पवित्र बाइबिल

ऐसी तो रीड वर्शन (ESV)
यिर्मयाह
1. [PS]यह सन्देश यहोवा का है: “उस समय लोग यहूदा के राजाओं और प्रमुख शासकों की हड्डियों को उनके कब्रों से निकाल लेंगे। वे याजकों और नबियों की हड्डियों को उनके कब्रों से ले लेंगे। वे यरूशलेम के सभी लोगों के कब्रों से हड्डियाँ निकाल लेंगे।
2. वे लोग उन हड्डियों को सूर्य, चन्द्र और तारों की पूजा के लिये नीचे जमीन पर फैलायेंगे। यरूशलेम के लोग सूर्य, चन्द्र और तारों की पूजा से प्रेम करते हैं। कोई भी व्यक्ति उन हड्डियाँ को इकट्ठा नहीं करेगा और न ही उन्हें फिर दफनायेगा। अत: उन लोगों की हड्डियाँ गोबर की तरह जमीन पर पड़ी रहेंगी। [PE]
3.
4. [PS]“मैं यहूदा के लोगों को अपना घर और प्रदेश छोड़ने पर विवश करूँगा। लोग विदेशों में ले जाए जाएंगे। यहूदा के वे कुछ लोग जो युद्ध में नहीं मारे जा सके, चाहेंगे कि वे मार डाले गए होते।” यह सन्देश यहोवा का है। [PE]{#1पाप और दण्ड } [PS]यिर्मयाह, यहूदा के लोगों से यह कहो कि यहोवा यह सब कहता है, [PE][PBR] [QS]“ ‘तुम यह जानते हो कि जो व्यक्ति गिरता है [QE][QS2]वह फिर उठता है। [QE][QS]और यदि कोई व्यक्ति गलत राह पर चलता है [QE][QS2]तो वह चारों ओर से घूम कर लौट आता है। [QE]
5. [QS]यहूदा के लोग गलत राह चले गए हैं। [QE][QS]किन्तु यरूशलेम के वे लोग गलत राह चलते ही क्यों जा रहे हैं [QE][QS]वे अपने झूठ में विश्वास रखते हैं। [QE][QS2]वे मुड़ने तथा लौटने से इन्कार करते हैं। [QE]
6. [QS]मैंने उनको ध्यान से सुना है, [QE][QS2]किन्तु वे वह नहीं कहते जो सत्य है। [QE][QS]लोग अपने पाप के लिये पछताते नहीं। [QE][QS2]लोग उन बुरे कामों पर विचार नहीं करते जिन्हें उन्होंने किये हैं। [QE][QS]परत्येक अपने मार्ग पर वैसे ही चला जा रहा है। [QE][QS2]वे युद्ध में दौड़ते हुए घोड़ों के समान हैं। [QE]
7. [QS]आकाश के पक्षी भी काम करने का ठीक समय जानते हैं। [QE][QS2]सारस, कबूतर, खन्जन और मैना भी जानते हैं [QE][QS]कि कब उनको अपने नये घर में उड़ कर जाना है। [QE][QS2]किन्तु मेरे लोग नहीं जानते कि [QE][QS]यहोवा उनसे क्या कराना चाहता है। [QE][PBR]
8. [QS]“ ‘तुम कहते रहते हो, “हमे यहोवा की शिक्षा मिली है। [QE][QS2]अत: हम बुद्धिमान हैं!” [QE][QS]किन्तु यह सत्य नहीं! क्योंकि शास्त्रियों ने अपनी लेखनी से झूठ उगला है। [QE]
9. [QS]उन “चतुर लोगों” ने यहोवा की शिक्षा अनसुनी की है अत: [QE][QS2]सचमुच वे वास्तव में बुद्धिमान लोग नहीं हैं। [QE][QS]वे “चतुर लोग” जाल में फँसाये गए। [QE][QS2]वे काँप उठे और लज्जित हुए। [QE]
10. [QS]अत: मैं उनकी पत्नियों को अन्य लोगों को दूँगा। [QE][QS2]मैं उनके खेत को नये मालिकों को दे दूँगा। [QE][QS]इस्राएल के सभी लोग अधिक से अधिक धन चाहते हैं। [QE][QS2]छोटे से लेकर बड़े से बड़े सभी लोग उसी तरह के हैं। [QE][QS2]सभी लोग नबी से लेकर याजक तक सब झूठ बोलते हैं। [QE]
