पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यिर्मयाह
1. {हृदय पर लिखा अपराध} [PS] “यहूदा के लोगों का पाप वहाँ लिखा है जहाँ से उसे मिटाया नहीं जा सकता। [QBR2] वे पाप लोहे की कलम से पत्थरों पर लिखे गये थे। [QBR] उनके पाप हीरे की नोकवाली कलम से लिखे गए थे,और वह पत्थर उनका हृदय है। [QBR2] वे पाप उनकी वेदी के सींगों के बीच काटे गए थे। [QBR]
2. उनके बच्चे असत्य देवताओं को अर्पित की गई वेदी को याद रखते हैं। [QBR2] वे अशेरा को अर्पित किये गए लकड़ी के खंभे को याद रखते हैं। [QBR] वे उन चीज़ों को हरे पेड़ों के नीचे [QBR2] और पहाड़ियों पर याद करते हैं। [QBR]
3. वे उन चीजों को खुले स्थान के पहाड़ों पर याद करते हैं। [QBR2] यहूदा के लोगों के पास सम्पत्ति और खजाने हैं। [QBR] मैं उन चीज़ों को दूसरे लोगों को दूँगा। [QBR2] मैं तुम्हारे देश के सभी उच्च स्थानों को नष्ट करुँगा। [QBR] तुमने उन स्थानों पर पूजा करके पाप किया है। [QBR]
4. तुम उस भूमि को खोओगे जिसे मैंने तुम्हें दी। [QBR2] मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हें उनके दास की तरह [QBR] उस भूमि में ले जाने दूँगा जिसके बारे में तुम नहीं जानते। [QBR2] क्यों क्योंकि मैं बहुत क्रोधित हूँ। [QBR] मेरा क्रोध तप्त अग्नि सा है, [QBR2] और तुम सदैव के लिये जल जाओगे।”
5. {जनता में विश्वास एवं परमेश्वर में विश्वास} [PS] यहोवा यह सब कहता है, [QBR] “जो लोग केवल दूसरे लोगों में विश्वास करते हैं [QBR2] उनका बुरा होगा। [QBR] जो शक्ति के लिये केवल दूसरों के सहारे रहते हैं [QBR2] उनका बुरा होगा। [QBR] क्यों क्योंकि उन लोगों ने यहोवा पर विश्वास करना छोड़ दिया है। [QBR]
6. वे लोग मरुभूमि की झाड़ी की तरह हैं। [QBR2] वह झाड़ी उस भूमि पर है जहाँ कोई नहीं रहता। [QBR] वह झाड़ी गर्म और सूखी भूमि में है। [QBR2] वह झाड़ी खराब मिट्टी में है। [QBR] वह झाड़ी उन अच्छी चीज़ों को नहीं जानती जिन्हें परमेश्वर दे सकता हैं।
7. “किन्तु जो व्यक्ति यहोवा में विश्वास करता है, [QBR2] आशीर्वाद पाएगा। [QBR] क्यों क्योंकि यहोवा उसको ऐसा दिखायेगा कि [QBR2] उन पर विश्वास किया जा सके। [QBR]
8. वह व्यक्ति उस पेड़ की तरह शक्तिशाली होगा [QBR2] जो पानी के पास लगाया गया हो। [QBR] उस पेड़ की लम्बी जड़ें होती हैं जो पानी पाती हैं। [QBR2] वह पेड़ गर्मी के दिनों से नहीं डरता [QBR] इसकी पत्तियाँ सदा हरी रहती हैं। [QBR2] यह वर्ष के उन दिनों में परेशान नहीं होता जब वर्षा नहीं होती। [QBR] उस पेड़ में सदा फल आते हैं।
9. “व्यक्ति का दिमाग बड़ा कपटी होता है। [QBR2] दिमाग बहुत बीमार भी हो सकता है [QBR] और कोई भी व्यक्ति दिमाग को ठीक ठीक नहीं समझता। [QBR]
