पवित्र बाइबिल

भगवान का अनुग्रह उपहार
यिर्मयाह
1. यदि मेरा सिर पानी से भरा होता, [QBR2] और मेरी आँखें आँसू का झरना होतीं तो मैं अपने नष्ट किये गए [QBR2] लोगों के लिए दिन रात रोता रहता।
2. यदि मुझे मरुभूमि में रहने का स्थान मिल गया होता [QBR2] जहाँ किसी घर में यात्री रात बिताते, तो मैं अपने लोगों को छोड़ सकता था। [QBR] मैं उन लोगों से दूर चला जा सकता था। [QBR2] क्यों क्योंकि वे सभी परमेश्वर के विश्वासघाती व व्यभिचारी हो गए हैं, वे सभी उसके विरुद्ध हो रहे हैं।
3. “वे लोग अपनी जीभ का उपयोग धनुष जैसा करते हैं, [QBR2] उनके मुख से झूठ बाण के समान छूटते हैं। [QBR] पूरे देश में सत्य नहीं। झूठ प्रबल हो गया है, वे लोग एक पाप से दूसरे पाप करते जाते हैं। [QBR2] वे मुझे नहीं जानते।” यहोवा ने ये बातें कहीं।
4. “अपने पड़ोसियों से सतर्क रहो, अपने निज भाइयों पर भी विश्वास न करो। [QBR2] क्यों क्योंकि हर एक भाई ठग हो गया है। [QBR] हर पड़ोसी तुम्हारे पीठ पीछे बात करता है। [QBR]
5. हर एक व्यक्ति अपने पड़ोसी से झूठ बोलता है। [QBR2] कोई व्यक्ति सत्य नहीं बोलता। [QBR] यहूदा के लोगों ने अपनी जीभ को झूठ बोलने की शिक्षा दी है। [QBR2] उन्होंने तब तक पाप किये जब तक कि वे इतने थके कि लौट न सकें। [QBR]
6. एक बुराई के बाद दूसरी बुराई आई। [QBR2] झूठ के बाद झूठ आया। [QBR] लोगों ने मुझको जानने से इन्कार कर दिया।” [QBR2] यहोवा ने ये बातें कहीं।
7. अत: सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, [QBR2] “मैं यहूदा के लोगों की परीक्षा वैसे ही करूँगा [QBR] जैसे कोई व्यक्ति आग में तपाकर किसी धातु की परीक्षा करता है। [QBR2] मेरे पास अन्य विकल्प नहीं है। [QBR] मेरे लोगों ने पाप किये हैं। [QBR]
8. यहूदा के लोगों की जीभ तेज बाणों की तरह हैं। [QBR2] उनके मुँह से झूठ बरसता है। [QBR] हर एक व्यक्ति अपने पड़ोसी से अच्छा बोलता है। [QBR2] किन्तु वह छिपे अपने पड़ोसी पर आक्रमण करने की योजना बनाता है। [QBR]
9. क्या मुझे यहूदा के लोगों को इन कामों के करने के लिये दण्ड नहीं देना चाहिए” [QBR2] यह सन्देश यहोवा का है। [QBR] “तुम जानते हो कि मुझे इस प्रकार के लोगों को दण्ड देना चाहिए। [QBR2] मैं उनको वह दण्ड दूँगा जिसके वे पात्र हैं।” [QBR]
10. मैं (यिर्मयाह) पर्वतों के लिये फूट फूट कर रोऊँगा। [QBR2] मैं खाली खेतों के लिये शोकगीत गाऊँगा। [QBR] क्यों क्योंकि जीवित वस्तुएँ छीन ली गई। [QBR2] कोई व्यक्ति वहाँ यात्रा नहीं करता। [QBR] उन स्थान पर पशु ध्वनि नहीं सुनाई पड़ सकती। [QBR2] पक्षी उड़ गए हैं और जानवर चले गए हैं। [QBR]
