2. “अय्यूब, इस तरह की बातें करना तू कब छोड़ेगा तुझे चुप होना चाहिये और फिर सुनना चाहिये। तब हम बातें कर सकते हैं।
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4. अय्यूब, तू अपने क्रोध से अपनी ही हानि कर रहा है। क्या लोग धरती बस तेरे लिये छोड़ दे क्या तू यह सोचता है कि बस तुझे तृप्त करने को परमेश्वर धरती को हिला देगा?
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7. उस मनुष्य के कदम फिर कभी मजबूत और तेज नहीं होंगे। किन्तु वह धीरे चलेगा और दुर्बल हो जायेगा। अपने ही कुचक्रों से उसका पतन होगा।
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14. अपने घर की सुरक्षा से दुर्जन को दूर किया जायेगा और आतंक के राजा से मिलाने के लिये उसको चलाकर ले जाया जायेगा।
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19. उसकी कोई सन्तान नहीं होगी अथवा उसके लोगों के कोई वंशज नहीं होंगे। उसके घर में कोई भी जीवित नहीं बचेगा।
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20. पश्चिम के लोग सहमें रह जायेंगे जब वे सुनेंगे कि उस दुर्जन के साथ क्या घटी। लोग पूर्व के आतंकित हो सुन्न रह जायेंगे। 21सचमुच दुर्जन के घर के साथ ऐसा ही घटेगा। ऐसी ही घटेगा उस व्यक्ति के साथ जो परमेश्वर की परवाह नहीं करते।”
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