पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यिर्मयाह
1. {आशा के प्रतिज्ञाएं} [PS] यह सन्देश यहोवा का है जो यिर्मयाह को मिले।
2. इस्राएल के लोगों के परमेश्वर यहोवा ने यह कहा, “यिर्मयाह, मैंने जो सन्देश दिये है, उन्हें एक पुस्तक में लिख डालो। इस पुस्तक को अपने लिये लिखो।”
3. यह सन्देश यहोवा का है। “यह करो, क्योंकि वे दिन आएंगे जब मैं अपने लोगों इस्राएल और यहूदा को देश निकाले से वापस लाऊँगा।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैं उन लोगों को उस देश में वापस लाऊँगा जिसे मैंने उनके पूर्वजों को दिया था। तब मेरे लोग उस देश को फिर अपना बनायेंगे।” [PE][PS]
4. यहोवा ने यह सन्देश इस्राएल और यहूदा के लोगों के बारे में दिया।
5. यहोवा ने जो कहा, वह यह है: “हम भय से रोते लोगों का रोना सुनते हैं! [QBR2] लोग भयभीत हैं! कहीं शान्ति नहीं!
6. “यह प्रश्न पूछो इस पर विचार करो: [QBR2] क्या कोई पुरुष बच्चे को जन्म दे सकता है निश्चय ही नही! [QBR] तब मैं हर एक शक्तिशाली व्यक्ति को पेट पकड़े क्यों देखता हूँ [QBR2] मानों वे प्रसव करने वाली स्त्री की पीड़ा सह रहे हो [QBR] क्यों हर एक व्यक्ति का मुख शव सा सफेद हो रहा है [QBR2] क्यों? क्योंकि लोग अत्यन्त भयभीत हैं।
7. “यह याकूब के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण समय है। [QBR2] यह बड़ी विपत्ति का समय है। [QBR] इस प्रकार का समय फिर कभी नहीं आएगा। [QBR2] किन्तु याकूब बच जायेगा।” [PS]
8. यह सन्देश सर्वशक्तिमान यहोवा का है: “उस समय, मैं इस्राएल और यहूदा के लोगों की गर्दन से जुवे को तोड़ डालूँगा और तुम्हें जकड़ने वाली रस्सियों को मैं तोड़ दूँगा। विदेशों के लोग मेरे लोगों को फिर कभी दास होने के लिये विवश नहीं करेंगे।
9. इस्राएल और यहूदा के लोग अन्य देशों की भी सेवा नहीं करेंगे। नहीं, वे तो अपने परमेश्वर यहोवा की सेवा करेंगे और वे अपने राजा दाऊद की सेवा करेंगे। मैं उस राजा को उनके पास भेजूँगा।
10. “अत: मेरे सेवक याकूब डरो नहीं।” [QBR2] यह सन्देश यहोवा का है। [QBR] “इस्राएल, डरो नहीं। [QBR2] मैं उस अति दूर के स्थान से तुम्हें बचाऊँगा। [QBR] तुम उस बहुत दूर के देश में बन्दी हो, [QBR2] किन्तु मैं तुम्हारे वंशजों को [QBR2] उस देश से बचाऊँगा। [QBR] याकूब फिर शान्ति पाएगा। [QBR2] याकूब को लोग तंग नहीं करेंगे। [QBR2] मेरे लोगों को भयभीत करने वाला कोई शत्रु नहीं होगा। [QBR]
11. इस्राएल और यहूदा के लोगों, मैं तुम्हारे साथ हूँ।” [QBR2] यह सन्देश यहोवा का है, “और मैं तुम्हें बचाऊँगा। [QBR] मैंने तुम्हें उन राष्ट्रों में भेजा। [QBR2] किन्तु मैं उन सभी राष्ट्रों को पूरी तरह नष्ट कर दूँगा। [QBR] यह सत्य है कि मैं उन राष्ट्रों को नष्ट करुँगा। [QBR2] किन्तु मैं तुम्हें नष्ट नहीं करुँगा। [QBR] तुम्हें उन बुरे कामों का जरूर दण्ड मिलेगा जिन्हें तुमने किये। [QBR2] किन्तु मैं तुम्हें अच्छी प्रकार से अनुशासित करूँगा।”