11. [QS]नबी और याजक हमारे लोगों के घावों को भरने का प्रयत्न ऐसे करते हैं [QE][QS2]मानों वे छोटे से घाव हों। [QE][QS]वे कहते हैं, “यह बिल्कुल ठीक है, यह बिल्कुल ठीक है।” [QE][QS2]किन्तु यह बिल्कुल ठीक नहीं। [QE]
12. [QS]उन लोगों को अपने किये बुरे कामों के लिये लज्जित होना चाहिये। [QE][QS2]किन्तु वे बिल्कुल लज्जित नहीं। [QE][QS]उन्हें इतना भी ज्ञान नहीं कि उन्हें अपने पापों के लिये ग्लानि हो सके अत: [QE][QS2]वे अन्य सभी के साथ दण्ड पायेंगे। [QE][QS]मैं उन्हें दण्ड दूँगा और जमीन पर फेंक दूँगा।’ ” [QE][QS2]ये बातें यहोवा ने कहीं। [QE]
13. [QS]“ ‘मैं उनके फल और फसलें ले लूँगा जिससे उनके यहाँ कोई पकी फसल नहीं होगी। [QE][QS2]अंगूर की बेलों में कोई अंगूर नहीं होंगे। [QE][QS]अंजीर के पेड़ों पर कोई अंजीर नहीं होगा। [QE][QS2]यहाँ तक कि पत्तियाँ सूखेंगी और मर जाएंगी। [QE][QS]मैं उन चीज़ों को ले लूँगा जिन्हें मैंने उन्हें दे दी थी।’ ” [QE][PBR]
14. [QS]“ ‘हम यहाँ खाली क्यों बैठे हैं आओ, दृढ़ नगरों को भाग निकलो। [QE][QS2]यदि हमारा परमेश्वर यहोवा हमें मारने ही जा रहा है, तो हम वहीं मरें। [QE][QS]हमने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है अत: परमेश्वर ने हमें पीने को जहरीला पानी दिया है। [QE]
15. [QS]हम शान्ति की आशा करते थे, किन्तु कुछ भी अच्छा न हो सका। [QE][QS2]हम ऐसे समय की आशा करते हैं, जब वह क्षमा कर देगा किन्तु केवल विपत्ति ही आ पड़ी है। [QE]
16. [QS]दान के परिवार समूह के प्रदेश से [QE][QS2]हम शत्रु के घोड़ों के नथनों के फड़फड़ाने की आवाज सुनते हैं, [QE][QS]उनकी टापों से पृथ्वी काँप उठी है, [QE][QS2]वे प्रदेश और इसमें की सारी चीज़ों को नष्ट करने आए है। [QE][QS]वे नगर और इसके निवासी सभी लोगों को जो वहाँ रहते हैं, [QE][QS2]नष्ट करने आए हैं।’ ” [QE][PBR]
17. [QS]“यहूदा के लोगों, मैं तुम्हें डसने को विषैले साँप भेज रहा हूँ। [QE][QS2]उन साँपों को सम्मोहित नहीं किया जा सकता। [QE][QS]वे ही साँप तुम्हें डसेंगे।” [QE][QS2]यह सन्देश यहोवा का है। [QE][PBR]
18. [QS]परमेश्वर, मैं बहुत दु:खी और भयभीत हूँ। [QE]
19. [QS]मेरे लोगों की सुन। [QE][QS2]इस देश में वे चारों ओर सहायता के लिए पुकार रहे हैं। [QE][QS]वे कहते हैं, “क्या यहोवा अब भी सिय्योन में है? [QE][QS2]क्या सिय्योन के राजा अब भी वहाँ है?” [QE][PBR] [QS]किन्तु परमेश्वर कहता है, [QE][QS]“यहूदा के लोग, अपनी देव मूर्तियों की पूजा करके [QE][QS2]मुझे क्रोधित क्यों करते हैं, [QE][QS2]उन्होंने अपने व्यर्थ विदेशी देव मूर्तियों की पूजा की है।” [QE]
