1. [QS]“सर्वशक्तिमान परमेश्वर क्यों नहीं न्याय करने के लिये समय नियुक्त करता है? [QE][QS2]लोग जो परमेश्वर को मानते हैं उन्हें क्यों न्याय के समय की व्यर्थ बाट जोहनी पड़ती है [QE][PBR]
2. [QS]“लोग अपनी सम्पत्ति के चिन्हों को, जो उसकी सीमा बताते है, सरकाते रहते हैं ताकि अपने पड़ोसी की थोड़ी और धरती हड़प लें! [QE][QS2]लोग पशु को चुरा लेते हैं और उन्हें चरागाहों में हाँक ले जाते हैं। [QE]
3. [QS]अनाथ बच्चों के गधे को वे चुरा ले जाते हैं। [QE][QS2]विधवा की गाय वे खोल ले जाते है। जब तक की वह उनका कर्ज नहीं चुकाती है। [QE]
4. [QS]वे दीन जन को मजबूर करते है कि वह छोड़ कर दूर हट जाने को विवश हो जाता है, [QE][QS2]इन दुष्टों से स्वयं को छिपाने को। [QE][PBR]
5. [QS]“वे दीन जन उन जंगली गदहों जैसे हैं जो मरुभूमि में अपना चारा खोजा करते हैं। [QE][QS2]गरीबों और उनके बच्चों को मरुभूमि भोजन दिया करता है। [QE]
6. [QS]गरीब लोग भूसा और चारा साथ साथ ऐसे उन खेतों से पाते हैं जिनके वे अब स्वामी नहीं रहे। [QE][QS2]दुष्टों के अंगूरों के बगीचों से बचे फल वे बीना करते हैं। [QE]
7. [QS]दीन जन को बिना कपड़ों के रातें बितानी होंगी, [QE][QS2]सर्दी में उनके पास अपने ऊपर ओढ़ने को कुछ नहीं होगा। [QE]
8. [QS]वे वर्षा से पहाड़ों में भीगें हैं, उन्हें बड़ी चट्टानों से सटे हुये रहना होगा, [QE][QS2]क्योंकि उनके पास कुछ नहीं जो उन्हें मौसम से बचा ले। [QE]
9. [QS]बुरे लोग माता से वह बच्चा जिसका पिता नहीं है छीन लेते हैं। [QE][QS2]गरीब का बच्चा लिया करते हैं, उसके बच्चे को, कर्ज के बदले में वे बन्धुवा बना लेते हैं। [QE]
10. [QS]गरीब लोगों के पास वस्त्र नहीं होते हैं, सो वे काम करते हुये नंगे रहा करते हैं। [QE][QS2]दुष्टों के गट्ठर का भार वे ढोते है, किन्तु फिर भी वे भूखे रहते हैं। [QE]
11. [QS]गरीब लोग जैतून का तेल पेर कर निकालते हैं। [QE][QS2]वे कुंडो में अंगूर रौंदते हैं फिर भी वे प्यासे रहते हैं। [QE]
12. [QS]मरते हुये लोग जो आहें भरते हैं। वे नगर में सुनाई देती हैं। [QE][QS2]सताये हुये लोग सहारे को पुकारते हैं, किन्तु परमेश्वर नहीं सुनता है। [QE][PBR]
13. [QS]“कुछ ऐसे लोग हैं जो प्रकाश के विरुद्ध होते हैं। [QE][QS2]वे नहीं जानना चाहते हैं कि परमेश्वर उनसे क्या करवाना चाहता है। [QE][QS2]परमेश्वर की शह पर वे नहीं चलते हैं। [QE]
14. [QS]हत्यारा तड़के जाग जाया करता है गरीबों और जरुरत मंद लोगों की हत्या करता है, [QE][QS2]और रात में चोर बन जाता है। [QE]
15. [QS]वह व्यक्ति जो व्यभिचार करता है, रात आने की बाट जोहा करता है, [QE][QS2]वह सोचता है उस कोई नहीं देखेगा और वह अपना मुख ढक लेता है। [QE]
16. [QS]दुष्ट जन जब रात में अंधेरा होता है, तो सेंध लगा कर घर में घुसते हैं। [QE][QS2]किन्तु दिन में वे अपने ही घरों में छुपे रहते हैं, वे प्रकाश से बचते हैं। [QE]
17. [QS]उन दुष्ट लोगों का अंधकार सुबह सा होता है, [QE][QS2]वे आतंक व अंधेरे के मित्र होते है। [QE][PBR]
18. [QS]“दुष्ट जन ऐसे वहा दिये जाते हैं, जैसे झाग बाढ़ के पानी पर। [QE][QS2]वह धरती अभिशिप्त है जिसके वे मालिक हैं, इसलिये वे अंगूर के बगीचों में अगूंर बिनने नहीं जाते हैं। [QE]
19. [QS]जैसे गर्म व सूखा मौसम पिघलती बर्फ के जल को सोख लेता है, [QE][QS2]वैसे ही दुष्ट लोग कब्र द्वारा निगले जायेंगे। [QE]
20. [QS]दुष्ट मरने के बाद उसकी माँ तक उसे भूल जायेगी, दुष्ट की देह को कीड़े खा जायेंगे। [QE][QS2]उसको थोड़ा भी नहीं याद रखा जायेगा, दुष्ट जन गिरे हुये पेड़ से नष्ट किये जायेंगे। [QE]
21. [QS]ऐसी स्त्री को जिसके बच्चे नहीं हो सकते, दुष्ट जन उन्हें सताया करते हैं, [QE][QS2]वे उस स्त्री को दु:ख देते हैं, वे किसी विधवा के प्रति दया नहीं दिखाते हैं। [QE]
22. [QS]बुरे लोग अपनी शक्ति का उपयोग बलशाली को नष्ट करने के लिये करते है। [QE][QS2]बुरे लोग शक्तिशाली हो जायेंगे, किन्तु अपने ही जीवन का उन्हें भरोसा नहीं होगा कि वे अधिक दिन जी पायेंगे। [QE]
23. [QS]सम्भव है थोड़े समय के लिये परमेश्वर शक्तिशाली को सुरक्षित रहने दे, [QE][QS2]किन्तु परमेश्वर सदा उन पर आँख रखता है। [QE]
24. [QS]दुष्ट जन थोड़े से समय के लिये सफलता पा जाते हैं किन्तु फिर वे नष्ट हो जाते हैं। [QE][QS2]दूसरे लोगों की तरह वे भी समेट लिये जाते हैं। अन्न की कटी हुई बाल के समान वे गिर जाते हैं। [QE][PBR]
25. [QS]“यदि ये बातें सत्य नहीं हैं तो [QE][QS2]कौन प्रमाणित कर सकता है कि मैंने झूठ कहा है [QE][QS2]कौन दिखा सकता है कि मेरे शब्द प्रलयमात्र हैं?” [QE][PBR]