12. यहोवा कहता है, “इस्राएल और यहूदा के तुम लोगों को एक घाव [QBR] है जो अच्छा नहीं किया जा सकता। [QBR2] तुम्हें एक चोट है जो अच्छी नहीं हो सकती। [QBR]
13. तुम्हारे घावों को ठीक करने वाला कोई व्यक्ति नहीं है। [QBR2] अत: तुम स्वस्थ नहीं हो सकते। [QBR]
14. तुम अनेक राष्ट्रों के मित्र बने हो, [QBR2] किन्तु वे राष्ट्र तुम्हारी परवाह नहीं करते। [QBR] तुम्हारे मित्र तुम्हें भूल गए हैं। [QBR2] मैंने तुम्हें शत्रु जैसी चोट पहुँचाई। [QBR] मैंने तुम्हें कठोर दण्ड दिया। [QBR2] मैंने यह तुम्हारे बड़े अपराध के लिये किया। [QBR]
15. इस्राएल और यहूदा तुम अपने घाव के बारे में क्यों चिल्ला रहे हो तुम्हारा घाव कष्टकर है [QBR2] और इसका कोई उपचार नहीं है। [QBR] मैंने अर्थात् यहोवा ने तुम्हारे बड़े अपराधों के कारण तुम्हें यह सब किया। [QBR2] मैंने ये चीजें तुम्हारे अनेक पापों के कारण कीं। [QBR]
16. उन राष्ट्रों ने तुम्हें नष्ट किया। [QBR2] किन्तु अब वे राष्ट्र नष्ट किये जायेंगे। [QBR2] इस्राएल और यहूदा तुम्हारे शत्रु बन्दी होंगे। [QBR] उन लोगों ने तुम्हारी चीज़ें चुराई। [QBR2] किन्तु अन्य लोग उनकी चीज़ें चुराएंगे। [QBR] उन लोगों ने तुम्हारी चीज़ें युद्ध में लीं। [QBR2] किन्तु अन्य लोग उनसे चीज़ें युद्ध में लेंगे। [QBR]
17. मैं तुम्हारे स्वास्थ को लौटाऊँगा और मैं तुम्हारे घावों को भरूँगा।” [QBR2] यह सन्देश यहोवा का है। [QBR] “क्यों क्योंकि अन्य लोगों ने कहा कि तुम जाति—बहिष्कृत हो। [QBR2] उन लोगों ने कहा, ‘कोई भी सिय्योन की परवाह नहीं करता।’ ”
18. यहोवा कहता है: [QBR] “याकूब के लोग अब बन्दी हैं। [QBR2] किन्तु वे वापस आएंगे। [QBR2] और मैं याकूब के परिवारों पर दया करूँगा। [QBR] नगर अब बरबाद इमारतों से ढका एक पहाड़ी मात्र है। [QBR2] किन्तु यह नगर फिर बनेगा [QBR2] और राजा का महल भी वहाँ फिर बनेगा जहाँ इसे होना चाहिये। [QBR]
19. उन स्थानों पर लोग स्तुतिगान करेंगे। [QBR2] वहाँ हँसी ठट्ठा भी सुनाई पड़ेगा। [QBR] मैं उन्हें बहुत सी सन्तानें दूँगा। [QBR2] इस्राएल और यहूदा छोटे नहीं रहेंगे। [QBR] मैं उन्हें सम्मान दूँगा। [QBR2] कोई व्यक्ति उनका अनादर नहीं करेगा। [QBR]
20. याकूब का परिवार प्राचीन काल के परिवारों सा होगा। [QBR2] मैं इस्राएल और यहूदा के लोगों को शक्तिशाली बनाऊँगा [QBR2] और मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा जो उन पर चोट करेंगे। [QBR]
21. उन्हीं में से एक उनका अगुवा होगा। [QBR] वह शासक मेरे लोगों में से होगा। [QBR2] वह मेरे नजदीक तब आएंगे जब मैं उनसे ऐसा करने को कहूँगा। [QBR] अत: मैं उस अगुवा को अपने पास बुलाऊँगा [QBR2] और वह मेरे निकट होगा। [QBR]
22. तुम मेरे लोग होगे [QBR2] और मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊँगा।”
23. यहोवा बहुत क्रोधित था। [QBR2] उसने लोगों को दण्ड दिया [QBR] और दण्ड प्रचंड आंधी की तरह आया। [QBR2] दण्ड एक चक्रवात सा, दुष्ट लोगों के विरुद्ध आया। [QBR]