11. “मैं (यहोवा) यरूशलेम नगर को कूड़े का ढेर बना दूँगा। [QBR2] यह गीदड़ों की माँदे बनेगा। [QBR] मैं यहूदा देश के नगरों को नष्ट करूँगा अत: वहाँ कोई भी नहीं रहेगा।” [PS]
12. क्या कोई व्यक्ति ऐसा बुद्धिमान है जो इन बातों को समझ सके क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे यहोवा से शिक्षा मिली है क्या कोई यहोवा के सन्देश की व्य़ाख्य़ा कर सकता है देश क्यों नष्ट हुआ यह एक सूनी मरुभूमि की तरह क्यों कर दिया गया जहाँ कोई भी नहीं जाता
13. यहोवा ने इन प्रश्नों का उत्तर दिया। उसने कहा, “यह इसलिये हुआ कि यहूदा के लोगों ने मेरी शिक्षा पर चलना छोड़ दिया। मैंने उन्हें अपनी शिक्षा दी, किन्तु उन्होंने मेरी सुनने से इन्कार किया। उन्होंने मेरे उपदेशों का अनुसरण नहीं किया।
14. यहूदा के लोग अपनी राह चले, वे हठी रहे। उन्होंने असत्य देवता बाल का अनुसरण किया। उनके पूर्वजों ने उन्हें असत्य देवताओं के अनुसरण करने की शिक्षा दी।” [PE][PS]
15. अत: इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “मैं शीघ्र ही यहूदा के लोगों को कड़वा फल चखाऊँगा। मैं उन्हें जहरीला पानी पिलाऊँगा।
16. मैं यहूदा के लोगों को अन्य राष्ट्रों में बिखेर दूँगा। वे अजनबी राष्ट्रों में रहेंगे। उन्होंने और उनके पूर्वजों ने उन देशों को कभी नहीं जाना। मैं तलवार लिये व्यक्तियों को भेंजूँगा। वे लोग यहूदा के लोगों को मार डालेंगे। वे लोगों को तब तक मारते जाएंगे जब तक वे समाप्त नहीं हो जाएंगे।”
17. सर्वशक्तिमान यहोवा जो कहता है, वह यह है: [QBR2] “अब इन सबके बारे में सोचो। [QBR] अन्त्येष्टि के समय भाड़े पर रोने वाली स्त्रियों को बुलाओ। [QBR2] उन स्त्रियों को बुलाओ जो विलाप करने में चतुर हों।” [QBR]
18. लोग कहते हैं, [QBR2] “उन स्त्रियों को जल्दी से आने और हमारे लिये रोने दो, [QBR] तब हमारी आँखे आँसू से भरेंगी [QBR2] और पानी की धारा हमारी आँखों से फूट पड़ेगी।” [QBR]
19. “जोर से रोने की आवाजें सिय्योन से सुनी जा रही हैं। [QBR2] ‘हम सचमुच बरबाद हो गए। हम सचमुच लज्जित हैं। [QBR] हमें अपने देश को छोड़ देना चाहिये, [QBR2] क्योंकि हमारे घर नष्ट और बरबाद हो गये हैं। [QBR] हमारे घर अब केवल पत्थरों के ढेर हो गये हैं।’ ”
20. यहूदा की स्त्रियों, अब यहोवा का सन्देश सुनो। [QBR2] यहोवा के मुख से निकले शब्दों को सुनने के लिये अपने कान खोल लो। [QBR] यहोवा कहता है अपनी पुत्रियों को जोर से रोना सिखाओ। [QBR2] हर एक स्त्री को इस शोक गीत को सीख लेना चाहिये: [QBR]
21. “मृत्यु हमारी खिड़कियों से चढ़कर आ गई है। [QBR2] मृत्यु हमारे महलों में घुस गई है। [QBR] सड़क पर खेलने वाले हमारे बच्चों की मृत्यु आ गई है। [QBR2] सामाजिक स्थानों में मिलने वाले युवकों की मृत्यु हो गई है।”