10. किन्तु मैं यहोवा हूँ और मैं व्यक्ति के हृदय को जान सकता हूँ। [QBR2] मैं व्यक्ति के दिमाग की जाँच कर सकता हूँ। [QBR] अत: मैं निर्णय कर सकता हूँ कि हर एक व्यक्ति को क्या मिलना चाहिये [QBR2] मैं हर एक व्यक्ति को उसके लिये ठीक भुगतान कर सकता हूँ जो वह करता है।
11. कभी कभी एक चिड़िया उस अंडे से बच्चा निकालती है [QBR2] जिसे उसने नहीं दिया। [QBR] वह व्यक्ति जो धन के लिये ठगता है, [QBR2] उस चिड़िया के समान है। [QBR] जब उस व्यक्ति की आधी आयु समाप्त होगी [QBR2] तो वह उस धन को खो देगा। [QBR] अपने जीवन के अन्त में यह स्पष्ट हो जाएगा कि [QBR2] वह एक मूर्ख व्यक्ति था।”
12. आरम्भ ही से हमारा मन्दिर परमेश्वर के लिये [QBR2] एक गौरवशाली सिंहासन था। [QBR2] यह एक बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। [QBR]
13. हे यहोवा, तू इस्राएल की आशा है। [QBR2] हे यहोवा, तू अमृत जल के सोते के समान है। [QBR] यदि कोई तेरा अनुसरण करना छोड़ेगा [QBR2] तो उसका जीवन बहुत घट जाएगा।
14. {यिर्मयाह की तीसरी शिकायत} [PS] हे यहोवा, यदि तू मुझे स्वस्थ करता है, [QBR2] मैं सचमुच स्वस्थ हो जाऊँगा। [QBR] मेरी रक्षा कर, और मेरी सचमुच रक्षा हो जायेगी। [QBR2] हे यहोवा, मैं तेरी स्तुति करता हूँ! [QBR]
15. यहूदा के लोग मुझसे प्रश्न करते रहते हैं। [QBR2] वे पूछते रहते हैं, “यिर्मयाह, यहोवा के यहाँ का सन्देश कहाँ है? [QBR] हम लोग देखें कि सन्देश सत्य प्रमाणित होता है”
16. हे यहोवा, मैं तुझसे दूर नहीं भागा, [QBR2] मैंने तेरा अनुसरण किया है। [QBR] तूने जैसा चाहा वैसा गडेरिया मैं बना। [QBR2] मैं नहीं चाहता कि भयंकर दिन आएं। [QBR] यहोवा तू जानता है जो कुछ मैंने कहा। [QBR2] जो हो रहा है, तू सब देखता है। [QBR]
17. हे यहोवा, तू मुझे नष्ट न कर। [QBR2] मैं विपत्ति के दिनों में तेरा आश्रित हूँ। [QBR]
18. लोग मुझे चोट पहुँचा रहे हैं। [QBR2] उन लोगों को लज्जित कर। [QBR] किन्तु मुझे निराश न कर। [QBR2] उन लोगों को भयभीत होने दो। [QBR] किन्तु मुझे भयभीत न कर। [QBR2] मेरे शत्रुओं पर भयंकर विनाश का दिन ला उन्हें तोड़ और उन्हें फिर तोड़। [PS]
19. {सब्त दिवस को पवित्र रखना} [PS] यहोवा ने मुझसे ये बातें कहीं, “यिर्मयाह, जाओ और यरूशलेम के जन—द्वार पर खड़े हो जाओ, जहाँ से यहूदा के राजा अन्दर आते और बाहर जाते हैं। मेरे लोगों को मेरा सन्देश दो और तब यरूशलेम के अन्य सभी द्वारों पर जाओ और यही काम करो।” [PE][PS]
20. उन लोगों से कहो: “यहोवा के सन्देश को सुनो। यहूदा के राजाओं, सुनो। यहूदा के तुम सभी लोगों, सुनो। इस द्वार से यरूशलेम में आने वाले सभी लोगों, मेरी बात सुनो।
21. यहोवा यह बात कहता है: इस बात में सावधान रहो कि सब्त के दिन सिर पर बोझ लेकर न चलो और सब्त के दिन यरूशलेम के द्वारों से बोझ न लाओ।
22. सब्त के दिन अपने घरों से बोझ बाहर न ले जाओ। उस दिन कोई काम न करो। मैंने यही आदेश तुम्हारे पूर्वजों को दिया था।
23. किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरे इस आदेश का पालन नहीं किया। उन्होंने मेरी ओर ध्यान नहीं दिया। तुम्हारे पूर्वज बहुत हठी थे। मैंने उन्हें दण्ड दिया किन्तु इसका कोई अच्छा फल नहीं निकला। उन्होंने मेरी एक न सुनी।
24. किन्तु तुम्हें मेरी आज्ञा का पालन करने में सावधान रहना चाहिये।” यह सन्देश यहोवा का है। “तुम्हें सब्त के दिन यरूशलेम के द्वारों से बोझ नहीं लाना चाहिये। तुम्हें सब्त के दिन को पवित्र दिन बनाना चाहिये। तुम, उस दिन कोई भी काम नहीं करोगे। [PE][PS]
25. “ ‘यदि तुम इस आदेश का पालन करोगे तो राजा जो दाऊद के सिंहासन पर बैठेंगे, यरूशलेम के द्वारों से आएंगे। वे राजा अपने रथों और घोड़ों पर सवार होकर आएंगे। यहूदा और इस्राएल के लोगों के प्रमुख उन राजाओं के साथ होंगे। यरूशलेम नगर में सदैव रहने वाले लोग यहाँ होंगे।
26. यहूदा के नगरों से लोग यरूशलेम आएंगे। लोग यरूशलेम को उन छोटे गाँवों से आएंगे जो इसके चारों ओर हैं। लोग उस प्रदेश से आएंगे जहाँ बिन्यामीन का परिवार समूह रहता है। लोग पश्चिमी पहाड़ की तराइयों तथा पहाड़ी प्रदेशों से आएंगे और लोग नेगव से आएंगे। वे सभी लोग होमबलि, बलि, अन्नबलि, सुगन्धि और धन्यवाद भेंट लेकर आएंगे। वे उन भेंटों और बलियों को यहोवा के मन्दिर को लाएंगे। [PE][PS]
27. “ ‘किन्तु यदि तुम मेरी बात नहीं सुनते और मेरे आदेश को नहीं मानते तो बुरी घटनायें होंगी। यदि तुम सब्त के दिन यरूशलेम के द्वार से बोझ ले जाते हो तब तुम उसे पवित्र दिन नहीं रखते। इस दशा में मैं ऐसे आग लगाऊँगा जो बुझाई नहीं जा सकती। वह आग यरूशलेम के द्वारों से आरम्भ होगी और महलों को भी जला देगी।” [PE]

Notes

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यिर्मयाह 17:25
हृदय पर लिखा अपराध 1 “यहूदा के लोगों का पाप वहाँ लिखा है जहाँ से उसे मिटाया नहीं जा सकता। वे पाप लोहे की कलम से पत्थरों पर लिखे गये थे। उनके पाप हीरे की नोकवाली कलम से लिखे गए थे,और वह पत्थर उनका हृदय है। वे पाप उनकी वेदी के सींगों के बीच काटे गए थे। 2 उनके बच्चे असत्य देवताओं को अर्पित की गई वेदी को याद रखते हैं। वे अशेरा को अर्पित किये गए लकड़ी के खंभे को याद रखते हैं। वे उन चीज़ों को हरे पेड़ों के नीचे और पहाड़ियों पर याद करते हैं। 3 वे उन चीजों को खुले स्थान के पहाड़ों पर याद करते हैं। यहूदा के लोगों के पास सम्पत्ति और खजाने हैं। मैं उन चीज़ों को दूसरे लोगों को दूँगा। मैं तुम्हारे देश के सभी उच्च स्थानों को नष्ट करुँगा। तुमने उन स्थानों पर पूजा करके पाप किया है। 