24. यहोवा तब तक क्रोधित रहेगा [QBR2] जब तक वे लोगों को दण्ड देना पूरा नहीं करता [QBR] वह तब तक क्रोधित रहेगा जब तक वह अपनी योजना के अनुसार दण्ड नहीं दे लेता। [QBR2] जब वह दिन आएगा तो यहूदा के लोगों, तुम समझ जाओगे। [PE]

Notes

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यिर्मयाह 30:22
आशा के प्रतिज्ञाएं 1 यह सन्देश यहोवा का है जो यिर्मयाह को मिले। 2 इस्राएल के लोगों के परमेश्वर यहोवा ने यह कहा, “यिर्मयाह, मैंने जो सन्देश दिये है, उन्हें एक पुस्तक में लिख डालो। इस पुस्तक को अपने लिये लिखो।” 3 यह सन्देश यहोवा का है। “यह करो, क्योंकि वे दिन आएंगे जब मैं अपने लोगों इस्राएल और यहूदा को देश निकाले से वापस लाऊँगा।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैं उन लोगों को उस देश में वापस लाऊँगा जिसे मैंने उनके पूर्वजों को दिया था। तब मेरे लोग उस देश को फिर अपना बनायेंगे।” 4 यहोवा ने यह सन्देश इस्राएल और यहूदा के लोगों के बारे में दिया। 5 यहोवा ने जो कहा, वह यह है: “हम भय से रोते लोगों का रोना सुनते हैं! लोग भयभीत हैं! कहीं शान्ति नहीं! 6 “यह प्रश्न पूछो इस पर विचार करो: क्या कोई पुरुष बच्चे को जन्म दे सकता है निश्चय ही नही! तब मैं हर एक शक्तिशाली व्यक्ति को पेट पकड़े क्यों देखता हूँ मानों वे प्रसव करने वाली स्त्री की पीड़ा सह रहे हो क्यों हर एक व्यक्ति का मुख शव सा सफेद हो रहा है क्यों? क्योंकि लोग अत्यन्त भयभीत हैं। 7 “यह याकूब के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण समय है। यह बड़ी विपत्ति का समय है। इस प्रकार का समय फिर कभी नहीं आएगा। किन्तु याकूब बच जायेगा।” 8 यह सन्देश सर्वशक्तिमान यहोवा का है: “उस समय, मैं इस्राएल और यहूदा के लोगों की गर्दन से जुवे को तोड़ डालूँगा और तुम्हें जकड़ने वाली रस्सियों को मैं तोड़ दूँगा। विदेशों के लोग मेरे लोगों को फिर कभी दास होने के लिये विवश नहीं करेंगे। 9 इस्राएल और यहूदा के लोग अन्य देशों की भी सेवा नहीं करेंगे। नहीं, वे तो अपने परमेश्वर यहोवा की सेवा करेंगे और वे अपने राजा दाऊद की सेवा करेंगे। मैं उस राजा को उनके पास भेजूँगा। 10 “अत: मेरे सेवक याकूब डरो नहीं।” यह सन्देश यहोवा का है। “इस्राएल, डरो नहीं। मैं उस अति दूर के स्थान से तुम्हें बचाऊँगा। तुम उस बहुत दूर के देश में बन्दी हो, किन्तु मैं तुम्हारे वंशजों को उस देश से बचाऊँगा। याकूब फिर शान्ति पाएगा। याकूब को लोग तंग नहीं करेंगे। मेरे लोगों को भयभीत करने वाला कोई शत्रु नहीं होगा। 11 इस्राएल और यहूदा के लोगों, मैं तुम्हारे साथ हूँ।” यह सन्देश यहोवा का है, “और मैं तुम्हें बचाऊँगा। मैंने तुम्हें उन राष्ट्रों में भेजा। किन्तु मैं उन सभी राष्ट्रों को पूरी तरह नष्ट कर दूँगा। यह सत्य है कि मैं उन राष्ट्रों को नष्ट करुँगा। किन्तु मैं तुम्हें नष्ट नहीं करुँगा। तुम्हें उन बुरे कामों का जरूर दण्ड मिलेगा जिन्हें तुमने किये। किन्तु मैं तुम्हें अच्छी प्रकार से अनुशासित करूँगा।” 