20. [QS]लोग कहते हैं, [QE][QS2]“फसल काटने का समय गया। [QE][QS]बसन्त गया [QE][QS2]और हम बचाये न जा सके।” [QE][PBR]
21. [QS]मेरे लोग बीमार है, अत: मैं बीमार हूँ। [QE][QS2]मैं इन बीमार लोगों की चिन्ता में दुःखी और निराश हूँ। [QE]
22. [QS]निश्चय ही, गिलाद प्रदेश में कुछ दवा है। [QE][QS2]निश्चय ही गिलाद प्रदेश में वैद्य है। [QE][QS2]तो भी मेरे लोगों के घाव क्यों अच्छे नहीं होते? [QE][PBR]
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1 यह सन्देश यहोवा का है: “उस समय लोग यहूदा के राजाओं और प्रमुख शासकों की हड्डियों को उनके कब्रों से निकाल लेंगे। वे याजकों और नबियों की हड्डियों को उनके कब्रों से ले लेंगे। वे यरूशलेम के सभी लोगों के कब्रों से हड्डियाँ निकाल लेंगे। 2 वे लोग उन हड्डियों को सूर्य, चन्द्र और तारों की पूजा के लिये नीचे जमीन पर फैलायेंगे। यरूशलेम के लोग सूर्य, चन्द्र और तारों की पूजा से प्रेम करते हैं। कोई भी व्यक्ति उन हड्डियाँ को इकट्ठा नहीं करेगा और न ही उन्हें फिर दफनायेगा। अत: उन लोगों की हड्डियाँ गोबर की तरह जमीन पर पड़ी रहेंगी। 3 4 “मैं यहूदा के लोगों को अपना घर और प्रदेश छोड़ने पर विवश करूँगा। लोग विदेशों में ले जाए जाएंगे। यहूदा के वे कुछ लोग जो युद्ध में नहीं मारे जा सके, चाहेंगे कि वे मार डाले गए होते।” यह सन्देश यहोवा का है। पाप और दण्ड यिर्मयाह, यहूदा के लोगों से यह कहो कि यहोवा यह सब कहता है, “ ‘तुम यह जानते हो कि जो व्यक्ति गिरता है वह फिर उठता है। और यदि कोई व्यक्ति गलत राह पर चलता है तो वह चारों ओर से घूम कर लौट आता है। 5 यहूदा के लोग गलत राह चले गए हैं। किन्तु यरूशलेम के वे लोग गलत राह चलते ही क्यों जा रहे हैं वे अपने झूठ में विश्वास रखते हैं। वे मुड़ने तथा लौटने से इन्कार करते हैं। 6 मैंने उनको ध्यान से सुना है, किन्तु वे वह नहीं कहते जो सत्य है। लोग अपने पाप के लिये पछताते नहीं। लोग उन बुरे कामों पर विचार नहीं करते जिन्हें उन्होंने किये हैं। परत्येक अपने मार्ग पर वैसे ही चला जा रहा है। वे युद्ध में दौड़ते हुए घोड़ों के समान हैं। 7 आकाश के पक्षी भी काम करने का ठीक समय जानते हैं। सारस, कबूतर, खन्जन और मैना भी जानते हैं कि कब उनको अपने नये घर में उड़ कर जाना है। किन्तु मेरे लोग नहीं जानते कि यहोवा उनसे क्या कराना चाहता है। 8 “ ‘तुम कहते रहते हो, “हमे यहोवा की शिक्षा मिली है। अत: हम बुद्धिमान हैं!” किन्तु यह सत्य नहीं! क्योंकि शास्त्रियों ने अपनी लेखनी से झूठ उगला है। 9 उन “चतुर लोगों” ने यहोवा की शिक्षा अनसुनी की है अत: सचमुच वे वास्तव में बुद्धिमान लोग नहीं हैं। वे “चतुर लोग” जाल में फँसाये गए। वे काँप उठे और लज्जित हुए। 