4 तुम उस भूमि को खोओगे जिसे मैंने तुम्हें दी। मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हें उनके दास की तरह उस भूमि में ले जाने दूँगा जिसके बारे में तुम नहीं जानते। क्यों क्योंकि मैं बहुत क्रोधित हूँ। मेरा क्रोध तप्त अग्नि सा है, और तुम सदैव के लिये जल जाओगे।” जनता में विश्वास एवं परमेश्वर में विश्वास 5 यहोवा यह सब कहता है, “जो लोग केवल दूसरे लोगों में विश्वास करते हैं उनका बुरा होगा। जो शक्ति के लिये केवल दूसरों के सहारे रहते हैं उनका बुरा होगा। क्यों क्योंकि उन लोगों ने यहोवा पर विश्वास करना छोड़ दिया है। 6 वे लोग मरुभूमि की झाड़ी की तरह हैं। वह झाड़ी उस भूमि पर है जहाँ कोई नहीं रहता। वह झाड़ी गर्म और सूखी भूमि में है। वह झाड़ी खराब मिट्टी में है। वह झाड़ी उन अच्छी चीज़ों को नहीं जानती जिन्हें परमेश्वर दे सकता हैं। 7 “किन्तु जो व्यक्ति यहोवा में विश्वास करता है, आशीर्वाद पाएगा। क्यों क्योंकि यहोवा उसको ऐसा दिखायेगा कि उन पर विश्वास किया जा सके। 8 वह व्यक्ति उस पेड़ की तरह शक्तिशाली होगा जो पानी के पास लगाया गया हो। उस पेड़ की लम्बी जड़ें होती हैं जो पानी पाती हैं। वह पेड़ गर्मी के दिनों से नहीं डरता इसकी पत्तियाँ सदा हरी रहती हैं। यह वर्ष के उन दिनों में परेशान नहीं होता जब वर्षा नहीं होती। उस पेड़ में सदा फल आते हैं। 9 “व्यक्ति का दिमाग बड़ा कपटी होता है। दिमाग बहुत बीमार भी हो सकता है और कोई भी व्यक्ति दिमाग को ठीक ठीक नहीं समझता। 10 किन्तु मैं यहोवा हूँ और मैं व्यक्ति के हृदय को जान सकता हूँ। मैं व्यक्ति के दिमाग की जाँच कर सकता हूँ। अत: मैं निर्णय कर सकता हूँ कि हर एक व्यक्ति को क्या मिलना चाहिये मैं हर एक व्यक्ति को उसके लिये ठीक भुगतान कर सकता हूँ जो वह करता है। 11 कभी कभी एक चिड़िया उस अंडे से बच्चा निकालती है जिसे उसने नहीं दिया। वह व्यक्ति जो धन के लिये ठगता है, उस चिड़िया के समान है। जब उस व्यक्ति की आधी आयु समाप्त होगी तो वह उस धन को खो देगा। अपने जीवन के अन्त में यह स्पष्ट हो जाएगा कि वह एक मूर्ख व्यक्ति था।” 12 आरम्भ ही से हमारा मन्दिर परमेश्वर के लिये एक गौरवशाली सिंहासन था। यह एक बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। 13 हे यहोवा, तू इस्राएल की आशा है। हे यहोवा, तू अमृत जल के सोते के समान है। यदि कोई तेरा अनुसरण करना छोड़ेगा तो उसका जीवन बहुत घट जाएगा। यिर्मयाह की तीसरी शिकायत 14 हे यहोवा, यदि तू मुझे स्वस्थ करता है, मैं सचमुच स्वस्थ हो जाऊँगा। मेरी रक्षा कर, और मेरी सचमुच रक्षा हो जायेगी। हे यहोवा, मैं तेरी स्तुति करता हूँ! 15 यहूदा के लोग मुझसे प्रश्न करते रहते हैं। वे पूछते रहते हैं, “यिर्मयाह, यहोवा के यहाँ का सन्देश कहाँ है? हम लोग देखें कि सन्देश सत्य प्रमाणित होता है” 16 हे यहोवा, मैं तुझसे दूर नहीं भागा, मैंने तेरा अनुसरण किया है। तूने जैसा चाहा वैसा गडेरिया मैं बना। मैं नहीं चाहता कि भयंकर दिन आएं। यहोवा तू जानता है जो कुछ मैंने कहा। जो हो रहा है, तू सब देखता है। 