QE][QS2]मैं उन्हें पीड़ा और परेशानी दूँगा। [QE][QS2]मैं ऐसा करूँगा जिससे वे सबक सीख सकें।” [QE][PBR]
19. [QS]ओह, मैं (यिर्मयाह) बुरी तरह घायल हूँ। [QE][QS2]घायल हूँ और मैं अच्छा नहीं हो सकता। [QE][QS]तो भी मैंने स्वयं से कहा, “यह मेरी बीमारी है, [QE][QS2]मुझे इससे पीड़ित होना चाहिये।” [QE]
20. [QS]मेरा डेरा बरबाद हो गया। [QE][QS2]डेरे की सारी रस्सियाँ टूट गई हैं। [QE][QS]मेरे बच्चे मुझे छोड़ गये। [QE][QS2]वे चले गये। [QE][QS]कोई व्यक्ति मेरा डेरा लगाने को नहीं बचा है। [QE][QS2]कोई व्यक्ति मेरे लिये शरण स्थल बनाने को नहीं बचा है। [QE]
21. [QS]गडेरिये (प्रमुख) मूर्ख हैं। [QE][QS2]वे यहोवा को प्राप्त करने का प्रयत्न नहीं करते। [QE][QS]वे बुद्धिमान नहीं है, [QE][QS2]अत: उनकी रेवड़ें (लोग) बिखर गई और नष्ट हो गई हैं। [QE]
22. [QS]ध्यान से सुनो! एक कोलाहल! [QE][QS2]कोलाहल उत्तर से आ रहा है। [QE][QS]यह यहूदा के नगरों को नष्ट कर देगा। [QE][QS2]यहूदा एक सूनी मरुभूमि बन जायेगा। [QE][QS]यह गीदड़ों की माँद बन जायेगा। [QE][PBR]
23. [QS]हे यहोवा, मैं जानता हूँ कि व्यक्ति सचमुच अपनी [QE][QS2]जिन्दगी का मालिक नहीं है। [QE][QS]लोग सचमुच अपने भविष्य की योजना नहीं बना सकते हैं। [QE][QS2]लोग सचमुच नहीं जानते कि कैसे ठीक जीवित रहा जाये। [QE]
24. [QS]हे यहोवा, हमें सुधार! किन्तु न्यायी बन! [QE][QS2]क्रोध में हमे दण्ड न दे! अन्यथा तू हमें नष्ट कर देगा! [QE]
25. [QS]यदि तू क्रोधित है तो अन्य राष्ट्रों को दण्ड दे। [QE][QS2]वे, न तुझको जानते हैं न ही तेरा सम्मान करते हैं। [QE][QS]वे लोग तेरी आराधना नहीं करते। [QE][QS2]उन राष्ट्रों ने याकूब के परिवार को नष्ट किया। [QE][QS]उन्होंने इस्राएल को पूरी तरह नष्ट कर दिया। [QE][QS2]उन्होंने इस्राएल की जन्मभूमि को नष्ट किया। [QE][PBR]
Total 52 अध्याय, Selected अध्याय 10 / 52
यहोवा और देवमूर्तियाँ 1 इस्राएल के परिवार, यहोवा की सुनो। 2 जो यहोवा कहता है, वह यह है: “अन्य राष्ट्रों के लोगों की तरह न रहो। आकाश के विशेष संकेतों से न डरो। अन्य राष्ट्र उन संकेतों से डरते हैं जिन्हें वे आकाश में देखते हैं। किन्तु तुम्हें उन चीज़ों से नहीं डरना चाहिये। 3 अन्य लोगों के रीति रिवाज व्यर्थ हैं। उनकी देव मूर्तियाँ जंगल की लकड़ी के अतिरिक्त कुछ नहीं। उनकी देव मूर्तियाँ कारीगर की छैनी से बनी हैं। 4 वे अपनी देव मूर्तियों को सोने चाँदी से सुन्दर बनाते हैं। वे अपनी देव मूर्तियों को हथौड़े और कील से लटकाते हैं जिससे वे लटके रहें, गिर न पड़े। 5 अन्य देशों की देव मूर्तियों, ककड़ी के खेत में खड़े फूस के पुतले के समान हैं। वे न बोल सकती हैं, और न चल सकती हैं। उन्हें उठा कर ले जाना पड़ता है क्योंकि वे चल नहीं सकते। उनसे मत डरो। वे न तो तुमको चोट पहुँचा सकती हैं और न ही कोई लाभ!” 6 यहोवा तुझ जैसा कोई अन्य नहीं है! तू महान है! तेरा नाम महान और शक्तिपूर्ण है। 7 परमेश्वर, हर एक व्यक्ति को तेरा सम्मान करना चाहिए। तू सभी राष्ट्रों का राजा है। तू उनके सम्मान का पात्र है। राष्ट्रों में अनेक बुद्धिमान व्यक्ति हैं। किन्तु कोई व्यक्ति तेरे समान बुद्धिमान नहीं है। 8 अन्य राष्ट्रों के सभी लोग शरारती और मूर्ख हैं। उनकी शिक्षा निरर्थक लकड़ी की मूर्तियों से मिली है। 9 वे अपनी मूर्तियों को तर्शीश नगर की चाँदी और उफाज नगर के सोने का उपयोग करके बनाते हैं। वे देवमूर्तियाँ वढइयों और सुनारो द्वारा बनाई जाती हैं। वे उन देवमूर्तियों को नीले और बैंगनी वस्त्र पहनाते हैं। निपुण लोग उन्हें “देवता” बनाते हैं। 