12 यहोवा कहता है, “इस्राएल और यहूदा के तुम लोगों को एक घाव है जो अच्छा नहीं किया जा सकता। तुम्हें एक चोट है जो अच्छी नहीं हो सकती। 13 तुम्हारे घावों को ठीक करने वाला कोई व्यक्ति नहीं है। अत: तुम स्वस्थ नहीं हो सकते। 14 तुम अनेक राष्ट्रों के मित्र बने हो, किन्तु वे राष्ट्र तुम्हारी परवाह नहीं करते। तुम्हारे मित्र तुम्हें भूल गए हैं। मैंने तुम्हें शत्रु जैसी चोट पहुँचाई। मैंने तुम्हें कठोर दण्ड दिया। मैंने यह तुम्हारे बड़े अपराध के लिये किया। 15 इस्राएल और यहूदा तुम अपने घाव के बारे में क्यों चिल्ला रहे हो तुम्हारा घाव कष्टकर है और इसका कोई उपचार नहीं है। मैंने अर्थात् यहोवा ने तुम्हारे बड़े अपराधों के कारण तुम्हें यह सब किया। मैंने ये चीजें तुम्हारे अनेक पापों के कारण कीं। 16 उन राष्ट्रों ने तुम्हें नष्ट किया। किन्तु अब वे राष्ट्र नष्ट किये जायेंगे। इस्राएल और यहूदा तुम्हारे शत्रु बन्दी होंगे। उन लोगों ने तुम्हारी चीज़ें चुराई। किन्तु अन्य लोग उनकी चीज़ें चुराएंगे। उन लोगों ने तुम्हारी चीज़ें युद्ध में लीं। किन्तु अन्य लोग उनसे चीज़ें युद्ध में लेंगे। 17 मैं तुम्हारे स्वास्थ को लौटाऊँगा और मैं तुम्हारे घावों को भरूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है। “क्यों क्योंकि अन्य लोगों ने कहा कि तुम जाति—बहिष्कृत हो। उन लोगों ने कहा, ‘कोई भी सिय्योन की परवाह नहीं करता।’ ” 18 यहोवा कहता है: “याकूब के लोग अब बन्दी हैं। किन्तु वे वापस आएंगे। और मैं याकूब के परिवारों पर दया करूँगा। नगर अब बरबाद इमारतों से ढका एक पहाड़ी मात्र है। किन्तु यह नगर फिर बनेगा और राजा का महल भी वहाँ फिर बनेगा जहाँ इसे होना चाहिये। 19 उन स्थानों पर लोग स्तुतिगान करेंगे। वहाँ हँसी ठट्ठा भी सुनाई पड़ेगा। मैं उन्हें बहुत सी सन्तानें दूँगा। इस्राएल और यहूदा छोटे नहीं रहेंगे। मैं उन्हें सम्मान दूँगा। कोई व्यक्ति उनका अनादर नहीं करेगा। 20 याकूब का परिवार प्राचीन काल के परिवारों सा होगा। मैं इस्राएल और यहूदा के लोगों को शक्तिशाली बनाऊँगा और मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा जो उन पर चोट करेंगे। 21 उन्हीं में से एक उनका अगुवा होगा। वह शासक मेरे लोगों में से होगा। वह मेरे नजदीक तब आएंगे जब मैं उनसे ऐसा करने को कहूँगा। अत: मैं उस अगुवा को अपने पास बुलाऊँगा और वह मेरे निकट होगा। 22 तुम मेरे लोग होगे और मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊँगा।” 23 यहोवा बहुत क्रोधित था। उसने लोगों को दण्ड दिया और दण्ड प्रचंड आंधी की तरह आया। दण्ड एक चक्रवात सा, दुष्ट लोगों के विरुद्ध आया। 24 यहोवा तब तक क्रोधित रहेगा जब तक वे लोगों को दण्ड देना पूरा नहीं करता वह तब तक क्रोधित रहेगा जब तक वह अपनी योजना के अनुसार दण्ड नहीं दे लेता। जब वह दिन आएगा तो यहूदा के लोगों, तुम समझ जाओगे।
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