22. यिर्मयाह कहो, “जो यहोवा कहता है, ‘वह यह है: [QBR] मनुष्यों के शव खेतों में गोबर से पड़े रहेंगे। [QBR2] उनके शव जमीन पर उस फसल से पड़े रहेंगे जिन्हें किसान ने काट डाला है। [QBR] किन्तु उनको इकट्ठा करने वाला कोई नहीं होगा।’ ”
23. यहोवा कहता है, [QBR2] “बुद्धिमान को अपनी बुद्धिमानी की डींग नहीं मारनी चाहिए। [QBR] शक्तिशाली को अपने बल का बखान नहीं करना चाहिए। [QBR2] सम्पत्तिशाली को अपनी सम्पत्ति की हवा नहीं बांधनी चाहिए। [QBR]
24. किन्तु यदि कोई डींग मारना ही चाहता है तो उसे इन चीज़ों की डींग मारने दो: [QBR2] उसे इस बैंत की डींग मारने दो कि वह मुझे समझता और जानता है। [QBR] उसे इस बात की डींग हाँकने दो कि वह यह समझता है कि मैं यहोवा हूँ। [QBR2] उसे इस बात की हवा बांधने दो कि मैं कृपालु और न्यायी हूँ। [QBR] उसे इस बात का ढींढोरा पीटने दो कि मैं पृथ्वी पर अच्छे काम करता हूँ। [QBR2] मुझे इन कामों को करने से प्रेम है।” [QBR] यह सन्देश यहोवा का है। [PS]
25. वह समय आ रहा है, यह सन्देश यहोवा का है, “जब मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा जो केवल शरीर से खतना कराये हैं।
26. मैं मिस्र, यहूदा, एदोम, अम्मोन तथा मोआब के राष्ट्रों और उन सभी लोगों के बारे में बातें कर रहा हूँ जो मरुभूमि में रहते हैं जो दाढ़ी के किनारों के बालों को काटते हैं। उन सभी देशों के लोगों ने अपने शरीर का खतना नहीं करवाया है। किन्तु इस्राएल के परिवार के लोगों ने हृदय से खतना को नहीं ग्रहण किया है, जैसे कि परमेश्वर के लोगों को करना चाहिए।” [PE]

Notes

No Verse Added

Total 52 Chapters, Current Chapter 9 of Total Chapters 52
यिर्मयाह 9:62
1. यदि मेरा सिर पानी से भरा होता,
और मेरी आँखें आँसू का झरना होतीं तो मैं अपने नष्ट किये गए
लोगों के लिए दिन रात रोता रहता।
2. यदि मुझे मरुभूमि में रहने का स्थान मिल गया होता
जहाँ किसी घर में यात्री रात बिताते, तो मैं अपने लोगों को छोड़ सकता था।
मैं उन लोगों से दूर चला जा सकता था।
क्यों क्योंकि वे सभी परमेश्वर के विश्वासघाती व्यभिचारी हो गए हैं, वे सभी उसके विरुद्ध हो रहे हैं।
3. “वे लोग अपनी जीभ का उपयोग धनुष जैसा करते हैं,
उनके मुख से झूठ बाण के समान छूटते हैं।
पूरे देश में सत्य नहीं। झूठ प्रबल हो गया है, वे लोग एक पाप से दूसरे पाप करते जाते हैं।
वे मुझे नहीं जानते।” यहोवा ने ये बातें कहीं।
4. “अपने पड़ोसियों से सतर्क रहो, अपने निज भाइयों पर भी विश्वास करो।
क्यों क्योंकि हर एक भाई ठग हो गया है।
हर पड़ोसी तुम्हारे पीठ पीछे बात करता है।
5. हर एक व्यक्ति अपने पड़ोसी से झूठ बोलता है।
कोई व्यक्ति सत्य नहीं बोलता।
यहूदा के लोगों ने अपनी जीभ को झूठ बोलने की शिक्षा दी है।