10 किन्तु केवल यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है। वह एकमात्र परमेश्वर है जो चेतन है। वह शाश्वत शासक है। जब परमेश्वर क्रोध करता है तो धरती काँप जाती है। राष्ट्रों के लोग उसके क्रोध को रोक नहीं सकते। 11 यहोवा कहता है, “उन लोगों को यह सन्देश दो: ‘उन असत्य देवताओं ने पृथ्वी और स्वर्ग नहीं बनाए और वे असत्य देवता नष्ट कर दिए जाएंगे, और पृथ्वी और स्वर्ग से लुप्त हो जाएंगे।’ ” 12 वह परमेश्वर एक ही है जिसने अपनी शक्ति से पृथ्वी बनाई। परमेश्वर ने अपने बुद्धि का उपयोग किया और संसार की रचना कर डाली। अपनी समझ के अनुसार परमेश्वर ने पृथ्वी के ऊपर आकाश को फैलाया। 13 परमेश्वर कड़कती बिजली बनाता है और वह आकाश से बड़े जल की बाढ़ को गिराता है। वह पृथ्वी के हर एक स्थान पर, आकाश में मेघों को उठाता है। वह बिजली को वर्षा के साथ भेजता है। वह अपने गोदामों से पवन को निकालता है। 14 लोग इतने बेवकूफ हैं! सुनार उन देवमूर्तियों से मूर्ख बनाए गये हैं जिन्हें उन्होंने स्वयं बनाया है। ये मूर्तियाँ झूठ के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं, वे निष्क्रिय हैं। 15 वे देवमूर्तियाँ किसी काम की नहीं। वे कुछ ऐसी हैं जिनका मजाक उड़ाया जा सके। न्याय का समय आने पर वे देवमूर्तियाँ नष्ट कर दी जाएंगी। 16 किन्तु याकूब का परमेश्वर उन देवमूर्तियों के समान नहीं है। परमेश्वर ने सभी वस्तुओं की सृष्टि की, और इस्राएल वह परिवार है जिसे परमेश्वर ने अपने लोग के रूप में चुना। परमेश्वर का नाम “सर्वशक्तिमान यहोवा” है। विनाश आ रहा है 17 अपनी सभी चीज़ें लो और जाने को तैयार हो जाओ। यहूदा के लोगों, तुम नगर में पकड़ लिये गए हो और शत्रु ने इसका घेरा डाल लिया है। 18 यहोवा कहता है, “इस समय मैं यहूदा के लोगों को इस देश से बाहर फेंक दूँगा। मैं उन्हें पीड़ा और परेशानी दूँगा। मैं ऐसा करूँगा जिससे वे सबक सीख सकें।” 19 ओह, मैं (यिर्मयाह) बुरी तरह घायल हूँ। घायल हूँ और मैं अच्छा नहीं हो सकता। तो भी मैंने स्वयं से कहा, “यह मेरी बीमारी है, मुझे इससे पीड़ित होना चाहिये।” 20 मेरा डेरा बरबाद हो गया। डेरे की सारी रस्सियाँ टूट गई हैं। मेरे बच्चे मुझे छोड़ गये। वे चले गये। कोई व्यक्ति मेरा डेरा लगाने को नहीं बचा है। कोई व्यक्ति मेरे लिये शरण स्थल बनाने को नहीं बचा है। 21 गडेरिये (प्रमुख) मूर्ख हैं। वे यहोवा को प्राप्त करने का प्रयत्न नहीं करते। वे बुद्धिमान नहीं है, अत: उनकी रेवड़ें (लोग) बिखर गई और नष्ट हो गई हैं। 22 ध्यान से सुनो! एक कोलाहल! कोलाहल उत्तर से आ रहा है। यह यहूदा के नगरों को नष्ट कर देगा। यहूदा एक सूनी मरुभूमि बन जायेगा। यह गीदड़ों की माँद बन जायेगा। 23 हे यहोवा, मैं जानता हूँ कि व्यक्ति सचमुच अपनी जिन्दगी का मालिक नहीं है। लोग सचमुच अपने भविष्य की योजना नहीं बना सकते हैं। लोग सचमुच नहीं जानते कि कैसे ठीक जीवित रहा जाये। 24 हे यहोवा, हमें सुधार! किन्तु न्यायी बन! क्रोध में हमे दण्ड न दे! अन्यथा तू हमें नष्ट कर देगा! 25 यदि तू क्रोधित है तो अन्य राष्ट्रों को दण्ड दे। वे, न तुझको जानते हैं न ही तेरा सम्मान करते हैं। वे लोग तेरी आराधना नहीं करते। उन राष्ट्रों ने याकूब के परिवार को नष्ट किया। उन्होंने इस्राएल को पूरी तरह नष्ट कर दिया। उन्होंने इस्राएल की जन्मभूमि को नष्ट किया।
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