17 हे यहोवा, तू मुझे नष्ट न कर। मैं विपत्ति के दिनों में तेरा आश्रित हूँ। 18 लोग मुझे चोट पहुँचा रहे हैं। उन लोगों को लज्जित कर। किन्तु मुझे निराश न कर। उन लोगों को भयभीत होने दो। किन्तु मुझे भयभीत न कर। मेरे शत्रुओं पर भयंकर विनाश का दिन ला उन्हें तोड़ और उन्हें फिर तोड़। सब्त दिवस को पवित्र रखना 19 यहोवा ने मुझसे ये बातें कहीं, “यिर्मयाह, जाओ और यरूशलेम के जन—द्वार पर खड़े हो जाओ, जहाँ से यहूदा के राजा अन्दर आते और बाहर जाते हैं। मेरे लोगों को मेरा सन्देश दो और तब यरूशलेम के अन्य सभी द्वारों पर जाओ और यही काम करो।” 20 उन लोगों से कहो: “यहोवा के सन्देश को सुनो। यहूदा के राजाओं, सुनो। यहूदा के तुम सभी लोगों, सुनो। इस द्वार से यरूशलेम में आने वाले सभी लोगों, मेरी बात सुनो। 21 यहोवा यह बात कहता है: इस बात में सावधान रहो कि सब्त के दिन सिर पर बोझ लेकर न चलो और सब्त के दिन यरूशलेम के द्वारों से बोझ न लाओ। 22 सब्त के दिन अपने घरों से बोझ बाहर न ले जाओ। उस दिन कोई काम न करो। मैंने यही आदेश तुम्हारे पूर्वजों को दिया था। 23 किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरे इस आदेश का पालन नहीं किया। उन्होंने मेरी ओर ध्यान नहीं दिया। तुम्हारे पूर्वज बहुत हठी थे। मैंने उन्हें दण्ड दिया किन्तु इसका कोई अच्छा फल नहीं निकला। उन्होंने मेरी एक न सुनी। 24 किन्तु तुम्हें मेरी आज्ञा का पालन करने में सावधान रहना चाहिये।” यह सन्देश यहोवा का है। “तुम्हें सब्त के दिन यरूशलेम के द्वारों से बोझ नहीं लाना चाहिये। तुम्हें सब्त के दिन को पवित्र दिन बनाना चाहिये। तुम, उस दिन कोई भी काम नहीं करोगे। 25 “ ‘यदि तुम इस आदेश का पालन करोगे तो राजा जो दाऊद के सिंहासन पर बैठेंगे, यरूशलेम के द्वारों से आएंगे। वे राजा अपने रथों और घोड़ों पर सवार होकर आएंगे। यहूदा और इस्राएल के लोगों के प्रमुख उन राजाओं के साथ होंगे। यरूशलेम नगर में सदैव रहने वाले लोग यहाँ होंगे। 26 यहूदा के नगरों से लोग यरूशलेम आएंगे। लोग यरूशलेम को उन छोटे गाँवों से आएंगे जो इसके चारों ओर हैं। लोग उस प्रदेश से आएंगे जहाँ बिन्यामीन का परिवार समूह रहता है। लोग पश्चिमी पहाड़ की तराइयों तथा पहाड़ी प्रदेशों से आएंगे और लोग नेगव से आएंगे। वे सभी लोग होमबलि, बलि, अन्नबलि, सुगन्धि और धन्यवाद भेंट लेकर आएंगे। वे उन भेंटों और बलियों को यहोवा के मन्दिर को लाएंगे। 27 “ ‘किन्तु यदि तुम मेरी बात नहीं सुनते और मेरे आदेश को नहीं मानते तो बुरी घटनायें होंगी। यदि तुम सब्त के दिन यरूशलेम के द्वार से बोझ ले जाते हो तब तुम उसे पवित्र दिन नहीं रखते। इस दशा में मैं ऐसे आग लगाऊँगा जो बुझाई नहीं जा सकती। वह आग यरूशलेम के द्वारों से आरम्भ होगी और महलों को भी जला देगी।”
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