उन्होंने तब तक पाप किये जब तक कि वे इतने थके कि लौट सकें।
6. एक बुराई के बाद दूसरी बुराई आई।
झूठ के बाद झूठ आया।
लोगों ने मुझको जानने से इन्कार कर दिया।”
यहोवा ने ये बातें कहीं।
7. अत: सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“मैं यहूदा के लोगों की परीक्षा वैसे ही करूँगा
जैसे कोई व्यक्ति आग में तपाकर किसी धातु की परीक्षा करता है।
मेरे पास अन्य विकल्प नहीं है।
मेरे लोगों ने पाप किये हैं।
8. यहूदा के लोगों की जीभ तेज बाणों की तरह हैं।
उनके मुँह से झूठ बरसता है।
हर एक व्यक्ति अपने पड़ोसी से अच्छा बोलता है।
किन्तु वह छिपे अपने पड़ोसी पर आक्रमण करने की योजना बनाता है।
9. क्या मुझे यहूदा के लोगों को इन कामों के करने के लिये दण्ड नहीं देना चाहिए”
यह सन्देश यहोवा का है।
“तुम जानते हो कि मुझे इस प्रकार के लोगों को दण्ड देना चाहिए।
मैं उनको वह दण्ड दूँगा जिसके वे पात्र हैं।”
10. मैं (यिर्मयाह) पर्वतों के लिये फूट फूट कर रोऊँगा।
मैं खाली खेतों के लिये शोकगीत गाऊँगा।
क्यों क्योंकि जीवित वस्तुएँ छीन ली गई।
कोई व्यक्ति वहाँ यात्रा नहीं करता।
उन स्थान पर पशु ध्वनि नहीं सुनाई पड़ सकती।
पक्षी उड़ गए हैं और जानवर चले गए हैं।
11. “मैं (यहोवा) यरूशलेम नगर को कूड़े का ढेर बना दूँगा।
यह गीदड़ों की माँदे बनेगा।
मैं यहूदा देश के नगरों को नष्ट करूँगा अत: वहाँ कोई भी नहीं रहेगा।” PS
12. क्या कोई व्यक्ति ऐसा बुद्धिमान है जो इन बातों को समझ सके क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे यहोवा से शिक्षा मिली है क्या कोई यहोवा के सन्देश की व्य़ाख्य़ा कर सकता है देश क्यों नष्ट हुआ यह एक सूनी मरुभूमि की तरह क्यों कर दिया गया जहाँ कोई भी नहीं जाता
13. यहोवा ने इन प्रश्नों का उत्तर दिया। उसने कहा, “यह इसलिये हुआ कि यहूदा के लोगों ने मेरी शिक्षा पर चलना छोड़ दिया। मैंने उन्हें अपनी शिक्षा दी, किन्तु उन्होंने मेरी सुनने से इन्कार किया। उन्होंने मेरे उपदेशों का अनुसरण नहीं किया।
14. यहूदा के लोग अपनी राह चले, वे हठी रहे। उन्होंने असत्य देवता बाल का अनुसरण किया। उनके पूर्वजों ने उन्हें असत्य देवताओं के अनुसरण करने की शिक्षा दी।” PEPS
15. अत: इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “मैं शीघ्र ही यहूदा के लोगों को कड़वा फल चखाऊँगा। मैं उन्हें जहरीला पानी पिलाऊँगा।
16. मैं यहूदा के लोगों को अन्य राष्ट्रों में बिखेर दूँगा। वे अजनबी राष्ट्रों में रहेंगे। उन्होंने और उनके पूर्वजों ने उन देशों को कभी नहीं जाना। मैं तलवार लिये व्यक्तियों को भेंजूँगा। वे लोग यहूदा के लोगों को मार डालेंगे। वे लोगों को तब तक मारते जाएंगे जब तक वे समाप्त नहीं हो जाएंगे।”