10 अत: मैं उनकी पत्नियों को अन्य लोगों को दूँगा। मैं उनके खेत को नये मालिकों को दे दूँगा। इस्राएल के सभी लोग अधिक से अधिक धन चाहते हैं। छोटे से लेकर बड़े से बड़े सभी लोग उसी तरह के हैं। सभी लोग नबी से लेकर याजक तक सब झूठ बोलते हैं। 11 नबी और याजक हमारे लोगों के घावों को भरने का प्रयत्न ऐसे करते हैं मानों वे छोटे से घाव हों। वे कहते हैं, “यह बिल्कुल ठीक है, यह बिल्कुल ठीक है।” किन्तु यह बिल्कुल ठीक नहीं। 12 उन लोगों को अपने किये बुरे कामों के लिये लज्जित होना चाहिये। किन्तु वे बिल्कुल लज्जित नहीं। उन्हें इतना भी ज्ञान नहीं कि उन्हें अपने पापों के लिये ग्लानि हो सके अत: वे अन्य सभी के साथ दण्ड पायेंगे। मैं उन्हें दण्ड दूँगा और जमीन पर फेंक दूँगा।’ ” ये बातें यहोवा ने कहीं। 13 “ ‘मैं उनके फल और फसलें ले लूँगा जिससे उनके यहाँ कोई पकी फसल नहीं होगी। अंगूर की बेलों में कोई अंगूर नहीं होंगे। अंजीर के पेड़ों पर कोई अंजीर नहीं होगा। यहाँ तक कि पत्तियाँ सूखेंगी और मर जाएंगी। मैं उन चीज़ों को ले लूँगा जिन्हें मैंने उन्हें दे दी थी।’ ” 14 “ ‘हम यहाँ खाली क्यों बैठे हैं आओ, दृढ़ नगरों को भाग निकलो। यदि हमारा परमेश्वर यहोवा हमें मारने ही जा रहा है, तो हम वहीं मरें। हमने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है अत: परमेश्वर ने हमें पीने को जहरीला पानी दिया है। 15 हम शान्ति की आशा करते थे, किन्तु कुछ भी अच्छा न हो सका। हम ऐसे समय की आशा करते हैं, जब वह क्षमा कर देगा किन्तु केवल विपत्ति ही आ पड़ी है। 16 दान के परिवार समूह के प्रदेश से हम शत्रु के घोड़ों के नथनों के फड़फड़ाने की आवाज सुनते हैं, उनकी टापों से पृथ्वी काँप उठी है, वे प्रदेश और इसमें की सारी चीज़ों को नष्ट करने आए है। वे नगर और इसके निवासी सभी लोगों को जो वहाँ रहते हैं, नष्ट करने आए हैं।’ ” 17 “यहूदा के लोगों, मैं तुम्हें डसने को विषैले साँप भेज रहा हूँ। उन साँपों को सम्मोहित नहीं किया जा सकता। वे ही साँप तुम्हें डसेंगे।” यह सन्देश यहोवा का है। 18 परमेश्वर, मैं बहुत दु:खी और भयभीत हूँ। 19 मेरे लोगों की सुन। इस देश में वे चारों ओर सहायता के लिए पुकार रहे हैं। वे कहते हैं, “क्या यहोवा अब भी सिय्योन में है? क्या सिय्योन के राजा अब भी वहाँ है?” किन्तु परमेश्वर कहता है, “यहूदा के लोग, अपनी देव मूर्तियों की पूजा करके मुझे क्रोधित क्यों करते हैं, उन्होंने अपने व्यर्थ विदेशी देव मूर्तियों की पूजा की है।” 20 लोग कहते हैं, “फसल काटने का समय गया। बसन्त गया और हम बचाये न जा सके।” 21 मेरे लोग बीमार है, अत: मैं बीमार हूँ। मैं इन बीमार लोगों की चिन्ता में दुःखी और निराश हूँ। 22 निश्चय ही, गिलाद प्रदेश में कुछ दवा है। निश्चय ही गिलाद प्रदेश में वैद्य है। तो भी मेरे लोगों के घाव क्यों अच्छे नहीं होते?
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