1. [PS]इस पर नामात प्रदेश के सोपर ने उत्तर दिया: [PE][PBR]
2. [QS]“अय्यूब, तेरे विचार विकल है, सो मैं तुझे निश्चय ही उत्तर दूँगा। [QE][QS2]मुझे निश्चय ही जल्दी करनी चाहिये तुझको बताने को कि मैं क्या सोच रहा हूँ। [QE]
3. [QS]तेरे सुधान भरे उत्तर हमारा अपमान करते हैं। [QE][QS2]किन्तु मैं विवेकी हूँ और जानता हूँ कि तुझे कैसे उत्तर दिया जाना चाहिये। [QE][PBR]
4. [QS](4-5)“इसे तू तब से जानता है जब बहुत पहले आदम को धरती पर भेजा गया था, दुष्ट जन का आनन्द बहुत दिनों नहीं टिकता हैं। [QE][QS2]ऐसा व्यक्ति जिसे परमेश्वर की चिन्ता नहीं है [QE][QS2]वह थोड़े समय के लिये आनन्दित होता है। [QE]
5.
6. [QS]चाहे दुष्ट व्यक्ति का अभिमान नभ छू जाये, [QE][QS2]और उसका सिर बादलों को छू जाये, [QE]
7. [QS]किन्तु वह सदा के लिये नष्ट हो जायेगा जैसे स्वयं उसका देहमल नष्ट होगा। [QE][QS2]वे लोग जो उसको जानते हैं कहेंगे, ‘वह कहाँ है’ [QE]
8. [QS]वह ऐसे विलुप्त होगा जैसे स्वप्न शीघ्र ही कहीं उड़ जाता है। फिर कभी कोई उसको देख नहीं सकेगा, [QE][QS2]वह नष्ट हो जायेगा, उसे रात के स्वप्न की तरह हाँक दिया जायेगा। [QE]
9. [QS]वे व्यक्ति जिन्होंने उसे देखा था फिर कभी नहीं देखेंगे। [QE][QS2]उसका परिवार फिर कभी उसको नहीं देख पायेगा। [QE]
10. [QS]जो कुछ भी उसने (दुष्ट) गरीबों से लिया था उसकी संताने चुकायेंगी। [QE][QS2]उनको अपने ही हाथों से अपना धन लौटाना होगा। [QE]
11. [QS]जब वह जवान था, उसकी काया मजबूत थी, [QE][QS2]किन्तु वह शीघ्र ही मिट्टी हो जायेगी। [QE][PBR]
12. [QS]“दुष्ट के मुख को दुष्टता बड़ी मीठी लगती है, [QE][QS2]वह उसको अपनी जीभ के नीचे छुपा लेगा। [QE]
13. [QS]बुरा व्यक्ति उस बुराई को थामे हुये रहेगा, [QE][QS2]उसका दूर हो जाना उसको कभी नहीं भायेगा, [QE][QS2]सो वह उसे अपने मुँह में ही थामे रहेगा। [QE]
14. [QS]किन्तु उसके पेट में उसका भोजन जहर बन जायेगा, [QE][QS2]वह उसके भीतर ऐसे बन जायेगा जैसे किसी नाग के विष सा कड़वा जहर। [QE]
15. [QS]दुष्ट सम्पत्तियों को निगल जाता है किन्तु वह उन्हें बाहर ही उगलेगा। [QE][QS2]परमेश्वर दुष्ट के पेट से उनको उगलवायेगा। [QE]
16. [QS]दुष्ट जन साँपों के विष को चूस लेगा [QE][QS2]किन्तु साँपों के विषैले दाँत उसे मार डालेंगे। [QE]
17. [QS]फिर दुष्ट जन देखने का आनन्द नहीं लेंगे [QE][QS2]ऐसी उन नदियों का जो शहद और मलाई लिये बहा करती हैं। [QE]
18. [QS]दुष्ट को उसका लाभ वापस करने को दबाया जायेगा। [QE][QS2]उसको उन वस्तुओं का आनन्द नहीं लेने दिया जायेगा जिनके लिये उसने परिश्रम किया है। [QE]
19. [QS]क्योंकि उस दुष्ट जन ने दीन जन से उचित व्यवहार नहीं किया। [QE][QS2]उसने उनकी परवाह नहीं की और उसने उनकी वस्तुऐं छीन ली थी, [QE][QS2]जो घर किसी और ने बनाये थे उसने वे हथियाये थे। [QE][PBR]
20. [QS]“दुष्ट जन कभी भी तृप्त नहीं होता है, [QE][QS2]उसका धन उसको नहीं बचा सकता है। [QE]
21. [QS]जब वह खाता है तो कुछ नहीं छोड़ता है, [QE][QS2]सो उसकी सफलता बनी नहीं रहेगी। [QE]
22. [QS]जब दुष्ट जन के पास भरपूर होगा [QE][QS2]तभी दु:खों का पहाड़ उस पर टूटेगा। [QE]
23. [QS]दुष्ट जन वह सब कुछ खा चुकेगा जिसे वह खाना चाहता है। [QE][QS2]परमेश्वर अपना धधकता क्रोध उस पर डालेगा। [QE][QS2]उस दुष्ट व्यक्ति पर परमेश्वर दण्ड बरसायेगा। [QE]
24. [QS]सम्भव है कि वह दुष्ट लोहे की तलवार से बच निकले, [QE][QS2]किन्तु कहीं से काँसे का बाण उसको मार गिरायेगा। [QE]
25. [QS]वह काँसे का बाण उसके शरीर के आर पार होगा और उसकी पीठ भेद कर निकल जायेगा। [QE][QS2]उस बाण की चमचमाती हुई नोंक उसके जिगर को भेद जायेगी [QE][QS2]और वह भय से आतंकित हो जायेगा। [QE]
26. [QS]उसके सब खजाने नष्ट हो जायेंगे, [QE][QS2]एक ऐसी आग जिसे किसी ने नहीं जलाया उसको नष्ट करेगी, [QE][QS2]वह आग उनको जो उसके घर में बचे हैं नष्ट कर डालेगी। [QE]
27. [QS]स्वर्ग प्रमाणित करेगा कि वह दुष्ट अपराधी है, [QE][QS2]यह गवाही धरती उसके विरुद्ध देगी। [QE]
28. [QS]जो कुछ भी उसके घर में है, [QE][QS2]वह परमेश्वर के क्रोध की बाढ़ में बह जायेगा। [QE]
29. [QS]यह वही है जिसे परमेश्वर दुष्टों के साथ करने की योजना रचता है। [QE][QS2]यह वही है जैसा परमेश्वर उन्हें देने की योजना रचता है।” [QE][PBR]