17. सर्वशक्तिमान यहोवा जो कहता है, वह यह है:
“अब इन सबके बारे में सोचो।
अन्त्येष्टि के समय भाड़े पर रोने वाली स्त्रियों को बुलाओ।
उन स्त्रियों को बुलाओ जो विलाप करने में चतुर हों।”
18. लोग कहते हैं,
“उन स्त्रियों को जल्दी से आने और हमारे लिये रोने दो,
तब हमारी आँखे आँसू से भरेंगी
और पानी की धारा हमारी आँखों से फूट पड़ेगी।”
19. “जोर से रोने की आवाजें सिय्योन से सुनी जा रही हैं।
‘हम सचमुच बरबाद हो गए। हम सचमुच लज्जित हैं।
हमें अपने देश को छोड़ देना चाहिये,
क्योंकि हमारे घर नष्ट और बरबाद हो गये हैं।
हमारे घर अब केवल पत्थरों के ढेर हो गये हैं।’ ”
20. यहूदा की स्त्रियों, अब यहोवा का सन्देश सुनो।
यहोवा के मुख से निकले शब्दों को सुनने के लिये अपने कान खोल लो।
यहोवा कहता है अपनी पुत्रियों को जोर से रोना सिखाओ।
हर एक स्त्री को इस शोक गीत को सीख लेना चाहिये:
21. “मृत्यु हमारी खिड़कियों से चढ़कर गई है।
मृत्यु हमारे महलों में घुस गई है।
सड़क पर खेलने वाले हमारे बच्चों की मृत्यु गई है।
सामाजिक स्थानों में मिलने वाले युवकों की मृत्यु हो गई है।”
22. यिर्मयाह कहो, “जो यहोवा कहता है, ‘वह यह है:
मनुष्यों के शव खेतों में गोबर से पड़े रहेंगे।
उनके शव जमीन पर उस फसल से पड़े रहेंगे जिन्हें किसान ने काट डाला है।
किन्तु उनको इकट्ठा करने वाला कोई नहीं होगा।’ ”
23. यहोवा कहता है,
“बुद्धिमान को अपनी बुद्धिमानी की डींग नहीं मारनी चाहिए।
शक्तिशाली को अपने बल का बखान नहीं करना चाहिए।
सम्पत्तिशाली को अपनी सम्पत्ति की हवा नहीं बांधनी चाहिए।
24. किन्तु यदि कोई डींग मारना ही चाहता है तो उसे इन चीज़ों की डींग मारने दो:
उसे इस बैंत की डींग मारने दो कि वह मुझे समझता और जानता है।
उसे इस बात की डींग हाँकने दो कि वह यह समझता है कि मैं यहोवा हूँ।
उसे इस बात की हवा बांधने दो कि मैं कृपालु और न्यायी हूँ।
उसे इस बात का ढींढोरा पीटने दो कि मैं पृथ्वी पर अच्छे काम करता हूँ।
मुझे इन कामों को करने से प्रेम है।”
यह सन्देश यहोवा का है। PS
25. वह समय रहा है, यह सन्देश यहोवा का है, “जब मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा जो केवल शरीर से खतना कराये हैं।
26. मैं मिस्र, यहूदा, एदोम, अम्मोन तथा मोआब के राष्ट्रों और उन सभी लोगों के बारे में बातें कर रहा हूँ जो मरुभूमि में रहते हैं जो दाढ़ी के किनारों के बालों को काटते हैं। उन सभी देशों के लोगों ने अपने शरीर का खतना नहीं करवाया है। किन्तु इस्राएल के परिवार के लोगों ने हृदय से खतना को नहीं ग्रहण किया है, जैसे कि परमेश्वर के लोगों को करना चाहिए।” PE
Total 52 Chapters, Current Chapter 9 of Total Chapters 52
×

Alert

×

hindi Letters Keypad References